कक्षा 11 इतिहास अध्याय 1: प्रारम्भिक समाज (बिहार बोर्ड) सम्पूर्ण नोट्स

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कक्षा 11 इतिहास अध्याय 1: प्रारम्भिक समाज - लेखन कला और शहरी जीवन | बिहार बोर्ड नोट्स

कक्षा 11 इतिहास: अध्याय 1 - प्रारम्भिक समाज: लेखन कला और शहरी जीवन

नमस्ते छात्रों!

यह नोट्स आपके बिहार बोर्ड कक्षा 11 के इतिहास के अध्याय "प्रारम्भिक समाज: लेखन कला और शहरी जीवन" पर आधारित हैं। इन्हें खास तौर पर इस तरह तैयार किया गया है कि आप इन्हें स्वयं पढ़कर पूरे अध्याय को आसानी से समझ सकें, मुख्य बातों को याद रख सकें और अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी मज़बूती से कर सकें।

अध्याय का परिचय

इस अध्याय में हम लाखों साल पहले के प्रारम्भिक समाजों के बारे में जानेंगे। यह जानेंगे कि कैसे इंसान की शुरुआत हुई, अफ्रीका में वे कैसे रहते थे, और पुरातत्वविज्ञानी हड्डियों और पत्थरों के औजारों जैसी चीज़ों का अध्ययन करके हमें उनके बारे में कैसे बताते हैं। हम यह भी समझेंगे कि आग और भाषा का इस्तेमाल कब और कैसे शुरू हुआ, और कैसे खानाबदोश जीवन छोड़कर इंसान ने खेती और शहरों में रहना शुरू किया। यह नोट्स आपको इस लम्बी और fascinating (रोचक) यात्रा पर ले जाएंगे!

1. महत्वपूर्ण विषयों की सरल एवं स्पष्ट व्याख्या

प्रारम्भिक समाज और उनका अध्ययन

लाखों साल पहले के इंसानों के जीवन को प्रारम्भिक समाज कहा गया है। पुरातत्वविज्ञानी (Archaeologists) हमें इन समाजों के बारे में जानने में मदद करते हैं। वे ज़मीन के अंदर दबी हुई पुरानी चीज़ों जैसे - हड्डियों, पत्थरों के औजारों, इमारतों, मूर्तियों, आभूषणों, कब्रों और लिखित दस्तावेजों की खुदाई (excavation) करके उनका अध्ययन करते हैं। इन चीज़ों से हमें पता चलता है कि वे कैसे रहते थे, क्या खाते थे, कैसे सोचते थे और क्या काम करते थे।

खानाबदोश जीवन से खेती की ओर

लाखों सालों तक इंसान जंगलों, गुफाओं में रहता था और जानवरों का शिकार करके या पौधों से कंद-मूल और बीज इकट्ठा करके अपना पेट भरता था। इसे खानाबदोश जीवन कहते हैं क्योंकि वे भोजन की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते थे। लगभग 10 हज़ार साल पहले, धीरे-धीरे उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया। उन्होंने अलग-अलग पौधों के बारे में जानना सीखा कि वे कहाँ उगते हैं और किस मौसम में फलते हैं, और फिर उन्हें उगाना शुरू कर दिया। पश्चिमी एशिया में गेहूँ, जौ, मटर और दालें उगाई जाती थीं। पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में ज्वार-बाजरा और धान उगाया जाता था।

पशुपालन और तकनीकी विकास

खेती के साथ-साथ इंसानों ने भेड़, बकरी, ढोर (cattle), सूअर और गधा जैसे जानवरों को पालतू बनाना भी सीखा। लगभग 5 हज़ार साल पहले, ढोरों और गधों को हल और गाड़ियों में जोता जाने लगा, जिससे खेती और सामान ढोने में आसानी हुई। इस दौरान आग का आविष्कार, धातुओं का इस्तेमाल, हल से खेती और पहिये का उपयोग जैसे महत्वपूर्ण तकनीकी विकास हुए।

शहरों का उदय और लेखन कला

खेती और पशुपालन से जीवन थोड़ा स्थिर हुआ। जब खेती से अनाज ज़्यादा पैदा होने लगा, तो कुछ लोग खेती के बजाय दूसरे काम करने लगे। धीरे-धीरे गाँव बड़े होने लगे और फिर शहरों का विकास हुआ। शहरों में जीवन complicated (जटिल) होने लगा। लेन-देन बढ़ने लगे, और उनका हिसाब-किताब रखना ज़रूरी हो गया। यहीं से लेखन कला की शुरुआत हुई

मेसोपोटामिया

यह वह क्षेत्र है जहाँ सबसे पहले शहरों का विकास हुआ और लेखन कला शुरू हुई। यह आज के इराक गणराज्य का हिस्सा है, जो फरात (Euphrates) और दजला (Tigris) नदियों के बीच की उपजाऊ ज़मीन पर स्थित है। मेसोपोटामिया सभ्यता अपनी समृद्धि, शहरी जीवन, साहित्य, गणित और खगोल विद्या के लिए प्रसिद्ध थी।

मेसोपोटामिया का भूगोल और जीवन

इराक एक भौगोलिक रूप से विविध देश है। इसके उत्तर-पूर्व में हरे-भरे मैदान और पहाड़ हैं जहाँ अच्छी बारिश होती है और खेती 7000-6000 ईसा पूर्व में शुरू हो गई थी। उत्तर में ऊँची ज़मीन है जहाँ पशुपालन ज़्यादा होता था। दक्षिण में रेगिस्तान है, लेकिन फरात और दजला नदियाँ अपने साथ उपजाऊ मिट्टी लाती थीं, जिससे यहाँ खेती बहुत अच्छी होती थी, भले ही बारिश कम हो। इन नदियों और नहरों से सिंचाई होती थी और सामान ढोने के लिए ये अच्छे जलमार्ग थे।

मेसोपोटामिया में पुरातत्व

1840 के दशक में यहाँ खुदाई शुरू हुई और कई जगहों पर दशकों तक चलती रही। इससे हमें हज़ारों की संख्या में लिखित दस्तावेज मिले, जिन्हें मिट्टी की पट्टिकाओं (clay tablets) पर लिखा गया था। इन पट्टिकाओं के कारण ही हम मेसोपोटामिया के बारे में इतना कुछ जानते हैं।

मेसोपोटामिया और बाइबल

यूरोपीय लोगों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि बाइबल के पहले भाग (Old Testament) में इसका ज़िक्र है। वे इसे अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे और शुरू में पुरातत्व खोजों का उद्देश्य बाइबल की कहानियों को सच साबित करना था। बाद में, पुरातत्व तकनीकों में सुधार हुआ और अध्ययन का ध्यान आम लोगों के जीवन पर केंद्रित हो गया।

लेखन कला का विकास

सभी समाजों की अपनी भाषा होती है, जिसे मौखिक रूप से व्यक्त किया जाता है। लिखना इसी मौखिक अभिव्यक्ति को दृश्य संकेतों या चिह्नों के रूप में प्रस्तुत करना है। मेसोपोटामिया में पहली मिट्टी की पट्टिकाएँ लगभग 3200 ईसा पूर्व की हैं, जिन पर चित्र जैसे चिह्न और संख्याएँ बनी हैं। इनमें जानवरों, अनाज और नावों की सूची मिली है, जो शायद मंदिरों में आने-जाने वाली चीज़ों का हिसाब रखती थीं। लेखन का काम तब शुरू हुआ जब समाज को लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की ज़रूरत पड़ी।

कीलाकार लिपि (Cuneiform)

मेसोपोटामिया में इस्तेमाल होने वाली लिपि को कीलाकार लिपि कहते थे। यह लैटिन शब्द 'cuneus' (खूँटी) और 'forma' (आकार) से बना है, क्योंकि इसमें खूँटी जैसे चिह्न होते थे। यह लिपि syllable (अक्षर) पर आधारित थी, यानी एक चिह्न एक व्यंजन या स्वर के बजाय पूरा अक्षर दर्शाता था। लिखने वाले को सैकड़ों चिह्न सीखने पड़ते थे।

मिट्टी की पट्टिकाएँ बनाना और इस्तेमाल करना

लिखने वाले चिकनी मिट्टी को गीला करके गूँथते और थपथपाकर एक ऐसी पट्टी बनाते थे जिसे हाथ में पकड़ सकें। फिर सरकंडे की तीली की नोक से गीली सतह पर कीलाकार चिह्न बनाते थे। धूप में सूखने पर ये पट्टिकाएँ पक्की हो जाती थीं। जब कोई हिसाब पुराना या गैर-ज़रूरी हो जाता था तो पट्टिका फेंक दी जाती थी। हर छोटे-से-छोटे लेन-देन के लिए अलग पट्टिका की ज़रूरत होती थी।

शहरों में माल की आवाजाही (Trade)

मेसोपोटामिया खाद्य संसाधनों में समृद्ध था, लेकिन खनिज संसाधनों की कमी थी। पत्थरों, धातुओं, लकड़ी आदि को तुर्की, ईरान या खाड़ी पार के देशों से मँगाना पड़ता था। बदले में वे कपड़ा और कृषि उत्पाद निर्यात करते थे। इस व्यापार को व्यवस्थित करने के लिए सामाजिक संगठन की ज़रूरत थी। नदियों और नहरों से सामान ढोना सबसे सस्ता और आसान था। मारी जैसे शहर फरात नदी के किनारे महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गए थे।

शहरी जीवन, व्यापार और लेखन का संबंध

उर के शासक एनमेर्कर की कहानी बताती है कि कैसे व्यापार और लेखन कला शहरों के विकास से जुड़ी हुई थी। एनमेर्कर अपने मंदिर के लिए कीमती सामान मँगवाना चाहता था और उसने इसके लिए दूत भेजा। जब दूत का संदेश लंबा हो गया तो एनमेर्कर ने लिखकर संदेश भेजना शुरू किया।

शहरों में संघर्ष

गाँवों में ज़मीन और पानी के लिए अक्सर झगड़े होते थे। जो मुखिया लड़ाई जीतते थे, वे लूट का सामान बाँटते थे और हारे हुए लोगों को गुलाम बना लेते थे।

मंदिर और राजा की भूमिका

बाद में, विजयी नेता समुदाय के कल्याण पर ध्यान देने लगे और नई संस्थाएँ बनीं। वे देवताओं को भेंट चढ़ाकर मंदिरों को सुंदर बनाते थे और लोगों को कीमती सामान लाने भेजते थे। मंदिर धन-संपदा के वितरण और हिसाब-किताब रखने का काम करते थे। एनमेर्कर की कहानी बताती है कि राजा को ऊँचा स्थान मिला और उसका समुदाय पर नियंत्रण स्थापित हुआ।

मोहरें (Seals)

मेसोपोटामिया में पत्थर की बेलनाकार मोहरें होती थीं जिन पर चित्र या लेख खुदे होते थे। इन्हें गीली मिट्टी पर घुमाकर छापा जाता था। ये सामानों को सुरक्षित रखने और दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता साबित करने के लिए इस्तेमाल होती थीं। ये शहरवासी की सार्वजनिक जीवन में भूमिका दिखाती थीं।

पारिवारिक जीवन

मेसोपोटामिया समाज में एकल परिवार (nuclear family) को आदर्श माना जाता था। शादीशुदा बेटा अक्सर माता-पिता के साथ रहता था। पिता परिवार का मुखिया होता था। शादी की घोषणा होती थी और वधू के माता-पिता सहमति देते थे, फिर वर पक्ष उपहार देता था।

शहरों की योजना और दैनिक जीवन (उर, अबू सलाबिख)

मेसोपोटामिया के शहरों में सड़कें टेढ़ी-मेढ़ी और संकरी थीं। घरों का आकार अनियमित होता था। लोग कचरा गलियों में फेंक देते थे, जिससे गलियाँ ऊँची हो जाती थीं और दरवाज़ों की देहरी (threshold) को ऊँचा उठाना पड़ता था। घरों में रोशनी खिड़कियों से नहीं बल्कि आँगन में खुलने वाले दरवाज़ों से आती थी, जिससे गोपनीयता बनी रहती थी। घरों से जुड़े कई अंधविश्वास भी थे।

मारी का राजमहल

मारी शहर फरात नदी पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल था। यहाँ का विशाल राजमहल शाही परिवार का निवास, प्रशासन और उत्पादन (जैसे आभूषण) का केंद्र था। यहाँ राजा के लिए रोज़ाना बड़ी मात्रा में भोजन तैयार होता था। महल का एक ही प्रवेश द्वार था और इसमें 260 कमरे थे। यहाँ से लकड़ी, ताँबा, राँगा, तेल, शराब जैसे सामानों का व्यापार होता था। मारी के अधिकारी व्यापारिक नावों की जाँच करते थे और सामान की कीमत का 10% शुल्क वसूलते थे। ताँबे का व्यापार बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि यह काँसा (bronze) बनाने के काम आता था, जिससे औजार और हथियार बनते थे।

मेसोपोटामिया के शहरों की खुदाई के तरीके

आज की खुदाई तकनीकें पहले से बहुत बेहतर और सटीक हैं। अब बड़े इलाके की खुदाई के बजाय छोटे इलाकों का सावधानी से अध्ययन किया जाता है। अबू सलाबिख जैसे छोटे कस्बे की खुदाई से मिट्टी खुरचकर इमारतों और अन्य विशेषताओं का पता लगाया गया। पौधों और जानवरों के अवशेषों को छानकर उस समय के आहार और जीवनशैली के बारे में जानकारी मिली।

शहरों का महत्व

मेसोपोटामिया के लोग शहरी जीवन को बहुत महत्व देते थे, जहाँ अलग-अलग समुदायों और संस्कृतियों के लोग साथ रहते थे। शहर नष्ट होने पर वे उन्हें कविताओं में याद करते थे। गिलगेमिश महाकाव्य उर शहर के महत्व को बताता है। गिलगेमिश अमरत्व की तलाश में दुनिया घूमता है, लेकिन अंत में अपने शहर उर की दीवारों को देखकर ही उसे शांति मिलती है।

गणित और खगोल विद्या में योगदान

मेसोपोटामियावासियों ने समय को 12 महीनों (चंद्रमा की परिक्रमा के अनुसार), एक महीने को 4 हफ़्तों, एक दिन को 24 घंटों और एक घंटे को 60 मिनट में विभाजित करने की प्रणाली दी। गणित में भी उनकी कई खोजें थीं, जैसे वर्गमूल की गणना। यह ज्ञान सिकंदर के उत्तराधिकारियों, फिर रोम और इस्लाम की दुनिया से होते हुए मध्ययुगीन यूरोप तक पहुँचा।

पुरातन परंपराओं का सम्मान

बाद के राजा, जैसे असीरियाई शासक असुर्बनिपाल और स्वतंत्र बेबीलोन के अंतिम शासक नबोनिडस, मेसोपोटामिया की प्राचीन परंपराओं का सम्मान करते थे। असुर्बनिपाल ने अपनी राजधानी निनवेह में एक विशाल पुस्तकालय बनवाया और दक्षिण से पुरानी पट्टिकाओं को इकट्ठा किया। नबोनिडस ने सपने में देवता के आदेश पर उर में एक पुरानी महिला पुरोहित की नियुक्ति की और पुरानी मूर्तियों की मरम्मत करवाई।

2. प्रमुख परिभाषाएँ, संकल्पनाएँ और शब्दों की स्पष्ट व्याख्या

प्रारम्भिक समाज (Early Society): लाखों साल पहले मानव अस्तित्व की शुरुआत के समय के समाज, जो मुख्य रूप से शिकार और खाद्य-संग्रह (hunting and gathering) पर निर्भर थे।

पुरातत्वविज्ञानी (Archaeologist): वह व्यक्ति जो ज़मीन के अंदर दबी हुई पुरानी चीज़ों की खुदाई और अध्ययन करके अतीत के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।

खानाबदोश (Nomadic): एक स्थान पर स्थायी रूप से न रहने वाला व्यक्ति या समूह, जो भोजन या चारागाह की तलाश में घूमता रहता है।

खेती (Agriculture): पौधों को उगाना और जानवरों को पालना ताकि भोजन और अन्य ज़रूरतें पूरी हो सकें।

पशुओं को पालतू बनाना (Domestication): जंगली जानवरों को इंसान के नियंत्रण में लाना और अपनी ज़रूरतों के लिए उनका उपयोग करना।

शहरी जीवन (Urban Life): गाँवों की तुलना में बड़े और अधिक जटिल बस्तियों में रहना, जहाँ लोग सिर्फ खेती नहीं बल्कि शिल्प, व्यापार और सेवाओं जैसे काम भी करते हैं।

लेखन कला (Writing): मौखिक भाषा को दृश्य संकेतों या चिह्नों के रूप में व्यक्त करने की प्रणाली।

मेसोपोटामिया (Mesopotamia): यूनानी भाषा के दो शब्दों 'मेसोस' (मध्य) और 'पोटामोस' (नदी) से बना है। यह दजला और फरात नदियों के बीच की उपजाऊ भूमि को दर्शाता है, जहाँ शुरुआती शहर और लेखन कला विकसित हुई।

सुमेर (Sumer) और अक्कद (Akkad): मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग के शुरुआती ऐतिहासिक क्षेत्र।

बेबीलोनिया (Babylonia): लगभग 2000 ईसा पूर्व के बाद दक्षिणी मेसोपोटामिया को दिया गया नाम, जब बेबीलोन शहर महत्वपूर्ण हो गया।

असीरिया (Assyria): लगभग 1100 ईसा पूर्व के बाद उत्तरी मेसोपोटामिया को दिया गया नाम, जब असीरियाई लोगों ने वहाँ अपना राज्य स्थापित किया।

सुमेरी (Sumerian), अक्कादी (Akkadian), अरामाईक (Aramaic): मेसोपोटामिया क्षेत्र में समय-समय पर बोली जाने वाली भाषाएँ।

मिट्टी की पट्टिकाएँ (Clay Tablets): मेसोपोटामिया में लिखने के लिए इस्तेमाल होने वाली चिकनी मिट्टी की सपाट या थोड़ी उभरी हुई पट्टियाँ।

कीलाकार लिपि (Cuneiform): मेसोपोटामिया की प्राचीन लेखन प्रणाली, जिसमें खूँटी जैसे चिह्न होते थे, जो अक्सर अक्षरों (syllables) को दर्शाते थे।

सिलेंडर मोहरें (Cylinder Seals): मेसोपोटामिया में इस्तेमाल होने वाली पत्थर की बेलनाकार मोहरें जिन पर चित्र और लेख खुदे होते थे, जिन्हें गीली मिट्टी पर घुमाकर छापा जाता था।

एकल परिवार (Nuclear Family): एक पुरुष, उसकी पत्नी और उनके बच्चों से मिलकर बना परिवार।

ज़िगुरत (Ziggurat): मेसोपोटामिया के शहरों में पाए जाने वाले सीढ़ीदार मीनार जैसे मंदिर।

3. पुस्तक में दिए गए सभी उदाहरणों को चरण-दर-चरण हल करके समझाइए

पुस्तक में सीधे हल करने वाले उदाहरण नहीं दिए गए हैं (जैसे गणित के सवाल), बल्कि विभिन्न उदाहरणों और चित्रों के माध्यम से मेसोपोटामिया सभ्यता के पहलुओं को समझाया गया है। आइए, कुछ मुख्य उदाहरणों को समझते हैं:

उदाहरण 1: वार्का शीर्ष (Warka Head)

  • यह उरुक शहर में लगभग 3000 ईसा पूर्व में मिला एक महिला का सिर है।
  • क्या है: यह सफ़ेद संगमरमर को तराशकर बनाया गया है।
  • विशेषताएँ: आँखों और भौंहों में नीले लाजवर्द (Lapis lazuli), सफ़ेद सीपी और काले डामर (Bitumen) की जड़ाई की गई होगी। सिर के ऊपर गहना पहनने के लिए एक खाँचा बना है।
  • महत्व: यह मूर्ति कला का एक प्रसिद्ध नमूना है, जो चेहरे और गालों की सुंदर बनावट के लिए प्रशंसित है। यह दिखाता है कि मेसोपोटामिया के कारीगर कितने कुशल थे, और वे मूर्तियों के लिए दूर से पत्थर लाते थे। इस उदाहरण से शहरी शिल्पकला और विशेषज्ञों (पत्थर तराशने वाले, जड़ाई करने वाले) के योगदान का पता चलता है।

उदाहरण 2: चिकनी मिट्टी की पट्टिकाएँ

  • ये लगभग 3200 ईसा पूर्व की हैं और इन पर चित्र जैसे चिह्न बने हैं।
  • क्या हैं: ये छोटी मिट्टी की पट्टियाँ हैं (3.5 सेमी से कम ऊँची)।
  • चिह्न: इन पर बैल, मछली, अनाज और नाव जैसे चित्र बने हैं।
  • उपयोग: ये शुरूआती लेखन कला के उदाहरण हैं और शायद हिसाब-किताब रखने के लिए इस्तेमाल होती थीं, जैसे मंदिरों में आने-जाने वाली चीज़ों की सूची।
  • बनाने की प्रक्रिया: लिखने वाला गीली मिट्टी की पट्टी बनाता था, उसे चिकना करता था और फिर सरकंडे की तीली से चिह्न बनाता था। धूप में सूखने पर ये पक्की हो जाती थीं। यह प्रक्रिया दिखाती है कि लेखन कैसे एक भौतिक कार्य था जिसके लिए खास सामग्री और तकनीक की ज़रूरत होती थी।

उदाहरण 3: सिलेंडर मोहरें

  • ये पत्थर की बेलनाकार मोहरें हैं जो बीच में छिदी होती थीं।
  • क्या हैं: इन्हें कुशल कारीगरों द्वारा तराशा जाता था और इन पर चित्र और कभी-कभी मालिक का नाम, देवता का नाम या पद लिखा होता था।
  • उपयोग: इन्हें गीली मिट्टी पर घुमाकर छापा जाता था।
    • पहला उपयोग: कपड़ों की गाँठों या बर्तनों के मुँह को मिट्टी से बंद करके उस पर मोहर लगाकर सामान को सुरक्षित करना।
    • दूसरा उपयोग: मिट्टी की पट्टिका पर लिखे पत्र पर मोहर लगाकर उसकी प्रामाणिकता साबित करना।
  • महत्व: मोहरें शहरी शिल्प कला का उदाहरण हैं और ये शहरवासियों की सार्वजनिक जीवन में भूमिका को दर्शाती हैं। अलग-अलग मोहरों के छापे (चित्र में दिखाए गए) उस समय के जीवन, धर्म, व्यापार या घटनाओं को दर्शा सकते हैं।

उदाहरण 4: मारी में ज़िम्रिलिम का राजमहल

  • यह लगभग 1810-1760 ईसा पूर्व का एक विशाल भवन है।
  • क्या है: यह मारी शहर में स्थित राजा का महल था।
  • कार्य: यह शाही परिवार का निवास, प्रशासन का केंद्र और उत्पादन (विशेष रूप से आभूषण) का स्थान था।
  • लेआउट (नक्शा): नक्शा दिखाता है कि महल में 260 कमरे थे। इसमें आँगन (जैसे 106, 131), सभा गृह (132), सिंहासन कक्ष, प्रवेश द्वार, कुआँ, रसोईघर, शौचालय और स्नानगृह थे।
  • महत्व: यह शहरी जीवन के संगठन और शाही सत्ता को दर्शाता है। महल का डिज़ाइन (जैसे एक ही प्रवेश द्वार, आँगन में खुलते कमरे) उस समय की जीवनशैली और गोपनीयता को दिखाता है। भित्ति चित्र (दीवार पर बने चित्र) कला और राजा की भव्यता को दर्शाते हैं। (चित्र 25 को देखकर आप इन हिस्सों को पहचान सकते हैं)।

4. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों (Exercise Questions) के विस्तृत उत्तर

यहाँ अध्याय के अंत में दिए गए अभ्यास प्रश्नों (प्रश्न 3, 4, 5, 6) के उत्तर दिए गए हैं:

प्रश्न 3: यह कहना क्यों सही होगा कि खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी जीवन के लिए खतरा थे?

उत्तर: मेसोपोटामिया के संदर्भ में, खानाबदोश पशुचारक कई मायनों में शहरी जीवन के लिए खतरा बन सकते थे:

  • फसल को नुकसान: पशुचारक अपने झुंडों को चराते हुए खेती वाले इलाकों से गुज़र सकते थे और खड़ी फसल को रौंद कर बर्बाद कर सकते थे [स्रोत में सीधा उल्लेख नहीं, लेकिन कृषि और पशुपालन के सह-अस्तित्व के संदर्भ में यह एक तार्किक अनुमान है]
  • पानी का नियंत्रण: नदियाँ और नहरें शहरी कृषि के लिए जीवनरेखा थीं। खानाबदोश समूह पानी के स्रोतों या नहरों पर नियंत्रण करने का प्रयास कर सकते थे, जिससे शहरों को पानी की आपूर्ति बाधित हो सकती थी [21 में गाँवों के बीच पानी के झगड़ों का उल्लेख है, इसे बड़े पैमाने पर खानाबदोश समूहों पर लागू किया जा सकता है]
  • संचार और व्यापार मार्ग: शहर व्यापार पर निर्भर थे। खानाबदोश समूह व्यापारिक मार्गों को अवरुद्ध कर सकते थे या व्यापारिक काफिलों पर हमला कर सकते थे, जिससे शहरों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचता था [स्रोत में सीधा उल्लेख नहीं, लेकिन व्यापारिक मार्गों के महत्व के संदर्भ में यह खतरा समझा जा सकता है]
  • लूटपाट और अस्थिरता: कुछ खानाबदोश समूह संगठित होकर शहरों पर हमला करके लूटपाट कर सकते थे, जिससे शहरों में अस्थिरता और असुरक्षा पैदा होती थी [21 में युद्ध जीतने वाले मुखियाओं द्वारा लूटपाट और लोगों को बंदी बनाने का उल्लेख है, यह बताता है कि हिंसा और लूट उस समय का हिस्सा थे]

इसलिए, शहरों को अपनी सुरक्षा के लिए इन खानाबदोश समूहों से सावधान रहना पड़ता था और उनसे निपटने के तरीके खोजने पड़ते थे।

प्रश्न 4: आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि पुराने मंदिर बहुत कुछ घर जैसे ही होंगे?

उत्तर: पुराने मंदिरों के घर जैसे होने के कुछ कारण ये हो सकते हैं:

  • आरंभिक मंदिर: मेसोपोटामिया में सबसे प्राचीन ज्ञात मंदिर लगभग 5000 ईसा पूर्व के हैं। उस समय के समाज में जटिल मंदिर संरचनाएं बनाने की तकनीक या संसाधनों का अभाव हो सकता था। इसलिए, शुरुआत में मंदिर साधारण मिट्टी या ईंटों के बने घर जैसे ही रहे होंगे, शायद थोड़े बड़े या विशेष स्थान पर बने हुए।
  • देवता को घर जैसा स्थान: प्राचीन मेसोपोटामिया में देवता को अक्सर समुदाय का स्वामी या मुखिया माना जाता था। मंदिर को देवता का निवास स्थान माना जाता था [स्रोत में सीधा उल्लेख नहीं, लेकिन यह एक सामान्य प्राचीन धार्मिक अवधारणा है]। जैसे लोग अपने मुखिया के लिए घर बनाते हैं, उसी तरह देवता के लिए भी एक 'घर' बनाया गया होगा।
  • दैनिक गतिविधियाँ: मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं थे। वे आर्थिक गतिविधियों (जैसे अनाज इकट्ठा करना, वितरण करना) और सामाजिक जीवन के केंद्र भी थे। जिस तरह घर में रोज़मर्रा की गतिविधियाँ होती हैं, उसी तरह मंदिरों में भी कई व्यावहारिक काम होते होंगे, जिससे उनकी संरचना किसी बड़े घर या सामुदायिक भवन जैसी हो सकती है।
  • सामग्री और तकनीक: शुरुआती घर और मंदिर बनाने में समान स्थानीय सामग्री (जैसे मिट्टी की ईंटें) और निर्माण तकनीकों का इस्तेमाल होता था। इसलिए, उनकी मूल संरचना में समानता होना स्वाभाविक था।

हालांकि, जैसे-जैसे समाज विकसित हुआ और शासकों का महत्व बढ़ा, मंदिर भी बड़े, भव्य और जटिल होते गए, जैसे उरुक में मिला सबसे प्राचीन ज्ञात मंदिर।

प्रश्न 5: शहरी जीवन शुरू होने के बाद कौन-कौन सी नई संस्थाएँ अस्तित्व में आईं? आपके विचार से उनमें से कौन-सी संस्थाएँ राजा की पहल पर निर्भर थीं?

उत्तर: शहरी जीवन शुरू होने के बाद कई नई संस्थाएँ और परिपाटियाँ अस्तित्व में आईं:

  • निश्चित बस्तियाँ और गाँव
  • मंदिर
  • लेखन कला और लिपि
  • प्रशासनिक प्रणाली
  • सेना या सुरक्षा बल
  • विशिष्ट श्रमिक और कारीगर समूह
  • न्यायिक प्रणाली (संभवतः) [स्रोत में सीधा उल्लेख नहीं]
  • राजसत्ता/राजतंत्र

राजा की पहल पर निर्भर संस्थाएँ: इनमें से कुछ संस्थाएँ विशेष रूप से राजा की पहल पर निर्भर थीं:

  • स्थायी राजसत्ता और प्रशासनिक ढाँचा
  • बड़े मंदिर और सार्वजनिक भवन
  • व्यापार का विनियमन और शुल्क
  • विशाल परियोजनाएँ [गिलगेमिश महाकाव्य में उर की दीवारों का उल्लेख है 29]
  • पुस्तकालय और ज्ञान का संरक्षण

प्रश्न 6: किन पुरानी कहानियों से हमें मेसोपोटामिया की सभ्यता की झलक मिलती है?

उत्तर: कई पुरानी कहानियों और ग्रंथों से हमें मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में जानकारी मिलती है:

  • एनमेर्कर का महाकाव्य: यह उरुक के प्राचीन शासक एनमेर्कर के बारे में एक सुमेरी कहानी है। यह कहानी बताती है कि व्यापार कैसे शुरू हुआ और शहरी जीवन, व्यापार और लेखन कला के बीच क्या संबंध था।
  • गिलगेमिश महाकाव्य: यह मेसोपोटामिया का एक प्रसिद्ध महाकाव्य है, जिसमें उरुक के शासक गिलगेमिश की कहानी है। यह महाकाव्य शहरी जीवन के महत्व, दोस्ती, मृत्यु और अमरत्व की खोज जैसे विषयों पर प्रकाश डालता है।
  • बाइबल का पुराना नियम (Old Testament): बाइबल के इस हिस्से में मेसोपोटामिया (शिमार/सुमेर) का उल्लेख है, खासकर उत्पत्ति (Genesis) की पुस्तक में।
  • नबोनिडस के लेख: बेबीलोन के अंतिम शासक नबोनिडस के लेखों से हमें उसकी पुरातन परंपराओं में रुचि और पुरानी कलाकृतियों के प्रति उसके सम्मान का पता चलता है।
  • विभिन्न मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखे दस्तावेज: हज़ारों की संख्या में मिली ये पट्टिकाएँ उस सभ्यता के हर पहलू की झलक देती हैं - व्यापार, परिवार, शिक्षा, धर्म, विज्ञान आदि।

5. अध्याय की अवधारणाओं पर आधारित नये अभ्यास प्रश्न

छात्रों, यहाँ इस अध्याय की समझ को परखने और बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ नए प्रश्न दिए गए हैं:

  1. पुरातत्वविज्ञानी किस प्रकार प्रारम्भिक समाजों और मेसोपोटामिया के शहरी जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. खेती और पशुपालन अपनाने से इंसान के जीवन में क्या महत्वपूर्ण बदलाव आए?
  3. मेसोपोटामिया सभ्यता के विकास में दजला और फरात नदियों का क्या योगदान था? भूगोल का शहरी जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  4. मेसोपोटामिया की लेखन कला कैसे विकसित हुई? कीलाकार लिपि की विशेषताएँ बताते हुए मिट्टी की पट्टिकाओं के उपयोग पर प्रकाश डालिए।
  5. मेसोपोटामिया के शहरों में व्यापार कैसे होता था? मारी शहर व्यापारिक केंद्र के रूप में क्यों महत्वपूर्ण था?
  6. मेसोपोटामिया के शहरी जीवन की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए, जैसे घरों का निर्माण, सड़कें और स्वच्छता।
  7. मेसोपोटामिया के लोग अपने शहरों को इतना महत्व क्यों देते थे? गिलगेमिश महाकाव्य के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
  8. मेसोपोटामिया का गणित और खगोल विद्या के क्षेत्र में क्या योगदान रहा? यह ज्ञान बाद में कैसे फैला?
  9. असुर्बनिपाल और नबोनिडस जैसे शासकों का मेसोपोटामिया की प्राचीन परंपराओं के प्रति क्या दृष्टिकोण था? उदाहरण सहित समझाइए।
  10. मेसोपोटामिया में सिलेंडर मोहरों का क्या महत्व था? वे किस प्रकार शहरी जीवन का प्रतीक थीं?

6. अध्याय के अंत में बोर्ड परीक्षा से पहले पुनरावृत्ति के लिए संक्षिप्त सारांश

  • इंसान का अस्तित्व लाखों साल पहले अफ्रीका में शुरू हुआ। पुरातत्व हमें शुरुआती जीवन समझने में मदद करते हैं।
  • लगभग 10,000 साल पहले खानाबदोश जीवन छोड़कर खेती और पशुपालन की शुरुआत हुई, जिससे लोग एक जगह बसने लगे।
  • आग, भाषा, धातुओं का उपयोग और पहिया जैसे तकनीकी विकास हुए।
  • मेसोपोटामिया (इराक) में सबसे पहले शहर और लेखन कला का विकास हुआ। यह क्षेत्र दजला और फरात नदियों के कारण उपजाऊ था।
  • मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी समृद्धि, व्यापार, साहित्य, गणित और खगोल विद्या के लिए जानी जाती है।
  • पुरातत्व खुदाई से हज़ारों मिट्टी की पट्टिकाएँ मिली हैं जो उस समय के जीवन, व्यापार और प्रशासन की जानकारी देती हैं।
  • लेखन कला का विकास हिसाब-किताब रखने की ज़रूरत से हुआ। कीलाकार लिपि का उपयोग होता था।
  • मेसोपोटामिया में खनिज संसाधनों की कमी थी, इसलिए व्यापार बहुत महत्वपूर्ण था। नदियाँ सामान ढोने का मुख्य साधन थीं। मारी एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
  • शहरों में प्रशासकीय और धार्मिक संस्थाएँ (मंदिर, राजसत्ता) विकसित हुईं।
  • शहरी जीवन की अपनी विशेषताएँ थीं, जैसे घरों का निर्माण, गलियाँ और साफ-सफाई की समस्या। सिलेंडर मोहरें शहरी शिल्प और पहचान का हिस्सा थीं।
  • मेसोपोटामियावासियों को अपने शहरों पर गर्व था, जैसा कि गिलगेमिश महाकाव्य में दिखता है।
  • उन्होंने गणित (समय का विभाजन) और खगोल विद्या में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • बाद के शासकों ने भी प्राचीन परंपराओं और कलाकृतियों का सम्मान किया और ज्ञान के संरक्षण के लिए पुस्तकालय बनवाए।

छात्रों, इन नोट्स को ध्यान से पढ़ें, मुख्य बिंदुओं को समझने का प्रयास करें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखने का अभ्यास करें। यदि कोई बिंदु समझ में न आए तो अपनी पाठ्यपुस्तक या शिक्षक की सहायता लें। शुभकामनाएँ!

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