Bihar board class 10 social science Economics chapter 2 summary notes | सामाजिक विज्ञान (अर्थशास्त्र) ,अधयाय-2

Vikash Kumar
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प्रश्नावली के प्रश्न तथा उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions):

I. सही विकल्प चुनें : 

1. भारत में प्रति व्यक्ति आय कितना है?

(1) 22.553 रुपये 

(2) 6,610 रुपये

(3) 25,494 रुपये 

(4) 54.850 रुपये


2. भारत में वित्तीय वर्ष कहा जाता है ?

(1) 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक 

(2) 1 जुलाई से 30 जून तक 

(3) 1 अप्रैल से 31 मार्च तक

 (4) 1 सितम्बर से 31 अगस्त तक


3. भारत में किस राज्य का प्रति व्यक्ति आय सर्वाधिक है?

(क) बिहार  

(ग) हरियाणा

(ख) चंडीगढ़ 

(घ) गोवा


4. बिहार के किस जिले का प्रति व्यक्ति आय सर्वाधिक है ?

 (1) शिवहर

 (2) नालंदा 

 (3) पटना 

(4)  गया


5. उत्पादन एवं आय गणना विधि आर्थिक दृष्टिकोण से है। 

(1) सहज 

(2) व्यवहारिक

(3) वैज्ञानिक

(4) ये तीनों


II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. बिहार की 41.1 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती हैं।

 2. राष्ट्रीय आय तृतीय में क्षेत्र का योगदान काफी अधिक है।

3. उत्पादन, आय एवं व्यय एक समूह का निर्माण करते है।

4. राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से प्रति व्यक्ति आय में   वृद्धि होती है।

5. राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने से आर्थिक विकास  की क्रिया  होती है।

III. सही एवं गलत कथन की पहचान करें :

1. राष्ट्रीय आय एक दिए हुए समय में किसी अर्थव्यवस्था की उत्पादन शक्ति को मापती है।

उत्तर :1. सही है

2. उत्पादन आय एवं व्यय एक चक्रीय समूह का निर्माण नहीं करती है।

 उत्तर-गलत है। सही यह है कि "उत्पादन आय एवं व्यय एक चक्रीय समूह का निर्माण करती है।"

3. भारत की प्रति व्यक्ति आय अमेरिका के प्रति व्यक्ति आय से अधिक है।

 उत्तर-गलत है। यह है कि "भारत की प्रति व्यक्ति आय अमेरिका के प्रति व्यक्ति आय से काफी कम है।

4. दादा भाई नैरोजी के अनुसार सन् 1968 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 23 रुपये थी।

 उत्तर-गलत है। सही यह है कि “दादा भाई नौरोजी के अनुसार सन् 1868 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 20 रुपये थे।

5. बिहार की प्रति व्यक्ति आय में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक है।

उत्तर : सही है।

IV. संक्षिप्त रूप को पूरा करें :

(i) G.D.P. -G.D.P. Gross Domestic Product (सकल घरेलू उत्पाद) 

(ii) P.C.I.-P.C.I. Per Capita Income (प्रति व्यक्ति आय ) ।।

 (v) G.N.P..- Gross National Product (कुल राष्ट्रीय उत्पाद)

(iii) N.S.S.O. –National Sample Survey Organisation (राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन)

(vi) N.N.P — Net National Product (शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद) ।

 (vii) N.1. -National Income (राष्ट्रीय आय) ।

(iv) C.S.O.-. Central Statistical Organisation (केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन)

(viii) E.D.I. – Economics Development of India (भारत का आर्थिक विकास) ।

(viii) E.D.I.– Economics Development of India (भारत का आर्थिक विकास) ।

लघु उत्तरीय प्रश्न ( Short Answer Questions) :

प्रश्न 1. आय से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-आय वह मापदंड है, जिसके द्वारा देश के आर्थिक विकास की स्थिति का अकलन किया जाता है। किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए उसके नागरिकों की व्यक्तिगत अथवा सामाजिक आय सम्पन्नता या विपन्नता की पहचान है। समग्र रूप से इसे प्रति व्यक्ति आय या राष्ट्रीय आय के रूप में मापा जाता है।

प्रश्न 2. सकल घरेलू उत्पाद से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- किसी भी देश में किसी दिए हुए वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं मात्रा उत्पादित की जाती है, उसे सकल घरेलू उत्पादन (Gross Domestic Product या की जो कुल G.D.P.) कहा जाता है।

प्रश्न 3. प्रति व्यक्ति आय क्या है? 

उत्तर- प्रति व्यक्ति आय को ज्ञात करने के लिए देश विशेष की राष्ट्रीय आय में उस देश की कुल जनसंख्या से भाग दिया जाता है। जो भागफल आता है उसी को प्रति   व्यक्ति आय कहते हैं। प्रति व्यक्ति आय का आकलन निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है

प्रति व्यक्ति आय=राष्ट्रीय आय/देश की कूल जनसंख्या

प्रश्न 4. भरत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किनके द्वारा की गई थी ?

 उत्तर- भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना सन् 1868 में दादा भाई नौरोजी द्वारा की गई थी। उन्होंने अपनी पुस्तक Poverty and Un British Rule in India मे उल्लेख किया था कि भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 20 रुपए है। इसके बाद प्रसिद्धः अर्थशास्त्री Dr. V.K.R.V. Rao ने 1925 1929 के बीच की भारत की राष्ट्रीय आय का आँकड़ा प्रस्तुत किया, जो काफी प्रचलित हुआ।

प्रश्न 5. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था द्वारा होती है ?

उत्तर- भारत में राष्ट्रीय आय की गणना केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (Central Statistical Organisation) द्वारा होती है। इस संस्था की स्थापना 1954 के बाद केन्द्रीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय आय के आँकड़ों के संकलन करने के लिए किया गया। यह संस्था नियमित रूप से वर्ष प्रति वर्ष राष्ट्रीय आय के आँकड़े प्रकाशित करती है।

प्रश्न 6. राष्ट्रीय आय की गणना में होने वाली कठिनाइयों का वर्णन करें।

 उत्तर – राष्ट्रीय आय की गणना करने में अनेक तरह की व्यावहारिक कठिनाईयाँ है. जिनके प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित है :

(1) आँकड़ो को एकत्र करने में कठिनाई होती है, क्योंकि आँकड़े सही नहीं हो तो देश के विकास की सही स्थिति प्राप्त नहीं हो पाती। (ii) दोहरी गणना की आशंका रहती है, कारण कि एह ही आय को दो-दोर बार जोड़ लेने की आशंका बराबर बनी रहती है। (iii) मूल्य को मापने में कठिनाई भी होती है। किसी उत्पाद का मूल्य कितना हो यह निश्चित करना कठिन होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions) :

प्रश्न 1. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत सरकार ने कब और किस उद्देश्य से राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया ?

उत्तर- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत सरकार ने अगस्त 1949 में प्रो. पी. सी. महालनोबिस की अध्यक्षता में 'राष्ट्रीय आय समिति' (National Income Committee) का गठन किया। इस समिति के गठन का उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय आय (National Income of India) का अनुमान लगाना था।

राष्ट्रीय आय समिति ने अपना पहला रिर्पोट 1951 में प्रस्तुत किया। इसमें सन् 1948-49 के लिए देश की कुल आब 8,650 करोड़ रुपए बताई गई। इस आकलन में भारत में प्रति व्यक्ति आय 246.9 रुपए थी। सन् 1954 में सरकार ने राष्ट्रीय आय के आँकड़ों के संकलन का भार केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (Central Statistical Organisation) के जिम्मे लगा दिया। इस संगठन की स्थापना भी भारत सरकार ने ही की थी। यह संगठन अब नियमित रूप से प्रत्येक आर्थिक वर्ष के लिए राष्ट्रीय आय के  आँकड़े प्रकाशित करती है। 

प्रश्न 2. राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें। इसकी गणना की प्रमुख विधियों कौन-कौन-सी है?

 उत्तर- राष्ट्रीय आग की परिभाषा देने के पूर्व हम कुछ विख्यात अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई परिभाषाओं को निति करेंगे। प्रो. अलफ्रेड मार्शल ने कहा है कि किसी देश की एवं पूंजी का देश के प्राकृतिक साधनों का उपयोग करने से प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का जो शुद्ध समूह उत्पन्न होता है, उसे राष्ट्रीय आय कहते है।

इसी प्रकार प्रो. पीयू ने राष्ट्रीय आय को परिभाषित करते हुए कहा है कि "राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश किसी समाज की वस्तुनिष्ठ अथवा भौतिक आय का वह भाग है, जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित होती है और जिसकी मुद्रा के रूप में माप हो सकती है।" ऐसे ही अन्य कई अर्थशास्त्रियों ने अपनी-अपनी परिभाषाएँ दी है। लेकिन हम साधारण भाषा में साधारण रूप से राष्ट्रीय आय को परिभाषित करेंगे: देश की सम्पूर्ण श्रम शक्ति तथा पूँजी के सहयोग तथा देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके जो भौतिक तथा अभौतिक उत्पादन होता है उसके मौद्रिक रूप में व्यक्त मूल्य को 'राष्ट्रीय आय' कहते है।  राष्ट्रीय आय की गणना की प्रमुख विधियों निम्नलिखित हैं:

(i) सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) 

(ii) सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product)

(iii) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product)

 प्रश्न 3. प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर–

प्रश्न 4. राष्ट्रीय आय में वृद्धि भारतीय विकास के लिए किस तरह से लाभप्रद है? वर्णन करें ।

उत्तर–किसी भी देश की राष्ट्रीय आय में उस देश के विकास में लाभप्रद होती है। यही बात भारत पर भी लागू होती है। भारत में राष्ट्रीय आय में अधिकाधिक वृद्धि होने भारतीय विकास के लिए लाभप्रद रह सकता है। जैसा कि हम जानते हैं, किसी भी देश के विकास के लिए जो भी प्रयास किए जाते हैं, वह उस देश की सीमा क्षेत्र के अन्दर रहने वाले लोगों की उत्पादकता या उनकी मौद्रिक आय को बढ़ाने के माध्यम से की जाती है। अभी की स्थिति में विश्व के सभी देश अपने-अपने ढंग से ऐसा बजट तैयार करते है, जिसमें विकास की योजना को प्रमुखता दी जाती है। इसका मुख्य लक्ष्य देश के उत्पादन के साधनों की क्षमता बढ़ाने की रहती है। इससे देश के लोगों को अधिक आय की प्राप्ति हो। लोगों की आय बढ़ने से ही देश की राष्ट्रीय आय बढ़ सकती है। राष्ट्रीय आग बढ़ने से ही देश का विकास सम्भव है। फलतः शिक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूँजी का निवेश हो सकेगा। इससे नए-नए रोजगारों का भी सृजन सम्भव हो सकेगा। अन्ततोगत्वा इसका प्रभाव प्रति व्यक्ति आय पर पड़ेगा, जिससे राष्ट्रीय आय भी प्रभावित हो सकेगी। वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाकर ही व्यक्तियों को आय बढ़ाई जा सकेगी। इस प्रकार स्पष्ट है कि उत्पादन को और अधिक बढ़ाकर ही हम देश को उच्चतम विकास की स्थिति तक पहुंचा सकते हैं।

प्रश्न 5. देश के विकास में प्रति व्यक्ति आय के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें

उत्तर- प्रति व्यक्ति आय हो किसी देश के विकास जी जड़ है। प्रति व्यक्ति आय बढ़ने पर ही राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो सकता है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर ही कोई देश अपना विकास कर सकता है। राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय दोनों में अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। प्रति व्यक्ति आय के बढ़े बिना राष्ट्रीय आय में वृद्धि नहीं हो सकती। राष्ट्रीय आय की वृद्धि से ही देश का विकास हो सकेगा। इस प्रकार स्पष्ट है कि राष्ट्रीय आय के सूचकांक में जब वृद्धि होती है तो निश्चित रूप से लोगों के आर्थिक विकास में वृद्धि होगी। अतः देश के विकास में प्रति व्यक्ति आय का काफी महत्व है।

 प्रश्न 6. क्या प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है? वर्णन करें। 

उत्तर- हो, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है। हम जिस दृष्टि से भी विचारें- पहले स्तर पर प्रति व्यक्ति आय ही आती है। भले ही पहले राष्ट्रीय आय को लिया जाता है और उसमें देश की जनसंख्या से भाग दिया जाता है और भागफल को प्रतिव्यक्ति आय का माना जाता है। लेकिन प्रति व्यक्ति आय को ही मूत रूप से महत्त्व दिया जाता है। जिस देश में प्रति व्यक्ति आय जितना ही अधिक होती है, उस देश को उतना ही अधिक विकसित माना जाता है। इन बातों से स्पष्ट होता है कि प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि ही राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है। इसको पलटकर हम ऐसा भी कह सकते हैं कि जिस देश की राष्ट्रीय आय जितना ही अधिक होगी, उस देश की प्रति व्यक्ति आय भी उतना ही अधिक होगी। इस दृष्टि से भी हम कह सकते हैं कि प्रति व्यक्ति आय में  वृद्धि ही राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है।


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