कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 2 नोट्स: अम्ल, क्षारक एवं लवण (सम्पूर्ण प्रश्न उत्तर) |

Team Successcurve
0
अम्ल, क्षारक एवं लवण: कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 2 सम्पूर्ण नोट्स (Notes for Class 10 Science Chapter 2 Hindi Medium)

अम्ल, क्षारक एवं लवण: कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 2 सम्पूर्ण नोट्स

नमस्ते! यह ब्लॉग पोस्ट कक्षा 10 विज्ञान के अध्याय 2 "अम्ल, क्षारक एवं लवण" पर आधारित विस्तृत स्व-अध्ययन नोट्स प्रदान करता है। इसमें अध्याय के सभी सिद्धांत, महत्वपूर्ण अभिक्रियाएं, गतिविधियाँ, दैनिक जीवन में उपयोग और पाठ्यपुस्तक के सभी प्रश्नों के विस्तृत उत्तर शामिल हैं। यह नोट्स आपको इस अध्याय को बेहतर ढंग से समझने और परीक्षा की तैयारी करने में मदद करेंगे।

यह अध्याय अम्ल (Acids), क्षारक (Bases) और लवण (Salts) के गुणधर्मों, उनकी पारस्परिक अभिक्रियाओं और हमारे दैनिक जीवन में उनके महत्व पर केंद्रित है। पिछली कक्षाओं में, आपने सीखा है कि भोजन का खट्टा और कड़वा स्वाद क्रमशः अम्ल और क्षारक की उपस्थिति के कारण होता है।

अम्ल एवं क्षारक की पहचान

हम स्वाद के अलावा अन्य तरीकों से भी अम्ल और क्षारक की पहचान कर सकते हैं:

  • अम्ल: स्वाद में खट्टे होते हैं और नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं।
  • क्षारक: स्वाद में कड़वे होते हैं और लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।

सूचक (Indicators)

वे पदार्थ जो किसी विलयन में अम्ल और क्षारक की उपस्थिति को रंग या गंध परिवर्तन द्वारा सूचित करते हैं, सूचक कहलाते हैं।

1. प्राकृतिक सूचक (Natural Indicators):

  • लिटमस: यह एक प्राकृतिक सूचक है, जो लिचेन (lichen) पौधे से निकाला जाता है। अम्लीय विलयन में यह लाल और क्षारकीय विलयन में नीला हो जाता है। उदासीन विलयन में इसका रंग बैंगनी होता है।
  • हल्दी (Turmeric): यह क्षारकीय विलयन (जैसे साबुन) के संपर्क में आने पर भूरा-लाल हो जाता है।
  • कुछ फूलों की रंगीन पंखुड़ियाँ: जैसे लाल पत्ता गोभी, हाइड्रेंजिया (Hydrangea), पिटूनिया (Petunia) एवं जेरैनियम (Geranium)।

2. संश्लेषित सूचक (Synthetic Indicators):

  • मेथिल ऑरेंज (Methyl orange): अम्लीय विलयन में लाल, क्षारकीय विलयन में पीला।
  • फिनॉलफ्थेलिन (Phenolphthalein): अम्लीय विलयन में रंगहीन, क्षारकीय विलयन में गुलाबी।

3. गंधीय सूचक (Olfactory Indicators):

इन पदार्थों की गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है।

  • प्याज (Onion): अम्ल और क्षारक के संपर्क में इसकी गंध बदल जाती है।
  • वैनिला एसेंस (Vanilla essence) एवं लौंग का तेल (Clove oil): इनकी गंध भी अम्लीय और क्षारकीय माध्यम में भिन्न होती है।

प्रयोगशाला में अम्ल एवं क्षारक (अधिसूची 2.1.1)

पाठ्यपुस्तक में विभिन्न अम्ल ($HCl$, $H_2SO_4$, $HNO_3$, $CH_3COOH$) और क्षारक ($NaOH$, $Ca(OH)_2$, $KOH$, $Mg(OH)_2$, $NH_4OH$) के नमूनों के साथ लाल लिटमस, नीले लिटमस, फिनॉलफ्थेलिन और मेथिल ऑरेंज का उपयोग करके रंग परिवर्तन का अवलोकन करने की गतिविधि दी गई है।

अम्ल एवं क्षारक के रासायनिक गुणधर्म (अधिसूची 2.1)

1. धातु के साथ अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया (अधिसूची 2.1.2)

  • अम्ल की धातु के साथ अभिक्रिया: धातुएँ अम्लों से हाइड्रोजन ($H_2$) गैस विस्थापित करती हैं और लवण बनाती हैं।
    अम्ल + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस

    उदाहरण: तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ($H_2SO_4$) की ज़िंक ($Zn$) धातु से अभिक्रिया:

    $$ H_2SO_4(aq) + Zn(s) \rightarrow ZnSO_4(aq) + H_2(g) $$

    उत्सर्जित हाइड्रोजन गैस जलती मोमबत्ती के पास ले जाने पर 'पॉप' ध्वनि के साथ जलती है।

  • क्षारक की धातु के साथ अभिक्रिया: कुछ धातुएँ (जैसे ज़िंक) क्षारकों के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाती हैं।
    $$ 2NaOH(aq) + Zn(s) \xrightarrow{\text{ऊष्मा}} Na_2ZnO_2(s) + H_2(g) $$

    (सोडियम ज़िंकेट)

    (यह अभिक्रिया सभी धातुओं के साथ संभव नहीं है)।

2. धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट की अम्ल के साथ अभिक्रिया (अधिसूची 2.1.3)

ये अम्लों के साथ अभिक्रिया करके संगत लवण, कार्बन डाइऑक्साइड ($CO_2$) गैस एवं जल ($H_2O$) बनाते हैं।

धातु कार्बोनेट/धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट + अम्ल → लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल

उदाहरण:

$$ Na_2CO_3(s) + 2HCl(aq) \rightarrow 2NaCl(aq) + H_2O(l) + CO_2(g) $$ $$ NaHCO_3(s) + HCl(aq) \rightarrow NaCl(aq) + H_2O(l) + CO_2(g) $$

उत्पादित $CO_2$ गैस को चूने के पानी ($Ca(OH)_2$) में प्रवाहित करने पर वह दूधिया हो जाता है (कैल्शियम कार्बोनेट ($CaCO_3$) बनने के कारण)।

$$ Ca(OH)_2(aq) + CO_2(g) \rightarrow CaCO_3(s) \downarrow + H_2O(l) $$

(श्वेत अवक्षेप)

अधिक $CO_2$ प्रवाहित करने पर दूधियापन गायब हो जाता है (जल में विलेयशील कैल्शियम हाइड्रोजनकार्बोनेट ($Ca(HCO_3)_2$) बनने के कारण)।

$$ CaCO_3(s) + H_2O(l) + CO_2(g) \rightarrow Ca(HCO_3)_2(aq) $$

नोट: चूना-पत्थर (limestone), खड़िया (chalk) एवं संगमरमर (marble) $CaCO_3$ के ही विभिन्न रूप हैं।

3. अम्ल एवं क्षारक की परस्पर अभिक्रिया (उदासीनीकरण अभिक्रिया) (अधिसूची 2.1.4)

अम्ल और क्षारक एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं और लवण तथा जल बनाते हैं। इसे उदासीनीकरण अभिक्रिया (Neutralisation reaction) कहते हैं।

क्षारक + अम्ल → लवण + जल

उदाहरण: सोडियम हाइड्रोक्साइड ($NaOH$) और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ($HCl$) की अभिक्रिया:

$$ NaOH(aq) + HCl(aq) \rightarrow NaCl(aq) + H_2O(l) $$

आयनिक रूप में: $ H^+(aq) + OH^-(aq) \rightarrow H_2O(l) $

4. क्षारक के साथ अधात्विक ऑक्साइड की अभिक्रिया (अधिसूची 2.1.6)

अधात्विक ऑक्साइड (जैसे $CO_2$) क्षारकों (जैसे $Ca(OH)_2$) के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं। यह उदासीनीकरण अभिक्रिया के समान है।

$$ Ca(OH)_2(aq) + CO_2(g) \rightarrow CaCO_3(s) + H_2O(l) $$

इससे निष्कर्ष निकलता है कि अधात्विक ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं।

सभी अम्लों एवं क्षारकों में क्या समानताएँ हैं? (अधिसूची 2.2)

  • सभी अम्ल धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस ($H_2$) उत्पन्न करते हैं। इससे पता चलता है कि सभी अम्लों में हाइड्रोजन ($H$) होता है।
  • जलीय विलयन में, अम्ल हाइड्रोजन आयन ($H^+$) या हाइड्रोनियम आयन ($H_3O^+$) उत्पन्न करते हैं। इन्हीं आयनों के कारण वे अम्लीय गुण दर्शाते हैं।
    $$ HCl(aq) \rightarrow H^+(aq) + Cl^-(aq) $$
  • क्षारक जलीय विलयन में हाइड्रोक्साइड आयन ($OH^-$) उत्पन्न करते हैं।
    $$ NaOH(aq) \rightarrow Na^+(aq) + OH^-(aq) $$
  • नोट: हाइड्रोजन युक्त सभी यौगिक (जैसे ग्लूकोस, एल्कोहल) अम्लीय नहीं होते क्योंकि वे जल में $H^+$ आयन उत्पन्न नहीं करते।

जलीय विलयन में अम्ल या क्षारक का क्या होता है? (अधिसूची 2.2.1)

  • अम्ल केवल जलीय विलयन में ही आयन ($H^+$) उत्पन्न करते हैं। शुष्क अवस्था में नहीं।
  • हाइड्रोजन आयन ($H^+$) स्वतंत्र रूप में नहीं रह सकते, वे जल के अणुओं ($H_2O$) से जुड़कर हाइड्रोनियम आयन ($H_3O^+$) बनाते हैं।
    $$ H^+ + H_2O \rightarrow H_3O^+ $$

    इसलिए, अम्ल की आयनीकरण अभिक्रिया को ऐसे दर्शाना बेहतर है:

    $$ HCl + H_2O \rightarrow H_3O^+ + Cl^- $$
  • जल में घुलनशील क्षारक को क्षार (Alkali) कहते हैं। सभी क्षारक जल में घुलनशील नहीं होते।

अम्ल या क्षारक में जल मिलाना (तनूकरण - Dilution)

जल में अम्ल या क्षारक के घुलने की प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी (Exothermic) होती है।

सावधानी: सांद्र अम्ल या क्षारक को तनुकृत करते समय, हमेशा अम्ल/क्षारक को धीरे-धीरे जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल/क्षारक में। ऐसा करने से उत्पन्न ऊष्मा धीरे-धीरे जल में वितरित होती है और मिश्रण के उछलकर बाहर आने या पात्र के टूटने का खतरा कम हो जाता है।

जल मिलाने पर प्रति इकाई आयतन में आयनों ($H_3O^+$ या $OH^-$) की सांद्रता कम हो जाती है। इस प्रक्रिया को तनूकरण (Dilution) कहते हैं।

अम्ल एवं क्षारक के विलयन कितने प्रबल होते हैं? (अधिसूची 2.3)

विलयन की अम्लता या क्षारकीयता की प्रबलता उसमें उपस्थित $H^+$ या $OH^-$ आयनों की सांद्रता पर निर्भर करती है। इसे मापने के लिए pH स्केल का उपयोग किया जाता है।

  • pH में 'p' जर्मन शब्द 'Potenz' (शक्ति) का सूचक है।
  • pH स्केल 0 (अत्यधिक अम्लीय) से 14 (अत्यधिक क्षारकीय) तक होता है।
  • pH = 7: उदासीन विलयन (जैसे शुद्ध जल)
  • pH < 7: अम्लीय विलयन ($H^+$ सांद्रता अधिक)
  • pH > 7: क्षारकीय विलयन ($OH^-$ सांद्रता अधिक, $H^+$ सांद्रता कम)
  • pH मान जितना कम, विलयन उतना अधिक अम्लीय।
  • pH मान जितना अधिक, विलयन उतना अधिक क्षारकीय।

सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator): यह अनेक सूचकों का मिश्रण होता है जो किसी विलयन में $H^+$ आयन की विभिन्न सांद्रता के अनुसार भिन्न-भिन्न रंग दर्शाता है, जिससे pH का अनुमान लगाया जा सकता है।

विभिन्न विलयनों का pH मान
pH मान विलयन की प्रकृति $H^+$ / $OH^-$ सांद्रता
0 - <7 अम्लीय $H^+$ आयन सांद्रता बढ़ती है (बाएं से दाएं जाने पर घटती है)
7 उदासीन $H^+$ आयन सांद्रता = $OH^-$ आयन सांद्रता
>7 - 14 क्षारकीय $OH^-$ आयन सांद्रता बढ़ती है (बाएं से दाएं जाने पर बढ़ती है)

चित्र 2.6 (पाठ्यपुस्तक) देखें: $H^+$ एवं $OH^-$ सांद्रता के साथ pH परिवर्तन।

चित्र 2.7 (पाठ्यपुस्तक) देखें: कुछ सामान्य पदार्थों के pH मान (जठर रस ≈ 1.2, नींबू रस ≈ 2.2, रक्त ≈ 7.4, मिल्क ऑफ मैग्नीशिया ≈ 10, NaOH विलयन ≈ 14)।

प्रबल और दुर्बल अम्ल/क्षारक (Strong and Weak Acids/Bases)

  • प्रबल अम्ल: वे अम्ल जो जल में पूर्णतः आयनित होकर अधिक संख्या में $H^+$ आयन उत्पन्न करते हैं (जैसे $HCl, H_2SO_4, HNO_3$)।
  • दुर्बल अम्ल: वे अम्ल जो जल में आंशिक रूप से आयनित होकर कम संख्या में $H^+$ आयन उत्पन्न करते हैं (जैसे $CH_3COOH$, $H_2CO_3$)।
  • प्रबल क्षारक: वे क्षारक जो जल में पूर्णतः आयनित होकर अधिक संख्या में $OH^-$ आयन उत्पन्न करते हैं (जैसे $NaOH, KOH$)।
  • दुर्बल क्षारक: वे क्षारक जो जल में आंशिक रूप से आयनित होकर कम संख्या में $OH^-$ आयन उत्पन्न करते हैं (जैसे $NH_4OH, Mg(OH)_2$)।

दैनिक जीवन में pH का महत्व (अधिसूची 2.3.1)

  1. पौधे एवं पशु pH के प्रति संवेदनशीलता: हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास में कार्य करता है। अम्लीय वर्षा (जब वर्षा जल का pH < 5.6 हो) नदियों के जल का pH कम कर देती है, जिससे जलीय जीवों का जीवन कठिन हो जाता है।
  2. मिट्टी का pH: पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का एक विशिष्ट pH परास आवश्यक होता है। किसान मिट्टी की अम्लीयता या क्षारकीयता को नियंत्रित करने के लिए आवश्यकतानुसार पदार्थों का उपयोग करते हैं।
  3. पाचन तंत्र का pH: हमारा पेट $HCl$ अम्ल उत्पन्न करता है (pH ≈ 1.2) जो पाचन में सहायक है। अपच होने पर पेट में अम्ल की अधिकता हो जाती है, जिससे जलन होती है। इसके उपचार के लिए एंटैसिड (Antacid) जैसे दुर्बल क्षारकों (जैसे मिल्क ऑफ मैग्नीशिया, $Mg(OH)_2$, pH ≈ 10) का उपयोग किया जाता है, जो अतिरिक्त अम्ल को उदासीन कर देते हैं।
  4. pH परिवर्तन के कारण दंत-क्षय: मुँह का pH 5.5 से कम होने पर दाँतों का क्षय (Tooth decay) प्रारंभ हो जाता है। भोजन के बाद मुँह में बचे शर्करा पर बैक्टीरिया अम्ल उत्पन्न करते हैं। दाँतों का इनेमल (कैल्शियम हाइड्रॉक्सीऐपेटाइट - $Ca_5(PO_4)_3(OH)$), जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है, इस अम्ल से संक्षारित होने लगता है। क्षारकीय दंत-मंजन का उपयोग अम्ल को उदासीन कर दंत-क्षय रोकता है।
  5. पशुओं एवं पौधों द्वारा आत्मरक्षा:
    • मधुमक्खी का डंक: इसमें मेथैनोइक अम्ल (फॉर्मिक अम्ल) होता है, जिससे जलन होती है। बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक लगाने से आराम मिलता है।
    • नेटल का डंक: इसके बालों में मेथैनोइक अम्ल होता है। इसके पास उगने वाले डॉक पौधे (जो क्षारकीय प्रकृति का होता है) की पत्ती रगड़ने से आराम मिलता है।

कुछ प्राकृतिक अम्ल (सारणी 2.3)

  • सिरका: एसिटिक अम्ल
  • संतरा: सिट्रिक अम्ल
  • इमली: टार्टरिक अम्ल
  • टमाटर: ऑक्सैलिक अम्ल
  • खट्टा दूध (दही): लैक्टिक अम्ल
  • चींटी/नेटल का डंक: मेथैनोइक अम्ल

लवण के संबंध में अधिक जानकारी (अधिसूची 2.4)

लवण, अम्ल और क्षारक की उदासीनीकरण अभिक्रिया से बनते हैं।

लवण परिवार (Salt Families) (अधिसूची 2.4.1)

समान धन आयन या समान ऋण आयन वाले लवणों को एक ही परिवार का कहा जाता है।

  • उदाहरण: $NaCl$ और $Na_2SO_4$ - सोडियम लवण परिवार।
  • उदाहरण: $NaCl$ और $KCl$ - क्लोराइड लवण परिवार।

लवणों का pH (अधिसूची 2.4.2)

  • प्रबल अम्ल + प्रबल क्षारक $\rightarrow$ उदासीन लवण (pH = 7) (उदाहरण: $NaCl, KNO_3$)
  • प्रबल अम्ल + दुर्बल क्षारक $\rightarrow$ अम्लीय लवण (pH < 7) (उदाहरण: $NH_4Cl, CuSO_4$)
  • दुर्बल अम्ल + प्रबल क्षारक $\rightarrow$ क्षारकीय लवण (pH > 7) (उदाहरण: $CH_3COONa, Na_2CO_3$)

साधारण नमक ($NaCl$) से रसायन (अधिसूची 2.4.3)

साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड, $NaCl$) भोजन में प्रयुक्त होने वाला एक उदासीन लवण है। यह समुद्री जल से या खनिज नमक (Rock salt) के रूप में प्राप्त होता है। यह कई महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण के लिए कच्चा पदार्थ है।

1. सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)

सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन (ब्राइन) के विद्युत अपघटन से $NaOH$, क्लोरीन ($Cl_2$) गैस और हाइड्रोजन ($H_2$) गैस बनती है। इस प्रक्रिया को क्लोर-क्षार प्रक्रिया (Chlor-alkali process) कहते हैं।

$$ 2NaCl(aq) + 2H_2O(l) \xrightarrow{\text{विद्युत धारा}} 2NaOH(aq) + Cl_2(g) + H_2(g) $$
  • एनोड पर: $Cl_2$ गैस
  • कैथोड पर: $H_2$ गैस और $NaOH$ विलयन

उपयोग (चित्र 2.8):

  • $H_2$: ईंधन, मार्जरीन, अमोनिया निर्माण।
  • $Cl_2$: जल स्वच्छता, PVC, कीटनाशक, विरंजक चूर्ण।
  • $NaOH$: साबुन, अपमार्जक, कागज उद्योग, धातुओं से ग्रीस हटाना।

2. विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder - $CaOCl_2$)

शुष्क बुझे हुए चूने ($Ca(OH)_2$) पर क्लोरीन गैस की क्रिया से विरंजक चूर्ण बनता है।

$$ Ca(OH)_2(s) + Cl_2(g) \rightarrow CaOCl_2(s) + H_2O(l) $$

(वास्तविक संघटन जटिल होता है, इसे $Ca(OCl)Cl$ या $Ca(ClO)_2$ भी लिखा जाता है)

उपयोग:

  • वस्त्र व कागज उद्योग में विरंजन (Bleaching) के लिए।
  • रासायनिक उद्योगों में उपचायक (Oxidising agent) के रूप में।
  • पीने के पानी को रोगाणुमुक्त करने के लिए।

3. बेकिंग सोडा (Baking Soda - $NaHCO_3$)

रासायनिक नाम: सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट।

निर्माण: $NaCl$, जल, $CO_2$ और अमोनिया ($NH_3$) की अभिक्रिया से।

$$ NaCl(aq) + H_2O(l) + CO_2(g) + NH_3(g) \rightarrow NH_4Cl(aq) + NaHCO_3(s) $$

गुण: यह एक दुर्बल असंक्षारक क्षारकीय लवण है।

गर्म करने पर: यह सोडियम कार्बोनेट ($Na_2CO_3$), जल और $CO_2$ में विघटित हो जाता है।

$$ 2NaHCO_3(s) \xrightarrow{\text{ऊष्मा}} Na_2CO_3(s) + H_2O(l) + CO_2(g) $$

उपयोग:

  • बेकिंग पाउडर बनाने में: बेकिंग सोडा + मंद खाद्य अम्ल (जैसे टार्टरिक अम्ल)। गर्म करने या जल मिलाने पर $CO_2$ गैस निकलती है, जो केक/पाव रोटी को फुलाकर स्पंजी बनाती है।
    $$ NaHCO_3 + H^+ \rightarrow Na^+ (\text{अम्ल का लवण}) + H_2O + CO_2 \uparrow $$
  • एंटैसिड का संघटक (पेट की अम्लता दूर करने के लिए)।
  • सोडा-अम्ल अग्निशामक में।

4. धोने का सोडा (Washing Soda - $Na_2CO_3 \cdot 10H_2O$)

रासायनिक नाम: सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट।

निर्माण: बेकिंग सोडा को गर्म करके प्राप्त सोडियम कार्बोनेट ($Na_2CO_3$) के पुनः क्रिस्टलीकरण से।

$$ Na_2CO_3(s) + 10H_2O(l) \rightarrow Na_2CO_3 \cdot 10H_2O(s) $$

गुण: यह भी एक क्षारकीय लवण है।

उपयोग:

  • काँच, साबुन और कागज उद्योगों में।
  • बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिकों के निर्माण में।
  • घरों में साफ-सफाई के लिए।
  • जल की स्थायी कठोरता दूर करने के लिए।

क्या लवण के क्रिस्टल वास्तव में शुष्क हैं? (अधिसूची 2.4.4)

कई लवणों के क्रिस्टल शुष्क प्रतीत होते हैं, लेकिन उनमें जल के अणु एक निश्चित अनुपात में जुड़े होते हैं। इसे क्रिस्टलन का जल (Water of Crystallization) कहते हैं।

  • उदाहरण: कॉपर सल्फेट ($CuSO_4 \cdot 5H_2O$) - नीला रंग क्रिस्टलन जल के कारण होता है। गर्म करने पर यह जल निकल जाता है और लवण सफेद (निर्जल $CuSO_4$) हो जाता है। पुनः जल मिलाने पर नीला रंग वापस आ जाता है।
  • उदाहरण: धोने का सोडा ($Na_2CO_3 \cdot 10H_2O$)
  • उदाहरण: जिप्सम ($CaSO_4 \cdot 2H_2O$)

क्रिस्टलन का जल: लवण के एक सूत्र इकाई में जल के निश्चित अणुओं की संख्या।

प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris - P.O.P)

रासायनिक नाम: कैल्शियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट (अर्धहाइड्रेट)। सूत्र: $CaSO_4 \cdot \frac{1}{2}H_2O$

निर्माण: जिप्सम ($CaSO_4 \cdot 2H_2O$) को 373 K (100 °C) पर सावधानीपूर्वक गर्म करने पर यह क्रिस्टलन जल के अणुओं का त्याग कर प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाता है।

$$ CaSO_4 \cdot 2H_2O(s) \xrightarrow{373K} CaSO_4 \cdot \frac{1}{2}H_2O(s) + 1\frac{1}{2}H_2O(g) $$

(जिप्सम)                      (प्लास्टर ऑफ पेरिस)

गुण: यह एक सफेद चूर्ण है। जल मिलाने पर यह पुनः जिप्सम बनकर कठोर ठोस पदार्थ में बदल जाता है।

$$ CaSO_4 \cdot \frac{1}{2}H_2O(s) + 1\frac{1}{2}H_2O(l) \rightarrow CaSO_4 \cdot 2H_2O(s) $$

(प्लास्टर ऑफ पेरिस)                      (जिप्सम - कठोर)

नोट: सूत्र $CaSO_4 \cdot \frac{1}{2}H_2O$ का अर्थ है कि $CaSO_4$ की दो इकाइयों के साथ जल का एक अणु जुड़ा होता है: $(CaSO_4)_2 \cdot H_2O$

उपयोग:

  • टूटी हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में।
  • खिलौने, मूर्तियाँ और सजावटी सामान बनाने में।
  • सतहों को चिकना बनाने के लिए।

प्रश्नों के उत्तर

(पृष्ठ 20 पर प्रश्न)

1. आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसुत जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारकीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे?

  • लाल लिटमस पत्र को बारी-बारी से तीनों परखनलियों के विलयन में डुबोएँ।
  • जिस विलयन में लाल लिटमस नीला हो जाता है, वह क्षारकीय विलयन है।
  • अब इस नीले हो चुके लिटमस पत्र को शेष दो परखनलियों के विलयनों में डुबोएँ।
  • जिस विलयन में यह नीला लिटमस पत्र वापस लाल हो जाता है, वह अम्लीय विलयन है।
  • जिस विलयन में न तो लाल लिटमस नीला हुआ और न ही नीला लिटमस लाल हुआ (अर्थात् लिटमस के रंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा), वह आसुत जल है।

(पृष्ठ 27 पर प्रश्न)

1. HCl, HNO₃ आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि एल्कोहल एवं ग्लूकोस जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?

HCl, HNO₃ आदि जलीय विलयन में आयनित होकर हाइड्रोजन आयन ($H^+$ या $H_3O^+$) उत्पन्न करते हैं। इन्हीं $H^+$ आयनों के कारण वे अम्लीय अभिलक्षण प्रदर्शित करते हैं। एल्कोहल एवं ग्लूकोस जैसे यौगिकों में हाइड्रोजन परमाणु तो होते हैं, परन्तु वे जल में घुलकर $H^+$ आयन उत्पन्न नहीं करते, इसलिए वे अम्लीय गुण नहीं दर्शाते।

2. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?

अम्ल जलीय विलयन में आयनित होकर धन आयन ($H^+$ या $H_3O^+$) तथा ऋण आयन (जैसे $Cl^-, NO_3^-, SO_4^{2-}$) उत्पन्न करते हैं। विलयन में उपस्थित इन्हीं आयनों की गति के कारण विद्युत धारा का प्रवाह होता है, अतः अम्ल का जलीय विलयन विद्युत का चालन करता है।

3. शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?

शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस ($HCl$) में जल उपस्थित नहीं होता है। जल की अनुपस्थिति में $HCl$ अणु आयनित होकर $H^+$ आयन उत्पन्न नहीं कर पाते हैं। चूँकि अम्लीय गुण $H^+$ आयनों की उपस्थिति के कारण होते हैं, इसलिए शुष्क $HCl$ गैस अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करती और शुष्क लिटमस पत्र का रंग नहीं बदलती।

4. अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में?

अम्ल के जल में घुलने की प्रक्रिया अत्यधिक ऊष्माक्षेपी होती है। यदि सांद्र अम्ल में जल मिलाया जाता है, तो उत्पन्न हुई अत्यधिक ऊष्मा के कारण मिश्रण छलककर बाहर आ सकता है (आसफालित हो सकता है) और जलने का खतरा रहता है। साथ ही, अत्यधिक स्थानीय ताप के कारण काँच का पात्र भी टूट सकता है। इसलिए, सुरक्षा की दृष्टि से अम्ल को धीरे-धीरे लगातार हिलाते हुए जल में मिलाना चाहिए ताकि उत्पन्न ऊष्मा जल द्वारा अवशोषित होती रहे।

5. अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन ($H_3O^+$) की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?

अम्ल के विलयन को तनुकृत करने का अर्थ है उसमें जल मिलाना। इससे विलयन का कुल आयतन बढ़ जाता है, जबकि हाइड्रोनियम आयनों ($H_3O^+$) की कुल संख्या वही रहती है (या थोड़ी बढ़ती है यदि अम्ल दुर्बल हो)। अतः, प्रति इकाई आयतन में हाइड्रोनियम आयन ($H_3O^+$) की सांद्रता कम हो जाती है।

6. जब सोडियम हाइड्रोक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रोक्साइड आयन ($OH^-$) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?

सोडियम हाइड्रोक्साइड ($NaOH$) एक क्षारक है जो जलीय विलयन में $OH^-$ आयन देता है। यदि इस विलयन में और अधिक क्षारक मिलाया जाता है, तो विलयन में $OH^-$ आयनों की कुल संख्या बढ़ जाती है। अतः, प्रति इकाई आयतन में हाइड्रोक्साइड आयन ($OH^-$) की सांद्रता बढ़ जाती है।

(पृष्ठ 38 पर प्रश्न)

1. आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का मान 8 है। किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय?

  • विलयन 'A' का pH = 6 है। चूँकि pH < 7, यह अम्लीय है।
  • विलयन 'B' का pH = 8 है। चूँकि pH > 7, यह क्षारकीय है।
  • pH मान जितना कम होता है, हाइड्रोजन आयन ($H^+$) की सांद्रता उतनी ही अधिक होती है। इसलिए, विलयन 'A' में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है।

2. $H^+(aq)$ आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?

$H^+(aq)$ आयन की सांद्रता विलयन की अम्लीयता निर्धारित करती है। $H^+$ आयन की सांद्रता जितनी अधिक होगी, विलयन उतना ही अधिक अम्लीय होगा (और pH मान उतना कम होगा)। $H^+$ आयन की सांद्रता कम होने पर विलयन उदासीन (pH=7) या क्षारकीय (pH>7) होता है।

3. क्या क्षारकीय विलयन में $H^+(aq)$ आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?

हाँ, क्षारकीय विलयन में भी $H^+(aq)$ आयन होते हैं (क्योंकि जल स्वयं भी अल्प मात्रा में $H^+$ और $OH^-$ में आयनित होता है)। परन्तु, क्षारकीय विलयन में हाइड्रोक्साइड आयनों ($OH^-$) की सांद्रता, हाइड्रोजन आयनों ($H^+$) की सांद्रता की तुलना में बहुत अधिक होती है। इसी $OH^-$ आयनों की अधिकता के कारण विलयन की प्रकृति क्षारकीय होती है।

4. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्शियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्शियम हाइड्रोक्साइड) या चॉक (कैल्शियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?

बिना बुझा हुआ चूना ($CaO$), बुझा हुआ चूना ($Ca(OH)_2$) और चॉक ($CaCO_3$) तीनों ही क्षारकीय प्रकृति के पदार्थ हैं। किसान इनका उपयोग तब करेगा जब खेत की मिट्टी अत्यधिक अम्लीय हो गई हो (अर्थात् मिट्टी का pH मान कम हो गया हो)। इन क्षारकीय पदार्थों को मिट्टी में मिलाने से वे मिट्टी की अतिरिक्त अम्लता को उदासीन कर देते हैं और pH मान को पौधों की वृद्धि के लिए उपयुक्त स्तर तक ले आते हैं।

(पृष्ठ 38-39 पर अभ्यास प्रश्न)

1. कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभावितः क्या होगा?
(a) 1 (b) 4 (c) 5 (d) 10

(d) 10. क्षारकीय विलयन लाल लिटमस को नीला करते हैं और उनका pH मान 7 से अधिक होता है। दिए गए विकल्पों में केवल 10 ही 7 से अधिक है।

2. कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है, जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है। इस विलयन में क्या होगा?
(a) NaCl (b) HCl (c) LiCl (d) KCl

(b) HCl. अंडे का कवच मुख्यतः कैल्शियम कार्बोनेट ($CaCO_3$) का बना होता है। कैल्शियम कार्बोनेट अम्ल से अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड ($CO_2$) गैस उत्पन्न करता है, जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है। $HCl$ (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) एक अम्ल है, जबकि अन्य विकल्प लवण हैं।

3. NaOH का 10 mL विलयन, HCl के 8 mL विलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन का 20 mL लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCl के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
(a) 4 mL (b) 8 mL (c) 12 mL (d) 16 mL

(d) 16 mL. उदासीनीकरण अभिक्रिया में अम्ल और क्षारक निश्चित अनुपात में क्रिया करते हैं। यदि NaOH की मात्रा दोगुनी (10 mL से 20 mL) कर दी जाती है, तो उसे उदासीन करने के लिए HCl की मात्रा भी दोगुनी (8 mL से 16 mL) करनी होगी।

4. अपच का उपचार करने के लिए निम्नलिखित में से किस औषधि का उपयोग होता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक) (b) एनालजेसिक (पीड़ाहारी) (c) एंटैसिड (d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)

(c) एंटैसिड. अपच में पेट में अम्ल की अधिकता हो जाती है। एंटैसिड क्षारकीय पदार्थ होते हैं जो अतिरिक्त अम्ल को उदासीन करते हैं।

5. निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए पहले शब्द-समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए—
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार ज़िंक के साथ अभिक्रिया करता है।
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल एल्युमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है।

(a) शब्द समीकरण: तनु सल्फ्यूरिक अम्ल + ज़िंक → ज़िंक सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
    संतुलित समीकरण: $ H_2SO_4(aq) + Zn(s) \rightarrow ZnSO_4(aq) + H_2(g) $

(b) शब्द समीकरण: तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल + मैग्नीशियम → मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
    संतुलित समीकरण: $ 2HCl(aq) + Mg(s) \rightarrow MgCl_2(aq) + H_2(g) $

(c) शब्द समीकरण: तनु सल्फ्यूरिक अम्ल + एल्युमिनियम → एल्युमिनियम सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
    संतुलित समीकरण: $ 3H_2SO_4(aq) + 2Al(s) \rightarrow Al_2(SO_4)_3(aq) + 3H_2(g) $

(d) शब्द समीकरण: तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल + लौह → आयरन (II) क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
    संतुलित समीकरण: $ 2HCl(aq) + Fe(s) \rightarrow FeCl_2(aq) + H_2(g) $

6. एल्कोहल एवं ग्लूकोस जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं, लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए।

क्रियाकलाप:
  1. एक 100 mL का बीकर लें।
  2. एक कॉर्क पर दो लोहे की कीलें लगाएँ और कॉर्क को बीकर में रखें।
  3. कीलों को 6 वोल्ट की बैटरी के दोनों टर्मिनलों से एक बल्ब और स्विच के माध्यम से जोड़ दें (जैसा कि पाठ्यपुस्तक के चित्र 2.3 में दिखाया गया है)।
  4. अब बीकर में थोड़ा तनु $HCl$ विलयन डालकर विद्युत धारा प्रवाहित करें। अवलोकन करें। (बल्ब जलता है)
  5. प्रयोग को बारी-बारी से तनु $H_2SO_4$, ग्लूकोस विलयन और एल्कोहल विलयन के साथ दोहराएँ।
अवलोकन: आप देखेंगे कि $HCl$ और $H_2SO_4$ के विलयन में बल्ब जलता है, जबकि ग्लूकोस और एल्कोहल के विलयन में बल्ब नहीं जलता है। निष्कर्ष: बल्ब का जलना यह दर्शाता है कि विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, जो आयनों की उपस्थिति के कारण संभव है। अम्लों ($HCl, H_2SO_4$) के विलयन में $H^+$ आयन होते हैं, जो विद्युत चालन करते हैं। ग्लूकोस और एल्कोहल के विलयन में $H^+$ आयन उत्पन्न नहीं होते, इसलिए वे विद्युत का चालन नहीं करते और अम्लीय गुण प्रदर्शित नहीं करते, यद्यपि उनमें हाइड्रोजन उपस्थित है।

7. आसुत जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता, जबकि वर्षा जल होता है?

आसुत जल (Distilled water) शुद्ध $H_2O$ होता है और इसमें कोई आयन उपस्थित नहीं होते हैं, इसलिए यह विद्युत का चालन नहीं करता। वर्षा का जल जब वायुमंडल से गुजरता है तो उसमें वायु में उपस्थित गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड ($CO_2$), सल्फर डाइऑक्साइड ($SO_2$) आदि घुल जाती हैं। $CO_2$ जल में घुलकर कार्बोनिक अम्ल ($H_2CO_3$) बनाती है, जो अल्प मात्रा में $H^+$ और $HCO_3^-$ आयनों में वियोजित हो जाता है। इसी प्रकार अन्य अम्लीय गैसें भी आयन उत्पन्न कर सकती हैं। इन आयनों की उपस्थिति के कारण वर्षा जल विद्युत का चालन करता है।

8. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?

अम्ल का अम्लीय व्यवहार उसमें उपस्थित हाइड्रोजन आयनों ($H^+$ या $H_3O^+$) के कारण होता है। अम्ल केवल जल की उपस्थिति में ही आयनित होकर ये आयन उत्पन्न करते हैं। जल की अनुपस्थिति में आयनीकरण नहीं होता, इसलिए अम्ल अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करते हैं।

9. पाँच विलयनों A, B, C, D, व E की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमशः 4, 1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होते हैं। कौन सा विलयन—
(a) उदासीन है? (b) प्रबल क्षारकीय है? (c) प्रबल अम्लीय है? (d) दुर्बल अम्लीय है? (e) दुर्बल क्षारकीय है?
pH के मानों को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

दिए गए pH मान: A=4, B=1, C=11, D=7, E=9.
(a) उदासीन (pH=7): D
(b) प्रबल क्षारकीय (उच्चतम pH > 7): C (pH=11)
(c) प्रबल अम्लीय (न्यूनतम pH < 7): B (pH=1)
(d) दुर्बल अम्लीय (pH < 7 लेकिन 7 के निकट): A (pH=4)
(e) दुर्बल क्षारकीय (pH > 7 लेकिन 7 के निकट): E (pH=9)

हाइड्रोजन आयन ($H^+$) की सांद्रता pH मान के व्युत्क्रमानुपाती होती है (pH कम तो $H^+$ सांद्रता अधिक)। अतः, $H^+$ सांद्रता का आरोही क्रम (कम से अधिक) pH मानों के अवरोही क्रम (अधिक से कम) के अनुसार होगा।
pH का अवरोही क्रम: C (11) > E (9) > D (7) > A (4) > B (1)
अतः, $H^+$ आयन सांद्रता का आरोही क्रम: C < E < D < A < B

10. परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए। परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा परखनली ‘B’ में एसिटिक अम्ल (CH₃COOH) डालिए। दोनों अम्लों की मात्रा तथा सांद्रता समान हैं। किस परखनली में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?

परखनली ‘A’ में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी।
कारण: हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ($HCl$) एक प्रबल अम्ल है, जबकि एसिटिक अम्ल ($CH_3COOH$) एक दुर्बल अम्ल है। समान सांद्रता होने पर भी, प्रबल अम्ल $HCl$ जल में लगभग पूर्णतः आयनित होकर अधिक संख्या में $H^+$ आयन उत्पन्न करता है, जबकि दुर्बल अम्ल $CH_3COOH$ आंशिक रूप से आयनित होकर कम संख्या में $H^+$ आयन उत्पन्न करता है। धातु की अम्ल से अभिक्रिया की दर $H^+$ आयनों की सांद्रता पर निर्भर करती है। चूँकि परखनली 'A' में $H^+$ आयनों की सांद्रता अधिक है, इसलिए मैग्नीशियम के साथ अभिक्रिया अधिक तेजी से होगी और हाइड्रोजन गैस ($H_2$) की बुदबुदाहट भी अधिक तीव्र होगी।

(पृष्ठ 40 पर सामूहिक क्रियाकलाप)

11. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए।

दही बन जाने पर दूध का pH मान 6 से कम हो जाएगा (अर्थात् यह अधिक अम्लीय हो जाएगा)।
कारण: दूध से दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) जैसे बैक्टीरिया दूध में उपस्थित लैक्टोज शर्करा का किण्वन करके लैक्टिक अम्ल बनाते हैं। अम्ल बनने के कारण विलयन की अम्लता बढ़ जाती है और pH मान घट जाता है।

12. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताजा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारकीय क्यों बना देता है?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?

(a) बेकिंग सोडा (सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट, $NaHCO_3$) एक दुर्बल क्षारकीय लवण है। इसे ताजे दूध (pH ≈ 6) में मिलाने पर यह दूध में उपस्थित लैक्टिक अम्ल (जो थोड़ी मात्रा में पहले से हो सकता है या बनने लगता है) को उदासीन कर देता है और दूध को थोड़ा क्षारकीय (pH > 7) बना देता है। ऐसा दूध को जल्दी खराब होने (खट्टा होने) से बचाने के लिए किया जाता है।

(b) दही बनने के लिए लैक्टिक अम्ल का बनना आवश्यक है, जो अम्लीय माध्यम में अधिक सुगमता से होता है। चूँकि ग्वाले ने दूध में बेकिंग सोडा मिलाकर उसे क्षारकीय बना दिया है, दही जमाने वाले बैक्टीरिया को पहले इस क्षारकीयता को उदासीन करने के लिए अम्ल बनाना पड़ता है, और फिर दही जमाने के लिए पर्याप्त अम्ल बनाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में अतिरिक्त समय लगता है, इसलिए इस दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है।

13. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र–रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए। इसकी व्याख्या कीजिए।

प्लास्टर ऑफ पेरिस (कैल्शियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट, $CaSO_4 \cdot \frac{1}{2}H_2O$) नमी (जल) के संपर्क में आने पर जल के अणुओं को अवशोषित करके पुनः कठोर ठोस जिप्सम ($CaSO_4 \cdot 2H_2O$) में बदल जाता है।
$$ CaSO_4 \cdot \frac{1}{2}H_2O(s) + 1\frac{1}{2}H_2O(l) \rightarrow CaSO_4 \cdot 2H_2O(s) $$
यह अभिक्रिया वायु की नमी से भी हो सकती है। एक बार जिप्सम में परिवर्तित होने के बाद यह कठोर हो जाता है और फिर उपयोग योग्य नहीं रहता। इसलिए, इसकी सेटिंग (जमने) को रोकने के लिए इसे नमी से बचाकर आर्द्र-रोधी (Moisture-proof) बर्तन में रखना आवश्यक है।

14. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।

उदासीनीकरण अभिक्रिया: वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें कोई अम्ल किसी क्षारक के साथ अभिक्रिया करके लवण तथा जल बनाता है, उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया में अम्ल तथा क्षारक एक-दूसरे के प्रभाव को उदासीन (समाप्त) कर देते हैं।
$$ \text{अम्ल + क्षारक} \rightarrow \text{लवण + जल} $$
उदाहरण:
1. सोडियम हाइड्रोक्साइड (क्षारक) और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (अम्ल) की अभिक्रिया:
$$ NaOH(aq) + HCl(aq) \rightarrow NaCl(aq) + H_2O(l) $$
2. पोटैशियम हाइड्रोक्साइड (क्षारक) और सल्फ्यूरिक अम्ल (अम्ल) की अभिक्रिया:
$$ 2KOH(aq) + H_2SO_4(aq) \rightarrow K_2SO_4(aq) + 2H_2O(l) $$
(या कैल्शियम हाइड्रोक्साइड और नाइट्रिक अम्ल: $Ca(OH)_2 + 2HNO_3 \rightarrow Ca(NO_3)_2 + 2H_2O$)

15. धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए।

धोने का सोडा ($Na_2CO_3 \cdot 10H_2O$):
  1. काँच, साबुन एवं कागज उद्योगों में उपयोग।
  2. जल की स्थायी कठोरता हटाने में उपयोग।
  3. (अन्य: घरों में साफ-सफाई, बोरेक्स निर्माण)।
बेकिंग सोडा ($NaHCO_3$):
  1. बेकिंग पाउडर बनाने में (केक, ब्रेड आदि फुलाने के लिए)।
  2. एंटैसिड के रूप में (पेट की अम्लता दूर करने के लिए)।
  3. (अन्य: सोडा-अम्ल अग्निशामक)।

आशा है कि ये नोट्स आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे!

Keywords Class 10 Science Bihar Board, Bihar Board Class 10 Science Notes, अम्ल क्षारक एवं लवण नोट्स, Bihar Board Chapter 2 Science Hal, Class 10 Science Chapter 2 Hal, अम्ल क्षारक प्रश्न उत्तर, Class 10 Science Revision Notes Bihar Board, Bihar Board Science Chapter 2 Hindi, Bihar Board Class 10 Book Hal, Class 10 Science Important Questions Bihar Board, Bihar Board Science MCQs Chapter 2, अम्ल क्षारक एवं लवण हल, Bihar Board Science 2025 Preparation, Class 10 Chemistry Chapter 2 Bihar Board, Science Chapter 2 Notes in Hindi, Class 10 Science Hindi Medium Chapter 2, Bihar Board Science Chapterwise Notes, Bihar Board Class 10 Study Material, Class 10 Science NCERT Solution Bihar Board

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!