आपदा और सह-अस्तित्व: एक सम्पूर्ण अध्ययन
इस अध्याय में हम आपदा और सह-अस्तित्व की अवधारणा को गहराई से समझेंगे। यह लेख आपको आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं, जैसे भूकंपरोधी भवन निर्माण, सुनामी से बचाव के उपाय, बाढ़ नियंत्रण की रणनीतियाँ, और सूखाड़ के उपाय जिनमें शुष्क कृषि पद्धति और जल विभाजक क्षेत्र का प्रबंधन शामिल है, की विस्तृत जानकारी देगा। यह आपको न केवल परीक्षा के लिए तैयार करेगा, बल्कि एक जागरूक नागरिक भी बनाएगा।
1. महत्वपूर्ण विषयों की सरल, विस्तृत एवं स्पष्ट व्याख्या
(क) आपदा (Disaster) क्या है?
आपदा एक ऐसी घटना है जो अचानक घटित होती है और बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि पहुँचाती है। ये प्राकृतिक (जैसे भूकंप, सुनामी, बाढ़) या मानव-जनित (जैसे बम विस्फोट, रासायनिक दुर्घटनाएँ) हो सकती हैं।
(ख) सह-अस्तित्व (Coexistence) का महत्व
सह-अस्तित्व का अर्थ है आपदाओं के साथ जीना और उनके प्रभावों को कम करने के लिए प्रभावी उपाय करना। चूँकि प्राकृतिक आपदाओं को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, हमें उनसे बचाव के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
(ग) भूकंप (Earthquake)
भूकंप एक बहुत बड़ी और अत्यंत विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है। इसके आने से इतनी बर्बादी होती है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। भूकंप के संभावित क्षेत्र तो ज्ञात हैं, परंतु इसके आगमन का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता।
उदाहरण: 26 जनवरी, 2001 को गुजरात में 6.9 तीव्रता का एक भीषण भूकंप आया था, जिसमें लगभग 1300 लोग मारे गए और 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए।
भूकंप के प्रभावों को कम करने के उपाय (भूकंपरोधी भवन निर्माण):
- भवनों का आकार: भवनों को आयतकार होना चाहिए और उनका नक्शा साधारण होना चाहिए। T, L, U, X आकार के भवनों को छोटे-छोटे आयतों में बाँटकर बनाना चाहिए।
- दीवारों की मजबूती: लंबी दीवारों को सहारा देने के लिए ईंट-पत्थर या कंक्रीट के कॉलम होने चाहिए।
- नींव: नींव मजबूत और भूकंप अवरोधी होनी चाहिए। निर्माण से पूर्व मिट्टी का वैज्ञानिक अध्ययन आवश्यक है।
- सामग्री का अनुपात: लोहा-कंक्रीट-बालू का समुचित अनुपात एवं तकनीकी रूप से सुरक्षित संरचना का निर्माण होना चाहिए।
- गलियाँ और सड़कें: गलियों एवं सड़कों को चौड़ा होना चाहिए तथा दो भवनों के बीच पर्याप्त दूरी होनी चाहिए।
(घ) सुनामी (Tsunami)
सुनामी एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है जो अक्सर दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में कहर बरपाती है। यह जान-माल की बड़ी हानि करती है और तटीय क्षेत्रों के खेतों को बंजर बना देती है।
सुनामी के प्रभाव को कम करने के उपाय:
- तटीय क्षेत्रों से दूरी: लोगों को तट से दूर बसने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- वृक्षारोपण: समुद्र तटीय भाग में सघन वृक्षारोपण से सुनामी लहरों की तीव्रता को कम किया जा सकता है।
- कंक्रीट अवरोधक: नगरों एवं पत्तनों को बचाने के लिए कंक्रीट अवरोधक का निर्माण होना चाहिए।
- भूकंपरोधी/सुनामीरोधी मकान: सुनामी संभावित क्षेत्रों में विशेष डिजाइन वाले मकान बनाने चाहिए।
- त्वरित चेतावनी प्रणाली: उपग्रह प्रौद्योगिकी द्वारा सुनामी की चेतावनी प्राप्त कर इसे तुरंत आम लोगों तक पहुँचाना चाहिए।
(ङ) बाढ़ (Flood)
बाढ़ भी एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है, लेकिन इससे होने वाली तबाही से बचा जा सकता है क्योंकि इसकी सूचना कुछ समय पूर्व ही मिल जाती है।
बाढ़ के प्रभावों को कम करने के उपाय:
- जोखिम मानचित्रण: सबसे पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का मानचित्र तैयार करें।
- निर्माण स्थलों का चुनाव: ऊँचे सुरक्षित स्थानों का चुनाव करना चाहिए और भवनों का निर्माण कंकरीट निर्मित खंभों पर किया जाना चाहिए।
- वृक्षारोपण और मृदा संरक्षण: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वनों को विकसित करने से बाढ़ की प्रचंडता को कम किया जा सकता है।
- तटबंध: नदियों के तटों पर तटबंध (Embankment) का निर्माण करने से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
- बांध और नहरें: नदियों पर बांध और जलाशय का निर्माण, तथा नहरों का जाल बिछाकर बाढ़ की विभीषिका को कम किया जा सकता है।
- फसलों का बचाव: जलमग्न क्षेत्रों में पैदा हो सकने वाली फसलों का विकास करना।
- खाद्यान्न बैंक: स्थान-स्थान पर खाद्यान्न बैंक का विकास होना चाहिए।
(च) सूखाड़ (Drought)
सूखाड़ अचानक नहीं होता, यह संकेत देकर आता है। इसके तीन प्रकार हैं: सामान्य, कृषि और मौसमी सूखाड़, जिनमें कृषि सूखाड़ सबसे खतरनाक है।
सूखाड़ के प्रभावों को कम करने के उपाय:
- जल संसाधन का वैज्ञानिक विकास: जल संसाधन के वैज्ञानिक विकास और प्रबंधन द्वारा जल का समाधान किया जा सकता है।
- जल विभाजक क्षेत्र का विकास: यह नीति मृदा, पेड़-पौधों, पानी तथा अन्य संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन करने में मदद करती है।
- मिट्टी की नमी का संरक्षण: भूमि पर घास का आवरण रहने देना चाहिए।
- वृक्षारोपण: नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वृक्षारोपण से बादल आकर्षित होते हैं।
- कम जल वाली फसलों की खेती: मशरूम, औषधीय पौधे, नागफनी, ज्वार, बाजरा जैसी फसलें लगाना।
- सिंचाई का विकास: सिंचाई को विकसित कर सूखा से बचा जा सकता है।
- शुष्क कृषि पद्धति (Dry Farming): इसमें गहरी जुताई, सूखा सहन करने वाली फसलें, ड्रिप तथा छिड़काव सिंचाई, और कम समय में उत्पादन देने वाले बीजों का प्रयोग शामिल है।
- वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का विकास: दुग्ध उद्योग और कृषि-आधारित उद्योगों का विकास करना।
(छ) आपदा प्रबंधन (Disaster Management)
आपदा प्रबंधन का अर्थ है प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए तैयारी करना, उनसे निपटना और उनके बाद की स्थितियों को संभालना।
- जागरूकता और शिक्षा: जनसाधारण को जागरूक, शिक्षित करना तथा शिक्षा को मुख्य धारा से जोड़ना।
- आपदा मानचित्रण: सुदूर-संवेदन (Remote sensing) तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का उपयोग कर आपदा मानचित्रण करना।
- आपसी सहयोग: गैर-सरकारी संगठन, अर्ध सरकारी संगठन के माध्यम से आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
2. प्रमुख परिभाषाएँ और संकल्पनाएँ
- आपदा (Disaster):
- अचानक घटित होने वाली घटना जिससे बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि होती है।
- सह-अस्तित्व (Coexistence):
- आपदाओं को स्वीकार करते हुए उनके साथ जीना और उनके प्रभावों को कम करने के लिए तैयारी करना।
- जल विभाजक क्षेत्र (Water Catchment Area):
- एक भौगोलिक क्षेत्र जहाँ वर्षा का पानी एक सामान्य बिंदु की ओर बहता है।
- शुष्क कृषि पद्धति (Dry Farming):
- कम वर्षा वाले क्षेत्रों में खेती करने की विशेष विधियाँ जो उपलब्ध नमी का अधिकतम उपयोग करती हैं।
- आपदा मानचित्रण (Disaster Mapping):
- आपदा संभावित क्षेत्रों और उनके जोखिम को दर्शाने वाले मानचित्रों का निर्माण।
- सुदूर-संवेदन (Remote Sensing):
- पृथ्वी की सतह से बिना सीधे संपर्क किए जानकारी एकत्र करने की तकनीक।
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS):
- भौगोलिक डेटा को एकत्र, संग्रहीत और विश्लेषण करने वाला कंप्यूटर सिस्टम।
3. पुस्तक में दिए गए सभी उदाहरणों की व्याख्या
इस अध्याय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यात्मक उदाहरण शामिल हैं:
- गुजरात भूकंप (2001): भूकंप के विनाशकारी प्रभाव को समझाने के लिए 26 जनवरी, 2001 को गुजरात में आए 6.9 तीव्रता के भूकंप का विस्तृत विवरण दिया गया है।
- बाढ़ के दौरान फसलें: उत्तरी बिहार के किसानों का उदाहरण दिया गया है जो धान की ऐसी प्रजातियाँ उगाते हैं जो जलमग्न क्षेत्रों में भी पैदा होती हैं।
- सूखाड़ में कम पानी वाली फसलें: सूखाग्रस्त क्षेत्रों में मशरूम, औषधीय पौधे, नागफनी, ज्वार और बाजरा जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
- सिंचाई के सफल उदाहरण: पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य सिंचाई सुविधाओं के विकास के कारण भारत के अन्न भंडार बन गए हैं।
4. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. निम्नलिखित में कौन प्राकृतिक आपदा है?
उत्तर: (ग) भूकंप
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है। आग लगना, बम विस्फोट और रासायनिक दुर्घटनाएँ मानव-जनित आपदाएँ हैं।
2. भूकंप संभावित क्षेत्रों में भवनों की आकृति कैसी होनी चाहिए?
उत्तर: (घ) आयताकार
कम से कम क्षति के लिए भवनों को आयताकार और साधारण नक्शे वाला होना चाहिए।
3. भूस्खलन वाले क्षेत्र में ढलान पर मकानों का निर्माण क्या है?
उत्तर: (ख) अनुचित
ढलान पर निर्माण जोखिम भरा होता है और विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। सीधे ढलान पर निर्माण अनुचित है।
4. सुनामी प्रभावित क्षेत्र में मकानों का निर्माण कहाँ करना चाहिए?
उत्तर: (ग) समुद्र तट से दूर ऊँचाई पर
सुनामी से बचाव के लिए मकान ऊँचे स्थानों पर और तट से दूर बनाने चाहिए।
5. बाढ़ से सबसे अधिक हानि होती है-
उत्तर: (घ) उपरोक्त सभी को
बाढ़ से फसल, पशुधन, भवन और मानव जीवन, सभी को भारी हानि होती है।
6. कृषि सूखाड़ होता है-
उत्तर: (ख) मिट्टी की नमी के अभाव में
स्रोत के अनुसार, मिट्टी में नमी के अभाव में ही कृषि सूखाड़ होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भूकंप के प्रभावों को कम करने वाले चार उपायों को लिखिए।
- आयताकार और साधारण भवनों का निर्माण।
- मजबूत नींव और कॉलम का उपयोग।
- निर्माण से पहले मिट्टी का वैज्ञानिक अध्ययन।
- चौड़ी गलियाँ और भवनों के बीच पर्याप्त दूरी।
2. सुनामी संभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण पर अपना विचार प्रकट कीजिए।
सुनामी संभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण अत्यंत सावधानी से किया जाना चाहिए। मकान तट से दूर और ऊँचे स्थानों पर बनाने चाहिए। भवनों का डिजाइन सुनामीरोधी होना चाहिए, जिसमें मजबूत नींव और पक्की निर्माण सामग्री का उपयोग हो। साथ ही, सामुदायिक स्तर पर चेतावनी प्रणाली और निकासी मार्गों की योजना भी आवश्यक है।
3. सूखाड़ में मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए आप क्या करेंगे?
सूखाड़ में मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए मैं भूमि पर घास का आवरण रहने दूँगा/दूँगी, खेतों की गहरी जुताई करूँगा/करूँगी, और ड्रिप/स्प्रिंकल सिंचाई जैसी कुशल विधियों का उपयोग करूँगा/करूँगी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भूस्खलन अथवा बाढ़ जैसी प्राकृतिक विभीषिकाओं का सामना आप किस प्रकार कर सकते हैं? विस्तार से लिखिए।
बाढ़ का सामना करने के लिए पूर्व चेतावनी, जोखिम मानचित्रण, सुरक्षित निर्माण स्थल, वनीकरण, नदी तटबंध, जल निकासी में सुधार, और खाद्यान्न बैंक जैसे उपाय आवश्यक हैं। भूस्खलन के लिए ढलानों पर अवरोधक और मजबूत दीवारों का निर्माण किया जाना चाहिए। दोनों ही मामलों में, पूर्व तैयारी, सुरक्षित निर्माण, और सामुदायिक सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
5. 20 नए अभ्यास प्रश्न (विस्तृत उत्तर सहित)
1. कौन सी आपदा का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता?
2. सुनामी लहरों की तीव्रता को कम करने के लिए तटीय भाग में क्या उपाय करना चाहिए?
3. भारत सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिए कौन से तीन आयाम निर्धारित किए हैं?
4. कृषि सूखाड़ इनमें से किसके अभाव में होता है?
5. आपदा मानचित्रण में कौन सी तकनीकें सहायक हो सकती हैं?
6. सह-अस्तित्व से आप क्या समझते हैं?
सह-अस्तित्व का अर्थ है प्राकृतिक आपदाओं को स्वीकार करते हुए उनके साथ जीना और उनके प्रभावों को कम करने के लिए सक्रिय रूप से तैयारी करना।
7. भूकंपरोधी मकानों के निर्माण में नींव का क्या महत्व है?
भूकंपरोधी मकानों में नींव का अत्यधिक महत्व है। एक मजबूत, भूकंप-अवरोधी नींव ही पूरे भवन को झटकों से बचा सकती है।
8. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वनों के विकास से क्या लाभ है?
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वनों का विकास बाढ़ की प्रचंडता को कम करता है और मृदा क्षय को भी नियंत्रित करता है।
9. सूखाड़ के तीन प्रकार कौन से हैं?
सूखाड़ के तीन प्रकार हैं: (i) सामान्य सूखाड़, (ii) कृषि सूखाड़, और (iii) मौसमी सूखाड़।
10. खाद्यान्न बैंक (Food Grain Bank) का क्या उद्देश्य है?
खाद्यान्न बैंक का उद्देश्य बाढ़ या सूखे के कारण उत्पन्न होने वाले खाद्य संकट को नियंत्रित करना और अकाल की स्थिति में भोजन उपलब्ध कराना है।
11. जल विभाजक क्षेत्र के विकास से सूखाड़ के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
जल विभाजक क्षेत्र का विकास मृदा और जल संरक्षण, संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद करता है। यह मिट्टी में नमी बनाए रखता है और कृषि उत्पादन के लिए अनुकूल स्थितियाँ बनाता है, जिससे सूखाड़ का प्रभाव कम होता है।
12. शुष्क कृषि पद्धति क्या है और इसकी प्रमुख विधियाँ क्या हैं?
शुष्क कृषि पद्धति कम वर्षा वाले क्षेत्रों में खेती करने की विशेष विधि है। इसकी प्रमुख विधियों में गहरी जुताई, सूखा सहन करने वाली फसलें उगाना, ड्रिप और छिड़काव सिंचाई, कम समय में उत्पादन देने वाले बीजों का प्रयोग, और वर्षा जल का अधिकतम उपयोग शामिल है।
13. आपदा प्रबंधन में जन जागरूकता और शिक्षा की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
जन जागरूकता और शिक्षा लोगों को आपदाओं के प्रति तैयार रहने और नुकसान को कम करने में सक्षम बनाती है। यह लोगों को जोखिमों को समझने, सतर्क रहने और बचाव के उपाय सीखने में मदद करती है, जिससे वे निष्क्रिय पीड़ितों से सक्रिय प्रतिभागियों में बदल जाते हैं।
14. आपदा प्रबंधन में उपग्रह प्रौद्योगिकी और GIS कैसे सहायक हैं?
उपग्रह प्रौद्योगिकी (सुदूर-संवेदन) और GIS आपदा मानचित्रण, जोखिम क्षेत्रों की पहचान, चेतावनी प्रणाली और राहत कार्यों के निर्देशन में सहायक हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ आपदा से पहले की तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्वास में अमूल्य सहायता प्रदान करती हैं।
15. भूकंप आने पर सबसे अधिक क्षति किन क्षेत्रों में होती है और क्यों?
भूकंप से सबसे अधिक क्षति उन क्षेत्रों में होती है जहाँ लोग पहले से सचेत नहीं रहते, क्योंकि भूकंप का पूर्वानुमान संभव नहीं है और तैयारी के अभाव में नुकसान अधिक होता है।
16. सुनामी से तटीय क्षेत्रों पर क्या-क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं?
सुनामी से जान-माल की हानि, खेतों का बंजर होना, स्वास्थ्य समस्याएँ और बंदरगाहों व नगरों को भारी क्षति पहुँचती है।
17. बाढ़ से बचाव के लिए नदियों से संबंधित कोई दो उपाय लिखिए।
नदियों की धाराओं में सुधार करना और उनके लिए वैकल्पिक मार्ग का निर्माण करना।
18. सूखाड़ के प्रभाव को कम करने के लिए दुग्ध उद्योग का विकास कैसे सहायक हो सकता है?
सूखाड़ में जब फसलें नष्ट हो जाती हैं, तो दुग्ध उद्योग किसानों को आय का एक स्थिर और वैकल्पिक स्रोत प्रदान करता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बनी रहती है।
19. एक अच्छे भूकंपरोधी भवन के नक्शे की क्या विशेषता होनी चाहिए?
एक अच्छे भूकंपरोधी भवन का नक्शा साधारण और आयताकार होना चाहिए। T, L, U, X आकार के भवनों को छोटे-छोटे आयतों में बाँटकर बनाना चाहिए।
20. आपदा प्रबंधन में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या देखा गया है?
यह देखा गया है कि जहाँ पूर्वनियोजित योजनाएँ नहीं हैं या अपर्याप्त हैं, वहाँ आपदा से अधिक हानि हुई है।
6. अध्याय का संक्षिप्त सारांश
इस अध्याय में हमने विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं (भूकंप, सुनामी, बाढ़, सूखाड़) और उनके साथ सह-अस्तित्व के महत्व को समझा।
- भूकंप: एक अप्रत्याशित आपदा है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए भवनों का आयताकार होना, मजबूत नींव, और चौड़ी गलियाँ महत्वपूर्ण हैं।
- सुनामी: समुद्री लहरों से होने वाली आपदा। बचाव के लिए तटीय क्षेत्रों से दूर बसना, वृक्षारोपण और चेतावनी प्रणाली आवश्यक है।
- बाढ़: एक सामान्य आपदा। इससे बचाव के लिए जोखिम मानचित्रण, वनीकरण, तटबंध निर्माण और खाद्यान्न बैंक का महत्व है।
- सूखाड़: धीरे-धीरे आने वाली आपदा। जल विभाजक क्षेत्र का विकास, मिट्टी की नमी का संरक्षण, और शुष्क कृषि पद्धति इसके मुख्य बचाव उपाय हैं।
- आपदा प्रबंधन: इसमें जन जागरूकता, शिक्षा, पूर्वनियोजित योजनाएँ, और आपसी सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इन नोट्स का उद्देश्य आपको अध्याय की गहन समझ प्रदान करना है ताकि आप न केवल परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकें, बल्कि आपदाओं के प्रति जागरूक और तैयार नागरिक भी बन सकें। शुभकामनाएं!