विष के दाँत: सम्पूर्ण स्व-अध्ययन नोट्स
नमस्ते छात्रों! आज हम कक्षा 10 हिंदी के महत्वपूर्ण अध्याय 'विष के दाँत' (Vish ke Dant) के सम्पूर्ण स्व-अध्ययन नोट्स का अध्ययन करेंगे। ये नोट्स नलिन विलोचन शर्मा की इस कहानी के हर पहलू को उजागर करेंगे, जिसमें वर्ग-संघर्ष, बाल मनोविज्ञान, और सामाजिक असमानता जैसे विषय शामिल हैं। इन विस्तृत अभ्यास प्रश्न उत्तर और विस्तृत सारांश के साथ, आपकी बोर्ड परीक्षा की तैयारी और भी मजबूत होगी। आपकी जिज्ञासा और छात्रों के लिए बेहतर सीखने के अनुभव की दिशा में यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।
प्रस्तावना
प्रस्तुत अध्याय "विष के दाँत" सुप्रसिद्ध कथाकार नलिन विलोचन शर्मा द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण कहानी है, जो सामाजिक असमानताओं, वर्ग-संघर्ष और बाल मनोविज्ञान पर गहरी चोट करती है। यह कहानी एक ऐसे समाज का चित्रण करती है जहाँ धन और सत्ता के बल पर कुछ लोग अपने बच्चों को बिगाड़ते हैं, जबकि गरीब बच्चों को उनके स्वाभाविक अधिकारों से वंचित रखा जाता है। यह नोट्स आपको कहानी के हर पहलू को समझने में मदद करेंगे।
'विष के दाँत' कहानी में सामाजिक विषमताओं का गहरा चित्रण।
1. सभी महत्वपूर्ण विषयों की सरल एवं स्पष्ट हिंदी में व्याख्या
वर्ग-भेद और सामाजिक असमानताएँ
कहानी सेन साहब के अमीर परिवार और गिरधर एवं मदन के गरीब परिवार के बीच के स्पष्ट वर्ग-भेद को दर्शाती है। सेन साहब की चमचमाती काली मोटरकार उनकी समृद्धि का प्रतीक है, जबकि गिरधर के परिवार का झोपड़ी में रहना उनकी गरीबी को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे समाज में अमीर और गरीब के बीच गहरा अंतर होता है।
पोषक तत्वों का प्रभाव और बाल मनोविज्ञान
कहानी बच्चों की परवरिश के तरीकों और उनके व्यक्तित्व पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। सेन साहब अपनी बेटियों को "कठपुतली" और बेटे खोखा को अत्यधिक छूट देकर बिगाड़ देते हैं। इसके विपरीत, मदन अन्याय के खिलाफ खड़ा होना सीखता है।
पितृसत्तात्मक समाज और लैंगिक भेदभाव
सेन साहब अपनी बेटियों को सिर्फ "कठपुतलियाँ" मानते हैं और उनके लिए इंजीनियर बनने जैसी महत्वकांक्षा नहीं रखते, जैसा वे खोखा के लिए रखते हैं। यह उस समय के समाज की पितृसत्तात्मक सोच को उजागर करता है, जहाँ लड़कियों को लड़कों से कमतर समझा जाता था।
आत्मसम्मान और विद्रोह
कहानी का एक प्रमुख विषय गरीब तबके के लोगों का आत्मसम्मान और अन्याय के खिलाफ उनका विद्रोह है। मदन का खोखा से लड़ना और उसके दाँत तोड़ना अन्याय के खिलाफ उसके विद्रोह का प्रतीक है। यह वर्ग-संघर्ष और आत्मसम्मान की लड़ाई है।
मदन का चरित्र आत्मसम्मान और विद्रोह की भावना को दर्शाता है।
2. प्रमुख परिभाषाएँ, संकल्पनाएँ और शब्दों की स्पष्ट व्याख्या
प्रमुख शब्द
- नाज़: गरिमा, अभिमान।
- तहज़ीब: सभ्यता, शिष्टाचार।
- शौफर: ड्राइवर।
- अखबारनवीस: पत्रकार।
- दुर्मनीय: जिसका दमन करना मुश्किल हो।
प्रमुख संकल्पनाएँ
- विष के दाँत: यह खोखा के बिगड़ैल स्वभाव और अमीर वर्ग की गलत परवरिश का प्रतीक है, जो समाज में विष घोलता है।
- महल और झोपड़ी की लड़ाई: यह अमीर (सेन साहब) और गरीब (गिरधर) के बीच के वर्ग-संघर्ष का प्रतीक है।
- कठपुतलियाँ: यह सेन साहब की बेटियों की स्थिति को दर्शाता है, जिन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं थी और जिन्हें पितृसत्तात्मक समाज नियंत्रित करता था।
3. पुस्तक में दिए गए उदाहरणों को चरण-दर-चरण हल करके समझाइए
उदाहरण 1: सेन साहब की मोटरकार का शीशा तोड़ना
स्थिति: सेन साहब की नई, काली चमकती मोटरकार बंगले के सामने खड़ी थी। उनका बेटा खोखा (कासू) बेहद उद्दंड था।
घटना: खोखा ने मोटरकार का पिछला शीशा तोड़ दिया।
सेन साहब की प्रतिक्रिया: क्रोधित होने के बजाय, सेन साहब ने इसे बच्चे की शरारत और इंजीनियर बनने की निशानी के रूप में देखा।
विश्लेषण: यह घटना खोखा के प्रति सेन साहब के अत्यधिक लाड़-प्यार और उसकी बिगड़ैल परवरिश का स्पष्ट उदाहरण है। यह 'विष के दाँत' शीर्षक के अर्थ को भी पुष्ट करता है।
उदाहरण 2: मदन द्वारा खोखा के दाँत तोड़ना
स्थिति: मदन अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था, और खोखा ज़बरदस्ती उनके खेल में शामिल होना चाहता था।
घटना: खोखा ने मदन पर हमला किया, जिसके जवाब में मदन ने उसे पीटा और उसके दो दाँत तोड़ दिए।
विश्लेषण: यह कहानी की सबसे महत्वपूर्ण घटना है। यह वर्ग-संघर्ष का प्रतीक है जहाँ एक गरीब बच्चा अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अमीर बच्चे का सामना करता है। यह अन्याय के खिलाफ एक विद्रोह है।
उदाहरण 3: गिरधर द्वारा मदन की पिटाई
स्थिति: मदन द्वारा खोखा के दाँत तोड़ने के बाद, गिरधर को सेन साहब ने डाँटा।
घटना: गिरधर ने अपनी नौकरी बचाने के डर से मदन को बुरी तरह पीटा।
विश्लेषण: यह घटना गरीब व्यक्ति की मजबूरी और लाचारी को दर्शाती है। गिरधर अपने मालिक के सामने इतना मजबूर है कि वह अपने ही बेटे को पीटता है, जो वर्ग-संघर्ष में गरीब की हार का एक पहलू दिखाता है।
4. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों (Exercise Questions) के विस्तृत उत्तर
1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
कहानी का शीर्षक "विष के दाँत" अत्यंत सार्थक और प्रतीकात्मक है। यहाँ 'विष के दाँत' सेन साहब के बिगड़े हुए पुत्र खोखा के उद्दंड स्वभाव के प्रतीक हैं। सेन साहब का लाड़-प्यार खोखा को समाज के लिए एक विषैले दाँत की तरह बना देता है। यह शीर्षक उस पूँजीवादी व्यवस्था और वर्ग-भेद पर भी व्यंग्य करता है जो समाज में विष घोलती है। मदन द्वारा खोखा के दाँत तोड़ना इस 'विष' को बाहर निकालने का प्रतीकात्मक कार्य है।
2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में स्पष्ट भेदभाव था।
- बेटियों के प्रति: वे अपनी पाँच बेटियों को "कठपुतलियाँ" मानते थे। उन्हें सख्त नियमों में रखा जाता था और किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं थी।
- बेटे के प्रति: इकलौते बेटे खोखा को अत्यधिक लाड़-प्यार और पूरी छूट दी जाती थी। उसकी हर गलती को "इंजीनियर बनने की निशानी" मानकर अनदेखा किया जाता था, जिससे वह बिगड़ैल और उद्दंड हो गया।
3. खोखा किन मामलों में अपवाद था?
खोखा कई मामलों में अपवाद था:
- लिंग के आधार पर: वह इकलौता बेटा था, इसलिए उसे विशेष दर्जा प्राप्त था।
- नियमों के मामले में: बहनों के विपरीत, उसे घर के किसी भी नियम का पालन नहीं करना पड़ता था और उसे हर तरह की मनमानी की छूट थी।
- भविष्य की योजनाओं में: सेन साहब उसके लिए इंजीनियर बनने का सपना देखते थे, जबकि बेटियों के लिए ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी।
4. सेन दंपति खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उनको कैसी शिक्षा दी थी?
सेन दंपति खोखा में इंजीनियर बनने की अपार संभावनाएँ देखते थे। इसके लिए उन्होंने उसे विशेष शिक्षा दी थी:
- मनमानी की छूट: उसे घर में तोड़-फोड़ करने और औजारों से खेलने की पूरी आज़ादी थी।
- व्यावहारिक प्रशिक्षण: वे उसे कारखाने में मिस्त्री-बढ़ई के साथ भेजते थे ताकि वह औज़ारों का प्रयोग सीख सके।
- अनुशासनहीनता को बढ़ावा: उसकी हर शैतानी को इंजीनियर बनने की निशानी मानकर प्रोत्साहित किया जाता था।
6. सेन साहब और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह से उत्तर दिया?
सेन साहब अपने पत्रकार मित्र के सामने अपनी नई मोटरकार और अपने बेटे खोखा को इंजीनियर बनाने की अपनी महत्वाकांक्षा का बखान कर रहे थे। पत्रकार मित्र ने सेन साहब की बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि "मैं चाहता हूँ कि मेरा बेटा जेंटिलमैन ज़रूर बने, और जो कुछ बने, उसका काम हो, उसे पूरी आज़ादी रहेगी"। इस जवाब से पत्रकार ने सेन साहब की परवरिश के तरीके पर अप्रत्यक्ष रूप से व्यंग्य किया, यह इंगित करते हुए कि एक अच्छा इंसान बनना किसी पेशे से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
7. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है?
मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार अमीर और गरीब के बीच के वर्ग-संघर्ष को दर्शाना चाहता है। यह दिखाता है कि कैसे अमीर वर्ग के प्रतिनिधि (ड्राइवर) गरीब लोगों के अधिकारों का हनन करते हैं और उन्हें अपमानित करते हैं। साथ ही, यह मदन के आत्मसम्मानी और विद्रोही स्वभाव की पहली झलक भी देता है, जो अन्याय को बर्दाश्त नहीं करता।
8. मदन और खोखा के बीच झगड़े का कारण क्या था? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है?
झगड़े का मुख्य कारण खोखा का बिगड़ैल स्वभाव और मदन का आत्मसम्मान था। खोखा ज़बरदस्ती लट्टू खेलना चाहता था, और मना करने पर उसने मदन पर हमला कर दिया। इस प्रसंग के द्वारा लेखक वर्ग-संघर्ष को उसके चरम पर दिखाना चाहता है। यह केवल दो बच्चों की लड़ाई नहीं, बल्कि अमीर के अहंकार और गरीब के आत्मसम्मान के बीच का टकराव है, जिसमें अन्याय के खिलाफ विद्रोह की जीत होती है।
9. "महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले जीतते हैं, पर उस हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करें।" - इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए।
यह कथन कहानी में पूरी तरह चरितार्थ होता है। इसका सबसे सटीक उदाहरण गिरधर का व्यवहार है। जब मदन (झोपड़ी वाला) ने खोखा (महल वाला) को पीटा, तो गिरधर (एक और झोपड़ी वाला) ने अपनी नौकरी बचाने के लिए 'महल वाले' (सेन साहब) का पक्ष लिया और अपने ही बेटे मदन को बेरहमी से पीटा। यहाँ, एक 'झोपड़ी वाले' ने दूसरे 'झोपड़ी वाले' की मदद अपने ही खिलाफ की, जिससे अंततः 'महल वालों' की ही स्थिति मजबूत हुई।
10. रोज़-रोज़ अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाले गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने की बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है?
अंत में गिरधर मदन को छाती से इसलिए लगा लेता है क्योंकि उसे अपनी नौकरी से निकाल दिया गया होता है। अब उसके ऊपर सेन साहब का कोई दबाव नहीं था। मदन ने जो किया, वह गिरधर खुद करना चाहता था लेकिन अपनी लाचारी के कारण नहीं कर पाया। मदन के इस साहसी कदम में उसे अपने दबे हुए आत्मसम्मान की जीत दिखाई दी। उसे अपने बेटे की निडरता पर गर्व हुआ, जिसने उस ज़ुल्म का बदला लिया जिसे वह चुपचाप सहता रहा था।
11. सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें।
- सेन साहब: धनी, अभिमानी, भेदभावपूर्ण और अपने बेटे की गलत परवरिश करने वाले व्यक्ति।
- मदन: आत्मसम्मानी, साहसी, निडर और अन्याय के खिलाफ विद्रोह करने वाला लड़का। कहानी का नायक।
- काशू (खोखा): बिगड़ैल, उद्दंड, अहंकारी और गलत परवरिश का शिकार। 'विष के दाँत' का प्रतीक।
- गिरधर: गरीब, लाचार, मजबूर और परिस्थितियों के आगे झुका हुआ व्यक्ति, जिसके मन में विद्रोह की भावना दबी हुई है।
12. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
मेरी दृष्टि में, कहानी का नायक मदन है। वह कहानी के केंद्रीय संघर्ष (वर्ग-भेद और आत्मसम्मान) का वाहक है। वही एकमात्र पात्र है जो अन्याय और शोषण के खिलाफ सक्रिय रूप से विद्रोह करता है। खोखा के 'विष के दाँत' तोड़कर वह पूरी दमनकारी व्यवस्था को चुनौती देता है। उसका साहस और आत्मसम्मान पाठकों को प्रेरित करता है, इसलिए वही इस कहानी का सच्चा नायक है।
14. 'विष के दाँत' कहानी का सारांश लिखिए।
'विष के दाँत' नलिन विलोचन शर्मा की एक प्रसिद्ध कहानी है जो वर्ग-भेद और गलत परवरिश के परिणामों को दर्शाती है। कहानी के केंद्र में सेन साहब का अमीर परिवार और उनके किरानी गिरधर का गरीब परिवार है। सेन साहब अपने बेटे खोखा को असीमित लाड़-प्यार में बिगाड़ देते हैं, जबकि अपनी बेटियों को सख्त अनुशासन में रखते हैं। खोखा के बिगड़ैल स्वभाव का टकराव गिरधर के आत्मसम्मानी बेटे मदन से होता है। जब खोखा मदन के साथ ज़बरदस्ती करता है, तो मदन उसके दो दाँत तोड़ देता है। यह घटना 'महल और झोपड़ी' की लड़ाई का प्रतीक बन जाती है। अंत में, गिरधर को नौकरी से निकाल दिया जाता है, लेकिन वह अपने बेटे के साहसी कार्य पर गर्व महसूस करता है। कहानी यह संदेश देती है कि अन्याय के खिलाफ विद्रोह आवश्यक है।
5. अध्याय पर आधारित 20 नये अभ्यास प्रश्न (उत्तर सहित)
कहानी में बच्चों का खेल वर्ग-संघर्ष का मैदान बन जाता है।
1. सेन साहब की नई मोटरकार कहानी में क्या महत्व रखती है?
यह सेन साहब की आर्थिक संपन्नता, सामाजिक प्रतिष्ठा और घमंड का प्रतीक है। यह वर्ग-भेद को स्पष्ट करती है और खोखा के बिगड़ैल स्वभाव को उजागर करने का माध्यम बनती है।
2. सेन साहब के अनुसार लड़कियों की परवरिश कैसी होनी चाहिए थी और क्यों?
उनके अनुसार लड़कियाँ "कठपुतलियाँ" जैसी होनी चाहिए—संस्कारी, सुशील और आज्ञाकारी। क्योंकि उनकी पितृसत्तात्मक सोच के अनुसार लड़कियों को घर की शोभा माना जाता था, उन्हें स्वतंत्रता या अपनी राय रखने का अधिकार नहीं था।
3. पत्रकार मित्र का जवाब सेन साहब की सोच पर कैसे व्यंग्य करता है?
पत्रकार मित्र का कहना कि वह अपने बेटे को "जेंटिलमैन" बनाना चाहते हैं, सेन साहब की उस सोच पर व्यंग्य है जो बेटे को केवल इंजीनियर बनाने पर केंद्रित है, न कि एक अच्छा इंसान बनाने पर। यह मूल्य-आधारित परवरिश पर जोर देता है।
4. मदन के चरित्र की तीन विशेषताएँ बताइए।
1. आत्मसम्मानित: वह गरीबी के बावजूद अपमान सहन नहीं करता। 2. साहसी और निडर: वह खोखा जैसे अमीर लड़के का सामना करने से नहीं डरता। 3. विद्रोही: वह अन्याय और शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाता है।
5. "महल और झोपड़ी की लड़ाई" से कहानीकार का क्या आशय है?
इससे कहानीकार का आशय अमीर (महल) और गरीब (झोपड़ी) के बीच के वर्ग-संघर्ष से है। यह दर्शाता है कि कैसे समाज में दो वर्ग अपने अधिकारों और सम्मान के लिए एक-दूसरे से टकराते हैं।
6. गिरधर अंत में अपने बेटे पर गर्व क्यों करता है?
क्योंकि मदन ने वह कर दिखाया जो गिरधर स्वयं कभी नहीं कर पाया—अन्याय और अहंकार के खिलाफ खड़ा होना। नौकरी से निकाले जाने के बाद, वह सामाजिक दबाव से मुक्त हो जाता है और उसे अपने बेटे के साहस में अपने दबे हुए आत्मसम्मान की जीत दिखती है।
7. कहानी में लैंगिक भेदभाव का सबसे बड़ा उदाहरण क्या है?
सबसे बड़ा उदाहरण सेन साहब का अपनी बेटियों और बेटे की परवरिश में किया गया अंतर है। बेटियों को "कठपुतली" की तरह नियमों में बांधा गया, जबकि बेटे खोखा को हर तरह की मनमानी और तोड़-फोड़ की छूट दी गई।
8. 'लट्टू' का खेल कहानी में किस बात का प्रतीक है?
'लट्टू' का खेल गरीब बच्चों के स्वाभाविक, मुक्त और सरल बचपन का प्रतीक है। खोखा का इस खेल में ज़बरदस्ती शामिल होने का प्रयास अमीर वर्ग द्वारा गरीब के इस स्वाभाविक अधिकार पर हस्तक्षेप का प्रतीक है।
9. खोखा के 'विष के दाँत' को किसने और कैसे तोड़ा?
खोखा के 'विष के दाँत' (उसके अहंकार और उद्दंडता के प्रतीक) को मदन ने तोड़ा। जब खोखा ने मदन पर हमला किया, तो मदन ने आत्मरक्षा में उसे दो घूँसे मारकर उसके दो दाँत तोड़ दिए।
10. क्या सेन साहब एक अच्छे पिता थे? तर्क सहित उत्तर दें।
नहीं, सेन साहब एक अच्छे पिता नहीं थे। उन्होंने लैंगिक भेदभाव किया और अपने बेटे को अत्यधिक लाड़-प्यार देकर उसे बिगड़ैल और अहंकारी बना दिया। एक अच्छे पिता का कर्तव्य बच्चों को नैतिक मूल्य और अनुशासन सिखाना होता है, जिसमें वे पूरी तरह असफल रहे।
11. मदन का घर छोड़कर जाना क्या दर्शाता है?
यह उसके आत्मसम्मान, विद्रोह और स्वतंत्रता की गहरी इच्छा को दर्शाता है। यह अन्यायपूर्ण व्यवस्था और दमनकारी परिस्थितियों के खिलाफ एक स्वाभिमानी व्यक्ति का विद्रोह है, जो एक नए, स्वतंत्र जीवन की तलाश का प्रतीक है।
12. कहानी में ड्राइवर की क्या भूमिका है?
ड्राइवर अमीर वर्ग के दंभ और गरीब वर्ग के प्रति उनके तिरस्कारपूर्ण रवैये का प्रतिनिधि है। वह मदन को अपमानित करके वर्ग-संघर्ष की पहली चिंगारी भड़काता है।
13. कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
कहानी का मुख्य संदेश है कि सामाजिक असमानता और गलत परवरिश समाज में विष घोलती है। साथ ही, यह अन्याय और शोषण के खिलाफ आत्मसम्मान के लिए आवाज़ उठाने की प्रेरणा देती है।
14. 'विष के दाँत' किस साहित्यिक विधा की रचना है?
'विष के दाँत' एक मनोवैज्ञानिक और सामाजिक यथार्थवादी कहानी है, जो समाज की कड़वी सच्चाइयों को उजागर करती है।
15. यदि गिरधर को नौकरी से न निकाला जाता, तो कहानी का अंत क्या हो सकता था?
यदि उसे नौकरी से न निकाला जाता, तो वह शायद डर के मारे मदन को और अधिक दंडित करता और सेन साहब के सामने और झुक जाता। ऐसे में, वह शायद कभी अपने बेटे के कार्य पर गर्व नहीं कर पाता और उसकी लाचारी बनी रहती।
16. सेन साहब की पाँचों लड़कियाँ कैसी थीं?
उनकी पाँचों लड़कियाँ बहुत सुशील, संस्कारी और आज्ञाकारी थीं। उन्हें "कठपुतलियाँ" कहा गया है क्योंकि वे बिना कोई सवाल किए हर नियम का पालन करती थीं और उन्हें किसी चीज़ को तोड़ने-फोड़ने की आज़ादी नहीं थी।
17. खोखा का असली नाम क्या था?
खोखा का असली नाम कासू था।
18. कहानी में लेखक ने व्यंग्य का प्रयोग क्यों किया है?
लेखक ने व्यंग्य का प्रयोग समाज की विसंगतियों, जैसे वर्ग-भेद, पितृसत्ता और अमीरों के दोहरे मापदंड पर गहरी चोट करने के लिए किया है। व्यंग्य के माध्यम से वे इन मुद्दों को प्रभावशाली ढंग से उजागर करते हैं।
19. मदन और खोखा की लड़ाई में कौन सही था और क्यों?
इस लड़ाई में मदन सही था। खोखा ने अहंकार में आकर ज़बरदस्ती की और मदन पर हमला किया। मदन ने जो कुछ भी किया, वह आत्मरक्षा में और अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिए किया, जो कि उचित था।
20. 'विष के दाँत' कहानी आज के समाज में कितनी प्रासंगिक है?
यह कहानी आज भी पूरी तरह प्रासंगिक है। समाज में आज भी अमीर और गरीब के बीच की खाई, बच्चों की परवरिश में लापरवाही और लैंगिक भेदभाव जैसी समस्याएँ मौजूद हैं। कहानी इन मुद्दों पर सोचने के लिए मजबूर करती है।
6. बोर्ड परीक्षा के लिए संक्षिप्त सारांश (Quick Revision)
कहानी के पात्र सामाजिक वर्ग-संघर्ष की बिसात के मोहरे हैं।
शीर्षक: विष के दाँत
लेखक: नलिन विलोचन शर्मा
मुख्य विषय: वर्ग-संघर्ष, गलत परवरिश के दुष्परिणाम, आत्मसम्मान और विद्रोह।
प्रमुख पात्र:
- सेन साहब: धनी, अहंकारी व्यक्ति।
- खोखा (कासू): सेन साहब का बिगड़ैल बेटा, 'विष के दाँत' का प्रतीक।
- गिरधर: गरीब और लाचार किरानी।
- मदन: गिरधर का आत्मसम्मानी और साहसी बेटा।
7. अवधारणाओं को प्रमाणित करने वाले कथन
प्रमाण 1: सेन साहब लड़कियों के प्रति भेदभावपूर्ण थे।
अवधारणा: सेन साहब की सोच पितृसत्तात्मक थी।
प्रमाण:
- "लड़कियां क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।"
- "मिस्टर और मिसेज सेन ने उन्हें...क्या-क्या नहीं करना चाहिए, इसकी उन्हें ऐसी तालीम दी है कि बस।"
व्याख्या: ये कथन सीधे तौर पर दर्शाते हैं कि सेन साहब बेटियों को वस्तु समझते थे और उन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं देते थे, जो लैंगिक भेदभाव को प्रमाणित करता है।
प्रमाण 2: खोखा का स्वभाव अत्यधिक लाड़-प्यार के कारण बिगड़ैल हो गया था।
अवधारणा: अनुशासनहीनता बच्चे को बिगाड़ सकती है।
प्रमाण:
- खोखा द्वारा मोटर के शीशे को तोड़ने पर सेन साहब का यह कहना कि "बेशक वह तो अभी से इंजीनियर बनने लगा"।
- उसे कारखाने में मिस्त्री के साथ ठोक-पीट करने की छूट देना।
व्याख्या: सेन साहब खोखा की तोड़-फोड़ को भी बढ़ावा देते थे। इसी अत्यधिक छूट और लाड़-प्यार ने उसे उद्दंड बना दिया।
प्रमाण 3: मदन एक स्वाभिमानी और विद्रोही लड़का था।
अवधारणा: गरीबी आत्मसम्मान को खत्म नहीं करती।
प्रमाण:
- ड्राइवर द्वारा डाँटे जाने पर उसका विरोध करना।
- खोखा द्वारा हमला किए जाने पर उसे करारा जवाब देना और उसके दाँत तोड़ देना।
- पिटाई के बाद आत्मसम्मान के लिए घर छोड़ देना।
व्याख्या: मदन ने अपमान बर्दाश्त नहीं किया और अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ, जो उसकी निडरता और विद्रोही भावना को प्रमाणित करता है।
प्रमाण 4: कहानी में वर्ग-संघर्ष स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
अवधारणा: समाज में अमीर और गरीब वर्गों के बीच गहरा संघर्ष है।
प्रमाण:
- सेन साहब की चमचमाती कार (अमीरी का प्रतीक) बनाम गिरधर की झोपड़ी (गरीबी का प्रतीक)।
- ड्राइवर द्वारा मदन का अपमान।
- मदन और खोखा के बीच की लड़ाई।
- कहानी का यह कथन: "महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले जीतते हैं..."
व्याख्या: कहानी में अमीर और गरीब वर्ग के बीच का टकराव हर मोड़ पर स्पष्ट है, जो वर्ग-संघर्ष को सीधे तौर पर प्रमाणित करता है।