Bihar Board Class 10 Social Science Economics Chapter 7 Notes in Hindi [PDF] | उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

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 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण



बाजार में दुकानों पर जितनी वस्तुएँ सजाई रहती हैं, वे सब उपभोक्ताओं के लिए ही होती हैं। तात्पर्य कि 'उपभोक्ता' बाजार व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। दुकानदार ग्राहकों पर निर्भर रहता है, ग्राहक दुकानदार पर निर्भर नहीं रहता। उपभोग की वस्तुएँ खरीदते समय ग्राहकों को जाकरूक रहना आवश्यक है, जिसे 'उपभोक्ता जागरण' कहते हैं। मनुष्य आजीवन किसी--किसी आवश्यकता से घिरा रहता है। उसे अधिकार है कि वह वस्तु खरीदने के पहले वस्तु का गुण, उसकी मात्रा, वस्तु बनाने में उपयोग किए गए तत्त्व तथा उस वस्तु के उपयोग से होने वाले प्रभाव की जानकारी प्राप्त कर ले। यह सब जानना उपभोक्ता का कानूनी हक है। उसे यह भी अधिकार है कि वस्तु की मात्रा, वजन, मूल्य आदि की जानकारी प्राप्त करे। सरकार भी सचेष्ट है कि दुकानदार या सेवा बेचने वाला उपभोक्ता का शोषण नहीं करने पावे। साधारण दुकानदार और सेवा विक्रेता के साथ ही गैस एजेंसियों हो या शिक्षण संस्थान हो या डॉक्टर हो या केबुल ऑपरेटर हो, किसी को भी मनमानी करने की छूट नहीं है। जैसे विक्रेताओं द्वारा अनेक तरह से उगने के उपाय किए जाते हैं। लालच भी दिए जाते हैं। लेकिन इन सब बातों से बचना उपभोक्ता की जागरूकता पर निर्भर है। उपभोक्ताओं को अनेक तरह से ठगा जाता है। जैसे : वस्तु में मिलावट करके, तौल में कम देकर, अधिक गुणवान वस्तु के बदले कम गुणवत्ता की वस्तु देकर, मूल्य बढ़ाकर लेकर, जाली वस्तुएँ देकर। आजकल असली वस्तु आने के पहले जाली वस्तुएँ ही बाजार में पहुँच जाती है। इन सब धोखाधड़ी से बचने के लिए सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाए हैं, जो 1986 में पारित हुआ। ISI, हॉलमार्क, इसी बचाव के लिए जारी किए जाते हैं। पुस्तकों पर वाटर मार्क रहता है। पैकेट बन्द खाद्य पदार्थ या दवाओं पर सभी सूचनाएँ

लिखी रहती हैं। उपयोग करने की अंतिम तिथि भी अंकित रहती है। अधिकतम मूल्य भी अंकित रहता है। मोल-तोल करके आप कुछ छूट भी प्राप्त कर सकते हैं। 

उपभोक्ताओं को अनेक अधिकार प्राप्त हैं।

जैसे: (i) सुरक्षा का अधिकार

(ii) सूचना पाने का अधिकार,

 (iii) चुनाव या पसन्द करने का अधिकार,

 (iv) सुनवाई का अधिकार,

 (v) शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार,

 (vi) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार  

इन अधिकारों को पाने के लिए उपभोक्ताओं के कुछ कर्तव्य भी है। यदि उपभोक्ता यह अनुभव करता है कि उसे ठगा गया है तो उसको न्याय दिलाने के तीन स्तर की व्यवस्था की गई है। 

(i) जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम), 

(ii) राज्य स्तर पर राज्यस्तरीय आयोग तथा 

(iii) राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग 20 लाख रुपए से कम की शिकायत जिला फोरम में की जाती है।

20 लाख या इससे अधिक और 1 करोड़ रुपए से कम की शिकायत राज्य आयोग में की जाती है करोड़ से अधिक रुपए के माल की शिकायत राष्ट्रीय आयोग में की जाती है। उपभोक्ता की शिकायत तभी सुनी जाती है, यदि उसके पास पक्का रसीद हो। अतः वस्तु खरीदते समय दुकानदार से पक्का रसीद (बिल या कैशमेमो) अवश्य ले लेना चाहिए।

 

 

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