बिहार बोर्ड सामाजिक विज्ञान इतिहास यूरोप में राष्ट्रवाद रिवीजन नोट्स | Class 10 History Chapter 1 Revision Notes | Highly useful for BSEB Matric Exam

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कक्षा 10  इतिहास की दुनिया यूरोप में राष्ट्रवाद 

बिहार बोर्ड इतिहास यूरोप में राष्ट्रवाद

यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना तो पुनर्जागरण काल से ही फैलने लगी थी, लेकिन इसने अपना रूप 1789 की फ्रांसीसी क्रांति की सफलता के बाद दिखाना आरम्भ किया । राष्ट्रवाद को फैलाने की जिम्मेदारी नेपोलियन बोनापार्ट की भी थी, जब उसने छोटे-छोटे राज्यों को जीत कर एक बड़ा देश का रूप देने लगा। उसी ने इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया था।

यूरोप की विजयी शक्तियों ने बियना में एक सम्मेलन किया, जिसका मेजबान मेटरनिख था, जो घोर प्रतिक्रियावादी था । इस सम्मेलन का उद्देश्य उस व्यवस्था को तहस- नहस करना था, जिसे नेपोलियन ने स्थापित की थी। इस सम्मेलन में ब्रिटेन, प्रशा, रूस और आस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियाँ सम्मिलित हुई थीं। मेटरनिख के प्रयास से तय हुआ कि यहाँ पुरातन व्यवस्था ही चालू रखी जाय | इटली को पुनः कई भागों में बाँट दिया गया । वहाँ बूर्बो राजवंश का शासन पुनः स्थापित हो गया। परन्तु सुधारवादी भी

चुप बैठने वाले नहीं थे।

इसी समय मेजनी, काबूर, गैरीबाल्डी आदि सामने आ खड़े हुए | इन तीनों के प्रयास से एक ओर इटली और दूसरी ओर जर्मनी का एकीकरण होकर रहा। बिस्मार्क भी नई व्यवस्था का समर्थक था, जिसे जर्मनी का चांसलर बनाया गया। इटली और जर्मनी का एकीकरण और वहाँ की राष्ट्रवादी मनोवृत्ति से उत्साहित होकर यूनानियों में भी स्वतंत्रता की अकुलाह होने लगी। यूनान जैसे प्राचीन देश--जिसे अपनी प्राचीन सभ्यता पर गौरव था--उस्मानिया साम्राज्य के तले कराह रहा था।

प्राचीन यूनान ने अनेक तरह से विश्व की सेवा की थी। वहाँ के साहित्य उच्च कोटि के थे। विचार, दर्शन, कला, चिकित्सा विज्ञान आदि की उपलब्धियाँ यूनानियों के लिए प्रेरणा के स्लोत थे। यूनानी चिकित्सा पद्धति विश्व में आज भी मानी जाती है। आयुर्वेद से वह जरा भी कम नहीं है।

राष्ट्रीयता के जितने तत्त्व होने चाहिए, वे सब यूनान में मौजूद थे। धर्म, संस्कृति, भाषा, जाति सभी आधार शर यूनानी एक थे। फलतः वे किसी प्रकार तुर्की साम्राज्य से छुटकारा चाहने लगे । आन्दोलन पर आन्दोलन हुए। अंत में युद्ध की नौबत आ गई।

सारा यूरोप यूनान की ओर से खड़ा हो गया। तुर्की को केवल मिस्र का साथ मिला। युद्ध हुआ, जिसमें तुर्की और मित्र बुरी तरह हार गए। अन्ततः यूनान एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने में सफल हो गया।

अब यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना और भी प्रबल हुई, जिसका परिणाम साम्राज्यवाद के प्रसार के रूप में हुआ। इससे न केवल यूरोप प्रभावित हुआ, बल्कि इसका असर पूरे विश्व पर पड़ा । अफ्रीका और एशिया में साम्राज्यवादियों ने अपने पैर जमाए ही, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और आस्ट्रेलिया में भी अपना पैर पसारने में सफल हो गए। उत्तर अमेरिक़ा और आस्ट्रेलिया के मूल निवासी या तो दूर जंगलों में खदेड़ दिए गए या मार दिए गए। *


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