कक्षा 10 विज्ञान: अध्याय 11 - विद्युत
1. विद्युत धारा और परिपथ (Electric Current and Circuit)
जब कोई विद्युत आवेश (electric charge) किसी चालक (conductor) में से प्रवाहित होता है, तो हम कहते हैं कि चालक में विद्युत धारा है। टॉर्च में सेल बल्ब को जलाने के लिए आवेश का प्रवाह प्रदान करते हैं। स्विच सेल और बल्ब के बीच एक चालक संबंध बनाता है।
विद्युत परिपथ (Electric Circuit)
विद्युत धारा के सतत (continuous) और बंद पथ (closed path) को विद्युत परिपथ कहते हैं। यदि परिपथ टूट जाए, तो धारा का प्रवाह समाप्त हो जाता है।
2. विद्युत धारा की मात्रा और दिशा
विद्युत आवेश के प्रवाह की दर (rate of flow of electric charge) को विद्युत धारा कहते हैं।
धातु के तारों में आवेशों का प्रवाह इलेक्ट्रॉन करते हैं। परंपरा के अनुसार, किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों (ऋणावेश) के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विद्युत धारा की दिशा माना जाता है (धनावेशों के प्रवाह की दिशा)।
यदि समय 't' में कुल आवेश 'Q' प्रवाहित होता है, तो विद्युत धारा 'I' होती है:
3. विद्युत आवेश और विद्युत धारा के मात्रक
- विद्युत आवेश का SI मात्रक: कूलॉम (Coulomb, C)। 1 C ≈ $6 \times 10^{18}$ इलेक्ट्रॉनों का आवेश। $1$ इलेक्ट्रॉन पर $1.6 \times 10^{-19}$ C आवेश।
- विद्युत धारा का SI मात्रक: एम्पियर (Ampere, A)। $1 \text{ A} = 1 \text{ C/1 s}$.
- छोटी धाराएँ: मिलीएम्पियर (mA, $10^{-3}$ A), माइक्रोएम्पियर (µA, $10^{-6}$ A)।
- धारा मापने का यंत्र: एमीटर (Ammeter), परिपथ में श्रेणीक्रम (series) में जोड़ा जाता है।
परिपथ में विद्युत धारा सेल के धन टर्मिनल (+) से ऋण टर्मिनल (-) की ओर प्रवाहित होती है (परंपरागत दिशा)।
4. विद्युत विभव और विभवांतर (Electric Potential and Potential Difference)
चालक तार में आवेशों का प्रवाह तभी होता है जब चालक के अनुदिश वैद्युत दाब में कोई अंतर होता है, जिसे विभवांतर (potential difference) कहते हैं। यह अंतर सेल या बैटरी द्वारा उत्पन्न होता है।
विभवांतर की परिभाषा:
किसी धारावाही विद्युत परिपथ के दो बिंदुओं के बीच विद्युत विभवांतर को उस कार्य (W) द्वारा परिभाषित करते हैं, जो एकांक आवेश (Q) को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किया जाता है।
- विभवांतर का SI मात्रक: वोल्ट (Volt, V)। $1 \text{ V} = 1 \text{ J/1 C}$.
- विभवांतर मापने का यंत्र: वोल्टमीटर (Voltmeter), उन दो बिंदुओं के पार्श्वक्रम (parallel) में जोड़ा जाता है जिनके बीच विभवांतर मापना हो।
5. विद्युत परिपथ आरेख (Electric Circuit Diagram)
विद्युत परिपथ को सुविधाजनक प्रतीकों द्वारा निरूपित किया जाता है। (सारणी 11.1 पाठ्यपुस्तक से देखें)
क्रम संख्या | अवयव का नाम | प्रतीक (उदाहरण) |
---|---|---|
1 | विद्युत सेल | लंबी रेखा (+) छोटी रेखा (-) |
2 | बैटरी (सेलों का संयोजन) | एकाधिक सेल प्रतीक |
3 | (खुली) प्लग कुंजी | ( ) या ─/ ─ |
4 | (बंद) प्लग कुंजी | (·) या ─·─ |
5 | तार संधि | • (जहाँ तार मिलते हैं) |
6 | (बिना संधि के) तार क्रॉसिंग | एक तार दूसरे के ऊपर से (∩ आकार में) |
7 | विद्युत बल्ब | 💡 या गोले में X |
8 | प्रतिरोधक | ─/\/\/\─ |
9 | परिवर्ती प्रतिरोधक/धारा नियंत्रक | ─/\/\/\─ पर तीर या आयत पर तीर |
10 | एमीटर | गोले में A, (+/-) टर्मिनल |
11 | वोल्टमीटर | गोले में V, (+/-) टर्मिनल |
6. ओम का नियम (Ohm's Law)
1827 में जॉर्ज साइमन ओम ने विभवांतर (V) और विद्युत धारा (I) में संबंध स्थापित किया।
ओम का नियम:
एक विद्युत परिपथ में धातु के तार के दो सिरों के बीच विभवांतर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है, परंतु तार का ताप समान रहना चाहिए।
यहाँ R चालक का प्रतिरोध (Resistance) है।
V-I ग्राफ मूल बिंदु से गुजरने वाली एक सरल रेखा होती है।
7. प्रतिरोध (Resistance)
- प्रतिरोध (R) चालक का गुणधर्म है जो आवेशों के प्रवाह का विरोध करता है।
- SI मात्रक: ओम (Ohm, Ω)। $1 \text{ Ω} = 1 \text{ V/1 A}$.
- ओम के नियम से, $ I = V/R $। धारा प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
- परिवर्ती प्रतिरोध (Variable resistor) / धारा नियंत्रक (Rheostat): स्रोत की वोल्टता बदले बिना परिपथ की धारा को नियंत्रित करने वाला अवयव।
8. प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
किसी चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है:
- चालक की लंबाई (l) पर: $R \propto l$
- उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) पर: $R \propto 1/A$
- उसके पदार्थ की प्रकृति पर।
- तापमान पर।
इनको मिलाकर: $ R \propto \frac{l}{A} $
यहाँ $ \rho $ (rho) पदार्थ की विद्युत प्रतिरोधकता (Electric Resistivity) है।
9. प्रतिरोधकता (Resistivity)
- प्रतिरोधकता पदार्थ का अभिलाक्षणिक गुणधर्म है।
- SI मात्रक: ओम-मीटर (Ohm-meter, Ω m)।
- चालकों की प्रतिरोधकता कम होती है (जैसे चाँदी, ताँबा)।
- मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता उनके अवयवी धातुओं से अधिक होती है (जैसे निक्रोम)।
- विद्युतरोधियों की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है (जैसे काँच, रबर)।
- प्रतिरोधकता तापमान पर भी निर्भर करती है।
तथ्य: आयरन (Fe) मरकरी (Hg) से अच्छा विद्युत चालक है क्योंकि आयरन की प्रतिरोधकता कम है। चाँदी (Silver) सर्वश्रेष्ठ चालक है।
10. प्रतिरोधकों का संयोजन
(a) श्रेणीक्रम संयोजन (Series Combination)
जब कई प्रतिरोधक एक सिरे से दूसरे सिरे मिलाकर जोड़े जाते हैं।
- परिपथ के हर भाग में विद्युत धारा समान रहती है ($I_{कुल} = I_1 = I_2 = I_3$)।
- कुल विभवांतर व्यक्तिगत प्रतिरोधकों के विभवांतरों के योग के बराबर होता है ($V_{कुल} = V_1 + V_2 + V_3$)।
- तुल्य प्रतिरोध:
तुल्य प्रतिरोध व्यक्तिगत प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है और किसी भी एकल प्रतिरोधक से बड़ा होता है।
(b) पार्श्वक्रम संयोजन (Parallel Combination)
जब कई प्रतिरोधक एक साथ दो बिंदुओं के बीच संयोजित होते हैं।
- प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर समान रहता है और बैटरी के विभवांतर के बराबर होता है ($V_{कुल} = V_1 = V_2 = V_3$)।
- कुल विद्युत धारा व्यक्तिगत प्रतिरोधकों से प्रवाहित धाराओं के योग के बराबर होती है ($I_{कुल} = I_1 + I_2 + I_3$)।
- तुल्य प्रतिरोध:
तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम व्यक्तिगत प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है। तुल्य प्रतिरोध सबसे छोटे व्यक्तिगत प्रतिरोध से भी कम होता है।
(c) श्रेणीक्रम बनाम पार्श्वक्रम संयोजन
श्रेणीक्रम की हानियाँ: एक अवयव खराब होने पर परिपथ टूट जाता है; सभी उपकरणों को समान धारा मिलती है जो भिन्न आवश्यकताओं के लिए अनुपयुक्त है।
पार्श्वक्रम के लाभ: प्रत्येक उपकरण को समान वोल्टेज मिलता है; धारा आवश्यकतानुसार विभाजित होती है; एक उपकरण खराब होने पर अन्य काम करते रहते हैं। घरेलू परिपथों में पार्श्वक्रम संयोजन का उपयोग होता है।
11. विद्युत धारा का तापीय प्रभाव (Heating Effect of Electric Current)
जब विद्युत परिपथ विशुद्ध रूप से प्रतिरोधक होता है, तो स्रोत की ऊर्जा निरंतर पूर्ण रूप से ऊष्मा के रूप में क्षयित होती है। इसे विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं।
किसी स्थायी विद्युत धारा I द्वारा समय t में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा (H) है:
ओम के नियम ($V=IR$) का उपयोग करके, जूल का तापन नियम:
12. तापीय प्रभाव के अनुप्रयोग
- विद्युत हीटर, विद्युत इस्त्री: उच्च प्रतिरोध वाली मिश्रधातु का उपयोग।
- विद्युत बल्ब: टंगस्टन का तंतु (उच्च गलनांक)। ऊर्जा का अधिकांश भाग ऊष्मा, अल्प भाग प्रकाश। अक्रिय गैस (नाइट्रोजन, आर्गन) भरी जाती है।
- विद्युत फ्यूज: परिपथ और साधित्रों की सुरक्षा के लिए। उचित गलनांक वाली धातु/मिश्रधातु का तार। श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। अधिक धारा प्रवाहित होने पर पिघलकर परिपथ तोड़ देता है।
13. विद्युत शक्ति (Electric Power)
किसी विद्युत परिपथ में उपभुक्त अथवा क्षयित विद्युत ऊर्जा की दर को विद्युत शक्ति (P) कहते हैं।
- विद्युत शक्ति का SI मात्रक: वाट (Watt, W)। $1 \text{ W} = 1 \text{ V} \times 1 \text{ A}$.
- विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक: किलोवाट घंटा (kilowatt hour, kW h)। इसे 'यूनिट' भी कहते हैं।
- $1 \text{ kW h} = 3.6 \times 10^6 \text{ J}$.
14. अध्याय में दिए गए उदाहरण (हल सहित)
उदाहरण 11.4:
विद्युत हीटर: $V_1 = 60 \text{ V}, I_1 = 4 \text{ A}$. नया विभवांतर $V_2 = 120 \text{ V}$। नई धारा $I_2 = ?$
हल: $R = V_1/I_1 = 60/4 = 15 \text{ Ω}$. (प्रतिरोध स्थिर)
$I_2 = V_2/R = 120/15 = 8 \text{ A}$.
उत्तर: 8 A.
उदाहरण 11.5 (पार्श्वक्रम संयोजन भाग):
$R_1 = 5 \text{ Ω}, R_2 = 10 \text{ Ω}, R_3 = 30 \text{ Ω}$. $V = 12 \text{ V}$. प्रत्येक से धारा, कुल धारा, कुल प्रतिरोध?
हल: $I_1 = V/R_1 = 12/5 = 2.4 \text{ A}$.
$I_2 = V/R_2 = 12/10 = 1.2 \text{ A}$.
$I_3 = V/R_3 = 12/30 = 0.4 \text{ A}$.
$I_{कुल} = I_1 + I_2 + I_3 = 2.4 + 1.2 + 0.4 = 4 \text{ A}$.
$1/R_p = 1/5 + 1/10 + 1/30 = (6+3+1)/30 = 10/30 = 1/3 \Rightarrow R_p = 3 \text{ Ω}$.
उत्तर: धाराएँ 2.4 A, 1.2 A, 0.4 A; कुल धारा 4 A; कुल प्रतिरोध 3 Ω.
15. अभ्यास प्रश्न (हल सहित)
प्रश्न 1 (पृष्ठ 199): किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
लंबाई, अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल, पदार्थ की प्रकृति, तापमान।
प्रश्न 2 (पृष्ठ 199): समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी, जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों?
मोटे तार में। क्योंकि मोटे तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल अधिक होता है, इसलिए उसका प्रतिरोध कम होता है ($R \propto 1/A$), और समान वोल्टेज पर कम प्रतिरोध से अधिक धारा प्रवाहित होती है ($I=V/R$)।
प्रश्न 3 (पृष्ठ 200): मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
विद्युत धारा भी आधी हो जाएगी ($I = V/R$, यदि V आधा और R नियत, तो I भी आधा)।
प्रश्न 4 (पृष्ठ 200): विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं?
क्योंकि मिश्रधातुओं का प्रतिरोध शुद्ध धातुओं से अधिक होता है (अधिक ऊष्मा) और उनका गलनांक उच्च होता है (उच्च ताप सहन क्षमता)। साथ ही उच्च ताप पर उनका ऑक्सीकरण भी कम होता है।
प्रश्न 5 (पृष्ठ 200): तालिका 11.2 के आधार पर— (a) आयरन (Fe) तथा मरकरी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है? (b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
(a) आयरन (Fe) (कम प्रतिरोधकता)। (b) चाँदी (Silver) (सबसे कम प्रतिरोधकता)।
प्रश्न 1 (पृष्ठ 207): किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए, जिसमें 2 V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5 Ω प्रतिरोधक, एक 8 Ω प्रतिरोधक, एक 12 Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
(आरेख में तीन सेल (+ve से -ve क्रम में), फिर तीनों प्रतिरोधक एक के बाद एक, और एक कुंजी, सभी तारों से जुड़े होंगे।)
प्रश्न 2 (पृष्ठ 207): प्रश्न 1 का परिपथ दोबारा खींचिए तथा इसमें एमीटर और वोल्टमीटर लगाइए... एमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
कुल $V = 3 \times 2V = 6V$. कुल $R_s = 5 + 8 + 12 = 25 \Omega$.
एमीटर पाठ्यांक ($I$) = $V/R_s = 6V / 25\Omega = 0.24 A$.
12 Ω पर वोल्टमीटर पाठ्यांक ($V_{12\Omega}$) = $I \times R_{12\Omega} = 0.24 A \times 12 \Omega = 2.88 V$.
प्रश्न 1 (पृष्ठ 209): जब (a) 1 Ω तथा 10⁶ Ω (b) 1 Ω, 10³ Ω तथा 10⁶ Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निर्णय करेंगे।
पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध सदैव सबसे छोटे व्यक्तिगत प्रतिरोध से भी कम होता है। दोनों स्थितियों में, तुल्य प्रतिरोध लगभग 1 Ω होगा (1 Ω से थोड़ा कम)।
प्रश्न 2 (पृष्ठ 209): 100 Ω का लैंप, 50 Ω का टोस्टर, 500 Ω का फिल्टर 220 V से पार्श्वक्रम में। समान स्रोत से उतनी ही धारा लेने वाली इस्त्री का प्रतिरोध? इस्त्री से धारा?
$1/R_p = 1/100 + 1/50 + 1/500 = (5+10+1)/500 = 16/500 \Rightarrow R_p = 500/16 = 31.25 \Omega$.
$I_{कुल} = V/R_p = 220V / 31.25\Omega = 7.04 A$.
इस्त्री का प्रतिरोध $R_{इस्त्री} = R_p = 31.25 \Omega$. इस्त्री से धारा $I_{इस्त्री} = I_{कुल} = 7.04 A$.
प्रश्न 3 (पृष्ठ 210): श्रेणीक्रम की तुलना में पार्श्वक्रम के लाभ?
समान वोल्टेज, धारा का विभाजन, एक उपकरण खराब होने पर अन्य चलते रहते हैं, कुल प्रतिरोध कम।
प्रश्न 4 (पृष्ठ 210): 2 Ω, 3 Ω, 6 Ω को कैसे जोड़ें कि (a) 4 Ω, (b) 1 Ω मिले?
(a) 4 Ω के लिए: (3 Ω || 6 Ω) श्रेणी में 2 Ω के साथ। [$(1/3+1/6)^{-1} = 2\Omega$; $2\Omega+2\Omega = 4\Omega$]
(b) 1 Ω के लिए: तीनों पार्श्वक्रम में। [$(1/2+1/3+1/6)^{-1} = 1\Omega$]
प्रश्न 5 (पृष्ठ 210): 4 Ω, 8 Ω, 12 Ω, 24 Ω को कैसे जोड़ें कि (a) अधिकतम (b) निम्नतम प्रतिरोध मिले?
(a) अधिकतम के लिए: सभी श्रेणीक्रम में ($4+8+12+24 = 48 \Omega$)।
(b) निम्नतम के लिए: सभी पार्श्वक्रम में। [$(1/4+1/8+1/12+1/24)^{-1} = (6+3+2+1)/24)^{-1} = (12/24)^{-1} = 2 \Omega$]।
प्रश्न 1 (पृष्ठ 212): हीटर की डोरी गर्म क्यों नहीं होती, जबकि तापन अवयव गर्म हो जाता है?
डोरी का प्रतिरोध कम होता है, तापन अवयव का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। $H=I^2Rt$, समान धारा के लिए उच्च R अधिक ऊष्मा उत्पन्न करता है।
प्रश्न 2 (पृष्ठ 212): एक घंटे में 50 W विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा?
(क्षमा करें, यह प्रश्न 50W नहीं, 50V होना चाहिए, जैसा मूल पाठ में है)
$V = 50V, Q = 96000 C$. ऊष्मा $H = W = VQ = 50V \times 96000C = 4,800,000 J = 4.8 \times 10^6 J$.
प्रश्न 3 (पृष्ठ 212): 20 Ω प्रतिरोध की इस्त्री 5 A धारा लेती है। 30 s में उत्पन्न ऊष्मा?
$R=20\Omega, I=5A, t=30s$. $H = I^2Rt = (5)^2 \times 20 \times 30 = 25 \times 20 \times 30 = 15000 J = 1.5 \times 10^4 J$.
प्रश्न 14 (पृष्ठ 216): 2 Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना: (i) 6V बैटरी से 1 Ω तथा 2 Ω श्रेणी में (ii) 4V बैटरी से 12 Ω तथा 2 Ω पार्श्व में।
(i) $R_s = 1+2=3\Omega$. $I = 6V/3\Omega = 2A$. $P_{2\Omega} = I^2R = (2)^2 \times 2 = 8W$.
(ii) $V_{2\Omega} = 4V$. $P_{2\Omega} = V^2/R = (4)^2 / 2 = 16/2 = 8W$.
दोनों स्थितियों में शक्ति समान (8 W) है।
प्रश्न 15 (पृष्ठ 216): दो लैंप 100W;220V और 60W;220V मेंस से पार्श्वक्रम में। मेंस से कितनी धारा?
$I_1 = P_1/V = 100/220 = 10/22 A$. $I_2 = P_2/V = 60/220 = 6/22 A$.
$I_{कुल} = I_1 + I_2 = 10/22 + 6/22 = 16/22 = 8/11 A \approx 0.727 A$.
प्रश्न 16 (पृष्ठ 216): किसमें अधिक ऊर्जा: 250W टीवी 1 घंटे तक, या 120W हीटर 10 मिनट तक?
$E_{टीवी} = 250W \times 1h = 250 Wh$. $E_{हीटर} = 120W \times (10/60)h = 120W \times (1/6)h = 20 Wh$.
250W टीवी सेट अधिक ऊर्जा उपभुक्त करता है।
प्रश्न 17 (पृष्ठ 217): 8 Ω हीटर 2 घंटे तक 15 A धारा लेता है। उत्पन्न ऊष्मा की दर?
ऊष्मा की दर = शक्ति $P = I^2R = (15A)^2 \times 8\Omega = 225 \times 8 = 1800 W$.
प्रश्न 18 (पृष्ठ 217): स्पष्ट कीजिए— (a) टंगस्टन का उपयोग क्यों? (b) मिश्रधातु क्यों? (c) श्रेणीक्रम का उपयोग क्यों नहीं? (d) प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट से कैसे बदलता है? (e) कॉपर/एल्युमीनियम क्यों?
(a) उच्च गलनांक, उच्च ताप सहन क्षमता।
(b) उच्च प्रतिरोध, उच्च गलनांक, कम ऑक्सीकरण।
(c) धारा समान, वोल्टेज विभाजित, एक खराब तो सब बंद।
(d) व्युत्क्रमानुपाती ($R \propto 1/A$)।
(e) अच्छी चालकता (कम प्रतिरोधकता), किफायती, मजबूत।
17. बोर्ड परीक्षा से पहले पुनरावृत्ति के लिए संक्षिप्त सारांश
- विद्युत धारा (I): आवेश प्रवाह की दर ($Q/t$), मात्रक एम्पियर (A).
- विभवांतर (V): एकांक आवेश को लाने में किया गया कार्य ($W/Q$), मात्रक वोल्ट (V).
- ओम का नियम: $V = IR$.
- प्रतिरोध (R): धारा प्रवाह का विरोध, मात्रक ओम ($\Omega$). $R = \rho(l/A)$.
- श्रेणीक्रम: $R_s = R_1+R_2+\dots$, धारा समान.
- पार्श्वक्रम: $1/R_p = 1/R_1+1/R_2+\dots$, वोल्टेज समान.
- तापीय प्रभाव: $H = I^2Rt$.
- विद्युत शक्ति (P): $P = VI = I^2R = V^2/R$, मात्रक वाट (W). ऊर्जा $E = P \times t$. व्यापारिक मात्रक kWh.
बच्चों, मुझे उम्मीद है कि ये नोट्स आपको अध्याय को अच्छी तरह से समझने में मदद करेंगे। अभ्यास प्रश्नों और नए प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें। शुभकामनाएँ!
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