कक्षा 10 गणित अध्याय 1 वास्तविक संख्याएँ: सम्पूर्ण नोट्स और NCERT हल (Hindi)

Team Successcurve
66 minute read
0
कक्षा 10 गणित: अध्याय 1 - वास्तविक संख्याएँ | सम्पूर्ण नोट्स और हल

कक्षा 10 गणित: अध्याय 1 - वास्तविक संख्याएँ

इस अध्याय में हम वास्तविक संख्याओं, उनके प्रकारों, गुणों और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण प्रमेयों (जैसे यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका और अंकगणित की आधारभूत प्रमेय) का अध्ययन करेंगे। हम यह भी सीखेंगे कि अपरिमेय संख्याओं को कैसे सिद्ध किया जाता है और परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार कैसे होते हैं।


वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)

परिभाषा: सभी परिमेय संख्याओं और अपरिमेय संख्याओं को सम्मिलित रूप से लिखने पर वास्तविक संख्या (Real Number) प्राप्त होती है।

जैसे: -√3, 2/5, √15, 4/11, 0, -7/12, 15/17, π, आदि।

  • वास्तविक संख्या को R से प्रदर्शित किया जाता है।
  • वास्तविक संख्या को अंग्रेजी में “Real Number” कहते हैं।

वास्तविक संख्याओं के प्रकार

वास्तविक संख्याओं को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है:

वास्तविक संख्याएँ (R)
परिमेय संख्याएँ (Q)
  • प्राकृत संख्याएँ (N)
  • पूर्ण संख्याएँ (W)
  • पूर्णांक संख्याएँ (Z)
    • धनात्मक पूर्णांक (Z+)
    • ऋणात्मक पूर्णांक (Z-)
  • भिन्न (p/q)
अपरिमेय संख्याएँ (I या Q')
  • जैसे: √2, √3, π, ...

वास्तविक संख्याएँ दो प्रकार की होती हैं:

  • धनात्मक वास्तविक संख्या (Positive Real Number): वह संख्या जिसका मान धनात्मक होता है, धनात्मक वास्तविक संख्या कहलाती है। इनके आगे सामान्यतः (+) चिन्ह नहीं लगाया जाता है (जैसे 5, 7/12, √2)।
  • ऋणात्मक वास्तविक संख्या (Negative Real Number): वह संख्या जिसका मान ऋणात्मक होता है, ऋणात्मक वास्तविक संख्या कहलाती है। इनके आगे ऋणात्मक (-) चिन्ह लगाया जाता है (जैसे -5, -7/12, -√2)।
<--- ऋणात्मक ... -4 -3 -2 -1 0 +1 +2 +3 +4 ... धनात्मक --->

वास्तविक संख्याओं के गुणधर्म (Properties of Real Numbers)

वास्तविक संख्याओं के योग और गुणन के कुछ महत्वपूर्ण गुणधर्म निम्नलिखित हैं:

  • 1. संवृत गुणधर्म (Closure Property): किन्हीं दो वास्तविक संख्याओं का योग या गुणनफल भी एक वास्तविक संख्या ही होती है।
    यदि a, b ∈ R, तो (a + b) ∈ R और (a × b) ∈ R.
  • 2. क्रमविनिमेय गुणधर्म (Commutative Property): दो वास्तविक संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ने या गुणा करने पर परिणाम समान रहता है।
    a + b = b + a और a × b = b × a.
  • 3. साहचर्य गुणधर्म (Associative Property): तीन वास्तविक संख्याओं को किसी भी समूह में जोड़ने या गुणा करने पर परिणाम समान रहता है।
    (a + b) + c = a + (b + c) और (a × b) × c = a × (b × c).
  • 4. वितरण गुणधर्म (Distributive Property): गुणन का योग पर वितरण (और व्यवकलन पर भी)।
    a × (b + c) = (a × b) + (a × c).

यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका और एल्गोरिथ्म (Euclid's Division Lemma and Algorithm)

यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका (Euclid's Division Lemma)

प्रमेयिका 1.1: दो धनात्मक पूर्णांक a और b दिए रहने पर, ऐसी अद्वितीय पूर्ण संख्याएँ q (भागफल) और r (शेषफल) विद्यमान हैं कि:
a = bq + r, जहाँ 0 ≤ r < b.
(यहाँ a भाज्य है, b भाजक है, q भागफल है और r शेषफल है।)

साधारण भाषा में, किसी धनात्मक पूर्णांक a को किसी अन्य धनात्मक पूर्णांक b से विभाजित करने पर एक भागफल q और एक शेषफल r प्राप्त होता है, जहाँ शेषफल भाजक b से हमेशा छोटा होता है और शून्य या शून्य से बड़ा हो सकता है।

यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म (कलन विधि)

यह यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका पर आधारित एक तकनीक है जिसका प्रयोग मुख्यतः दो धनात्मक पूर्णांकों का महत्तम समापवर्तक (HCF - Highest Common Factor) ज्ञात करने के लिए किया जाता है।

चरण:

  1. दो धनात्मक पूर्णांकों c और d (c > d) का HCF ज्ञात करने के लिए, यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करें: c = dq + r, 0 ≤ r < d.
  2. यदि r = 0 है, तो d ही c और d का HCF है।
  3. यदि r ≠ 0 है, तो d और r पर पुनः यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करें।
  4. इस प्रक्रिया को तब तक जारी रखें जब तक शेषफल शून्य न हो जाए। इस स्थिति में प्राप्त भाजक ही वांछित HCF होगा।
उदाहरण: यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करके 455 और 42 का HCF ज्ञात कीजिए।
हल: यहाँ, a = 455 और b = 42 (क्योंकि 455 > 42)।
  1. यूक्लिड प्रमेयिका से: 455 = 42 × 10 + 35 (यहाँ r = 35 ≠ 0)
  2. अब भाजक 42 और शेषफल 35 पर प्रमेयिका लागू करें: 42 = 35 × 1 + 7 (यहाँ r = 7 ≠ 0)
  3. अब भाजक 35 और शेषफल 7 पर प्रमेयिका लागू करें: 35 = 7 × 5 + 0 (यहाँ r = 0)
क्योंकि शेषफल शून्य हो गया है और इस स्थिति में भाजक 7 है।
अतः, HCF(455, 42) = 7.

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic)

प्रमेय 1.2: प्रत्येक भाज्य संख्या को अभाज्य संख्याओं के एक गुणनफल के रूप में व्यक्त (गुणनखंडित) किया जा सकता है, तथा यह गुणनखंडन अभाज्य गुणनखंडों के आने वाले क्रम के बिना अद्वितीय होता है।

उदाहरणार्थ: 30 = 2 × 3 × 5. इसे 3 × 5 × 2 या 5 × 2 × 3 भी लिख सकते हैं, परन्तु गुणनखंड (2, 3, 5) अद्वितीय हैं।

HCF और LCM ज्ञात करने के लिए अनुप्रयोग

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय का प्रयोग करके दो या अधिक धनात्मक पूर्णांकों का HCF और LCM ज्ञात किया जा सकता है।

  • HCF (महत्तम समापवर्तक): संख्याओं में प्रत्येक उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखंड की सबसे छोटी घात का गुणनफल।
  • LCM (लघुत्तम समापवर्त्य): संख्याओं में सम्मिलित प्रत्येक अभाज्य गुणनखंड की सबसे बड़ी घात का गुणनफल।

महत्वपूर्ण संबंध: किन्हीं दो धनात्मक पूर्णांकों a और b के लिए, HCF(a, b) × LCM(a, b) = a × b

उदाहरण: अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा 6 और 20 का HCF और LCM ज्ञात कीजिए।
हल:

पहले 6 और 20 के अभाज्य गुणनखंड करें:

6 = 2 × 3 = 2¹ × 3¹
20 = 2 × 2 × 5 = 2² × 5¹

HCF(6, 20): उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखंड '2' है, और इसकी सबसे छोटी घात 1 है।
HCF(6, 20) = 2¹ = 2.

LCM(6, 20): सभी अभाज्य गुणनखंड (2, 3, 5) की सबसे बड़ी घातें लें (2 की घात 2, 3 की घात 1, 5 की घात 1)।
LCM(6, 20) = 2² × 3¹ × 5¹ = 4 × 3 × 5 = 60.

जाँच: HCF × LCM = 2 × 60 = 120.
a × b = 6 × 20 = 120.
अतः, HCF × LCM = a × b सत्यापित हुआ।
गुणनखंड वृक्ष (Factor Tree) का उदाहरण:
1250 / \ 2 625 / \ 5 125 / \ 5 25 / \ 5 5
180 / \ 2 90 / \ 2 45 / \ 3 15 / \ 3 5

अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers)

परिभाषा: एक संख्या ‘s’ अपरिमेय संख्या कहलाती है, यदि उसे p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता हो, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0 है।

जैसे: √2, √3, √15, π, 0.101101110... आदि।

प्रमेय 1.3: मान लीजिए p एक अभाज्य संख्या है। यदि p, को विभाजित करती है, तो p, a को भी विभाजित करेगी, जहाँ a एक धनात्मक पूर्णांक है।
उदाहरण: सिद्ध कीजिए कि √2 एक अपरिमेय संख्या है।
उपपत्ति (Proof by Contradiction):
  1. हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि √2 एक परिमेय संख्या है।
  2. अतः, हम दो पूर्णांक r और s (s ≠ 0) ऐसे ज्ञात कर सकते हैं कि √2 = r/s.
  3. मान लीजिए r और s में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड है। तब, हम इस उभयनिष्ठ गुणनखंड से r और s को विभाजित करके √2 = a/b प्राप्त कर सकते हैं, जहाँ a और b सहअभाज्य (co-prime) हैं (अर्थात, a और b में 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है)।
  4. अतः, b√2 = a.
  5. दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, 2b² = a².
  6. इसका अर्थ है कि 2, को विभाजित करता है।
  7. इसलिए प्रमेय 1.3 के अनुसार, 2, a को भी विभाजित करेगा।
  8. अतः हम a = 2c लिख सकते हैं, जहाँ c कोई पूर्णांक है।
  9. a का मान 2b² = a² में प्रतिस्थापित करने पर: 2b² = (2c)² = 4c²
    या b² = 2c².
  10. इसका अर्थ है कि 2, को विभाजित करता है, इसलिए प्रमेय 1.3 से 2, b को भी विभाजित करेगा।
  11. अतः, a और b में कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखंड 2 है।
  12. परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि a और b सहअभाज्य हैं।
  13. यह विरोधाभास हमें हमारी त्रुटिपूर्ण कल्पना के कारण प्राप्त हुआ है कि √2 एक परिमेय संख्या है।
  14. अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि √2 एक अपरिमेय संख्या है।

परिमेय संख्याएँ और उनके दशमलव प्रसार (Rational Numbers and their Decimal Expansions)

परिभाषा: संख्या जो p/q के फॉर्म में हो, या संख्या जिन्हें p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता हो, जहाँ p तथा q पूर्णांक हों तथा q ≠ 0 हो, परिमेय संख्या (Rational Number) कहलाती हैं।
p को अंश (Numerator) तथा q को हर (Denominator) कहते हैं।

जैसे: 2/3, -7/12, 5/-6, 124 (या 124/1), 0 (या 0/1)

परिमेय संख्याओं का संख्या रेखा पर निरूपण

परिमेय संख्याओं को संख्या रेखा पर निरूपित किया जा सकता है। धनात्मक संख्याएँ शून्य के दाईं ओर और ऋणात्मक संख्याएँ शून्य के बाईं ओर स्थित होती हैं।

... -2 -1 -1/2 0 1/2 1 2 ...

दशमलव प्रसार

परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार दो प्रकार के होते हैं:

  1. सांत दशमलव प्रसार (Terminating Decimal Expansion): दशमलव प्रसार कुछ चरणों के बाद समाप्त हो जाता है। जैसे: 1/4 = 0.25, 7/8 = 0.875.
  2. असांत आवर्ती दशमलव प्रसार (Non-terminating Recurring Decimal Expansion): दशमलव प्रसार कभी समाप्त नहीं होता, परन्तु अंकों के एक समूह की पुनरावृत्ति होती है। जैसे: 1/3 = 0.333... = 0.3, 1/7 = 0.142857142857... = 0.142857.
प्रमेय 1.5: मान लीजिए x एक परिमेय संख्या है जिसका दशमलव प्रसार सांत है। तब x को p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ p और q सहअभाज्य हैं तथा q का अभाज्य गुणनखंडन 2ⁿ 5ᵐ के रूप का है, जहाँ n, m कोई ऋणेतर पूर्णांक (non-negative integers) हैं।
प्रमेय 1.6: मान लीजिए x = p/q, जहाँ p और q सहअभाज्य हैं, एक परिमेय संख्या ऐसी है कि q का अभाज्य गुणनखंडन 2ⁿ 5ᵐ के रूप का है, जहाँ n, m ऋणेतर पूर्णांक हैं। तब x का दशमलव प्रसार सांत होता है।
प्रमेय 1.7: मान लीजिए x = p/q, जहाँ p और q सहअभाज्य हैं, एक परिमेय संख्या ऐसी है कि q का अभाज्य गुणनखंडन 2ⁿ 5ᵐ के रूप का नहीं है, जहाँ n, m ऋणेतर पूर्णांक हैं। तब x का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती होता है।
उदाहरण: बिना लंबी विभाजन प्रक्रिया किए बताइए कि निम्नलिखित परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार सांत हैं या असांत आवर्ती: (i) 13/3125 (ii) 17/8 (iii) 64/455
हल: (i) 13/3125: हर q = 3125 = 5 × 5 × 5 × 5 × 5 = 5⁵. इसे 2⁰ × 5⁵ के रूप में लिख सकते हैं। अतः, इसका दशमलव प्रसार सांत है।
(ii) 17/8: हर q = 8 = 2 × 2 × 2 = 2³. इसे 2³ × 5⁰ के रूप में लिख सकते हैं। अतः, इसका दशमलव प्रसार सांत है।
(iii) 64/455: हर q = 455 = 5 × 7 × 13. यहाँ हर का गुणनखंडन 2ⁿ 5ᵐ के रूप का नहीं है (क्योंकि इसमें 7 और 13 भी हैं)। अतः, इसका दशमलव प्रसार असांत आवर्ती है।

NCERT प्रश्नावली हल (NCERT Exercise Solutions)

प्रश्नावली 1.1 (पृष्ठ संख्या 8)

प्रश्न 1: निम्नलिखित संख्याओं का HCF ज्ञात करने के लिए यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग कीजिए:

(i) 135 और 225 (ii) 196 और 38220 (iii) 867 और 255

हल:

(i) 135 और 225

यहाँ a = 225, b = 135.

  • 225 = 135 × 1 + 90
  • 135 = 90 × 1 + 45
  • 90 = 45 × 2 + 0

शेषफल शून्य है तथा भाजक 45 है। अतः, HCF(135, 225) = 45.

(ii) 196 और 38220

यहाँ a = 38220, b = 196.

  • 38220 = 196 × 195 + 0

शेषफल पहले ही चरण में शून्य है तथा भाजक 196 है। अतः, HCF(196, 38220) = 196.

(iii) 867 और 255

यहाँ a = 867, b = 255.

  • 867 = 255 × 3 + 102
  • 255 = 102 × 2 + 51
  • 102 = 51 × 2 + 0

शेषफल शून्य है तथा भाजक 51 है। अतः, HCF(867, 255) = 51.

प्रश्न 2: दर्शाइए कि कोई भी धनात्मक विषम पूर्णांक 6q + 1, या 6q + 3, या 6q + 5, के रूप का होता है जहाँ q कोई पूर्णांक है।

हल:

माना a कोई धनात्मक पूर्णांक है तथा b = 6.

यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म से, a = 6q + r, जहाँ q कोई पूर्णांक q ≥ 0 है, और r = 0, 1, 2, 3, 4, 5 क्योंकि 0 ≤ r < 6.

इसलिए, a संख्याओं 6q, 6q + 1, 6q + 2, 6q + 3, 6q + 4, 6q + 5 के रूप का हो सकता है।

क्योंकि a एक विषम पूर्णांक है, इसलिए यह 6q, 6q + 2, 6q + 4 के रूप का नहीं हो सकता (क्योंकि ये सभी 2 से विभाज्य हैं, अर्थात् सम हैं)।

अतः, कोई भी धनात्मक विषम पूर्णांक 6q + 1, या 6q + 3, या 6q + 5 के रूप का होता है।

प्रश्न 3: किसी परेड में 616 सदस्यों वाली एक सेना (आर्मी) की टुकड़ी को 32 सदस्यों वाले एक आर्मी बैंड के पीछे मार्च करना है। दोनों समूहों को समान संख्या वाले स्तंभों में मार्च करना है। उन स्तंभों की अधिकतम संख्या क्या है, जिसमें वे मार्च कर सकते हैं?

हल:

स्तंभों की अधिकतम संख्या ज्ञात करने के लिए हमें 616 और 32 का HCF ज्ञात करना होगा।

यूक्लिड एल्गोरिथ्म का प्रयोग करने पर:

  • 616 = 32 × 19 + 8
  • 32 = 8 × 4 + 0

HCF(616, 32) = 8.

अतः, वे अधिकतम 8 स्तंभों में मार्च कर सकते हैं।

प्रश्न 4: यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का वर्ग, किसी पूर्णांक m के लिए 3m या 3m + 1 के रूप का होता है।

हल:

माना x कोई धनात्मक पूर्णांक है। तब यह 3q, 3q + 1 या 3q + 2 के रूप का होगा।

स्थिति 1: यदि x = 3q

x² = (3q)² = 9q² = 3(3q²) = 3m, जहाँ m = 3q².

स्थिति 2: यदि x = 3q + 1

x² = (3q + 1)² = 9q² + 6q + 1 = 3(3q² + 2q) + 1 = 3m + 1, जहाँ m = 3q² + 2q.

स्थिति 3: यदि x = 3q + 2

x² = (3q + 2)² = 9q² + 12q + 4 = 9q² + 12q + 3 + 1 = 3(3q² + 4q + 1) + 1 = 3m + 1, जहाँ m = 3q² + 4q + 1.

अतः, किसी धनात्मक पूर्णांक का वर्ग 3m या 3m + 1 के रूप का होता है।

प्रश्न 5: यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है।

हल:

माना x कोई धनात्मक पूर्णांक है। तब यह 3q, 3q + 1 या 3q + 2 के रूप का होगा। (हम b=3 ले रहे हैं क्योंकि 9 का गुणज भी 3 का गुणज होगा)।

स्थिति 1: यदि x = 3q

x³ = (3q)³ = 27q³ = 9(3q³) = 9m, जहाँ m = 3q³.

स्थिति 2: यदि x = 3q + 1

x³ = (3q + 1)³ = (3q)³ + 1³ + 3(3q)(1)(3q + 1) = 27q³ + 1 + 9q(3q + 1) = 27q³ + 1 + 27q² + 9q = 27q³ + 27q² + 9q + 1 = 9(3q³ + 3q² + q) + 1 = 9m + 1, जहाँ m = 3q³ + 3q² + q.

स्थिति 3: यदि x = 3q + 2

x³ = (3q + 2)³ = (3q)³ + 2³ + 3(3q)(2)(3q + 2) = 27q³ + 8 + 18q(3q + 2) = 27q³ + 8 + 54q² + 36q = 27q³ + 54q² + 36q + 8 = 9(3q³ + 6q² + 4q) + 8 = 9m + 8, जहाँ m = 3q³ + 6q² + 4q.

अतः, किसी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है।

प्रश्नावली 1.2 (पृष्ठ संख्या 13)

प्रश्न 1: निम्नलिखित संख्याओं को अभाज्य गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में व्यक्त कीजिए:

(i) 140 (ii) 156 (iii) 3825 (iv) 5005 (v) 7429

हल:

(i) 140

140 = 2 × 70 = 2 × 2 × 35 = 2 × 2 × 5 × 7 = 2² × 5 × 7

(ii) 156

156 = 2 × 78 = 2 × 2 × 39 = 2 × 2 × 3 × 13 = 2² × 3 × 13

(iii) 3825

3825 = 3 × 1275 = 3 × 3 × 425 = 3 × 3 × 5 × 85 = 3 × 3 × 5 × 5 × 17 = 3² × 5² × 17

(iv) 5005

5005 = 5 × 1001 = 5 × 7 × 143 = 5 × 7 × 11 × 13

(v) 7429

7429 = 17 × 437 = 17 × 19 × 23

प्रश्न 2: पूर्णांकों के निम्नलिखित युग्मों के HCF और LCM ज्ञात कीजिए तथा इसकी जाँच कीजिए कि दो संख्याओं का गुणनफल = HCF × LCM है:

(i) 26 और 91 (ii) 510 और 92 (iii) 336 और 54

हल:

(i) 26 और 91

26 = 2 × 13

91 = 7 × 13

HCF(26, 91) = 13 (उभयनिष्ठ गुणनखंड की न्यूनतम घात)

LCM(26, 91) = 2 × 7 × 13 = 182 (सभी गुणनखंडों की अधिकतम घात)

जाँच:

HCF × LCM = 13 × 182 = 2366

दो संख्याओं का गुणनफल = 26 × 91 = 2366

अतः, HCF × LCM = दो संख्याओं का गुणनफल। (सत्यापित)

(ii) 510 और 92

510 = 2 × 255 = 2 × 3 × 85 = 2 × 3 × 5 × 17

92 = 2 × 46 = 2 × 2 × 23 = 2² × 23

HCF(510, 92) = 2

LCM(510, 92) = 2² × 3 × 5 × 17 × 23 = 4 × 3 × 5 × 17 × 23 = 23460

जाँच:

HCF × LCM = 2 × 23460 = 46920

दो संख्याओं का गुणनफल = 510 × 92 = 46920

अतः, HCF × LCM = दो संख्याओं का गुणनफल। (सत्यापित)

(iii) 336 और 54

336 = 2 × 168 = 2 × 2 × 84 = 2 × 2 × 2 × 42 = 2 × 2 × 2 × 2 × 21 = 2⁴ × 3 × 7

54 = 2 × 27 = 2 × 3 × 9 = 2 × 3 × 3 × 3 = 2 × 3³

HCF(336, 54) = 2¹ × 3¹ = 6

LCM(336, 54) = 2⁴ × 3³ × 7 = 16 × 27 × 7 = 3024

जाँच:

HCF × LCM = 6 × 3024 = 18144

दो संख्याओं का गुणनफल = 336 × 54 = 18144

अतः, HCF × LCM = दो संख्याओं का गुणनफल। (सत्यापित)

प्रश्न 3: अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा निम्नलिखित पूर्णांकों के HCF और LCM ज्ञात कीजिए:

(i) 12, 15 और 21 (ii) 17, 23 और 29 (iii) 8, 9 और 25

हल:

(i) 12, 15 और 21

12 = 2² × 3

15 = 3 × 5

21 = 3 × 7

HCF(12, 15, 21) = 3¹ = 3 (उभयनिष्ठ गुणनखंड 3 की न्यूनतम घात)

LCM(12, 15, 21) = 2² × 3¹ × 5¹ × 7¹ = 4 × 3 × 5 × 7 = 420 (सभी गुणनखंडों की अधिकतम घात)

(ii) 17, 23 और 29

17 = 17

23 = 23

29 = 29

ये सभी अभाज्य संख्याएँ हैं। इनमें कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड (1 के अतिरिक्त) नहीं है।

HCF(17, 23, 29) = 1

LCM(17, 23, 29) = 17 × 23 × 29 = 11339

(iii) 8, 9 और 25

8 = 2³

9 = 3²

25 = 5²

इनमें कोई उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखंड नहीं है।

HCF(8, 9, 25) = 1

LCM(8, 9, 25) = 2³ × 3² × 5² = 8 × 9 × 25 = 1800

प्रश्न 4: HCF (306, 657) = 9 दिया है। LCM (306, 657) ज्ञात कीजिए।

हल:

हम जानते हैं कि HCF(a, b) × LCM(a, b) = a × b.

यहाँ a = 306, b = 657 और HCF = 9.

9 × LCM(306, 657) = 306 × 657

LCM(306, 657) = (306 × 657) / 9

LCM(306, 657) = 34 × 657

LCM(306, 657) = 22338

प्रश्न 5: जाँच कीजिए कि क्या किसी प्राकृत संख्या n के लिए, संख्या 6ⁿ अंक 0 पर समाप्त हो सकती है।

हल:

यदि कोई संख्या अंक 0 पर समाप्त होती है, तो वह 10 से विभाज्य होती है, अर्थात् उसके अभाज्य गुणनखंड में 2 और 5 दोनों होने चाहिए।

संख्या 6ⁿ के अभाज्य गुणनखंड हैं:

6ⁿ = (2 × 3)ⁿ = 2ⁿ × 3ⁿ

यहाँ हम देखते हैं कि 6ⁿ के अभाज्य गुणनखंड में केवल 2 और 3 हैं। इसमें 5 नहीं है।

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय के अनुसार, किसी संख्या का अभाज्य गुणनखंड अद्वितीय होता है।

इसलिए, 6ⁿ के गुणनखंड में 5 कभी नहीं आ सकता।

अतः, किसी भी प्राकृत संख्या n के लिए, संख्या 6ⁿ अंक 0 पर समाप्त नहीं हो सकती है।

प्रश्न 6: व्याख्या कीजिए कि 7 × 11 × 13 + 13 और 7 × 6 × 5 × 4 × 3 × 2 × 1 + 5 भाज्य संख्याएँ क्यों हैं।

हल:

भाज्य संख्याएँ वे संख्याएँ होती हैं जिनके 1 और स्वयं के अतिरिक्त कम से कम एक और गुणनखंड होता है।

पहली संख्या: 7 × 11 × 13 + 13

= 13 × (7 × 11 + 1)

= 13 × (77 + 1)

= 13 × 78

= 13 × 13 × 6

क्योंकि इस संख्या के गुणनखंड 1 और स्वयं के अतिरिक्त 13 और 6 (या 2, 3) भी हैं, इसलिए यह एक भाज्य संख्या है।

दूसरी संख्या: 7 × 6 × 5 × 4 × 3 × 2 × 1 + 5

= 5 × (7 × 6 × 4 × 3 × 2 × 1 + 1)

= 5 × (1008 + 1)

= 5 × 1009

क्योंकि इस संख्या के गुणनखंड 1 और स्वयं के अतिरिक्त 5 और 1009 भी हैं, इसलिए यह एक भाज्य संख्या है। (1009 एक अभाज्य संख्या है)।

प्रश्न 7: किसी खेल के मैदान के चारों ओर एक वृत्ताकार पथ है। इस मैदान का एक चक्कर लगाने में सोनिया को 18 मिनट लगते हैं, जबकि इसी मैदान का एक चक्कर लगाने में रवि को 12 मिनट लगते हैं। मान लीजिए वे दोनों एक ही स्थान और एक ही समय पर चलना प्रारंभ करके एक ही दिशा में चलते हैं। कितने समय बाद वे पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे?

हल:

वे पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलने के लिए लगने वाला समय 18 और 12 मिनट का LCM होगा।

18 = 2 × 3²

12 = 2² × 3

LCM(18, 12) = 2² × 3² = 4 × 9 = 36

अतः, वे 36 मिनट बाद पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे।

प्रश्नावली 1.3 (पृष्ठ संख्या 17)

प्रश्न 1: सिद्ध कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।

हल: ( विरोधाभास द्वारा उपपत्ति)
  1. हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि √5 एक परिमेय संख्या है।
  2. अतः, √5 = a/b, जहाँ a और b सहअभाज्य पूर्णांक हैं और b ≠ 0.
  3. √5 b = a
  4. दोनों पक्षों का वर्ग करने पर: 5b² = a² ...(i)
  5. अतः, 5, को विभाजित करता है।
  6. प्रमेय 1.3 द्वारा, 5, a को भी विभाजित करेगा।
  7. अतः, हम लिख सकते हैं a = 5c, जहाँ c कोई पूर्णांक है।
  8. a का मान समीकरण (i) में रखने पर: 5b² = (5c)² = 25c²
  9. b² = 5c²
  10. अतः, 5, को विभाजित करता है।
  11. प्रमेय 1.3 द्वारा, 5, b को भी विभाजित करेगा।
  12. इस प्रकार, a और b दोनों 5 से विभाज्य हैं। अतः a और b का कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखंड 5 है।
  13. परंतु यह हमारी प्रारंभिक मान्यता के विपरीत है कि a और b सहअभाज्य हैं।
  14. यह विरोधाभास हमारी गलत कल्पना के कारण हुआ कि √5 परिमेय है।
  15. अतः, √5 एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न 2: सिद्ध कीजिए कि 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है।

हल: (विरोधाभास द्वारा उपपत्ति)
  1. माना 3 + 2√5 एक परिमेय संख्या है।
  2. अतः, 3 + 2√5 = a/b, जहाँ a और b सहअभाज्य पूर्णांक हैं और b ≠ 0.
  3. 2√5 = a/b - 3
  4. 2√5 = (a - 3b) / b
  5. √5 = (a - 3b) / 2b
  6. क्योंकि a, b, 2 और 3 पूर्णांक हैं, इसलिए (a - 3b) / 2b एक परिमेय संख्या है।
  7. इसका अर्थ है कि √5 भी एक परिमेय संख्या है।
  8. परंतु हम जानते हैं कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
  9. यह विरोधाभास हमारी गलत कल्पना के कारण हुआ कि 3 + 2√5 परिमेय है।
  10. अतः, 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न 3: सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित संख्याएँ अपरिमेय हैं:

(i) 1/√2 (ii) 7√5 (iii) 6 + √2

हल:

(i) 1/√2

  1. माना 1/√2 एक परिमेय संख्या है।
  2. अतः, 1/√2 = a/b, जहाँ a, b सहअभाज्य पूर्णांक हैं, b ≠ 0.
  3. √2 = b/a
  4. क्योंकि a, b पूर्णांक हैं, b/a एक परिमेय संख्या है।
  5. इसका अर्थ है कि √2 भी परिमेय है।
  6. परंतु यह तथ्य कि √2 अपरिमेय है, का विरोधाभास है।
  7. अतः, हमारी कल्पना गलत है। 1/√2 एक अपरिमेय संख्या है।

(ii) 7√5

  1. माना 7√5 एक परिमेय संख्या है।
  2. अतः, 7√5 = a/b, जहाँ a, b सहअभाज्य पूर्णांक हैं, b ≠ 0.
  3. √5 = a / (7b)
  4. क्योंकि a, b, 7 पूर्णांक हैं, a / (7b) एक परिमेय संख्या है।
  5. इसका अर्थ है कि √5 भी परिमेय है।
  6. परंतु यह तथ्य कि √5 अपरिमेय है, का विरोधाभास है।
  7. अतः, हमारी कल्पना गलत है। 7√5 एक अपरिमेय संख्या है।

(iii) 6 + √2

  1. माना 6 + √2 एक परिमेय संख्या है।
  2. अतः, 6 + √2 = a/b, जहाँ a, b सहअभाज्य पूर्णांक हैं, b ≠ 0.
  3. √2 = a/b - 6
  4. √2 = (a - 6b) / b
  5. क्योंकि a, b, 6 पूर्णांक हैं, (a - 6b) / b एक परिमेय संख्या है।
  6. इसका अर्थ है कि √2 भी परिमेय है।
  7. परंतु यह तथ्य कि √2 अपरिमेय है, का विरोधाभास है।
  8. अतः, हमारी कल्पना गलत है। 6 + √2 एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्नावली 1.4 (पृष्ठ संख्या 17)

प्रश्न 1: बिना लंबी विभाजन प्रक्रिया किए बताइए कि निम्नलिखित परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार सांत हैं या असांत आवर्ती हैं:

(i) 13/3125 (ii) 17/8 (iii) 64/455 (iv) 15/1600 (v) 29/343 (vi) 23/(2³5²) (vii) 129/(2²5⁷7⁵) (viii) 6/15 (ix) 35/50 (x) 77/210

हल:

हमें हर (q) के अभाज्य गुणनखंडन को देखना है। यदि यह 2ⁿ 5ᵐ के रूप का है, तो प्रसार सांत होगा, अन्यथा असांत आवर्ती।

(i) 13/3125: q = 3125 = 5⁵ = 2⁰5⁵. सांत

(ii) 17/8: q = 8 = 2³ = 2³5⁰. सांत

(iii) 64/455: q = 455 = 5 × 7 × 13. 2ⁿ 5ᵐ के रूप का नहीं। असांत आवर्ती

(iv) 15/1600: q = 1600 = 16 × 100 = 2⁴ × (10)² = 2⁴ × (2 × 5)² = 2⁴ × 2² × 5² = 2⁶ × 5². सांत

(v) 29/343: q = 343 = 7³. 2ⁿ 5ᵐ के रूप का नहीं। असांत आवर्ती

(vi) 23/(2³5²): q = 2³5². 2ⁿ 5ᵐ के रूप का है। सांत

(vii) 129/(2²5⁷7⁵): q = 2²5⁷7⁵. 2ⁿ 5ᵐ के रूप का नहीं (7⁵ के कारण)। असांत आवर्ती

(viii) 6/15: इसे सरल करें: 6/15 = 2/5. q = 5 = 2⁰5¹. सांत

(ix) 35/50: इसे सरल करें: 35/50 = 7/10. q = 10 = 2¹5¹. सांत

(x) 77/210: इसे सरल करें: 77/210 = 11/30. q = 30 = 2 × 3 × 5. 2ⁿ 5ᵐ के रूप का नहीं (3 के कारण)। असांत आवर्ती

प्रश्न 2: ऊपर दिए गए प्रश्न [प्रश्न 1] में उन परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसारों को लिखिए जो सांत हैं।

हल:

(i) 13/3125 = 13/5⁵ = (13 × 2⁵) / (5⁵ × 2⁵) = (13 × 32) / (10)⁵ = 416 / 100000 = 0.00416

(ii) 17/8 = 17/2³ = (17 × 5³) / (2³ × 5³) = (17 × 125) / (10)³ = 2125 / 1000 = 2.125

(iv) 15/1600 = 15/(2⁶ × 5²) = (15 × 5⁴) / (2⁶ × 5⁶) = (15 × 625) / (10)⁶ = 9375 / 1000000 = 0.009375

(vi) 23/(2³5²) = (23 × 5¹) / (2³ × 5³) = (23 × 5) / (10)³ = 115 / 1000 = 0.115

(viii) 6/15 = 2/5 = (2 × 2) / (5 × 2) = 4 / 10 = 0.4

(ix) 35/50 = 7/10 = 0.7

प्रश्न 3: कुछ वास्तविक संख्याओं के दशमलव प्रसार नीचे दर्शाए गए हैं। प्रत्येक स्थिति के लिए निर्धारित कीजिए कि यह संख्या परिमेय संख्या है या नहीं। यदि यह परिमेय संख्या है और p/q के रूप की है, तो q के अभाज्य गुणनखंडों के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

(i) 43.123456789

(ii) 0.120120012000120000....

(iii) 43.123456789

हल:

(i) 43.123456789

यह दशमलव प्रसार सांत है। अतः, यह एक परिमेय संख्या है। इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है। क्योंकि प्रसार सांत है, प्रमेय 1.5 के अनुसार, q का अभाज्य गुणनखंडन 2ⁿ 5ᵐ के रूप का होगा, जहाँ n, m ऋणेतर पूर्णांक हैं।

( q = 10⁹ = (2 × 5)⁹ = 2⁹ × 5⁹ )

(ii) 0.120120012000120000....

यह दशमलव प्रसार असांत और अनावर्ती (non-recurring) है (शून्यों की संख्या हर बार बढ़ रही है)। अतः, यह एक अपरिमेय संख्या है। इसे p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता।

(iii) 43.123456789

यह दशमलव प्रसार असांत परन्तु आवर्ती (recurring) है (अंक 123456789 दोहरा रहे हैं)। अतः, यह एक परिमेय संख्या है। इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है। क्योंकि प्रसार असांत आवर्ती है, प्रमेय 1.7 के अनुसार, q का अभाज्य गुणनखंडन 2ⁿ 5ᵐ के रूप का नहीं होगा, अर्थात् q के गुणनखंडन में 2 और 5 के अतिरिक्त कोई अन्य अभाज्य गुणनखंड भी होगा।

बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के प्यारे छात्रों! 👋

गणित के अध्याय 1 (वास्तविक संख्याएँ) के ये नोट्स बहुत ही उपयोगी हैं। 💯 इसमें पूरा चैप्टर आसान भाषा में समझाया गया है, साथ ही सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (NCERT Solutions) भी दिए गए हैं।

ये नोट्स आपकी बोर्ड परीक्षा की तैयारी में बहुत मदद करेंगे। इन्हें खुद भी पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर शेयर करें ताकि उनकी भी मदद हो सके! 🤝

परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ! 👍

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!