अध्याय के लिए आत्म-अध्ययन नोट्स: बदलती परंपराएँ - तीन वर्ग
यह अध्याय 9वीं से 16वीं शताब्दी के बीच पश्चिमी यूरोप में हुए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों पर केंद्रित है। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद पूर्वी और मध्य यूरोप के कई जर्मन मूल के समूहों ने इटली, स्पेन और फ्रांस के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था। किसी संगठित राजनीतिक शक्ति की कमी के कारण अक्सर युद्ध होते रहते थे, और अपनी भूमि की रक्षा के लिए संसाधन जुटाना बहुत ज़रूरी हो गया था। इस प्रकार, सामाजिक ढांचे का केंद्र-बिंदु भूमि पर नियंत्रण था। इसकी विशेषताएँ जर्मन रीति-रिवाजों और शाही रोम की परंपराओं से ली गई थीं।
1. प्रमुख विषय और उनकी व्याख्या
- साम्राज्यों का उदय और विस्तार: 9वीं सदी तक एशिया और यूरोप के अधिकांश हिस्सों में विशाल साम्राज्यों का विकास और विस्तार हुआ। इनमें से कुछ साम्राज्य खानाबदोशों के थे, जबकि कुछ विकसित शहरों और उनके व्यापार तंत्रों पर आधारित थे। मकदूनिया, रोम, अरब साम्राज्य, मंगोल साम्राज्य, और उनसे पहले के साम्राज्यों (मिस्र, असीरिया, चीनी और मौर्य) में यह अंतर था कि ये पहले चार साम्राज्य विस्तृत क्षेत्रों में फैले हुए थे और महाद्वीपीय एवं पारमहाद्वीपीय स्वरूप के थे।
- बदलती परंपराएँ और सांस्कृतिक टकराव: विश्व इतिहास में परंपराएँ विभिन्न तरीकों से बदल सकती हैं। जो कुछ हुआ उसमें विभिन्न सांस्कृतिक टकरावों की भूमिका निर्णायक थी। साम्राज्यों का उदय प्रायः अचानक होता था परंतु वे हमेशा उन बदलावों के परिणाम थे जो साम्राज्य-निर्माण की दिशा में लंबे समय से उन मूल क्षेत्रों में निहित थे जहाँ से ये साम्राज्य फैलने लगे।
- आधुनिक समय की ओर बदलाव: पश्चिमी यूरोप में 9वीं से 17वीं सदी के मध्य धीरे-धीरे ऐसे बदलाव हुए जिन्हें हम 'आधुनिक समय' से जोड़कर देखते हैं। इन कारकों में धार्मिक विश्वासों पर आधारित होने की अपेक्षा प्रयोगों पर आधारित वैज्ञानिक ज्ञान का विकास, लोक सेवाओं के निर्माण, संसद और विभिन्न कानूनी धाराओं के सृजन पर ध्यान देते हुए सरकार के संगठन पर गहन विचार, और उद्योग व कृषि में प्रयोग आने वाली तकनीक में सुधार शामिल हैं। इन परिवर्तनों के परिणाम यूरोप के बाहर भी ज़ोर-शोर तरीके से महसूस किए गए।
2. प्रमुख परिभाषाएँ, संकल्पनाएँ और शब्दों की स्पष्ट व्याख्या
- मध्यकालीन युग (Middle Ages): इतिहासकार 'सामंतवाद' (Feudalism) शब्द का प्रयोग मध्यकालीन यूरोप के आर्थिक, विधिक, राजनीतिक और सामाजिक संबंधों का वर्णन करने के लिए करते रहे हैं। 'मध्यकालीन युग' शब्द पाँचवीं और पंद्रहवीं सदी के मध्य के यूरोपीय इतिहास को इंगित करता है।
- सामंतवाद (Feudalism): यह जर्मन शब्द फ़्यूड (feud) से बना है जिसका अर्थ 'एक भूमि का टुकड़ा' है। यह एक ऐसे समाज को इंगित करता है जो मध्य फ्रांस और बाद में इंग्लैंड और दक्षिणी इटली में भी विकसित हुआ। सामंती व्यवस्था की पहचान दुर्गों व मैनर-भवन के इर्द-गिर्द कृषि उत्पादन था। यह भूमि मैनर के लॉर्डों की थी जिस पर कृषक (कृषिदास) कार्य करते थे। ये वफ़ादार होने के साथ माल और सेवा प्रदान करने के प्रति वचनबद्ध होते थे। ये लॉर्ड, बड़े लॉर्डों के, जो राजा के सामंत (Vassal) थे।
- तीन वर्ग (The Three Orders): इस अध्याय का केंद्र-बिंदु तीन सामाजिक श्रेणियाँ हैं: ईसाई पादरी, भूमिधारक अभिजात वर्ग और कृषक। इन तीन वर्गों के बीच बदलते संबंध कई सदियों तक यूरोप के इतिहास को गढ़ने वाले महत्वपूर्ण कारक थे।
- मैनर (Manor): लॉर्डों का घर 'मैनर' कहलाता था। मैनर की जागीर कृषि उत्पादन का केंद्र थी। लॉर्ड मैनर-भवन में रहता था और गाँवों पर नियंत्रण रखता था।
- कृषिदास (Serf/Villein): ये किसानों का एक प्रकार थे जो स्वतंत्र किसानों से भिन्न थे। कृषिदास अपने गुज़ारे के लिए जिन भूखंडों पर कृषि करते थे, वे लॉर्ड के स्वामित्व में थे। इसलिए उनकी अधिकतर उपज भी लॉर्ड को ही मिलती थी। वे उन भूखंडों पर भी कृषि करते थे जो केवल लॉर्ड के स्वामित्व में थीं। इसके लिए उन्हें कोई मज़दूरी नहीं मिलती थी और वे लॉर्ड की आज्ञा के बिना जागीर नहीं छोड़ सकते थे। लॉर्ड कई तरह के एकाधिकार का दावा करते थे, हालाँकि इससे कृषि दासों को हानि हो सकती थी।
- टीथ (Tithe): चर्च को एक वर्ष के अंतराल में कृषक से उसकी उपज का दसवाँ भाग लेने का अधिकार था जिसे 'टीथ' कहते थे।
- टैली (Taille): एक प्रत्यक्ष कर जिसे राजा कृषकों पर कभी-कभी लगाते थे (पादरी और अभिजात वर्ग इस कर से मुक्त थे)।
- एबे (Abbey): अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति जो एकांत ज़िंदगी जीना पसंद करते थे, वे धार्मिक समुदायों में रहते थे जिन्हें एबे (Abbeys) या मोनॅस्ट्री (monastery - मठ) कहते थे। मोनॅस्ट्री शब्द ग्रीक भाषा के शब्द 'मोनोस' से बना है जिसका अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो अकेला रहता हो। एबे शब्द सीरिया के अबा से लिया गया है जिसका अर्थ पिता है।
- वाइकिंग (Viking): स्कैंडिनेविया (डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड) के वे लोग जो 8वीं-11वीं शताब्दी के बीच उत्तर पश्चिमी यूरोप के क्षेत्रों पर आक्रमण करने के बाद वहाँ बस गए। इनमें से अधिकांश लोग समुद्री दस्यु और व्यापारी थे।
- कैथेड्रल (Cathedral): 12वीं सदी से फ्रांस में कैथेड्रल कहलाने वाले बड़े चर्चों का निर्माण होने लगा। ये पत्थर के बने होते थे और इन्हें पूरा करने में अनेक वर्ष लगते थे। कैथेड्रल के चारों तरफ छोटे नगर विकसित हुए।
3. पुस्तक में दिए गए उदाहरणों की व्याख्या
अध्याय में सीधे तौर पर चरण-दर-चरण हल करने वाले उदाहरण नहीं दिए गए हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं, स्थानों और संस्थाओं का वर्णन किया गया है। हम यहाँ कुछ प्रमुख वर्णनात्मक उदाहरणों को बिंदुवार समझने का प्रयास करेंगे:
-
रोमन साम्राज्य का पतन और अनुकूलन:
पाँचवीं सदी में पश्चिम में रोमन साम्राज्य विघटित हो गया था। पश्चिमी और मध्य यूरोप में रोमन साम्राज्य के अवशेषों ने धीरे-धीरे स्वयं को उन कबीलों की प्रशासनिक आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के अनुसार ढाल लिया था, जिन्होंने वहाँ पर राज्य स्थापित कर लिए थे।
-
शार्लमेन का साम्राज्य:
पश्चिमी और मध्य यूरोप में नौवीं सदी के प्रारंभ में शार्लमेन का साम्राज्य इसका एक अच्छा उदाहरण था। हालाँकि इसका शीघ्र पतन हो गया।
-
मैनर की जागीर का जीवन:
एक मैनर की जागीर में रोज़मर्रा के उपभोग की प्रत्येक वस्तु मिल जाती थी। अनाज खेतों में उगाया जाता था, लोहार और बढ़ई लॉर्ड के औज़ारों की देखभाल और हथियारों की मरम्मत करते थे, जबकि राजमिस्त्री उनकी इमारतों की देखभाल करते थे। औरतें वस्त्र कातती एवं बुनती थीं और बच्चे लॉर्ड की मदिरा संपीड़क में कार्य करते थे। जागीरों में विस्तृत अरण्यभूमि और वन होते थे जहाँ लॉर्ड शिकार करते थे। वहाँ पर चरागाह होते थे जहाँ उनके पशु और घोड़े चरते थे। वहाँ पर एक चर्च और सुरक्षा के लिए एक दुर्ग होता था। यह दर्शाता है कि मैनर लगभग आत्मनिर्भर इकाई थी।
-
संत बेनेडिक्ट का मठ:
मठ एकांत जीवन जीने वाले धार्मिक समुदायों के लिए संस्थाएँ थीं। दो सबसे अधिक प्रसिद्ध मठों में से एक मठ 529 में इटली में स्थापित संत बेनेडिक्ट का था। बेनेडिक्टिन मठों में, भिक्षुओं के लिए एक हस्तलिखित पुस्तक होती थी जिसमें नियमों के 73 अध्याय थे। इन नियमों में बोलने की आज्ञा कभी-कभी देना, विनम्रता का अर्थ आज्ञा पालन होना, किसी भी भिक्षु को निजी संपत्ति नहीं रखनी चाहिए, आलस्य आत्मा का शत्रु है इसलिए शारीरिक श्रम और पवित्र पाठ करना चाहिए, और मठ इस प्रकार बनाने चाहिए कि आवश्यकता की समस्त वस्तुएँ उनकी सीमा के अंदर हों, शामिल थे।
-
चौसर की कैंटरबरी टेल्स:
इंग्लैंड में चौसर ने कैंटरबरी टेल्स लिखी। यह चौदहवीं सदी में लिखी गई थी। इसमें भिक्षुणी (nun), भिक्षु (monk) और फ्रायर का हास्यास्पद चित्रण किया गया है। कविता तीर्थयात्राओं की आकांक्षा रखने वाले लोगों और दूरस्थ पूजा स्थलों के दर्शन की अभिलाषा रखने वाले घूमने वाले भिक्षुओं का वर्णन करती है।
-
चौदहवीं सदी का संकट:
चौदहवीं सदी की शुरुआत तक, यूरोप का आर्थिक विस्तार धीमा पड़ गया। इसके तीन मुख्य कारण थे: उत्तरी यूरोप में भीषण ठंडी गर्मियाँ जिससे फ़सल का मौसम छोटा हो गया, तूफानों और बाढ़ों ने खेतों को नष्ट कर दिया, और भूमि का अत्यधिक उपयोग तथा चरागाहों की कमी। इसके कारण अकाल पड़े, जैसे 1315 और 1317 के बीच भयानक अकाल। 1320 के दशक में असंख्य पशुओं की मौतें हुईं। प्लेग भी इस संकट का एक प्रमुख हिस्सा था, जिसने आबादी का विनाश कर दिया।
-
इंग्लैंड में संसद का विकास:
इंग्लैंड में नॉर्मन विजय से भी पहले ऐंग्लो-सैक्सन लोगों की एक महान परिषद् होती थी। कोई भी कर लगाने से पहले राजा को इस परिषद् की सलाह लेनी पड़ती थी। यह आगे चलकर पार्लियामेंट के रूप में विकसित हुई। राजा चार्ल्स प्रथम ने ग्यारह वर्षों तक इसे बिना बुलाए शासन किया, परंतु जब उन्हें धन की आवश्यकता पड़ी, तो उन्हें इसे बुलाना पड़ा और बाद में उन्हें प्राणदंड दिया गया। बाद में राजतंत्र की पुनः स्थापना हुई, परंतु इस शर्त पर कि अब पार्लियामेंट नियमित रूप से बुलाई जाएगी।
4. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर
यहाँ अध्याय के अंत में दिए गए अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दिए गए हैं, जो स्रोत सामग्री पर आधारित हैं:
प्रश्न 1. फ्रांस के प्रारंभिक सामंती समाज के दो लक्षणों का वर्णन कीजिए।
फ्रांस के प्रारंभिक सामंती समाज के दो प्रमुख लक्षण निम्नलिखित थे:
- भूमि पर नियंत्रण: सामंती व्यवस्था में सामाजिक ढांचे का केंद्र-बिंदु भूमि पर नियंत्रण था। लॉर्ड भूमि के बड़े क्षेत्रों के स्वामी होते थे, जिसमें उनके घर, खेत, चरागाह और कृषकों के घर-खेत शामिल होते थे। कृषक इन जमीनों पर काम करते थे और उन्हें लॉर्ड के प्रति वफादार रहना पड़ता था और सामान व सेवाएँ प्रदान करनी पड़ती थीं। सुरक्षा के लिए संसाधन जुटाने की आवश्यकता ने भूमि के महत्व को और बढ़ा दिया था।
- तीन सामाजिक वर्ग: प्रारंभिक सामंती समाज तीन सामाजिक वर्गों में विभाजित था: ईसाई पादरी, भूमिधारक अभिजात वर्ग (लॉर्ड और उनके सामंत), और कृषक (स्वतंत्र किसान और कृषिदास)। इन तीनों वर्गों के बीच के संबंध इस समाज की संरचना को निर्धारित करते थे। प्रत्येक वर्ग की अपनी विशिष्ट भूमिकाएँ, अधिकार और कर्तव्य थे, जो भूमि संबंधों और वफादारी की शपथों पर आधारित थे।
प्रश्न 2. जनसंख्या के स्तर में होने वाले लंबी-अवधि के परिवर्तनों ने किस प्रकार यूरोप की अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित किया?
जनसंख्या के स्तर में होने वाले लंबी-अवधि के परिवर्तनों ने यूरोप की अर्थव्यवस्था और समाज को गहराई से प्रभावित किया:
- जनसंख्या वृद्धि (11वीं से 13वीं सदी): 11वीं सदी से यूरोप में कृषि का विस्तार हुआ, जिससे अधिक आबादी का भार सहना संभव हुआ। बेहतर आहार के कारण जीवन-अवधि लंबी हो गई और यूरोप की जनसंख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई (1000 में लगभग 420 लाख से 1300 में 730 लाख तक)। इस जनसंख्या वृद्धि ने अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन करने वाले कृषकों के लिए बिक्री केंद्रों (बाज़ारों और कस्बों) की आवश्यकता को जन्म दिया, जिससे व्यापार और नगरों का विकास हुआ। कस्बों में दस्तकारों के बसने से शिल्पों का विकास हुआ।
- जनसंख्या में गिरावट (14वीं सदी का संकट): 14वीं सदी में जलवायु परिवर्तन (ठंडी गर्मियाँ), अकाल (1315-1317) और प्लेग जैसी बीमारियों ने जनसंख्या का भारी विनाश किया। कुछ क्षेत्रों में 16वीं सदी के अंत तक नब्बे प्रतिशत आबादी की मृत्यु हो गई। जनसंख्या में इस भारी गिरावट ने अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला। मजदूरों की कमी हो गई, जिससे कृषिदासों की मोलभाव करने की शक्ति बढ़ी और पुरानी सामंती व्यवस्था कमजोर हुई। भूमि पर मजदूरों का दबाव कम हो गया। इस संकट ने शासकों को अपनी शक्ति बढ़ाने का अवसर भी दिया क्योंकि पुरानी सामंती व्यवस्था कमज़ोर हो गई थी।
प्रश्न 3. नाइट्स एक अलग वर्ग क्यों बने और उनका पतन कब हुआ?
- नाइट्स का उदय: 9वीं सदी से यूरोप में लगातार युद्धों के कारण घुड़सवार सेना (Cavalry) महत्वपूर्ण हो गई थी। लॉर्डों को अपनी रक्षा के लिए कुशल सैनिकों की आवश्यकता थी। नाइट्स ऐसे प्रशिक्षित घुड़सवार सैनिक थे जो अपने लॉर्ड की ओर से लड़ते थे और उनके प्रति वफादार रहने की शपथ लेते थे। उन्हें अक्सर उनकी सेवाओं के बदले में भूमि दी जाती थी। इस प्रकार, वे धीरे-धीरे अभिजात वर्ग के भीतर एक विशिष्ट सैन्य समूह के रूप में उभर कर आए, जिनकी वीरता की कहानियाँ गाई जाती थीं।
- नाइट्स का पतन: अध्याय में नाइट्स के पतन का समय स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है, लेकिन चौदहवीं सदी के संकट और नई सैन्य प्रौद्योगिकियों (जैसे बंदूकें और तोपें) के उदय से उनकी भूमिका कम होने का संकेत मिलता है। राजाओं की प्रशिक्षित सेनाएँ, जो नई तकनीकों से लैस थीं, अधिक प्रभावी हो गईं। धन अर्थव्यवस्था के विकास ने भी पारंपरिक सामंती-सैन्य संबंधों को कमज़ोर किया, जिससे नाइट्स की पारंपरिक भूमिका में गिरावट आई।
प्रश्न 4. मध्यकालीन मठों का क्या कार्य था?
मध्यकालीन मठों (Monasteries) के कई महत्वपूर्ण कार्य थे:
- धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र: मठ एकांत जीवन जीने वाले अत्यधिक धार्मिक ईसाइयों के समुदाय थे। वे प्रार्थना और ईश्वर की सेवा के लिए समर्पित थे। वे ईसाई धर्म के आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
- ज्ञान और शिक्षा के केंद्र: मठ अक्सर ज्ञान और शिक्षा के केंद्र थे। यहाँ भिक्षु पवित्र पाठ (Sacred Reading) करते थे और हस्तलिखित पुस्तकों (manuscripts) पर काम करते थे। उन्होंने प्राचीन ग्रंथों की प्रतिलिपि बनाने और उन्हें संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आर्थिक इकाई: मठों के पास अक्सर विस्तृत जागीरें (estates) होती थीं। वे कृषि उत्पादन और शिल्पों में संलग्न थे। वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने का प्रयास करते थे, जैसा कि संत बेनेडिक्ट के मठ के नियमों में जल, चक्की, उद्यान का उल्लेख है।
- सामाजिक और कल्याणकारी कार्य: मठ अक्सर गरीबों, बीमारों और यात्रियों को आश्रय और सहायता प्रदान करते थे।
- भूमिधारक और राजनीतिक शक्ति: चर्च और मठ यूरोप में प्रमुख भूमिधारक और राजनीतिक शक्ति बन गए थे। कैथेड्रल, जो अक्सर मठों से जुड़े होते थे, लोगों के योगदान से बनाए जाते थे और तीर्थस्थल बन जाते थे।
5. अध्याय की अवधारणाओं पर आधारित नये अभ्यास प्रश्न
- सामंती व्यवस्था के विकास में भूमि पर नियंत्रण इतना महत्वपूर्ण क्यों था?
- मध्यकालीन यूरोपीय समाज में पादरी वर्ग की क्या भूमिका थी? वे अन्य दो वर्गों से किस प्रकार भिन्न थे?
- स्वतंत्र किसानों और कृषिदासों के जीवन और अधिकारों में मुख्य अंतर क्या थे?
- 11वीं सदी से कृषि प्रौद्योगिकी में हुए सुधारों ने ग्रामीण जीवन और उत्पादन को कैसे बदला?
- मध्यकालीन यूरोप में नगरों के विकास के मुख्य कारण क्या थे? नगरों ने सामंती व्यवस्था को कैसे प्रभावित किया?
- 14वीं सदी के संकट (जलवायु परिवर्तन, अकाल, बीमारी) ने यूरोपीय समाज और अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या डाले?
- मध्यकालीन चर्च और मठों के बीच मुख्य अंतर क्या थे? उनके उद्देश्यों में क्या भिन्नता थी?
- इंग्लैंड में पार्लियामेंट के विकास ने राजा की शक्ति को कैसे सीमित किया, जबकि फ्रांस में राजा अधिक शक्तिशाली कैसे हुआ?
- यूरोपियों द्वारा नई दुनिया (अमेरिका) और एशिया के लोगों के प्रति अपनाए गए अलग-अलग दृष्टिकोणों की चर्चा कीजिए, जैसा कि अध्याय में बताया गया है।
- मध्यकालीन यूरोप में तीर्थयात्राओं का क्या महत्व था? वे किन स्थानों पर की जाती थीं?
6. बोर्ड परीक्षा से पहले पुनरावृत्ति के लिए संक्षिप्त सारांश
यह अध्याय 9वीं से 16वीं सदी के मध्य पश्चिमी यूरोप के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को समझाता है, जो रोमन साम्राज्य के पतन के बाद विकसित हुआ। समाज मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभाजित था: पादरी, अभिजात वर्ग (लॉर्ड और नाइट्स), और कृषक (स्वतंत्र किसान और कृषिदास)। सामंतवाद नामक व्यवस्था भूमि पर नियंत्रण पर आधारित थी, जहाँ लॉर्ड कृषकों से सेवाएँ और उपज प्राप्त करते थे। चर्च एक शक्तिशाली संस्था थी जो धार्मिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित करती थी, और मठ एकांत धार्मिक समुदाय थे।
11वीं सदी से कृषि प्रौद्योगिकी में सुधार (जैसे लोहे का हल, तीन-क्षेत्रीय प्रणाली, जल व वायु शक्ति का उपयोग) और अनुकूल जलवायु ने उत्पादन बढ़ाया और जनसंख्या वृद्धि को प्रेरित किया। इससे व्यापार बढ़ा और नगरों का उदय हुआ, जिससे एक चौथा वर्ग - नगरवासी - अस्तित्व में आया। नगर आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बने और व्यापारी अधिक प्रभावशाली हुए।
14वीं सदी में जलवायु परिवर्तन, अकाल और प्लेग जैसे संकटों ने भारी जनसंख्या गिरावट और आर्थिक मंदी ला दी। इसने पुरानी सामंती व्यवस्था को कमज़ोर किया और कृषक विद्रोह हुए। इस संकट ने राजाओं को अधिक शक्तिशाली केंद्रीय सत्ता स्थापित करने का अवसर दिया, जिससे धीरे-धीरे सामंती प्रभुत्व कम हुआ। इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों में सत्ता संरचनाओं में महत्वपूर्ण बदलाव आए, जिससे उनके बाद के इतिहास की दिशा तय हुई।
यह नोट्स आपके द्वारा दिए गए स्रोत के आधार पर तैयार किए गए हैं। इनमें दी गई जानकारी केवल उस अध्याय तक सीमित है। परीक्षा की तैयारी के लिए आपको पूरी पाठ्यपुस्तक और अन्य संसाधनों का भी उपयोग करना चाहिए। शुभकामनाएं!
तीन वर्ग, मध्यकालीन यूरोप, सामंतवाद, चर्च मध्यकालीन यूरोप, पादरी वर्ग, अभिजात वर्ग, कृषक वर्ग, मनोर जागीर, कृषि परिवर्तन मध्यकालीन यूरोप, नगरों का उदय यूरोप, व्यापार मध्यकालीन यूरोप, ब्लैक डेथ इतिहास, प्लेग यूरोप, किसान विद्रोह मध्यकालीन, बिहार बोर्ड इतिहास कक्षा 11, बिहार बोर्ड इतिहास नोट्स, कक्षा 11 इतिहास अध्याय 6, बदलते परम्पराएं, सामंतवाद क्या है, मध्यकालीन यूरोप समाज, यूरोप का इतिहास बिहार बोर्ड, पोप मध्यकालीन, मठ जीवन, नाइट मध्यकालीन, सर्फ कौन थे