बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान chapter 9: प्रकाश – परावर्तन एवं अपवर्तन

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कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 9: प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन - विस्तृत नोट्स | NCERT तैयारी
नमस्ते प्यारे छात्रों! यह नोट्स आपको पाठ्यपुस्तक के दिए गए अंशों के आधार पर 'प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन' अध्याय को स्वयं सीखने और समझने में मदद करेंगे। इन नोट्स को सरल हिंदी भाषा में तैयार किया गया है ताकि आप घर बैठे आसानी से इस महत्वपूर्ण अध्याय की तैयारी कर सकें और बोर्ड परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।

अध्याय 9: प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन

1. प्रकाश क्या है?

प्रकाश ऊर्जा का वह रूप है जो हमें वस्तुओं को देखने योग्य बनाता है। वस्तुएँ प्रकाश को परावर्तित करती हैं, और जब यह परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों द्वारा ग्रहण किया जाता है, तो हम वस्तुओं को देख पाते हैं। प्रकाश सरल रेखाओं में गमन करता प्रतीत होता है, जिसे प्रकाश किरण कहते हैं।

प्रकाश से संबंधित कई परिघटनाएँ हैं जैसे दर्पणों द्वारा प्रतिबिंब का बनना, तारों का टिमटिमाना, इंद्रधनुष के रंग और प्रकाश का मुड़ना (विवर्तन, अपवर्तन)।

प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of Light)

यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो, तो प्रकाश सरल रेखा में चलने के बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है – इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं। इसके लिए प्रकाश को तरंग के रूप में माना जाता है।

इस अध्याय में हम प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन का अध्ययन प्रकाश के सरलरेखीय गमन का उपयोग करके करेंगे।

2. प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)

उच्च कोटि की पॉलिश किया हुआ पृष्ठ, जैसे कि दर्पण, अपने पर पड़ने वाले अधिकांश प्रकाश को परावर्तित कर देता है।

परावर्तन के नियम:

  1. आपतन कोण ($ \angle i $), परावर्तन कोण ($ \angle r $) के बराबर होता है। ($ \angle i = \angle r $)
  2. आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण, सभी एक ही तल में होते हैं।

ये नियम सभी प्रकार के परावर्तक पृष्ठों (समतल और गोलीय) के लिए लागू होते हैं।

समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब:

  • सदैव आभासी (Virtual) तथा सीधा (Erect) होता है।
  • प्रतिबिंब का साइज़ बिंब (वस्तु) के साइज़ के बराबर होता है।
  • प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी दूरी पर दर्पण के सामने बिंब रखा होता है।
  • प्रतिबिंब पाश्र्व परावर्तित (Laterally inverted) होता है (दायाँ-बायाँ उलटा)।

3. गोलीय दर्पण (Spherical Mirrors)

ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं।

  • अवतल दर्पण (Concave Mirror): परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर (गोले के केंद्र की ओर) वक्रित होता है।
  • उत्तल दर्पण (Convex Mirror): परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है।

(चम्मच का अंदर का भाग अवतल दर्पण जैसा, बाहर का उभरा भाग उत्तल दर्पण जैसा होता है।)

गोलीय दर्पणों से संबंधित महत्वपूर्ण पद:

  • ध्रुव (Pole, P): गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ का केंद्र।
  • वक्रता केंद्र (Center of Curvature, C): उस गोले का केंद्र जिसका भाग दर्पण का परावर्तक पृष्ठ है।
  • वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature, R): उस गोले की त्रिज्या जिसका भाग दर्पण का परावर्तक पृष्ठ है। $R = PC$.
  • मुख्य अक्ष (Principal Axis): ध्रुव (P) तथा वक्रता केंद्र (C) से गुजरने वाली सीधी रेखा।
  • मुख्य फोकस (Principal Focus, F):
    • अवतल दर्पण: मुख्य अक्ष के समानांतर आने वाली किरणें परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु पर मिलती हैं। (वास्तविक फोकस)
    • उत्तल दर्पण: मुख्य अक्ष के समानांतर आने वाली किरणें परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु से आती हुई (अपसरित होती हुई) प्रतीत होती हैं। (आभासी फोकस)
  • फोकस दूरी (Focal length, f): ध्रुव (P) तथा मुख्य फोकस (F) के बीच की दूरी।
  • संबंध: छोटे द्वारक के गोलीय दर्पणों के लिए, $ R = 2f $ या $ f = R/2 $.

4. गोलीय दर्पणों द्वारा प्रतिबिंब बनना

अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनना:

बिंब की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब का साइज़प्रतिबिंब की प्रकृति
अनंत परफोकस F परअत्यधिक छोटा, बिंदु साइज़वास्तविक तथा उल्टा
C से परेF तथा C के बीचछोटावास्तविक तथा उल्टा
C परC परसमान साइज़वास्तविक तथा उल्टा
F तथा C के बीचC से परेआवर्धित (बड़ा)वास्तविक तथा उल्टा
F परअनंत परअत्यधिक आवर्धितवास्तविक तथा उल्टा
P तथा F के बीचदर्पण के पीछेआवर्धित (बड़ा)आभासी तथा सीधा

किरण आरेखों के लिए नियम (गोलीय दर्पण):

  1. मुख्य अक्ष के समानांतर किरण परावर्तन के बाद फोकस F से गुजरेगी (अवतल) या F से आती प्रतीत होगी (उत्तल)।
  2. फोकस F से गुजरने वाली किरण (अवतल) या F की ओर निर्देशित किरण (उत्तल) परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समानांतर हो जाएगी।
  3. वक्रता केंद्र C से गुजरने वाली किरण (अवतल) या C की ओर निर्देशित किरण (उत्तल) परावर्तन के बाद उसी पथ पर वापस लौट जाएगी।
  4. ध्रुव P पर तिर्यक आपतित किरण तिर्यक दिशा में ही परावर्तित होती है, मुख्य अक्ष से समान कोण बनाते हुए ($ \angle i = \angle r $)।

उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनना:

बिंब की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब का साइज़प्रतिबिंब की प्रकृति
अनंत परफोकस F पर (दर्पण के पीछे)अत्यधिक छोटा, बिंदु साइज़आभासी तथा सीधा
अनंत तथा ध्रुव P के बीचP तथा F के बीच (दर्पण के पीछे)छोटाआभासी तथा सीधा

उत्तल दर्पण सदैव छोटा, आभासी तथा सीधा प्रतिबिंब बनाता है और इसका दृष्टि-क्षेत्र अधिक होता है।

5. गोलीय दर्पणों के उपयोग

  • अवतल दर्पण: टॉर्च, सर्चलाइट, वाहनों की हेडलाइट में (शक्तिशाली समांतर किरण पुंज के लिए); शेविंग दर्पण (बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए); दंत चिकित्सक; सौर भट्टियाँ (सूर्य प्रकाश केंद्रित करने के लिए)।
  • उत्तल दर्पण: वाहनों के पश्च-दृश्य (rear-view/wing) दर्पणों के रूप में (सीधा, छोटा प्रतिबिंब, अधिक दृष्टि-क्षेत्र)।

6. गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए चिह्न परिपाटी (नई कार्तीय)

  • ध्रुव (P) को मूल बिंदु मानें। मुख्य अक्ष x-अक्ष है।
  • बिंब सदैव दर्पण के बाईं ओर रखा जाता है (प्रकाश बाईं ओर से आपतित)।
  • सभी दूरियाँ ध्रुव (P) से मापी जाती हैं।
  • मूल बिंदु से दाईं ओर (+x अक्ष) दूरियाँ धनात्मक (+); बाईं ओर (-x अक्ष) दूरियाँ ऋणात्मक (-)।
  • मुख्य अक्ष के लंबवत ऊपर की ओर (+y अक्ष) ऊँचाइयाँ धनात्मक (+); नीचे की ओर (-y अक्ष) ऊँचाइयाँ ऋणात्मक (-)।

परिपाटी के अनुसार:

  • बिंब दूरी (u) हमेशा ऋणात्मक होती है।
  • अवतल दर्पण की फोकस दूरी (f) ऋणात्मक होती है।
  • उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (f) धनात्मक होती है।

7. दर्पण सूत्र तथा आवर्धन

बिंब दूरी (u): ध्रुव से बिंब की दूरी।

प्रतिबिंब दूरी (v): ध्रुव से प्रतिबिंब की दूरी।

फोकस दूरी (f): ध्रुव से मुख्य फोकस की दूरी।

दर्पण सूत्र (Mirror Formula):

$$ \frac{1}{v} + \frac{1}{u} = \frac{1}{f} $$

आवर्धन (Magnification, m):

यह बताता है कि प्रतिबिंब बिंब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है।

$$ m = \frac{\text{प्रतिबिंब की ऊँचाई } (h')}{\text{बिंब की ऊँचाई } (h)} = \frac{h'}{h} $$

आवर्धन बिंब दूरी (u) तथा प्रतिबिंब दूरी (v) से भी संबंधित है:

$$ m = -\frac{v}{u} $$
  • यदि m ऋणात्मक है, तो प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा है।
  • यदि m धनात्मक है, तो प्रतिबिंब आभासी और सीधा है।
  • यदि |m| > 1, तो प्रतिबिंब आवर्धित है।
  • यदि |m| < 1, तो प्रतिबिंब छोटा है।
  • यदि |m| = 1, तो प्रतिबिंब समान साइज़ का है।

उदाहरण 9.1 (हल किया हुआ):

किसी अवतल दर्पण के सामने 25.0 cm दूरी पर कोई 4.0 cm साइज़ का बिंब रखा है। दर्पण की फोकस दूरी 15.0 cm है। पर्दे को कितनी दूरी पर रखें कि स्पष्ट प्रतिबिंब मिले? प्रतिबिंब की प्रकृति तथा साइज़ ज्ञात कीजिए।

हल:

$h = +4.0 \text{ cm}$, $u = -25.0 \text{ cm}$, $f = -15.0 \text{ cm}$

दर्पण सूत्र से: $ \frac{1}{v} = \frac{1}{f} - \frac{1}{u} = \frac{1}{-15} - \frac{1}{-25} = \frac{-1}{15} + \frac{1}{25} = \frac{-5+3}{75} = \frac{-2}{75} $

$ v = -\frac{75}{2} = -37.5 \text{ cm} $ (पर्दा 37.5 cm पर, दर्पण के सामने)

आवर्धन: $ m = -\frac{v}{u} = -\frac{-37.5}{-25} = -1.5 $

$ m = \frac{h'}{h} \Rightarrow h' = m \times h = -1.5 \times 4.0 = -6.0 \text{ cm} $

निष्कर्ष: प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा 6.0 cm साइज़ का (आवर्धित) है।

8. प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)

जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में तिरछा होकर जाता है, तो दूसरे माध्यम में इसके संचरण की दिशा परिवर्तित हो जाती है। प्रकाश की दिशा में इस परिवर्तन की घटना को अपवर्तन कहते हैं।

अपवर्तन के कारण ही पानी में डूबी पेंसिल मुड़ी हुई या पानी की तली उठी हुई प्रतीत होती है।

काँच के आयताकार स्लैब से अपवर्तन:

  • जब प्रकाश विरल माध्यम (वायु) से सघन माध्यम (काँच) में प्रवेश करता है, तो वह अभिलंब की ओर झुक जाता है
  • जब प्रकाश सघन माध्यम (काँच) से विरल माध्यम (वायु) में प्रवेश करता है, तो वह अभिलंब से दूर हट जाता है
  • निर्गत किरण आपतित किरण की दिशा के समानांतर होती है, लेकिन थोड़ी पाश्विक रूप से विस्थापित हो जाती है।

अपवर्तन प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है।

अपवर्तन के नियम:

  1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिंदु पर अभिलंब, सभी एक ही तल में होते हैं।
  2. प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sine i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sine r) का अनुपात स्थिर होता है। इस नियम को स्नेल का अपवर्तन का नियम (Snell's Law) भी कहते हैं।
    $$ \frac{\sin i}{\sin r} = \text{स्थिरांक} = n_{21} $$
    यह स्थिरांक $n_{21}$ दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक (Refractive index) कहलाता है।

निरपेक्ष अपवर्तनांक (Absolute Refractive Index, $n_m$): यदि माध्यम 1 निर्वात या वायु है, तो माध्यम 2 का अपवर्तनांक $n_m = c/v$ होता है, जहाँ c निर्वात में प्रकाश की चाल है और v उस माध्यम में प्रकाश की चाल है।

प्रकाशीय घनत्व: अधिक अपवर्तनांक वाला माध्यम प्रकाशीय सघन होता है, कम अपवर्तनांक वाला माध्यम प्रकाशीय विरल होता है। विरल माध्यम में प्रकाश की चाल सघन माध्यम से अधिक होती है।

9. गोलीय लेंसों द्वारा अपवर्तन

दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम, जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हैं, लेंस कहलाता है।

  • उत्तल लेंस (Convex Lens / Converging Lens): किनारों की अपेक्षा बीच से मोटा होता है। प्रकाश किरणों को अभिसारित करता है।
  • अवतल लेंस (Concave Lens / Diverging Lens): बीच की अपेक्षा किनारों से मोटा होता है। प्रकाश किरणों को अपसरित करता है।

गोलीय लेंसों से संबंधित महत्वपूर्ण पद:

  • वक्रता केंद्र (C1, C2): लेंस के गोलीय पृष्ठ जिन गोलों के भाग हैं, उनके केंद्र।
  • मुख्य अक्ष: दोनों वक्रता केंद्रों से गुजरने वाली काल्पनिक सीधी रेखा।
  • प्रकाशीय केंद्र (Optical Centre, O): लेंस का केंद्रीय बिंदु, जिससे गुजरने वाली किरण बिना विचलन के निकलती है।
  • मुख्य फोकस (F1, F2):
    • उत्तल लेंस: मुख्य अक्ष के समानांतर किरणें अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु पर मिलती हैं (F2)।
    • अवतल लेंस: मुख्य अक्ष के समानांतर किरणें अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं (F1)।
  • फोकस दूरी (f): प्रकाशीय केंद्र (O) तथा मुख्य फोकस (F) के बीच की दूरी।

10. लेंसों द्वारा प्रतिबिंब बनना

उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिंब बनना:

बिंब की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब का साइज़प्रतिबिंब की प्रकृति
अनंत परफोकस F2 परअत्यधिक छोटा, बिंदु साइज़वास्तविक तथा उल्टा
2F1 से परेF2 तथा 2F2 के बीचछोटावास्तविक तथा उल्टा
2F1 पर2F2 परसमान साइज़वास्तविक तथा उल्टा
F1 तथा 2F1 के बीच2F2 से परेआवर्धितवास्तविक तथा उल्टा
फोकस F1 परअनंत परअत्यधिक आवर्धितवास्तविक तथा उल्टा
F1 तथा O के बीचबिंब की ओर (उसी ओर)आवर्धितआभासी तथा सीधा

किरण आरेखों के लिए नियम (गोलीय लेंस):

  1. मुख्य अक्ष के समानांतर किरण अपवर्तन के बाद फोकस F2 से गुजरेगी (उत्तल) या F1 से आती प्रतीत होगी (अवतल)।
  2. फोकस F1 से गुजरने वाली किरण (उत्तल) या F2 की ओर निर्देशित किरण (अवतल) अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समानांतर हो जाएगी।
  3. प्रकाशीय केंद्र O से गुजरने वाली किरण बिना विचलन के सीधी निकल जाएगी।

अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिंब बनना:

बिंब की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब का साइज़प्रतिबिंब की प्रकृति
अनंत परफोकस F1 परअत्यधिक छोटा, बिंदु साइज़आभासी तथा सीधा
अनंत तथा O के बीचF1 तथा O के बीचछोटाआभासी तथा सीधा

अवतल लेंस सदैव छोटा, आभासी तथा सीधा प्रतिबिंब बनाता है।

11. गोलीय लेंसों के लिए चिह्न परिपाटी

दर्पणों जैसी ही, सभी दूरियाँ प्रकाशीय केंद्र (O) से मापी जाती हैं।

  • उत्तल लेंस की फोकस दूरी (f) धनात्मक (+) होती है।
  • अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) ऋणात्मक (-) होती है।
  • बिंब दूरी (u) हमेशा ऋणात्मक होती है (यदि बिंब बाईं ओर है)।

12. लेंस सूत्र तथा आवर्धन

लेंस सूत्र (Lens Formula):

$$ \frac{1}{v} - \frac{1}{u} = \frac{1}{f} $$

आवर्धन (Magnification, m):

$$ m = \frac{\text{प्रतिबिंब की ऊँचाई } (h')}{\text{बिंब की ऊँचाई } (h)} = \frac{h'}{h} $$

आवर्धन बिंब दूरी (u) तथा प्रतिबिंब दूरी (v) से भी संबंधित है:

$$ m = \frac{v}{u} $$
  • यदि m ऋणात्मक है, तो प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा है।
  • यदि m धनात्मक है, तो प्रतिबिंब आभासी और सीधा है।

13. लेंस की क्षमता (Power of a Lens)

किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है।

$$ P = \frac{1}{f (\text{मीटर में})} $$

लेंस की क्षमता का SI मात्रक डाइऑप्टर (Dioptre, D) है। 1 D = 1 m⁻¹.

  • उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक (+) होती है।
  • अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक (-) होती है।

लेंसों के संयोजन की क्षमता: $ P = P_1 + P_2 + P_3 + \dots $

14. अभ्यास प्रश्न (हल सहित)

1. निम्नलिखित में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता? (a) जल (b) काँच (c) प्लास्टिक (d) मिट्टी

उत्तर: (d) मिट्टी (क्योंकि यह अपारदर्शी है)।

2. किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए? (a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच (b) वक्रता केंद्र पर (c) वक्रता केंद्र से परे (d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच

उत्तर: (d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।

3. किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज़ का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें? (a) लेंस के मुख्य फोकस पर (b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर (c) अनंत पर (d) लेंस के प्रकाशीय केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच

उत्तर: (b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर (अर्थात् 2F पर)।

4. किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ –15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवतः हैं— (a) दोनों अवतल (b) दोनों उत्तल (c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल (d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल

उत्तर: (a) दोनों अवतल (अवतल दर्पण और अवतल लेंस दोनों की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है)।

5. किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है। संभवतः दर्पण है— (a) केवल समतल (b) केवल अवतल (c) केवल उत्तल (d) या तो समतल अथवा उत्तल

उत्तर: (d) या तो समतल अथवा उत्तल।

6. किसी शब्दकोष (dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्नलिखित में से कौन-सा लेंस पसंद करेंगे? (a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस (b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस (c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस (d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस

उत्तर: (c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस (कम फोकस दूरी का उत्तल लेंस अधिक आवर्धन देता है)।

7. 15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिंब का सीधा प्रतिबिंब बनाना चाहते हैं। बिंब का दर्पण से दूरी का परिसर (range) क्या होना चाहिए? प्रतिबिंब की प्रकृति कैसी है? प्रतिबिंब बिंब से बड़ा है अथवा छोटा? इस स्थिति में प्रतिबिंब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।

दूरी का परिसर: 0 cm से 15 cm के बीच (ध्रुव P और फोकस F के बीच)।

प्रतिबिंब की प्रकृति: आभासी तथा सीधा।

प्रतिबिंब का साइज़: बिंब से बड़ा (आवर्धित)।

(किरण आरेख में बिंब P और F के बीच होगा, प्रतिबिंब दर्पण के पीछे, आभासी, सीधा और बड़ा बनेगा।)

8. निम्नलिखित स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए— (a) किसी कार का अग्र-दीप (हेड-लाइट) (b) किसी वाहन का पाश्र्व/पश्च-दृश्य दर्पण (c) सौर भट्टी। अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।

(a) अग्र-दीप: अवतल दर्पण (फोकस पर रखे बल्ब से शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए)।

(b) पश्च-दृश्य दर्पण: उत्तल दर्पण (हमेशा सीधा, छोटा प्रतिबिंब और अधिक दृष्टि-क्षेत्र)।

(c) सौर भट्टी: अवतल दर्पण (सूर्य की किरणों को फोकस पर केंद्रित कर ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए)।

9. किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।

हाँ, लेंस बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा। हालांकि, प्रतिबिंब की चमक (Intensity) कम हो जाएगी, क्योंकि कम प्रकाश किरणें अपवर्तन में भाग लेंगी। लेंस का प्रत्येक खुला भाग पूर्ण प्रतिबिंब बनाने में सक्षम होता है।

10. 5 cm लंबा कोई बिंब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण-आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।

$h = +5 \text{ cm}, f = +10 \text{ cm}, u = -25 \text{ cm}$

लेंस सूत्र से: $ \frac{1}{v} = \frac{1}{f} + \frac{1}{u} = \frac{1}{10} + \frac{1}{-25} = \frac{5-2}{50} = \frac{3}{50} $

$ v = \frac{50}{3} \approx +16.67 \text{ cm} $ (लेंस के दूसरी ओर)

$ m = \frac{v}{u} = \frac{16.67}{-25} \approx -0.667 $

$ h' = m \times h = -0.667 \times 5 \approx -3.33 \text{ cm} $

निष्कर्ष: प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा, 3.33 cm साइज़ का (छोटा) और लेंस से 16.67 cm दूर दूसरी ओर बनेगा। (किरण आरेख: बिंब 2F1 से परे, प्रतिबिंब F2 और 2F2 के बीच)।

11. 15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिंब का प्रतिबिंब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिंब लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है? किरण आरेख खींचिए।

$f = -15 \text{ cm}, v = -10 \text{ cm}$ (अवतल लेंस आभासी प्रतिबिंब बनाता है, जो उसी ओर होता है जिधर बिंब)

लेंस सूत्र से: $ \frac{1}{u} = \frac{1}{v} - \frac{1}{f} = \frac{1}{-10} - \frac{1}{-15} = \frac{-1}{10} + \frac{1}{15} = \frac{-3+2}{30} = \frac{-1}{30} $

$ u = -30 \text{ cm} $ (बिंब लेंस से 30 cm दूर स्थित है)।

(किरण आरेख: बिंब अनंत और O के बीच, प्रतिबिंब F1 और O के बीच, आभासी, सीधा, छोटा)।

12. 15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से कोई बिंब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।

$f = +15 \text{ cm}, u = -10 \text{ cm}$

दर्पण सूत्र से: $ \frac{1}{v} = \frac{1}{f} - \frac{1}{u} = \frac{1}{15} - \frac{1}{-10} = \frac{1}{15} + \frac{1}{10} = \frac{2+3}{30} = \frac{5}{30} = \frac{1}{6} $

$ v = +6 \text{ cm} $ (दर्पण के पीछे)

निष्कर्ष: प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा, दर्पण से 6 cm दूर पीछे की ओर बनेगा।

13. एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन +1 है। इसका क्या अर्थ है?

आवर्धन +1 का अर्थ है:

  • मान '1' का अर्थ है कि प्रतिबिंब का साइज़ बिंब के साइज़ के बराबर है ($|m|=1 \Rightarrow |h'|=|h|$)।
  • चिह्न '+' (धनात्मक) का अर्थ है कि प्रतिबिंब सीधा है। (सीधा प्रतिबिंब आभासी होता है)।

14. 5.0 cm लंबाई का कोई बिंब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति तथा साइज़ ज्ञात कीजिए।

$h = +5.0 \text{ cm}, R = +30 \text{ cm} \Rightarrow f = R/2 = +15 \text{ cm}, u = -20 \text{ cm}$

दर्पण सूत्र से: $ \frac{1}{v} = \frac{1}{15} - \frac{1}{-20} = \frac{1}{15} + \frac{1}{20} = \frac{4+3}{60} = \frac{7}{60} $

$ v = \frac{60}{7} \approx +8.57 \text{ cm} $ (दर्पण के पीछे)

$ m = -\frac{v}{u} = -\frac{8.57}{-20} \approx +0.428 $

$ h' = m \times h = 0.428 \times 5.0 \approx +2.14 \text{ cm} $

निष्कर्ष: प्रतिबिंब आभासी, सीधा, 2.14 cm साइज़ का (छोटा), दर्पण से 8.57 cm दूर पीछे की ओर बनेगा।

15. 7.0 cm साइज़ का कोई बिंब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी पर्दे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके। प्रतिबिंब का साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।

$h = +7.0 \text{ cm}, f = -18 \text{ cm}, u = -27 \text{ cm}$

दर्पण सूत्र से: $ \frac{1}{v} = \frac{1}{-18} - \frac{1}{-27} = \frac{-1}{18} + \frac{1}{27} = \frac{-3+2}{54} = \frac{-1}{54} $

$ v = -54 \text{ cm} $ (पर्दा दर्पण से 54 cm दूर सामने रखा जाए)

$ m = -\frac{v}{u} = -\frac{-54}{-27} = -2 $

$ h' = m \times h = -2 \times 7.0 = -14.0 \text{ cm} $

निष्कर्ष: प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा, 14.0 cm साइज़ का (आवर्धित) है।

16. उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए, जिसकी क्षमता –2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है?

$P = -2.0 \text{ D}$. $f = 1/P = 1/(-2.0) = -0.5 \text{ m} = -50 \text{ cm}$.

चूंकि फोकस दूरी ऋणात्मक है, यह अवतल लेंस है।

17. कोई डॉक्टर +1.5 D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धारित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी?

$P = +1.5 \text{ D}$. $f = 1/P = 1/(1.5) = 10/15 = 2/3 \approx +0.667 \text{ m} = +66.7 \text{ cm}$.

चूंकि फोकस दूरी धनात्मक है, यह उत्तल लेंस है। उत्तल लेंस अभिसारी होता है।

15. नए अभ्यास प्रश्न

  1. एक उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 30 cm है। इसकी फोकस दूरी की गणना कीजिए।
  2. एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 20 cm है। यदि एक बिंब को दर्पण से 30 cm की दूरी पर रखा जाए, तो बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति और आवर्धन ज्ञात कीजिए।
  3. उस दर्पण का नाम बताइए जो वाहनों में साइड मिरर के रूप में उपयोग किया जाता है और क्यों?
  4. एक लेंस की क्षमता -2.5 D है। यह किस प्रकार का लेंस है और इसकी फोकस दूरी (cm में) क्या है?
  5. एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 25 cm है। यदि एक बिंब को लेंस से 15 cm की दूरी पर रखा जाए, तो प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति और आवर्धन ज्ञात कीजिए। किरण आरेख भी बनाइए।
  6. प्रकाश के अपवर्तन का स्नेल का नियम क्या है? इसका गणितीय रूप लिखिए।
  7. काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?

16. बोर्ड परीक्षा से पहले पुनरावृति के लिए संक्षिप्त सारांश

  • प्रकाश सरल रेखाओं में गमन करता है; परावर्तन और अपवर्तन जैसी परिघटनाएँ दर्शाता है।
  • परावर्तन के नियम: $\angle i = \angle r$; आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलंब एक ही तल में।
  • गोलीय दर्पण: अवतल (अभिसारी), उत्तल (अपसारी)। ध्रुव, वक्रता केंद्र, मुख्य अक्ष, फोकस, फोकस दूरी ($f=R/2$)।
  • दर्पण सूत्र: $1/v + 1/u = 1/f$. आवर्धन: $m = h'/h = -v/u$.
  • अपवर्तन: एक माध्यम से दूसरे में जाने पर प्रकाश का मुड़ना (चाल में परिवर्तन के कारण)।
  • अपवर्तन के नियम (स्नेल का नियम): $\sin i / \sin r = n_{21}$ (स्थिरांक)।
  • गोलीय लेंस: उत्तल (अभिसारी), अवतल (अपसारी)। प्रकाशीय केंद्र, फोकस, फोकस दूरी।
  • लेंस सूत्र: $1/v - 1/u = 1/f$. आवर्धन: $m = h'/h = v/u$.
  • लेंस की क्षमता: $P = 1/f$ (f मीटर में)। मात्रक: डाइऑप्टर (D).
  • चिह्न परिपाटी का सही उपयोग आंकिक प्रश्नों के लिए महत्वपूर्ण है।

प्यारे छात्रों, आशा है कि ये नोट्स आपको इस अध्याय को गहराई से समझने में मदद करेंगे। निरंतर अभ्यास से आप इस अध्याय में दक्षता प्राप्त कर लेंगे। शुभकामनाएँ!

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