कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण - सम्पूर्ण नोट्स एवं प्रश्न उत्तर हल (Hindi)

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कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण - सम्पूर्ण नोट्स एवं हल | Class 10 Science Ch 1 Notes Hindi

कक्षा 10 विज्ञान - अध्याय 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

नमस्ते विद्यार्थियों! इस ब्लॉग पोस्ट में हम कक्षा 10 विज्ञान के पहले अध्याय "रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण" (Chemical Reactions and Equations) का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह नोट्स आपको स्व-अध्ययन (self-learning) में मदद करेंगे और सभी महत्वपूर्ण अवधारणाओं को सरल हिंदी भाषा में समझाएंगे, साथ ही पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों के हल भी प्रदान करेंगे।

परिचय

हमारे दैनिक जीवन में हम अपने चारों ओर अनेक परिवर्तन देखते हैं। इनमें से कुछ परिवर्तन ऐसे होते हैं जिनमें नए पदार्थ बनते हैं, जिनकी प्रकृति और पहचान मूल पदार्थ से बिल्कुल भिन्न होती है। ज़रा सोचिए:

  • गर्मियों में दूध कमरे के तापमान पर खुला छोड़ने पर फट जाता है।
  • लोहे की कील, तवा या तसला नमी वाले वातावरण में रखने पर भूरा हो जाता है (जंग लगना)।
  • अंगूरों का किण्वन (fermentation) होता है (शराब बनना)।
  • भोजन पकाया जाता है।
  • हमारा शरीर भोजन पचाता है।
  • हम साँस लेते हैं (श्वसन क्रिया)।

इन सभी स्थितियों में, पदार्थ की शुरुआती प्रकृति और पहचान बदल जाती है। जब ऐसा रासायनिक परिवर्तन (Chemical Change) होता है, तो हम कहते हैं कि एक रासायनिक अभिक्रिया (Chemical Reaction) हुई है।

रासायनिक अभिक्रिया का अर्थ

हम कैसे पहचान सकते हैं कि कोई रासायनिक अभिक्रिया हुई है? कुछ सामान्य प्रेक्षण (observations) हैं जो रासायनिक अभिक्रिया होने का संकेत देते हैं:

  • अवस्था में परिवर्तन (Change in State): जैसे ठोस से गैस बनना या द्रव बनना।
  • रंग में परिवर्तन (Change in Colour): अभिक्रिया के बाद पदार्थ का रंग बदल जाना।
  • गैस का निकास अथवा उत्सर्जन (Evolution of a Gas): अभिक्रिया के दौरान गैस के बुलबुले निकलना।
  • तापमान में परिवर्तन (Change in Temperature): अभिक्रिया के दौरान मिश्रण का गर्म या ठंडा हो जाना।

हमारे आस-पास अनगिनत रासायनिक अभिक्रियाएँ लगातार हो रही हैं। आइए कुछ क्रियाकलापों से इन्हें समझें।

क्रियाकलाप (Activities)

क्रियाकलाप 1.1: मैग्नीशियम रिबन का दहन

  • लगभग 3-4 cm लंबे मैग्नीशियम (Mg) रिबन को रेगमाल से रगड़कर साफ़ करें (ताकि ऊपरी ऑक्साइड या कार्बोनेट की परत हट जाए)।
  • इसे चिमटे से पकड़कर स्पिरिट लैंप या बर्नर की ज्वाला में जलाएँ।
  • बनने वाली सफेद राख को वॉच ग्लास में इकट्ठा करें। (चित्र 1.1 वर्णन: एक चिमटे से मैग्नीशियम रिबन को पकड़कर बर्नर पर जलाते हुए दिखाया गया है, और नीचे रखे वॉच ग्लास में सफेद राख गिर रही है।)
  • प्रेक्षण: मैग्नीशियम रिबन चमकदार श्वेत (सफ़ेद) लौ के साथ जलता है और एक सफेद पाउडर (चूर्ण) में बदल जाता है।
  • निष्कर्ष: यह सफेद चूर्ण मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) है। यह अभिक्रिया मैग्नीशियम और हवा में मौजूद ऑक्सीजन (O₂) के बीच होती है।
  • अभिक्रिया: मैग्नीशियम + ऑक्सीजन → मैग्नीशियम ऑक्साइड

क्रियाकलाप 1.2: ज़िंक और अम्ल की अभिक्रिया

  • एक शंक्वाकार फ्लास्क (conical flask) या परखनली (test tube) में कुछ दानेदार ज़िंक (Zinc, Zn) लें।
  • इसमें सावधानीपूर्वक तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (dilute HCl) या तनु सल्फ्यूरिक अम्ल (dilute H₂SO₄) डालें। (चित्र 1.2 वर्णन: एक शंक्वाकार फ्लास्क दिखाया गया है जिसमें दानेदार जिंक और तनु सल्फ्यूरिक अम्ल है। फ्लास्क के मुँह पर एक कॉर्क लगा है जिसमें से एक काँच की नली गैस निकालने के लिए लगी है।)
  • प्रेक्षण 1: ज़िंक के दानों के आसपास गैस के बुलबुले निकलते हुए दिखाई देंगे। यह हाइड्रोजन गैस (H₂) है।
  • प्रेक्षण 2: फ्लास्क या परखनली को छूने पर वह गर्म महसूस होगी।
  • निष्कर्ष: ज़िंक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाता है और इस अभिक्रिया में ऊष्मा निकलती है (यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है)।

क्रियाकलाप 1.3: लेड नाइट्रेट और पोटैशियम आयोडाइड की अभिक्रिया

  • एक परखनली में लेड (II) नाइट्रेट [Pb(NO₃)₂] का घोल लें।
  • दूसरी परखनली में पोटैशियम आयोडाइड (KI) का घोल लें।
  • दोनों घोलों को मिलाएँ।
  • प्रेक्षण: मिलाने पर तुरंत एक पीले रंग का ठोस पदार्थ बनता है जो नीचे बैठ जाता है।
  • निष्कर्ष: यह पीला ठोस पदार्थ लेड आयोडाइड (PbI₂) का अवक्षेप (precipitate) है। रंग में परिवर्तन और अवक्षेप का बनना रासायनिक अभिक्रिया का संकेत है। (यह एक द्विविस्थापन अभिक्रिया है)।

रासायनिक समीकरण (Chemical Equation)

रासायनिक अभिक्रियाओं का वर्णन वाक्यों में करना काफी लंबा हो सकता है। इन्हें संक्षिप्त और अधिक वैज्ञानिक रूप में दर्शाने के लिए हम रासायनिक समीकरणों का उपयोग करते हैं।

शब्द-समीकरण (Word Equation)

अभिक्रिया को दर्शाने का सबसे सरल तरीका शब्दों का उपयोग करना है। क्रियाकलाप 1.1 का शब्द-समीकरण:

मैग्नीशियम + ऑक्सीजन → मैग्नीशियम ऑक्साइड \quad (1.1)
  • तीर के बाईं ओर (LHS - Left Hand Side) लिखे पदार्थ अभिकारक (Reactants) कहलाते हैं (जैसे मैग्नीशियम, ऑक्सीजन)। यदि एक से अधिक अभिकारक हों, तो उनके बीच योग (+) का चिह्न लगाया जाता है।
  • तीर के दाईं ओर (RHS - Right Hand Side) बनने वाले नए पदार्थ उत्पाद (Product) कहलाते हैं (जैसे मैग्नीशियम ऑक्साइड)। यदि एक से अधिक उत्पाद हों, तो उनके बीच भी योग (+) का चिह्न लगाया जाता है।
  • तीर का निशान (→) अभिक्रिया की दिशा (अभिकारक से उत्पाद की ओर) बताता है।

रासायनिक सूत्र द्वारा समीकरण लिखना

शब्दों की जगह रासायनिक सूत्रों (Chemical Formulae) का उपयोग करने से समीकरण और भी संक्षिप्त और सूचनाप्रद हो जाता है। क्रियाकलाप 1.1 का रासायनिक समीकरण:

$$ Mg + O_2 \rightarrow MgO $$ (समीकरण 1.2)

यह समीकरण अभिक्रिया तो दिखाता है, लेकिन यह संतुलित (balanced) नहीं है, क्योंकि तीर के दोनों ओर प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान नहीं है। ऐसे असंतुलित समीकरण को कंकाली (Skeletal) रासायनिक समीकरण कहते हैं।

संतुलित रासायनिक समीकरण का महत्त्व

रसायन विज्ञान का एक मौलिक नियम है - द्रव्यमान संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mass)

द्रव्यमान संरक्षण का नियम: किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में, द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश। अर्थात्, अभिक्रिया से पहले अभिकारकों का कुल द्रव्यमान, अभिक्रिया के बाद उत्पादों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है।

इसका तात्पर्य है कि रासायनिक अभिक्रिया के पहले एवं उसके पश्चात प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान रहनी चाहिए।

समीकरण (1.2) \( Mg + O_2 \rightarrow MgO \) में देखें:

  • LHS (अभिकारक): Mg का 1 परमाणु, O के 2 परमाणु
  • RHS (उत्पाद): Mg का 1 परमाणु, O का 1 परमाणु

यहाँ ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या बराबर नहीं है। इसीलिए हमें कंकाली रासायनिक समीकरण को संतुलित करना आवश्यक है।

रासायनिक समीकरण को संतुलित करना (Balancing Chemical Equations)

समीकरणों को संतुलित करने के लिए हम हिट एंड ट्रायल (Hit and Trial) विधि या चरणबद्ध विधि का उपयोग करते हैं। इसमें समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर करने के लिए उचित गुणांक (coefficients) लगाए जाते हैं। आइए लोहे की भाप से अभिक्रिया का उदाहरण देखें:

कंकाली समीकरण:

$$ Fe + H_2O \rightarrow Fe_3O_4 + H_2 $$ (समीकरण 1.4)

चरणबद्ध संतुलन (Step-by-Step Balancing)

  1. चरण 1: बॉक्स बनाना - प्रत्येक सूत्र के चारों ओर एक काल्पनिक बॉक्स बनाएँ। संतुलन करते समय बॉक्स के अंदर (सूत्र में) कोई परिवर्तन न करें।
    $$ \boxed{Fe} + \boxed{H_2O} \rightarrow \boxed{Fe_3O_4} + \boxed{H_2} $$ (समीकरण 1.5)
  2. चरण 2: परमाणुओं की सूची बनाना - असंतुलित समीकरण में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या की सूची बनाएँ।
    तत्व अभिकारकों में परमाणु संख्या (LHS) उत्पादों में परमाणु संख्या (RHS)
    Fe 1 3
    H 2 2
    O 1 4
  3. चरण 3: सबसे अधिक परमाणु वाले यौगिक को संतुलित करना - सुविधा के लिए, सबसे अधिक परमाणु वाले यौगिक (यहाँ \(Fe_3O_4\)) को पहले संतुलित करें, चाहे वह अभिकारक हो या उत्पाद। उस यौगिक में भी सबसे अधिक संख्या वाले तत्व (यहाँ ऑक्सीजन) को चुनें।
    • RHS में 4 ऑक्सीजन परमाणु हैं, LHS में \(H_2O\) में केवल 1 है।
    • ऑक्सीजन परमाणुओं को बराबर करने के लिए, LHS में \(H_2O\) के सूत्र के आगे गुणांक 4 लगाएँ ( \(4 H_2O\) )। याद रखें, सूत्र \(H_2O_4\) या \((H_2O)_4\) नहीं लिख सकते।
    $$ \boxed{Fe} + 4 \boxed{H_2O} \rightarrow \boxed{Fe_3O_4} + \boxed{H_2} $$ (आंशिक संतुलित समीकरण, 1.6)
  4. चरण 4: अन्य तत्वों को संतुलित करना (हाइड्रोजन) - अब Fe तथा H परमाणु अब भी संतुलित नहीं हैं। हाइड्रोजन परमाणु को संतुलित करें।
    • LHS में \(4 H_2O\) में हाइड्रोजन परमाणु = \(4 \times 2 = 8\)।
    • RHS में \(H_2\) में हाइड्रोजन परमाणु = 2।
    • हाइड्रोजन परमाणुओं को बराबर करने के लिए, RHS में \(H_2\) के आगे गुणांक 4 लगाएँ ( \(4 H_2\) )।
    $$ \boxed{Fe} + 4 \boxed{H_2O} \rightarrow \boxed{Fe_3O_4} + 4 \boxed{H_2} $$ (आंशिक संतुलित समीकरण, 1.7)
  5. चरण 5: अन्य तत्वों को संतुलित करना (आयरन/लोहा) - अंत में आयरन (Fe) परमाणु को देखें।
    • RHS में \(Fe_3O_4\) में आयरन परमाणु = 3।
    • LHS में Fe में आयरन परमाणु = 1।
    • आयरन परमाणुओं को बराबर करने के लिए, LHS में Fe के आगे गुणांक 3 लगाएँ ( \(3 Fe\) )।
    $$ 3 \boxed{Fe} + 4 \boxed{H_2O} \rightarrow \boxed{Fe_3O_4} + 4 \boxed{H_2} $$ (संतुलित समीकरण, 1.8)
  6. चरण 6: अंतिम जाँच - अब बॉक्स हटा दें और संतुलित समीकरण के दोनों ओर तत्वों के परमाणुओं की संख्याओं का परिकलन करें।
    तत्व LHS परमाणु RHS परमाणु
    Fe 3 3
    H \(4 \times 2 = 8\) \(4 \times 2 = 8\)
    O \(4 \times 1 = 4\) 4
    समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर है। अतः, यह समीकरण अब संतुलित है।
    $$ 3Fe + 4H_2O \rightarrow Fe_3O_4 + 4H_2 $$ (अंतिम संतुलित समीकरण, 1.9)

रासायनिक समीकरण को अधिक सूचनापूर्ण बनाना

रासायनिक समीकरण को और अधिक जानकारीपूर्ण बनाने के लिए अभिकारकों तथा उत्पादों की भौतिक अवस्था (physical state) को भी उनके सूत्रों के साथ दर्शाया जाता है:

  • ठोस (Solid) के लिए: (s)
  • द्रव (Liquid) के लिए: (l)
  • गैस (Gas) के लिए: (g)
  • जलीय विलयन (Aqueous solution - जल में बना विलयन) के लिए: (aq)

उपरोक्त संतुलित समीकरण (1.9) को भौतिक अवस्थाओं के साथ इस प्रकार लिखा जाएगा:

$$ 3Fe(s) + 4H_2O(g) \rightarrow Fe_3O_4(s) + 4H_2(g) $$ (समीकरण 1.10)

ध्यान दें: समीकरण (1.10) में \(H_2O\) के साथ (g) चिह्न का उपयोग किया गया है, जो दर्शाता है कि इस अभिक्रिया में जल का उपयोग भाप (steam) के रूप में किया गया है।

कभी-कभी अभिक्रिया की परिस्थितियाँ जैसे ताप (temperature), दाब (pressure) या उत्प्रेरक (catalyst) को भी तीर के निशान के ऊपर या नीचे दर्शाया जाता है।

रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार (Types of Chemical Reactions)

रासायनिक अभिक्रियाओं को उनमें होने वाले रासायनिक परिवर्तनों के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)

ऐसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक (तत्व या यौगिक) मिलकर एकल उत्पाद (single product) का निर्माण करते हैं, संयोजन अभिक्रिया कहलाती है।
\( A + B \rightarrow AB \)

उदाहरण:

  • बिना बुझे चूने (Calcium Oxide, CaO) की जल से अभिक्रिया: कैल्शियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके बुझा हुआ चूना (Calcium Hydroxide, Ca(OH)₂) बनाता है और अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न करता है।
    $$ \underbrace{CaO(s)}_{\text{बिना बुझा चूना}} + \underbrace{H_2O(l)}_{\text{जल}} \rightarrow \underbrace{Ca(OH)_2(aq)}_{\text{बुझा हुआ चूना}} + \text{ऊष्मा} $$

    बुझे हुए चूने के विलयन का उपयोग दीवारों पर सफेदी करने के लिए होता है। यह वायु की CO₂ से धीमी अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) की पतली परत बना देता है, जिससे दीवारों पर चमक आ जाती है। \( Ca(OH)_2(aq) + CO_2(g) \rightarrow CaCO_3(s) + H_2O(l) \)

  • कोयले का दहन (Combustion of Coal): कार्बन (कोयला) ऑक्सीजन में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
    $$ C(s) + O_2(g) \rightarrow CO_2(g) \quad (1.15) $$
  • जल का निर्माण (Formation of Water): हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन गैस की अभिक्रिया से जल बनता है।
    $$ 2H_2(g) + O_2(g) \rightarrow 2H_2O(l) \quad (1.16) $$

ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया (Exothermic Reaction)

जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है (अर्थात् ऊर्जा निकलती है), उन्हें ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहते हैं। इन अभिक्रियाओं से मिश्रण का ताप बढ़ जाता है।

उदाहरण:

  • उपरोक्त संयोजन अभिक्रियाएँ (चूने की जल से अभिक्रिया, कोयले का दहन, जल निर्माण) ऊष्माक्षेपी हैं।
  • प्राकृतिक गैस (मीथेन) का दहन:
    $$ CH_4(g) + 2O_2(g) \rightarrow CO_2(g) + 2H_2O(g) + \text{ऊष्मा} \quad (1.17)$$
  • श्वसन (Respiration): जीवित रहने के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो हमें भोजन से मिलती है। पाचन क्रिया के दौरान, भोजन (जैसे चावल, आलू, ब्रेड में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट) सरल पदार्थों में टूट जाता है। कार्बोहाइड्रेट टूटकर ग्लूकोज़ (\(C_6H_{12}O_6\)) बनाता है। यह ग्लूकोज़ हमारे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन के साथ संयोग करता है और ऊर्जा प्रदान करता है। इस विशेष अभिक्रिया का नाम श्वसन है। यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
    $$ \underbrace{C_6H_{12}O_6(aq)}_{\text{ग्लूकोज़}} + 6O_2(aq) \rightarrow 6CO_2(aq) + 6H_2O(l) + \text{ऊर्जा (ATP)} \quad (1.19)$$
  • शाक-सब्जियों (वनस्पति द्रव्य) का विघटित होकर कंपोस्ट (खाद) बनना: यह भी ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का उदाहरण है।

2. वियोजन (अपघटन) अभिक्रिया (Decomposition Reaction)

यह संयोजन अभिक्रिया के विपरीत है। ऐसी अभिक्रिया जिसमें एकल अभिकारक टूटकर (वियोजित होकर) दो या दो से अधिक सरल उत्पाद देता है, वियोजन अभिक्रिया कहलाती है।
\( AB \rightarrow A + B \)

वियोजन अभिक्रियाओं में अभिकारकों को तोड़ने के लिए ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction)

जिन अभिक्रियाओं में अभिकारकों को तोड़ने के लिए ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा अवशोषित होती है (अर्थात् ऊर्जा लगती है), उन्हें ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं। इन अभिक्रियाओं से मिश्रण का ताप कम हो जाता है या उन्हें लगातार ऊर्जा देनी पड़ती है।

अधिकांश वियोजन अभिक्रियाएँ ऊष्माशोषी होती हैं।

उदाहरण (क्रियाकलाप 1.9): एक परखनली में लगभग 2 g बेरियम हाइड्रॉक्साइड [Ba(OH)₂] लें। इसमें 1 g अमोनियम क्लोराइड (NH₄Cl) डालकर काँच की छड़ से मिलाएँ। अपनी हथेली से परखनली के निचले सिरे को छूने पर यह ठंडा महसूस होता है। यह अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।

वियोजन के प्रकार (Types of Decomposition based on Energy Source):

  • 1. ऊष्मीय वियोजन (Thermal Decomposition): जब वियोजन अभिक्रिया ऊष्मा देने पर होती है।
    • फेरस सल्फेट का वियोजन (क्रियाकलाप 1.5): हरे रंग के फेरस सल्फेट क्रिस्टल (\(FeSO_4 \cdot 7H_2O\)) को गर्म करने पर पहले जल के अणु अलग होते हैं और रंग बदलता है, फिर निर्जल \(FeSO_4\) (सफेद) बनता है जो और अधिक गर्म करने पर भूरे-लाल फेरिक ऑक्साइड (\(Fe_2O_3\)), सल्फर डाइऑक्साइड (\(SO_2\)) और सल्फर ट्राइऑक्साइड (\(SO_3\)) गैसों में टूट जाता है। \(SO_2\) और \(SO_3\) की गंध जलते हुए सल्फर जैसी तीक्ष्ण (अभिलाक्षणिक) होती है।
      $$ \underbrace{2FeSO_4(s)}_{\text{फेरस सल्फेट (हरा)}} \xrightarrow{\text{ऊष्मा}} \underbrace{Fe_2O_3(s)}_{\text{फेरिक ऑक्साइड (भूरा-लाल)}} + SO_2(g) + SO_3(g) \quad (1.19)$$
    • कैल्शियम कार्बोनेट (चूना पत्थर) का वियोजन: चूना पत्थर (CaCO₃) को गर्म करने पर यह कैल्शियम ऑक्साइड (CaO, बिना बुझा चूना) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस में वियोजित हो जाता है।
      $$ \underbrace{CaCO_3(s)}_{\text{चूना पत्थर}} \xrightarrow{\text{ऊष्मा}} \underbrace{CaO(s)}_{\text{बिना बुझा चूना}} + CO_2(g) \quad (1.20)$$

      CaO का उपयोग सीमेंट उद्योग में होता है।

    • लेड नाइट्रेट का वियोजन: सफेद लेड (II) नाइट्रेट [\(Pb(NO_3)_2\)] को गर्म करने पर यह पीले लेड (II) ऑक्साइड (PbO), भूरे रंग की नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (\(NO_2\)) गैस और रंगहीन ऑक्सीजन (\(O_2\)) गैस में वियोजित हो जाता है।
      $$ \underbrace{2Pb(NO_3)_2(s)}_{\text{लेड नाइट्रेट (सफेद)}} \xrightarrow{\text{ऊष्मा}} \underbrace{2PbO(s)}_{\text{लेड ऑक्साइड (पीला)}} + \underbrace{4NO_2(g)}_{\text{नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (भूरा धुआँ)}} + O_2(g) \quad (1.21)$$
  • 2. वैद्युत वियोजन (Electrolytic Decomposition / Electrolysis): जब वियोजन अभिक्रिया विद्युत धारा प्रवाहित करने पर होती है।
    • जल का वैद्युत अपघटन (क्रियाकलाप 1.7): अम्लीय जल में ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड लगाकर विद्युत धारा (जैसे 6V बैटरी से) प्रवाहित करने पर जल हाइड्रोजन (\(H_2\)) और ऑक्सीजन (\(O_2\)) गैसों में वियोजित हो जाता है।
      $$ 2H_2O(l) \xrightarrow{\text{विद्युत धारा}} 2H_2(g) + O_2(g) $$

      प्रेक्षण: कैथोड (ऋण इलेक्ट्रोड, बैटरी के नेगेटिव टर्मिनल से जुड़ा) पर हाइड्रोजन गैस और एनोड (धन इलेक्ट्रोड, बैटरी के पॉजिटिव टर्मिनल से जुड़ा) पर ऑक्सीजन गैस बुलबुलों के रूप में जमा होती है। जमा हुई हाइड्रोजन गैस का आयतन (volume) ऑक्सीजन गैस के आयतन का दोगुना होता है (क्योंकि जल \(H_2O\) के अणु में H और O परमाणुओं का अनुपात 2:1 है)। हाइड्रोजन गैस जलती हुई तीली पास लाने पर 'पॉप' (pop) ध्वनि के साथ जलती है, जबकि ऑक्सीजन गैस जलती हुई तीली को और प्रज्वलित करती है।

      जल में तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की कुछ बूँदें इसलिए डाली जाती हैं ताकि जल विद्युत का अच्छा चालक बन जाए (शुद्ध जल विद्युत का कुचालक होता है)।

  • 3. प्रकाशिक वियोजन (Photolytic Decomposition): जब वियोजन अभिक्रिया सूर्य के प्रकाश (या किसी अन्य प्रकाश स्रोत) की उपस्थिति में होती है।
    • सिल्वर क्लोराइड का वियोजन (क्रियाकलाप 1.8): सफेद रंग के सिल्वर क्लोराइड (AgCl) को चाइना डिश में रखकर सूर्य के प्रकाश में रखने पर वह प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करके धूसर (Gray) रंग के सिल्वर (Ag) धातु और क्लोरीन (\(Cl_2\)) गैस में वियोजित हो जाता है।
      $$ \underbrace{2AgCl(s)}_{\text{सिल्वर क्लोराइड (सफेद)}} \xrightarrow{\text{सूर्य का प्रकाश}} \underbrace{2Ag(s)}_{\text{सिल्वर (धूसर)}} + Cl_2(g) $$
    • सिल्वर ब्रोमाइड (AgBr) भी इसी प्रकार प्रकाश के प्रति संवेदनशील है और वियोजित होता है:
      $$ 2AgBr(s) \xrightarrow{\text{सूर्य का प्रकाश}} 2Ag(s) + Br_2(g) $$

      इन अभिक्रियाओं का उपयोग श्याम-श्वेत फोटोग्राफी (Black and White Photography) में होता था।

3. विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)

ऐसी अभिक्रिया जिसमें कोई एक तत्व (अधिक क्रियाशील), दूसरे तत्व (कम क्रियाशील) को उसके यौगिक के विलयन या गलित अवस्था से विस्थापित (displace) कर देता है, विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।
\( A + BC \rightarrow AC + B \)
(यहाँ तत्व A, तत्व B से अधिक क्रियाशील है, इसलिए वह B को उसके यौगिक BC से हटाकर AC बनाता है और B अलग हो जाता है।)

उदाहरण (क्रियाकलाप 1.9):

  • लोहे की कील (Iron nail, Fe) को नीले रंग के कॉपर सल्फेट (Copper Sulphate, \(CuSO_4\)) के विलयन में डुबाने पर (लगभग 20 मिनट):
    • लोहे की कील का रंग भूरा हो जाता है (उस पर कॉपर की परत जमने के कारण)।
    • विलयन का नीला रंग मलीन (fade) पड़ जाता है या हल्का हरा हो जाता है (आयरन सल्फेट, \(FeSO_4\), बनने के कारण)।
    $$ \underbrace{Fe(s)}_{\text{लोहा}} + \underbrace{CuSO_4(aq)}_{\text{कॉपर सल्फेट (नीला)}} \rightarrow \underbrace{FeSO_4(aq)}_{\text{आयरन सल्फेट (हल्का हरा)}} + \underbrace{Cu(s)}_{\text{कॉपर (भूरा)}} \quad (1.24)$$

    यहाँ लोहे (Fe) ने कॉपर (Cu) को उसके लवण विलयन (CuSO₄) से विस्थापित कर दिया, क्योंकि लोहा (Fe) कॉपर (Cu) से अधिक क्रियाशील (more reactive) है।

  • अन्य उदाहरण:
    $$ Zn(s) + CuSO_4(aq) \rightarrow ZnSO_4(aq) + Cu(s) \quad (1.25) $$
    (ज़िंक (Zn) कॉपर से अधिक क्रियाशील है)
    $$ Pb(s) + CuCl_2(aq) \rightarrow PbCl_2(aq) + Cu(s) \quad (1.26) $$
    (लेड (Pb) कॉपर से अधिक क्रियाशील है)

    कौन सा तत्व किससे अधिक क्रियाशील है, यह जानने के लिए 'सक्रियता श्रेणी' (Activity Series) का अध्ययन अगले अध्यायों में किया जाएगा।

4. द्विविस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction)

वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान (exchange of ions) होता है, द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
\( AB + CD \rightarrow AD + CB \)
(यहाँ A और C धनायन हैं तथा B और D ऋणायन हैं। A का साथी D हो जाता है और C का साथी B हो जाता है।)

इन अभिक्रियाओं में अक्सर एक अघुलनशील ठोस पदार्थ बनता है जिसे अवक्षेप (Precipitate) कहते हैं।

अवक्षेपण अभिक्रिया (Precipitation Reaction): जिस अभिक्रिया में अवक्षेप का निर्माण होता है, उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहते हैं। अवक्षेप बनने को दर्शाने के लिए उत्पाद के सूत्र के बाद नीचे की ओर तीर (↓) का निशान भी लगाया जाता है।

उदाहरण:

  • सोडियम सल्फेट और बेरियम क्लोराइड की अभिक्रिया (क्रियाकलाप 1.10):
    • सोडियम सल्फेट (\(Na_2SO_4\)) के विलयन में बेरियम क्लोराइड (\(BaCl_2\)) का विलयन मिलाने पर सफेद रंग का एक पदार्थ बनता है जो जल में अविलेय (insoluble) होता है। यह बेरियम सल्फेट (\(BaSO_4\)) का अवक्षेप है।
    $$ \underbrace{Na_2SO_4(aq)}_{\text{सोडियम सल्फेट}} + \underbrace{BaCl_2(aq)}_{\text{बेरियम क्लोराइड}} \rightarrow \underbrace{BaSO_4(s) \downarrow}_{\text{बेरियम सल्फेट (सफेद अवक्षेप)}} + \underbrace{2NaCl(aq)}_{\text{सोडियम क्लोराइड}} \quad (1.27)$$

    यहाँ \(Na^+\) और \(Ba^{2+}\) आयनों ने अपने साथी ऋणायनों (\(SO_4^{2-}\) और \(Cl^-\)) का आदान-प्रदान किया है। \(Ba^{2+}\) आयन \(SO_4^{2-}\) आयन के साथ मिलकर अघुलनशील \(BaSO_4\) का अवक्षेप बनाते हैं, जबकि \(Na^+\) और \(Cl^-\) आयन विलयन में ही रहते हैं (NaCl घुलनशील है)।

  • लेड नाइट्रेट और पोटैशियम आयोडाइड की अभिक्रिया (क्रियाकलाप 1.3 का समीकरण):
    $$ Pb(NO_3)_2(aq) + 2KI(aq) \rightarrow \underbrace{PbI_2(s) \downarrow}_{\text{लेड आयोडाइड (पीला अवक्षेप)}} + 2KNO_3(aq) $$

    यह भी द्विविस्थापन और अवक्षेपण अभिक्रिया है, जिसमें लेड आयोडाइड का पीला अवक्षेप बनता है।

5. उपचयन एवं अपचयन (Oxidation and Reduction)

ये अभिक्रियाएँ ऑक्सीजन या हाइड्रोजन के जुड़ने या हटने के संदर्भ में परिभाषित की जाती हैं:

  • उपचयन (Oxidation): अभिक्रिया के समय जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है या हाइड्रोजन का ह्रास (कमी) होता है, तो कहते हैं कि उसका उपचयन हुआ है।
  • अपचयन (Reduction): अभिक्रिया के समय जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का ह्रास (कमी) होता है या हाइड्रोजन की वृद्धि होती है, तो कहते हैं कि उसका अपचयन हुआ है।

उदाहरण (क्रियाकलाप 1.11):

  • एक चाइना डिश में 1 g कॉपर (Cu) चूर्ण लेकर उसे गर्म करने पर (तापन): कॉपर की सतह पर कॉपर (II) ऑक्साइड (CuO) की काली परत चढ़ जाती है। यह कॉपर में ऑक्सीजन के योग (जुड़ने) से बना है।
    $$ \underbrace{2Cu(s)}_{\text{कॉपर (भूरा)}} + O_2(g) \xrightarrow{\text{तापन}} \underbrace{2CuO(s)}_{\text{कॉपर ऑक्साइड (काला)}} \quad (1.28)$$

    यहाँ कॉपर (Cu) में ऑक्सीजन जुड़ी है, अतः कॉपर (Cu) का उपचयन (Oxidation) हुआ है।

  • यदि इस गर्म पदार्थ (CuO) के ऊपर हाइड्रोजन गैस (H₂) प्रवाहित की जाए, तो सतह की काली परत फिर से भूरे रंग की हो जाती है, क्योंकि विपरीत अभिक्रिया संपन्न होती है तथा कॉपर प्राप्त होता है।
    $$ CuO(s) + H_2(g) \xrightarrow{\text{तापन}} Cu(s) + H_2O(l) \quad (1.29)$$

    इस अभिक्रिया (1.29) में:

    • कॉपर (II) ऑक्साइड (CuO) से ऑक्सीजन का ह्रास हो रहा है (वह Cu बन रहा है), इसलिए CuO का अपचयन (Reduction) हुआ है।
    • हाइड्रोजन (H₂) में ऑक्सीजन की वृद्धि हो रही है (वह H₂O बन रहा है), इसलिए H₂ का उपचयन (Oxidation) हुआ है।
रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox Reaction): ऐसी अभिक्रिया, जिसमें एक अभिकारक उपचयित (oxidized) तथा दूसरा अभिकारक अपचयित (reduced) होता है, अर्थात् उपचयन और अपचयन अभिक्रियाएँ साथ-साथ होती हैं, उन्हें उपचयन-अपचयन अभिक्रियाएँ अथवा रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहते हैं। (Reduction + Oxidation = Redox)। अभिक्रिया (1.29) एक रेडॉक्स अभिक्रिया का उदाहरण है।

रेडॉक्स अभिक्रिया के कुछ अन्य उदाहरण:

  • $$ ZnO(s) + C(s) \rightarrow Zn(s) + CO(g) \quad (1.31)$$

    (यहाँ ZnO का Zn में अपचयन हो रहा है [O हटा], और C का CO में उपचयन हो रहा है [O जुड़ा]।)

  • $$ MnO_2(s) + 4HCl(aq) \rightarrow MnCl_2(aq) + 2H_2O(l) + Cl_2(g) \quad (1.32)$$

    (यहाँ MnO₂ का MnCl₂ में अपचयन हो रहा है [O हटा], और HCl का Cl₂ में उपचयन हो रहा है [H हटा]।)

दैनिक जीवन में उपचयन अभिक्रियाओं के प्रभाव

उपचयन (Oxidation) हमारे दैनिक जीवन में केवल लाभदायक ही नहीं, बल्कि कुछ हानिकारक प्रभाव भी डालता है, जिनमें प्रमुख हैं:

1. संक्षारण (Corrosion)

जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, आर्द्रता (नमी), वायु आदि के संपर्क में आती है, तब यह संक्षारित (corroded) होती है, और इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। यह धातु का धीरे-धीरे क्षय होना है।
  • लोहे पर जंग लगना (Rusting of Iron): सबसे सामान्य उदाहरण है। लोहा (Fe) आर्द्र वायु (ऑक्सीजन + नमी) के संपर्क में आने पर उसकी सतह पर लालिमायुक्त भूरे रंग की परत (Hydrated Iron(III) Oxide, \(Fe_2O_3 \cdot xH_2O\)) बन जाती है, जिसे जंग (Rust) कहते हैं।
  • चाँदी का काला पड़ना (Tarnishing of Silver): हवा में उपस्थित हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S) गैस से अभिक्रिया करके सिल्वर सल्फाइड (Ag₂S) की काली परत का बनना।
  • ताँबे पर हरी परत जमना (Corrosion of Copper): ताँबा (Cu) आर्द्र कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) से अभिक्रिया करके हरे रंग के बेसिक कॉपर कार्बोनेट [\(CuCO_3 \cdot Cu(OH)_2\)] की परत का बनना।

संक्षारण के कारण धातुओं, विशेषकर लोहे से बनी वस्तुओं जैसे कार के ढाँचे, पुल, लोहे की रेलिंग, जहाज़ आदि की बहुत क्षति होती है। लोहे का संक्षारण एक गंभीर समस्या है। क्षतिग्रस्त लोहे को बदलने में हर वर्ष बहुत अधिक पैसा खर्च होता है।

संक्षारण से सुरक्षा के लिए यशदलेपन (Galvanization - जिंक की परत चढ़ाना), विद्युत लेपन (Electroplating), पेंट करना, तेल या ग्रीस लगाना जैसे उपाय किए जाते हैं।

2. विकृतगंधिता (Rancidity)

वसायुक्त अथवा तैलीय खाद्य सामग्री (जैसे चिप्स, नमकीन, पके हुए भोजन) जब लंबे समय तक हवा (ऑक्सीजन) के संपर्क में रहती है, तो वह उपचयित (oxidized) हो जाती है, जिससे उनके स्वाद तथा गंध में अप्रिय परिवर्तन आ जाता है। इस प्रक्रिया को विकृतगंधिता कहते हैं। भोजन खाने योग्य नहीं रहता।

विकृतगंधिता रोकने के उपाय:

  • खाद्य पदार्थों में प्रति-ऑक्सीकारक (Antioxidants) मिलाना। ये पदार्थ उपचयन को रोकते हैं (जैसे BHA, BHT)।
  • खाद्य सामग्री को वायु-रोधी (Airtight) बर्तनों में रखना, ताकि ऑक्सीजन का संपर्क कम हो।
  • चिप्स आदि बनाने वाले चिप्स की थैली में से ऑक्सीजन हटाकर उसमें नाइट्रोजन (N₂) जैसी कम सक्रिय (अक्रिय) गैस भर देते हैं। नाइट्रोजन गैस उपचयन को रोकती है।
  • भोजन को रेफ्रिजरेटर में रखना (कम तापमान पर उपचयन धीमा हो जाता है)।

आपने क्या सीखा (पाठ का सारांश)

  • रासायनिक अभिक्रिया वह प्रक्रम है जिसमें नए गुणधर्मों वाले नए पदार्थ बनते हैं।
  • रासायनिक अभिक्रियाओं को रासायनिक समीकरणों द्वारा निरूपित किया जाता है।
  • रासायनिक समीकरण को संतुलित करना आवश्यक है ताकि अभिक्रिया के अभिकारक और उत्पाद पक्षों में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान रहे (द्रव्यमान संरक्षण नियम)।
  • संयोजन अभिक्रिया में दो या अधिक पदार्थ मिलकर एकल उत्पाद बनाते हैं (\(A + B \rightarrow AB\))।
  • वियोजन अभिक्रिया में एकल अभिकारक टूटकर दो या अधिक उत्पाद देता है (\(AB \rightarrow A + B\))। यह ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत द्वारा होती है।
  • जिस अभिक्रिया में ऊष्मा निकलती है, वह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाती है।
  • जिस अभिक्रिया में ऊष्मा अवशोषित होती है, वह ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती है।
  • विस्थापन अभिक्रिया में एक अधिक क्रियाशील तत्व कम क्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है (\(A + BC \rightarrow AC + B\))।
  • द्विविस्थापन अभिक्रिया में दो यौगिकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है (\(AB + CD \rightarrow AD + CB\))।
  • अवक्षेपण अभिक्रिया में अघुलनशील लवण (अवक्षेप) बनता है।
  • अभिक्रिया में पदार्थ का उपचयन (ऑक्सीजन का योग या हाइड्रोजन का ह्रास) या अपचयन (ऑक्सीजन का ह्रास या हाइड्रोजन का योग) होता है।
  • जब उपचयन और अपचयन साथ-साथ होते हैं, तो अभिक्रिया रेडॉक्स अभिक्रिया कहलाती है।
  • संक्षारण धातुओं का वायु, नमी या रसायनों द्वारा धीरे-धीरे क्षय होना है।
  • विकृतगंधिता वसायुक्त भोजन का उपचयित होकर स्वाद और गंध बदलना है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों के हल (In-text Questions Solved)

(पृष्ठ 6 पर दिए गए प्रश्न)

प्रश्न 1: वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ़ क्यों किया जाता है?

उत्तर: मैग्नीशियम एक क्रियाशील धातु है। वायु के संपर्क में रहने पर इसकी सतह पर मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) और मैग्नीशियम कार्बोनेट (MgCO₃) की एक निष्क्रिय (सुरक्षात्मक) परत बन जाती है। यह परत मैग्नीशियम को आगे जलने से रोकती है। इसलिए, वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को रेगमाल से रगड़कर इस परत को हटा दिया जाता है ताकि मैग्नीशियम आसानी से ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर सके (जल सके)।

प्रश्न 2: निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए संतुलित समीकरण लिखिए—

(i) हाइड्रोजन + क्लोरीन → हाइड्रोजन क्लोराइड

(ii) बेरियम क्लोराइड + ऐलुमिनियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + ऐलुमिनियम क्लोराइड

(iii) सोडियम + जल → सोडियम हाइड्रॉक्साइड + हाइड्रोजन

उत्तर:

(i) हाइड्रोजन (H₂) + क्लोरीन (Cl₂) → हाइड्रोजन क्लोराइड (HCl)

$$ H_2(g) + Cl_2(g) \rightarrow 2HCl(g) $$

(ii) बेरियम क्लोराइड (BaCl₂) + ऐलुमिनियम सल्फेट (Al₂(SO₄)₃) → बेरियम सल्फेट (BaSO₄) + ऐलुमिनियम क्लोराइड (AlCl₃)

$$ 3BaCl_2(aq) + Al_2(SO_4)_3(aq) \rightarrow 3BaSO_4(s) + 2AlCl_3(aq) $$

(iii) सोडियम (Na) + जल (H₂O) → सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) + हाइड्रोजन (H₂)

$$ 2Na(s) + 2H_2O(l) \rightarrow 2NaOH(aq) + H_2(g) $$

प्रश्न 3: निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए उनकी अवस्था के संकेतों के साथ संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए—

(i) जल में बेरियम क्लोराइड तथा सोडियम सल्फेट के विलयन अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा अघुलनशील बेरियम सल्फेट का अवक्षेप बनाते हैं।

(ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड का विलयन (जल में) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के विलयन (जल में) से अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा जल बनाते हैं।

उत्तर:

(i) बेरियम क्लोराइड (aq) + सोडियम सल्फेट (aq) → बेरियम सल्फेट (s) + सोडियम क्लोराइड (aq)

$$ BaCl_2(aq) + Na_2SO_4(aq) \rightarrow BaSO_4(s) \downarrow + 2NaCl(aq) $$

(ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड (aq) + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (aq) → सोडियम क्लोराइड (aq) + जल (l)

$$ NaOH(aq) + HCl(aq) \rightarrow NaCl(aq) + H_2O(l) $$

(यह एक उदासीनीकरण अभिक्रिया है, जो द्विविस्थापन का भी एक प्रकार है)।

(पृष्ठ 11 पर दिए गए प्रश्न)

प्रश्न 1: किसी पदार्थ ‘X’ के विलयन का उपयोग सफ़ेदी करने के लिए होता है।

(i) पदार्थ ‘X’ का नाम तथा इसका सूत्र लिखिए।

(ii) ऊपर (i) में लिखे पदार्थ ‘X’ की जल के साथ अभिक्रिया लिखिए।

उत्तर:

(i) सफ़ेदी करने के लिए उपयोग होने वाला पदार्थ बुझा हुआ चूना (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड, Ca(OH)₂) होता है, जिसका निर्माण पदार्थ 'X' को जल में घोलकर किया जाता है। पदार्थ 'X' कैल्शियम ऑक्साइड (Calcium Oxide) है, जिसे बिना बुझा चूना भी कहते हैं। इसका सूत्र CaO है।

(ii) पदार्थ ‘X’ (कैल्शियम ऑक्साइड) की जल के साथ अभिक्रिया:

$$ \underbrace{CaO(s)}_{\text{X (बिना बुझा चूना)}} + H_2O(l) \rightarrow \underbrace{Ca(OH)_2(aq)}_{\text{बुझा हुआ चूना}} + \text{ऊष्मा} $$

(यह एक संयोजन तथा ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है)।

प्रश्न 2: क्रियाकलाप 1.7 में एक परखनली में एकत्रित गैस की मात्रा दूसरी से दोगुनी क्यों है? उस गैस का नाम बताइए।

उत्तर: क्रियाकलाप 1.7 जल (H₂O) का वैद्युत अपघटन दर्शाता है। जल के वैद्युत अपघटन से हाइड्रोजन गैस (H₂) और ऑक्सीजन गैस (O₂) बनती हैं। संतुलित रासायनिक समीकरण है:
$$ 2H_2O(l) \xrightarrow{\text{विद्युत धारा}} 2H_2(g) + O_2(g) $$
इस समीकरण से स्पष्ट है कि उत्पन्न हाइड्रोजन गैस का आयतन (2 आयतन) उत्पन्न ऑक्सीजन गैस के आयतन (1 आयतन) से दोगुना होता है। चूँकि हाइड्रोजन गैस कैथोड (ऋण इलेक्ट्रोड) पर एकत्रित होती है, अतः कैथोड वाली परखनली में एकत्रित गैस की मात्रा एनोड वाली परखनली से दोगुनी होगी।
उस गैस का नाम हाइड्रोजन (H₂) है।

(पृष्ठ 14 पर दिए गए प्रश्न)

प्रश्न 1: जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?

उत्तर: जब लोहे (Fe) की कील को कॉपर सल्फेट (CuSO₄) के नीले विलयन में डुबोया जाता है, तो विस्थापन अभिक्रिया होती है। लोहा, कॉपर की अपेक्षा अधिक क्रियाशील धातु है। इसलिए, लोहा कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है और आयरन (II) सल्फेट (FeSO₄) बनाता है, जिसका रंग हल्का हरा होता है (या विलयन रंगहीन/मलीन हो जाता है)। कॉपर धातु लोहे की कील पर जमा हो जाती है।
$$ Fe(s) + \underbrace{CuSO_4(aq)}_{\text{नीला}} \rightarrow \underbrace{FeSO_4(aq)}_{\text{हल्का हरा/मलीन}} + Cu(s) $$
आयरन सल्फेट बनने के कारण विलयन का नीला रंग बदल (मलीन/हल्का हरा हो) जाता है।

प्रश्न 2: क्रियाकलाप 1.10 से भिन्न द्विविस्थापन अभिक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर: क्रियाकलाप 1.10 में सोडियम सल्फेट (Na₂SO₄) और बेरियम क्लोराइड (BaCl₂) के बीच अभिक्रिया दिखाई गई है। एक अन्य द्विविस्थापन अभिक्रिया का उदाहरण है सिल्वर नाइट्रेट (AgNO₃) और सोडियम क्लोराइड (NaCl) के विलयनों के बीच अभिक्रिया। इसमें सिल्वर क्लोराइड (AgCl) का सफेद अवक्षेप बनता है और सोडियम नाइट्रेट (NaNO₃) विलयन में रहता है।
$$ AgNO_3(aq) + NaCl(aq) \rightarrow AgCl(s) \downarrow + NaNO_3(aq) $$

(क्रियाकलाप 1.3 में लेड नाइट्रेट और पोटैशियम आयोडाइड की अभिक्रिया भी द्विविस्थापन का उदाहरण है)।

प्रश्न 3: निम्न अभिक्रियाओं में उपचयित तथा अपचयित पदार्थों की पहचान कीजिएः

(i) \( 4Na(s) + O_2(g) \rightarrow 2Na_2O(s) \)

(ii) \( CuO(s) + H_2(g) \xrightarrow{तापन} Cu(s) + H_2O(l) \)

उत्तर:

(i) \( 4Na(s) + O_2(g) \rightarrow 2Na_2O(s) \)

  • सोडियम (Na) में ऑक्सीजन जुड़ रही है, इसलिए Na उपचयित (Oxidized) हो रहा है।
  • ऑक्सीजन (O₂) सोडियम से जुड़ रही है (या यह भी कह सकते हैं कि ऑक्सीजन अणु में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या 0 से ऑक्साइड आयन में -2 हो रही है), इसलिए O₂ अपचयित (Reduced) हो रही है।

(ii) \( CuO(s) + H_2(g) \xrightarrow{तापन} Cu(s) + H_2O(l) \)

  • कॉपर ऑक्साइड (CuO) से ऑक्सीजन हट रही है (वह Cu बन रहा है), इसलिए CuO अपचयित (Reduced) हो रहा है।
  • हाइड्रोजन (H₂) में ऑक्सीजन जुड़ रही है (वह H₂O बन रहा है), इसलिए H₂ उपचयित (Oxidized) हो रहा है।

(स्रोत में क्रियाकलाप 1.2 पर आधारित प्रश्न, संभवतः पृष्ठ 14 या आस-पास)

प्रश्न (संभावित): क्रियाकलाप 1.3 पर ध्यान दें, जिसमें आपने लेड (II) नाइट्रेट तथा पोटैशियम आयोडाइड के विलयनों को मिश्रित किया था।

(i) अवक्षेप किस रंग का था? क्या आप अवक्षेपित यौगिक का नाम बता सकते हैं?

(ii) इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।

(iii) क्या यह भी द्विविस्थापन अभिक्रिया है?

उत्तर (क्रियाकलाप 1.3 पर आधारित):

(i) अवक्षेप का रंग पीला था। अवक्षेपित यौगिक का नाम लेड (II) आयोडाइड (Lead (II) Iodide) है।

(ii) संतुलित रासायनिक समीकरण:

$$ Pb(NO_3)_2(aq) + 2KI(aq) \rightarrow PbI_2(s) \downarrow + 2KNO_3(aq) $$

(iii) हाँ, यह एक द्विविस्थापन अभिक्रिया है, क्योंकि इसमें लेड (Pb²⁺) और पोटैशियम (K⁺) आयनों ने अपने साथी आयनों (NO₃⁻ और I⁻) का आदान-प्रदान किया है। यह एक अवक्षेपण अभिक्रिया भी है।

अभ्यास के प्रश्नों के हल (Textbook Exercise Solutions)

प्रश्न 1: नीचे दी गई अभिक्रिया के संबंध में कौन सा कथन असत्य है?

\( 2PbO(s) + C(s) \rightarrow 2Pb(s) + CO_2(g) \)

(a) सीसा अपचयित हो रहा है।

(b) कार्बन डाइऑक्साइड उपचयित हो रहा है।

(c) कार्बन उपचयित हो रहा है।

(d) लेड ऑक्साइड अपचयित हो रहा है।

विकल्प: (i) (a) एवं (b) (ii) (a) एवं (c) (iii) (a), (b) एवं (c) (iv) सभी

उत्तर: अभिक्रिया में:

  • PbO से ऑक्सीजन हटकर Pb बन रहा है → PbO अपचयित हो रहा है। (कथन d सत्य है)
  • C में ऑक्सीजन जुड़कर CO₂ बन रहा है → C उपचयित हो रहा है। (कथन c सत्य है)

असत्य कथन:

  • (a) सीसा (Pb) उत्पाद है, यह अपचयित नहीं हो रहा, बल्कि PbO अपचयित होकर Pb बना रहा है।
  • (b) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्पाद है, यह उपचयित नहीं हो रहा, बल्कि C उपचयित होकर CO₂ बना रहा है।

अतः, कथन (a) और (b) असत्य हैं। सही विकल्प है **(i) (a) एवं (b)**।

प्रश्न 2: \( Fe_2O_3 + 2Al \rightarrow Al_2O_3 + 2Fe \)
ऊपर दी गई अभिक्रिया किस प्रकार की है?

(a) संयोजन अभिक्रिया (b) द्विविस्थापन अभिक्रिया (c) वियोजन अभिक्रिया (d) विस्थापन अभिक्रिया

उत्तर: इस अभिक्रिया में, ऐलुमिनियम (Al) ने आयरन (Fe) को उसके ऑक्साइड (Fe₂O₃) से विस्थापित कर दिया है। अतः, यह एक विस्थापन अभिक्रिया है। सही विकल्प है **(d) विस्थापन अभिक्रिया**।
(यह थर्माइट अभिक्रिया का उदाहरण है, जो अत्यधिक ऊष्माक्षेपी होती है)।

प्रश्न 3: लौह-चूर्ण पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने से क्या होता है? सही उत्तर पर निशान लगाइए।

(a) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।

(b) क्लोरीन गैस एवं आयरन हाइड्रॉक्साइड बनता है।

(c) कोई अभिक्रिया नहीं होती है।

(d) आयरन लवण एवं जल बनता है।

उत्तर: धातु (जैसे लोहा, Fe) तनु अम्ल (जैसे HCl) से अभिक्रिया करके लवण और हाइड्रोजन गैस बनाती है।
$$ Fe(s) + 2HCl(aq) \rightarrow FeCl_2(aq) + H_2(g) $$
अतः, हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है। सही उत्तर है **(a)**।

प्रश्न 4: संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है?

उत्तर:

संतुलित रासायनिक समीकरण: वह रासायनिक समीकरण जिसके दोनों पक्षों (अभिकारक एवं उत्पाद) में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान होती है, संतुलित रासायनिक समीकरण कहलाता है।

संतुलन की आवश्यकता: रासायनिक समीकरण को संतुलित करना द्रव्यमान संरक्षण के नियम के पालन के लिए आवश्यक है। इस नियम के अनुसार, किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो सृजन होता है और न ही विनाश। अतः, अभिक्रिया में भाग लेने वाले तत्वों का कुल द्रव्यमान, अभिक्रिया के उपरांत बनने वाले तत्वों के कुल द्रव्यमान के बराबर होना चाहिए। यह तभी संभव है जब समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान हो।

प्रश्न 5: निम्न कथनों को रासायनिक समीकरण के रूप में परिवर्तित कर उन्हें संतुलित कीजिए।

(a) नाइट्रोजन हाइड्रोजन गैस से संयोग करके अमोनिया बनाता है।

(b) हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का वायु में दहन होने पर जल एवं सल्फर डाइऑक्साइड बनता है।

(c) ऐलुमिनियम सल्फेट के साथ अभिक्रिया कर बेरियम क्लोराइड, ऐलुमिनियम क्लोराइड एवं बेरियम सल्फेट का अवक्षेप देता है।

(d) पोटैशियम धातु जल के साथ अभिक्रिया करके पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस देती है।

उत्तर:

(a) नाइट्रोजन (N₂) + हाइड्रोजन (H₂) → अमोनिया (NH₃)

$$ N_2(g) + 3H_2(g) \rightarrow 2NH_3(g) $$

(b) हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S) + ऑक्सीजन (O₂, वायु से) → जल (H₂O) + सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)

$$ 2H_2S(g) + 3O_2(g) \rightarrow 2H_2O(l) + 2SO_2(g) $$

(c) बेरियम क्लोराइड (BaCl₂) + ऐलुमिनियम सल्फेट (Al₂(SO₄)₃) → ऐलुमिनियम क्लोराइड (AlCl₃) + बेरियम सल्फेट (BaSO₄)

$$ 3BaCl_2(aq) + Al_2(SO_4)_3(aq) \rightarrow 2AlCl_3(aq) + 3BaSO_4(s) \downarrow $$

(d) पोटैशियम (K) + जल (H₂O) → पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) + हाइड्रोजन (H₂)

$$ 2K(s) + 2H_2O(l) \rightarrow 2KOH(aq) + H_2(g) $$

प्रश्न 6: निम्न रासायनिक समीकरणों को संतुलित कीजिए—

(a) \( HNO_3 + Ca(OH)_2 \rightarrow Ca(NO_3)_2 + H_2O \)

(b) \( NaOH + H_2SO_4 \rightarrow Na_2SO_4 + H_2O \)

(c) \( NaCl + AgNO_3 \rightarrow AgCl + NaNO_3 \)

(d) \( BaCl_2 + H_2SO_4 \rightarrow BaSO_4 + HCl \)

उत्तर:

(a) \( 2HNO_3 + Ca(OH)_2 \rightarrow Ca(NO_3)_2 + 2H_2O \)

(b) \( 2NaOH + H_2SO_4 \rightarrow Na_2SO_4 + 2H_2O \)

(c) \( NaCl + AgNO_3 \rightarrow AgCl + NaNO_3 \) (यह पहले से संतुलित है)

(d) \( BaCl_2 + H_2SO_4 \rightarrow BaSO_4 + 2HCl \)

प्रश्न 7: निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए—

(a) कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड + कार्बन डाइऑक्साइड → कैल्शियम कार्बोनेट + जल

(b) ज़िंक + सिल्वर नाइट्रेट → ज़िंक नाइट्रेट + सिल्वर

(c) ऐलुमिनियम + कॉपर क्लोराइड → ऐलुमिनियम क्लोराइड + कॉपर

(d) बेरियम क्लोराइड + पोटैशियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + पोटैशियम क्लोराइड

उत्तर:

(a) \( Ca(OH)_2(aq) + CO_2(g) \rightarrow CaCO_3(s) + H_2O(l) \)

(b) \( Zn(s) + 2AgNO_3(aq) \rightarrow Zn(NO_3)_2(aq) + 2Ag(s) \)

(c) \( 2Al(s) + 3CuCl_2(aq) \rightarrow 2AlCl_3(aq) + 3Cu(s) \)

(d) \( BaCl_2(aq) + K_2SO_4(aq) \rightarrow BaSO_4(s) \downarrow + 2KCl(aq) \)

प्रश्न 8: निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए एवं प्रत्येक अभिक्रिया का प्रकार बताइए।

(a) पोटैशियम ब्रोमाइड (aq) + बेरियम आयोडाइड (aq) → पोटैशियम आयोडाइड (aq) + बेरियम ब्रोमाइड (s)

(b) ज़िंक कार्बोनेट (s) → ज़िंक ऑक्साइड (s) + कार्बन डाइऑक्साइड (g)

(c) हाइड्रोजन (g) + क्लोरीन (g) → हाइड्रोजन क्लोराइड (g)

(d) मैग्नीशियम (s) + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (aq) → मैग्नीशियम क्लोराइड (aq) + हाइड्रोजन (g)

उत्तर:

(a) \( 2KBr(aq) + BaI_2(aq) \rightarrow 2KI(aq) + BaBr_2(s) \)

प्रकार: द्विविस्थापन अभिक्रिया (तथा अवक्षेपण अभिक्रिया)।

(b) \( ZnCO_3(s) \xrightarrow{\Delta} ZnO(s) + CO_2(g) \) (Δ ऊष्मा का प्रतीक है)

प्रकार: वियोजन अभिक्रिया (ऊष्मीय वियोजन)।

(c) \( H_2(g) + Cl_2(g) \xrightarrow{\text{सूर्य का प्रकाश}} 2HCl(g) \)

प्रकार: संयोजन अभिक्रिया।

(d) \( Mg(s) + 2HCl(aq) \rightarrow MgCl_2(aq) + H_2(g) \)

प्रकार: विस्थापन अभिक्रिया।

प्रश्न 9: ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है? उदाहरण दीजिए।

उत्तर:

ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction): वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें उत्पादों के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा (ऊर्जा) भी उत्सर्जित (निकलती) होती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण: प्राकृतिक गैस का दहन: \( CH_4(g) + 2O_2(g) \rightarrow CO_2(g) + 2H_2O(g) + \text{ऊष्मा} \)

ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction): वह रासायनिक अभिक्रिया जिसको संपन्न कराने के लिए ऊष्मा (ऊर्जा) अवशोषित होती है (अर्थात् ऊर्जा देनी पड़ती है), ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण: कैल्शियम कार्बोनेट का ऊष्मीय वियोजन: \( CaCO_3(s) \xrightarrow{\text{ऊष्मा}} CaO(s) + CO_2(g) \)

प्रश्न 10: श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों कहते हैं? वर्णन कीजिए।

उत्तर: श्वसन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें भोजन (मुख्य रूप से ग्लूकोज़) का ऑक्सीकरण होता है और ऊर्जा मुक्त होती है, जिसका उपयोग शरीर विभिन्न कार्यों के लिए करता है। ग्लूकोज़ कोशिकाओं में ऑक्सीजन से अभिक्रिया करता है:
$$ C_6H_{12}O_6(aq) + 6O_2(aq) \rightarrow 6CO_2(aq) + 6H_2O(l) + \text{ऊर्जा} $$
चूँकि इस प्रक्रिया में ऊर्जा (ऊष्मा के रूप में) निकलती है, इसलिए श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 11: वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है? इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए।

उत्तर: वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत कहा जाता है क्योंकि:
  • संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक एकल उत्पाद बनाते हैं। ( \(A + B \rightarrow AB\) )
  • वियोजन अभिक्रिया में एक एकल अभिकारक टूटकर दो या दो से अधिक उत्पाद देता है। ( \(AB \rightarrow A + B\) )
उदाहरण:
  • संयोजन: \( 2Mg(s) + O_2(g) \rightarrow 2MgO(s) \)
  • वियोजन: \( 2H_2O(l) \xrightarrow{\text{विद्युत धारा}} 2H_2(g) + O_2(g) \)

प्रश्न 12: उन वियोजन अभिक्रियाओं के एक-एक समीकरण लिखिए, जिनमें ऊष्मा, प्रकाश एवं विद्युत के रूप में ऊर्जा प्रदान की जाती है।

उत्तर:
  • ऊष्मा द्वारा वियोजन: फेरस सल्फेट का वियोजन
    $$ 2FeSO_4(s) \xrightarrow{\text{ऊष्मा}} Fe_2O_3(s) + SO_2(g) + SO_3(g) $$
  • प्रकाश द्वारा वियोजन: सिल्वर ब्रोमाइड का वियोजन
    $$ 2AgBr(s) \xrightarrow{\text{सूर्य का प्रकाश}} 2Ag(s) + Br_2(g) $$
  • विद्युत द्वारा वियोजन: जल का वैद्युत अपघटन
    $$ 2H_2O(l) \xrightarrow{\text{विद्युत धारा}} 2H_2(g) + O_2(g) $$

प्रश्न 13: विस्थापन एवं द्विविस्थापन अभिक्रियाओं में क्या अंतर है? इन अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।

उत्तर:
  • विस्थापन अभिक्रिया: इसमें एक अधिक क्रियाशील तत्व, किसी यौगिक में से कम क्रियाशील तत्व को विस्थापित कर देता है। इसमें केवल एक तत्व का विस्थापन होता है।
    समीकरण उदाहरण: \( Zn(s) + CuSO_4(aq) \rightarrow ZnSO_4(aq) + Cu(s) \)
  • द्विविस्थापन अभिक्रिया: इसमें दो अभिकारकों (यौगिकों) के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है, जिससे दो नए यौगिक बनते हैं।
    समीकरण उदाहरण: \( Na_2SO_4(aq) + BaCl_2(aq) \rightarrow BaSO_4(s) \downarrow + 2NaCl(aq) \)

प्रश्न 14: सिल्वर के शोधन में, सिल्वर नाइट्रेट के विलयन से सिल्वर प्राप्त करने के लिए कॉपर धातु द्वारा विस्थापन किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए अभिक्रिया लिखिए।

उत्तर: कॉपर (Cu), सिल्वर (Ag) से अधिक क्रियाशील है। अतः, कॉपर धातु सिल्वर नाइट्रेट (AgNO₃) के विलयन से सिल्वर को विस्थापित कर देती है।
$$ Cu(s) + 2AgNO_3(aq) \rightarrow Cu(NO_3)_2(aq) + 2Ag(s) $$

प्रश्न 15: अवक्षेपण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।

उत्तर: वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी अघुलनशील ठोस पदार्थ (अवक्षेप) का निर्माण होता है, अवक्षेपण अभिक्रिया कहलाती है। यह अवक्षेप अभिक्रिया मिश्रण से पृथक हो जाता है (नीचे बैठ जाता है या तैरता है)। यह प्रायः द्विविस्थापन अभिक्रियाओं में देखने को मिलती है।
उदाहरण: जब सोडियम सल्फेट (Na₂SO₄) के विलयन को बेरियम क्लोराइड (BaCl₂) के विलयन में मिलाया जाता है, तो बेरियम सल्फेट (BaSO₄) का सफेद अघुलनशील अवक्षेप बनता है।
$$ Na_2SO_4(aq) + BaCl_2(aq) \rightarrow BaSO_4(s) \downarrow + 2NaCl(aq) $$
यहाँ BaSO₄ अवक्षेप है।

प्रश्न 16: ऑक्सीजन के योग या ह्रास के आधार पर निम्न पदों की व्याख्या कीजिए। प्रत्येक के लिए दो उदाहरण दीजिए।

(a) उपचयन (b) अपचयन

उत्तर:

(a) उपचयन (Oxidation): वह प्रक्रिया जिसमें किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का योग (जुड़ना) होता है, उपचयन कहलाती है।
उदाहरण:
1. \( 2Cu + O_2 \rightarrow 2CuO \) (कॉपर का उपचयन)
2. \( C + O_2 \rightarrow CO_2 \) (कार्बन का उपचयन)

(b) अपचयन (Reduction): वह प्रक्रिया जिसमें किसी पदार्थ से ऑक्सीजन का ह्रास (हटना) होता है, अपचयन कहलाती है।
उदाहरण:
1. \( CuO + H_2 \rightarrow Cu + H_2O \) (कॉपर ऑक्साइड का अपचयन)
2. \( ZnO + C \rightarrow Zn + CO \) (जिंक ऑक्साइड का अपचयन)

(हाइड्रोजन के योग/ह्रास के आधार पर भी परिभाषा दी जा सकती है: उपचयन - H का ह्रास; अपचयन - H का योग)।

प्रश्न 17: एक भूरे रंग का चमकदार तत्व 'X' को वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर वह काले रंग का हो जाता है। इस तत्व 'X' एवं उस काले रंग के यौगिक का नाम बताइए।

उत्तर: भूरे रंग का चमकदार तत्व 'X' कॉपर (Copper, Cu) है। वायु (ऑक्सीजन) की उपस्थिति में गर्म करने पर यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके काले रंग का कॉपर (II) ऑक्साइड (Copper (II) Oxide, CuO) बनाता है।
$$ 2Cu(s) + O_2(g) \xrightarrow{\text{तापन}} 2CuO(s) $$

प्रश्न 18: लोहे की वस्तुओं को हम पेंट क्यों करते हैं?

उत्तर: लोहे की वस्तुओं को संक्षारण (विशेषकर जंग लगने) से बचाने के लिए पेंट किया जाता है। पेंट की परत लोहे की सतह और वायु (ऑक्सीजन) तथा नमी के बीच सीधे संपर्क को रोकती है, जिससे जंग लगने की प्रक्रिया धीमी या बंद हो जाती है और वस्तुएँ सुरक्षित रहती हैं।

प्रश्न 19: तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है?

उत्तर: तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थ हवा (ऑक्सीजन) के संपर्क में आने पर उपचयित होकर विकृतगंधित हो जाते हैं, जिससे उनका स्वाद और गंध खराब हो जाता है। नाइट्रोजन एक अपेक्षाकृत अक्रिय गैस है और यह ऑक्सीजन की तरह उपचयन नहीं करती। चिप्स आदि के पैकेटों में नाइट्रोजन भरने से ऑक्सीजन हट जाती है, जिससे खाद्य पदार्थों का उपचयन रुक जाता है और वे लंबे समय तक ताज़े बने रहते हैं (विकृतगंधिता से बच जाते हैं)।

प्रश्न 20: निम्न पदों का वर्णन कीजिए तथा प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए—

(a) संक्षारण (b) विकृतगंधिता

उत्तर:

(a) संक्षारण (Corrosion): जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, आर्द्रता, वायु आदि के संपर्क में आती है, तो उसकी सतह धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है। इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं।
उदाहरण: लोहे पर जंग लगना (आर्द्र वायु के संपर्क में आने पर लोहे की सतह पर भूरे रंग की परत बनना)।

(b) विकृतगंधिता (Rancidity): वसायुक्त या तैलीय खाद्य पदार्थों का वायु (ऑक्सीजन) द्वारा उपचयित हो जाना, जिसके कारण उनके स्वाद और गंध में अप्रिय परिवर्तन आ जाता है, विकृतगंधिता कहलाता है।
उदाहरण: पुराने रखे हुए तेल में तले चिप्स या नमकीन का स्वाद और गंध खराब हो जाना।

✨ हमें उम्मीद है कि ये नोट्स और हल आपके अध्ययन में सहायक होंगे! शुभकामनाएँ! ✨

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