bihar board class 10 Civics chapter -2||Hindi notes ||नागरिक शास्त्र ||सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली||कक्षा-10|| हिंदी नोट्स ||

Digital BiharBoard Team




 सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली

लोकतंत्र में शासन की शक्तिय किसी एक बिन्दु में केंद्रित नहीं होकर विभिन्न स्तरो में विभाजित होती है। सत्ता का अनेक स्तरों पर बैटना वास्तव में लोकतंत्र का मूलाधार होता है। भारतीय संविधान अपने निर्माण के समय ही राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों में तथा भारतीय समाज की विविधता को अपने में समाहित कर लिया। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सत्ता का विकेन्द्रीकरण इसलिए किया गया ताकि राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न हित समूहों के हितों की पूर्ति हो सके और राष्ट्रीय एकता भी बनी रहे।

समाज में अनेक प्रकार की भिन्नता होती है। जैसे विभिन्न शारीरिक बनावट, रंग, जाति, धर्म, लिग, भाषा, परम्परा आदि। भारत तो इस अर्थ में विश्व में एक आदर्श उपस्थित करता है। जितनी भिन्नता भारत में देखी जाती है उतनी विश्व के किसी भी देश में नहीं है। यहाँ एक ही समय में कहीं पर कड़ाके की ठंड पड़ती है तो उसी समय किसी क्षेत्र में गर्मी भी पड़ती है और कहीं वर्षा की झड़ी लगी रहती है। वास्तव में ऐसा भारत के क्षेत्र का विस्तृत होना है। 'कोस-कोस पर पानी बदले चार कोस पर बानी' यह भारत में पूर्णतः चरितार्थ होती है। यूरोप के छोटे-छोटे देशों जैसे बेल्जियम में अल्प संख्या में होने पर भी अनेक जटिलता का सामना करना पड़ा। संतोष की बीत है कि वहाँ के नेताओं ने इसे अच्छी तरह सुलझा लिया है। इसके विपरीत हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका में मात्र दो भाषा और मात्र तीन-चार धर्मों के बावजूद वहाँ के राजनीतिज्ञ उसे सम्भाल नहीं सके और देश को गृहयुद्ध के आग में जलना पड़ा। इस दृष्टि से भारत को पूर्णांक मिलना चाहिए, क्योंकि यहाँ अगनित जातियों, अनेक धर्मों, 20 से भी अधिक भाषाओं आदि के रहते हुए भारतीय नेताओं ने दूरर्शिता का परिचय देते हुए इतना अच्छा संविधान बनाया कि श्रीलंका जैसे संघर्ष की स्थिति यहाँ पनप हीं नहीं सकती। 1951 में भारतीय संविधान लागू हुआ और तब से आजतक यहाँ शांति पूर्ण ढंग से शासन चलते रहा है।

वास्तव में इसकी जड़ में सत्ता के बँटवारे की बात है। यहाँ ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायतों से लेकर नगरों तक नगर परिषद, नगरपालिका, नगर निगम आदि स्वशासन की संस्थाएँ हैं तो राज्यों में राज्य की सरकारें हैं तथा केन्द्र में केन्द्रीय सरकार है। केन्द्रीय सरकार को संघीय सरकार भी कहा जाता है। इस प्रकार से सत्ता के विभाजन से यहाँ असंतोष की भावना पनप ही नहीं पाती। सदियों से दबे कुचले समाज के लोगों को आरक्षण की सुविधा देकर उन्हें अपना सामाजिक उत्थान करने का अवसर दिया गया है। 14 वर्ष आयु तक के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है।

ग्राम पंचायतों का गठन गाँवों में होता है, जबकि पंचायत समितियाँ प्रखंड स्तर पर. कायम होती हैं। जिलों में जिला परिषद होती है। ये तीनों परस्पर अन्तर्सम्बंधित होती हैं। नगरों के लिए भी तीन स्तर की स्थानीय स्वशासन की संस्थाएँ होती हैं। कस्बाई नगरों में नगर पंचायत, बड़े शहरों में नगर परिषद तथा उससे भी बड़े नगर में नगर निगम होते हैं। इन तीनों के सदस्यों का चुनाव वहीं के लोग करते हैं। नगर परिषद को नगरपालिका भी कहते हैं।

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !