इकाई 4: जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन
इस अध्याय में हम आपदा प्रबंधन के एक महत्वपूर्ण पहलू, जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन, का अध्ययन करेंगे। हम समझेंगे कि बाढ़ की स्थिति में प्रबंधन, भूकंप एवं सुनामी के समय बचाव कार्य, और आग लगने की स्थिति में प्रबंधन कैसे किया जाता है। यह लेख प्राथमिक उपचार, स्वयंसेवी संगठन की भूमिका और आपदा के समय किए जाने वाले राहत कार्य पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा, जो आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. आपदा प्रबंधन क्या है? (What is Disaster Management?)
आपदा प्रबंधन का अर्थ है आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने और लोगों को सुरक्षित रखने के लिए योजना बनाना और उन योजनाओं को लागू करना। यह एक जीवन रक्षक प्रबंधन है जिसका उद्देश्य आपदा से प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकालना और उनकी सहायता करना है।
प्रमुख परिभाषाएँ और संकल्पनाएँ:
- जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन (Life-Saving Emergency Management): यह आपदा प्रबंधन का वह हिस्सा है जो आपदा के तुरंत बाद लागू किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना है।
- दीर्घकालीन प्रबंधन (Long-Term Management): यह आपदा प्रबंधन का दूसरा चरण है जो आपदा के बाद की स्थिति में सुधार और भविष्य की आपदाओं की तैयारी के लिए किया जाता है।
आपदा प्रबंधन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि प्रशासन और समाज के लोग कितने तैयार हैं।
2. आपदा प्रबंधन के प्रमुख घटक (Key Components of Disaster Management)
आकस्मिक प्रबंधन के मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं:
- स्थानीय प्रशासन (Local Administration): आपदा की स्थिति में स्थानीय प्रशासन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। उन्हें तुरंत राहत शिविरों का निर्माण करना चाहिए, आवश्यक उपकरण, प्राथमिक उपचार सामग्री, एम्बुलेंस, डॉक्टर और अग्निशामक की व्यवस्था करनी चाहिए। कागजी कार्यवाही में न पड़कर तुरंत राहत सामग्री पहुँचाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
- स्वयंसेवी संगठन (Volunteer Organizations): ये संगठन आपदा से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं को युवाओं को प्रेरित और प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे आपदाओं का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार हों।
- गाँव अथवा मोहल्ले के लोग (Village or Locality People): स्थानीय लोगों की भागीदारी आकस्मिक प्रबंधन में बहुत आवश्यक है। खासकर युवा शारीरिक और तकनीकी रूप से प्रशिक्षित होकर स्वयंसेवी संस्थाओं में शामिल हो सकते हैं। आपदा प्रबंधन को दिनचर्या का हिस्सा समझना चाहिए।
जाति, धर्म और लिंग का इसमें कोई महत्व नहीं है, सभी को मिलकर काम करना चाहिए। स्कूलों के बच्चों को भी आपदा से लड़ने का संदेश देना आवश्यक है।
3. विभिन्न प्रकार की आपदाओं में आकस्मिक प्रबंधन
आपदाएं कई प्रकार की होती हैं, और हर प्रकार की आपदा के लिए अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं में आकस्मिक प्रबंधन की जानकारी दी गई है:
(1) बाढ़ की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन
बाढ़ आने पर जान-माल और मवेशियों को भारी संकट का सामना करना पड़ता है। आपकी पहली प्राथमिकताएँ होनी चाहिए:
- लोगों को बचाना: सबसे पहले उन लोगों को बचाना जो बाढ़ में फंसे हुए हैं। इसके लिए नाव या तैरने वाले व्यक्ति द्वारा रबर के गुब्बारे की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहिए।
- मवेशियों और सामान को बचाना: मवेशियों और घर के सामान को भी सुरक्षित स्थान पर निकालना प्राथमिकता है।
- सुरक्षित स्थान पर पहुँचना: लोगों को ऊँची भूमि, गाँव के छत वाले ऊँचे मकान या किसी सार्वजनिक बाढ़ मुक्त क्षेत्र में ले जाना चाहिए।
- आवश्यक व्यवस्थाएँ: सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के बाद भोजन और पेयजल की व्यवस्था तुरंत की जानी चाहिए।
- बच्चों की देखभाल: बच्चों के लिए सूखे दूध, महामारी से बचने के लिए गर्म जल और गर्म भोजन का प्रबंध करें।
- स्वच्छ वातावरण: छोटे जगहों पर मिलजुलकर रहने के कारण स्वच्छ वातावरण बनाए रखना भी आकस्मिक प्रबंधन का हिस्सा है।
- पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था: पशुओं के लिए चारे का प्रबंध भी आवश्यक है।
- साँप और बिच्छू जैसे जहरीले जीवों से बचाव: बाढ़ के कारण ये जीव ऊँचे स्थानों पर आ जाते हैं, इसलिए इनसे बचने का ध्यान रखना चाहिए।
- पूर्व प्रबंधन: खाने-पीने का सामान, पशु चारा, महामारी से संबंधित जीवन रक्षक दवाएँ, छिड़काव की सामग्री आदि का पूर्व प्रबंधन आकस्मिक प्रबंध को सफल बनाता है।
(2) भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन
भूकंप की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन के तीन प्रमुख कार्य होते हैं:
- (क) फंसे हुए लोगों को राहत शिविर में ले जाना: मलबे या दबे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना या सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- (ख) मलबे में दबे लोगों को निकालना: मलबे में दबे हुए लोगों को निकालना। इस काम के लिए हेलिकॉप्टर और रडार जैसे यंत्रों की मदद ली जा सकती है।
- (ग) मृतकों को दफनाना: अकाल मृत्यु प्राप्त आम लोगों और जानवरों को सही स्थानों पर धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुरूप दफनाना। ऐसा न करने से महामारी फैलने का खतरा रहता है।
सुनामी की स्थिति में विशेष जानकारी:
- सुनामी तट पर रहने वाले लोगों के लिए एक भीषण आपदा है। कई मीटर ऊँचे जलीय प्रवाह से तटीय लोगों के मरने या घायल होने की संभावना रहती है।
- पहली प्राथमिकता घायलों का प्राथमिक उपचार करवाकर अस्पताल पहुँचाना है।
- लापता लोगों की पहचान और संबंधित परिवारों को न सिर्फ सांत्वना बल्कि सभी प्रकार की आवश्यक सहायता, साथ ही काउंसलिंग परामर्श की भी आवश्यकता है।
- बचाव कार्य: इसमें क्षतिग्रस्त समुद्री नौकाओं की सहायता, फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए प्रशिक्षित नावें, रडार, हेलिकॉप्टर और कृत्रिम उपग्रहों की सहायता ली जा सकती है।
- सेना की भागीदारी: ऐसे कार्यों में नौसेना की सहभागिता सुनिश्चित होनी चाहिए।
(3) आग लगने की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन
खासकर गर्मियों में गाँवों में आग लगना एक सामान्य आपदा है। आकस्मिक प्रबंधन की तीन बड़ी जिम्मेदारियाँ होती हैं:
- (क) आग में फंसे लोगों को बाहर निकालना: सबसे पहले आग में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना।
- (ख) घायलों का प्राथमिक उपचार: घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुँचाना। प्राथमिक उपचार में ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना और जर्नासी जैसी प्राथमिक औषधि का उपयोग करना शामिल है जिससे जलन में राहत मिलती है।
- (ग) आग को फैलने से रोकना: आग को बुझाने और उसे फैलने से रोकने के लिए नजदीकी बालू, मिट्टी, तालाब के जल का उपयोग करना चाहिए। अग्निशामक दल को बुलाना और सूखी झोपड़ी हो तो कुछ दूरी से इस प्रकार उखाड़ फेंकना चाहिए ताकि आग आगे न बढ़े।
- बिजली का शॉर्ट-सर्किट: यदि आग का कारण बिजली का शॉर्ट-सर्किट है, तो सबसे पहले बिजली लाइन को विच्छेदित करना चाहिए।
- छत पर फंसे लोग: यदि कोई व्यक्ति छत पर फँस गया है, तो उसे सीढ़ी लगाकर उतारना या फायर हेलमेट/एंटी-फायर जैकेट पहनकर बाहर निकालना चाहिए।
4. राहत कार्य में उपयोग होने वाले प्राथमिक उपकरण
विभिन्न प्रकार की आपदाओं में प्राथमिक प्रबंधन का कार्य गाँव या समाज के लोग कर सकते हैं। इसके लिए गाँव पंचायतों और स्वयंसेवी संस्थाओं के पास आवश्यक प्रशिक्षण और उपकरण होने चाहिए।
प्राथमिक उपकरणों को दो वर्गों में रखा जा सकता है:
बचाव कर्मियों के लिए निजी उपकरण
- हेलमेट (Helmet)
- लाइफ जैकेट (Life Jacket)
- टॉर्च (Torch)
- गम-बूट (Gum-Boot)
- सीटी (Whistle)
बचाव दल के लिए उपकरण
- सॉंडी (Sondi)
- रस्सी (Rope)
- गिरनी (Pulley)
- प्राथमिक उपचार बॉक्स (First Aid Box)
- हथौड़ा (Hammer)
- स्ट्रेचर (Stretcher)
प्राथमिक उपचार के सामान्य उपकरण
- साबुन (Soap)
- रुई (Cotton)
- कीटनाशक दवा (Antiseptic)
- थर्मामीटर (Thermometer)
- कैंची (Scissors)
- दस्ताने (Gloves)
- ओ०आर०आर० पैकेट (ORS Packet)
- पैनसीड्स (Painkillers)
- बैंडेज (Bandage)
- मरहम पट्टी
- क्रैप बैंडेज (Crepe Bandage)
- चिपकाने वाली टेप (Adhesive Tape)
5. पाठ्यपुस्तक में दिए गए उदाहरणों को हल करना
प्रिय विद्यार्थियों, आपकी पाठ्यपुस्तक के इस अध्याय के दिए गए अंशों में कोई चरण-दर-चरण हल किया गया उदाहरण उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसमें विभिन्न आपदाओं के समय क्या करना चाहिए, इसके विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। हम उन्हीं निर्देशों को समझकर वास्तविक जीवन की स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रह सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि हम बाढ़ की स्थिति को लें, तो पुस्तक हमें बताती है कि सबसे पहले जान-माल को सुरक्षित स्थान पर ले जाना है। यह स्वयं में एक "चरण" है। इसके बाद, भोजन-पानी की व्यवस्था करना दूसरा "चरण" है। इसी प्रकार, भूकंप या आग जैसी आपदाओं के लिए भी स्पष्ट चरण बताए गए हैं कि पहले फंसे लोगों को बचाना है, फिर घायलों का उपचार करना है, और फिर आपदा को फैलने से रोकना है।
6. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions):
1. बाढ़ के समय निम्नलिखित में से किस स्थान पर जाना चाहिए?
(क) ऊँची भूमि वाले स्थान पर (ख) गाँव के बाहर (ग) जहाँ है उसी स्थान पर (घ) खेतों में
उत्तर: (क) ऊँची भूमि वाले स्थान पर
व्याख्या: बाढ़ की स्थिति में जान-माल की सुरक्षा के लिए सबसे पहली प्राथमिकता ऊँची और सुरक्षित जगह पर पहुँचना होता है, जहाँ पानी का स्तर न पहुँच सके।
2. मलबे के नीचे दबे हुए लोगों का पता लगाने के लिए किस यंत्र की मदद ली जाती है?
(क) दूरबीन (ख) इंफ्रारेड कैमरा (ग) हेलीकॉप्टर (घ) टेलीस्कोप
उत्तर: (ग) हेलीकॉप्टर
व्याख्या: भूकंप या सुनामी जैसी आपदाओं में मलबे में दबे या लापता लोगों का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए हेलीकॉप्टर और रडार जैसे यंत्रों का उपयोग किया जाता है।
3. आग से जलने की स्थिति में जले हुए स्थान पर क्या प्राथमिक उपचार करना चाहिए?
(क) ठंडा पानी डालना (ख) गर्म पानी डालना (ग) अस्पताल पहुँचाना (घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (क) ठंडा पानी डालना
व्याख्या: आग से जलने पर तुरंत ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना प्राथमिक उपचार होता है जिससे जलन में राहत मिलती है।
4. बस्ती/मकान में आग लगने की स्थिति में क्या करना चाहिए?
(क) अग्निशामक यंत्र को बुलाना (ख) दरवाजे-खिड़कियाँ लगाना (ग) आग बुझने तक इंतजार करना (घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (क) अग्निशामक यंत्र को बुलाना
व्याख्या: आग लगने पर सबसे पहले अग्निशामक दल को बुलाना चाहिए और साथ ही स्वयं आग बुझाने या उसे फैलने से रोकने के प्रयास करने चाहिए।
5. सुनामी किस स्थान पर आता है?
(क) स्थल (ख) समुद्र (ग) आसमान (घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (ख) समुद्र
व्याख्या: सुनामी समुद्र में आने वाली विशाल लहरें होती हैं जो भूकंप या अन्य भूगर्भीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती हैं और तटों पर भीषण तबाही मचाती हैं।
लघुउत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions):
1. जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन आपदा प्रबंधन का वह महत्वपूर्ण चरण है जो किसी आपदा के तुरंत बाद शुरू होता है। इसका मुख्य उद्देश्य आपदा से प्रभावित लोगों की जान बचाना, उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना और उनकी तात्कालिक आवश्यकताओं (जैसे भोजन, पानी, प्राथमिक उपचार) को पूरा करना होता है। इसमें युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाए जाते हैं ताकि जान-माल के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
2. बाढ़ की स्थिति में अपनाए जाने वाले आकस्मिक प्रबंधन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
बाढ़ की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन के तहत निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं:
- सुरक्षित स्थान पर पहुँचना: सबसे पहले बाढ़ प्रभावित लोगों, मवेशियों और सामान को ऊँची भूमि, ऊँचे मकानों या बाढ़ मुक्त सार्वजनिक क्षेत्रों में सुरक्षित पहुँचाया जाता है।
- भोजन और पेयजल: सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के बाद लोगों के लिए भोजन और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाती है।
- महामारी से बचाव: स्वच्छ वातावरण बनाए रखना और संक्रामक बीमारियों से बचाव के उपाय करना भी आकस्मिक प्रबंधन का हिस्सा है।
- पशु चारा और जहरीले जीवों से बचाव: पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था और साँप-बिच्छू जैसे जीवों से बचाव।
3. भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन की चर्चा संक्षेप में कीजिए।
भूकंप और सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- राहत शिविरों में पहुँचाना: फंसे हुए लोगों को तुरंत राहत शिविरों में पहुँचाना और सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- मलबे से निकालना: मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाने के लिए हेलीकॉप्टर, रडार जैसे आधुनिक यंत्रों का उपयोग करना।
- प्राथमिक उपचार: घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुँचाना।
- लापता लोगों की पहचान और सहायता: लापता लोगों की तलाश करना और उनके परिवारों को सहायता और काउंसलिंग प्रदान करना।
- शवों का निस्तारण: महामारी रोकने के लिए मृतकों का उचित अंतिम संस्कार करना।
4. आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका वर्णन करें।
आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उन्हें कागजी कार्यवाही में न उलझकर तुरंत सक्रिय होना चाहिए और राहत शिविरों का निर्माण, आवश्यक उपकरण, प्राथमिक उपचार सामग्री, एम्बुलेंस, डॉक्टर और अग्निशामक दल की व्यवस्था सुनिश्चित करना, तथा स्वयंसेवी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए।
5. आग लगने की स्थिति में क्या प्रबंधन करना चाहिए? उल्लेख करें।
आग लगने की स्थिति में निम्नलिखित आकस्मिक प्रबंधन किया जाना चाहिए:
- लोगों को बचाना: सबसे पहले आग में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना।
- प्राथमिक उपचार: घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार (ठंडा पानी, बर्फ) देना और अस्पताल पहुँचाना।
- आग पर नियंत्रण: आग को फैलने से रोकने के लिए नजदीकी बालू, मिट्टी, तालाब के जल का उपयोग करना और अग्निशामक दल को बुलाना।
- बिजली काटी जाए: यदि आग का कारण बिजली का शॉर्ट-सर्किट है, तो सबसे पहले बिजली लाइन को तुरंत काट देना चाहिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions):
1. जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन (Life-Saving Emergency Management) आपदा प्रबंधन का वह महत्वपूर्ण और तात्कालिक चरण है जो किसी भी आपदा के घटित होने के तुरंत बाद लागू किया जाता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य आपदा से प्रभावित लोगों की जान बचाना, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना और उनकी तात्कालिक बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करके जीवन को सामान्य बनाने का प्रयास करना है।
इसमें तत्काल बचाव, प्राथमिक उपचार, बुनियादी सुविधाओं की बहाली, महामारी नियंत्रण और मानसिक सहायता जैसे कार्य शामिल हैं। संक्षेप में, जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन का लक्ष्य आपदा के तत्काल बाद की अराजक स्थिति को नियंत्रित करना, अधिकतम जीवन बचाना और सामान्य स्थिति की ओर पहला कदम बढ़ाना है।
2. आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका (Role of Local Administration):
स्थानीय प्रशासन आपदा प्रबंधन का एक प्रमुख घटक है। इनकी भूमिकाओं में शामिल हैं: तत्काल प्रतिक्रिया देना, राहत शिविरों का निर्माण, चिकित्सा एवं सुरक्षा सेवाएं जुटाना, विभिन्न विभागों और संगठनों के बीच समन्वय स्थापित करना, नुकसान का आकलन करना और दीर्घकालिक योजनाएँ बनाना।
स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका (Role of Volunteer Organizations):
स्वयंसेवी संस्थाएँ स्थानीय प्रशासन के पूरक के रूप में कार्य करती हैं। इनकी भूमिकाओं में शामिल हैं: युवाओं को मानसिक रूप से तैयार और प्रशिक्षित करना, बचाव और राहत कार्यों में सीधे भाग लेना, सामुदायिक और भावनात्मक सहायता प्रदान करना, जागरूकता फैलाना, और दान के माध्यम से संसाधन एकत्र करना। इन दोनों के बीच मजबूत समन्वय ही एक सफल आकस्मिक प्रबंधन की कुंजी है।
7. 20 नए अभ्यास प्रश्न (समाधान के साथ)
1. आपदा प्रबंधन को कितने चरणों में लागू करने की जरूरत होती है?
आपदा प्रबंधन को दो चरणों में लागू करने की जरूरत होती है: (i) आकस्मिक प्रबंधन और (ii) दीर्घकालीन प्रबंधन।
2. बाढ़ आने पर पहली प्राथमिकता क्या होती है?
बाढ़ आने पर पहली प्राथमिकता जान-माल और मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना होती है, न कि केवल बाढ़ रोकना।
3. सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के बाद बाढ़ पीड़ितों के लिए किन आवश्यक चीजों की व्यवस्था करनी चाहिए?
सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के बाद भोजन और पेयजल की व्यवस्था आवश्यक है। बच्चों के लिए सूखे दूध, गर्म जल, गर्म भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी उतनी ही आवश्यक है।
4. भूकंप की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन के कोई दो प्रमुख कार्य बताइए।
भूकंप की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन के दो प्रमुख कार्य हैं: (क) फंसे हुए लोगों को राहत कैंप में ले जाना या उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराना, और (ख) मलबे में दबे हुए लोगों को निकालना।
5. सुनामी तट पर रहने वाले लोगों के लिए कैसी आपदा है?
सुनामी तट पर रहने वाले लोगों के लिए भीषण आपदा है, जिसमें कई मीटर ऊँचे जलीय प्रवाह से तटीय लोगों के मरने, समुद्री जल में समा जाने या जल के प्रहार से घायल होने की संभावना रहती है।
6. आग लगने की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन की तीन बड़ी जिम्मेदारियाँ क्या हैं?
आग लगने की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन की तीन बड़ी जिम्मेदारियाँ हैं: (क) आग में फंसे लोगों को बाहर निकालना, (ख) घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुँचाना, और (ग) आग के फैलाव को रोकना।
7. प्राथमिक उपचार में जलने पर जलन में राहत के लिए क्या किया जाता है?
प्राथमिक उपचार में जलने पर जलन में राहत के लिए ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना और जर्नासी जैसी प्राथमिक औषधि का उपयोग करना चाहिए।
8. आकस्मिक प्रबंधन के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं?
आकस्मिक प्रबंधन के तीन प्रमुख घटक हैं: (1) स्थानीय प्रशासन, (2) स्वयंसेवी संगठन, और (3) गाँव अथवा मोहल्ले के लोग।
9. बचाव कर्मियों के लिए कोई तीन निजी उपकरणों के नाम बताइए।
बचाव कर्मियों के लिए निजी उपकरण हैं: हेलमेट, लाइफ जैकेट, टॉर्च, गम-बूट, सीटी। (कोई भी तीन)।
10. बचाव दल के लिए उपयोग होने वाले कोई दो उपकरणों के नाम लिखिए।
बचाव दल के लिए उपयोग होने वाले उपकरण हैं: सॉंडी, रस्सी, गिरनी, प्राथमिक उपचार बॉक्स, हथौड़ा, स्ट्रेचर। (कोई भी दो)।
11. सुनामी के बाद लापता लोगों का पता लगाने के लिए किन उपकरणों की मदद ली जा सकती है?
सुनामी के बाद लापता लोगों का पता लगाने के लिए हेलीकॉप्टर और रडार जैसे यंत्रों की मदद ली जा सकती है।
12. यदि आग का कारण बिजली का शॉर्ट-सर्किट है, तो सबसे पहले क्या करना चाहिए?
यदि आग का कारण बिजली का शॉर्ट-सर्किट है, तो सबसे पहले बिजली लाइन को विच्छेदित करना चाहिए।
13. आपदा प्रबंधन के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए क्या आवश्यक है?
स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए आवश्यक है कि वे न सिर्फ युवकों को प्रेरित और प्रशिक्षित करें बल्कि लोगों को फिल्म या विधियों से दिखाकर बहादुरी के कारणों को दिखाएँ जिससे आपदाओं से लड़ने की मानसिक दृढ़ता उत्पन्न होगी।
14. प्राथमिक उपचार के सामान्य उपकरणों में से कोई तीन वस्तुएँ बताइए।
प्राथमिक उपचार के सामान्य उपकरण हैं: साबुन, रुई, कीटनाशक दवा, थर्मामीटर, कैंची, दस्ताने, ओ०आर०आर० पैकेट, पैनसीड्स, बैंडेज। (कोई भी तीन)।
15. बाढ़ के कारण कौन से जहरीले जीव ऊँचे स्थानों पर आ जाते हैं?
बाढ़ के कारण साँप और बिच्छू जैसे जहरीले जीव ऊँचे स्थानों पर आ जाते हैं।
16. आकस्मिक प्रबंधन में जाति, धर्म और लिंग का क्या महत्व है?
आकस्मिक प्रबंधन में जाति, धर्म और लिंग का कोई महत्व नहीं है। सभी को मिलकर आपदा से लड़ने का संदेश देना आवश्यक है।
17. आपदा प्रबंधन का उद्देश्य क्या है?
आपदा प्रबंधन का उद्देश्य आपदा के आते ही प्रभावित लोगों को आपदा से निजात दिलाना होता है।
18. भूकंप के बाद महामारी फैलने से रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
भूकंप के बाद अकाल मृत्यु प्राप्त आम लोगों और जानवरों को सही स्थानों पर धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुरूप दफनाना चाहिए, ऐसा न करने से महामारी फैलने का खतरा रहता है।
19. आकस्मिक प्रबंधन को सरल तथा सहज बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन को क्या करना चाहिए?
आकस्मिक प्रबंधन को सरल तथा सहज बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन को कागजी दाँव पेंच में न पड़कर राहत राशि और राहत सामग्री को तत्परता से पहुँचाना चाहिए।
20. आपदा प्रबंधन को सफल बनाने में किसकी भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए, खासकर सुनामी जैसे बड़े बचाव कार्यों में?
सुनामी जैसे बड़े बचाव कार्यों में नौसेना की सहभागिता सुनिश्चित होनी चाहिए।
8. अध्याय का संक्षिप्त सारांश (Revision Summary)
प्रिय विद्यार्थियों, आइए, अब हम पूरे अध्याय का एक संक्षिप्त सारांश देखें:
- आपदा प्रबंधन के दो चरण: आकस्मिक (तत्काल) और दीर्घकालीन (भविष्य की तैयारी)।
- आपदा प्रबंधन के घटक: स्थानीय प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन, और गाँव/मोहल्ले के लोग।
- बाढ़ में प्रबंधन: लोगों को ऊँची जगह ले जाना, भोजन-पानी की व्यवस्था, और महामारी से बचाव।
- भूकंप/सुनामी में प्रबंधन: राहत शिविर, मलबे से निकालना, घायलों का उपचार, और शवों का सही निस्तारण।
- आग में प्रबंधन: फंसे लोगों को निकालना, प्राथमिक उपचार, और आग को फैलने से रोकना।
- राहत कार्य के उपकरण: निजी उपकरण (हेलमेट) और दल के उपकरण (स्ट्रेचर, रस्सी)।
यह सारांश आपको पूरे अध्याय को कम समय में दोहराने में सहायक होगा। शुभकामनाएं!
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