आत्म-अध्ययन नोट्स: लोकतंत्र की चुनौतियाँ
नमस्ते! यह ब्लॉग पोस्ट बिहार बोर्ड कक्षा 10 की लोकतांत्रिक राजनीति के अध्याय 5, 'लोकतंत्र की चुनौतियाँ', पर आधारित है। इन सम्पूर्ण आत्म-अध्ययन नोट्स के माध्यम से हम भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ जैसे परिवारवाद, जातिवाद, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के साथ-साथ लोकतांत्रिक सुधारों और सूचना का अधिकार (RTI) की भूमिका को समझेंगे। यह आपकी बोर्ड परीक्षा की तैयारी को सरल और प्रभावी बनाने में मदद करेगा।

लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए उसकी चुनौतियों का सामना करना आवश्यक है।
1. लोकतंत्र का अर्थ और उसकी प्रकृति
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जहाँ जनता अपनी मर्जी से सरकार चुनती है। इसे अक्सर "जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन" कहा जाता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जहाँ नए सर्वेक्षणों के अनुसार 71 करोड़ मतदाता हैं। भारतीय लोकतंत्र के मुख्य रूप से तीन अंग हैं: कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका। एक सफल लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका का निष्पक्ष और मजबूत होना अनिवार्य है।
2. लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ
लोकतंत्र की चुनौतियाँ सामान्य समस्याएँ नहीं, बल्कि वे गहरी बाधाएँ हैं जो लोकतंत्र की स्थापना के बाद उभरती हैं। इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
(अ) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
यह उन देशों के लिए है जहाँ लोकतंत्र अभी स्थापित नहीं हुआ है। उन्हें लोकतांत्रिक सरकार के लिए बुनियादी ढाँचा तैयार करना होता है। नेपाल इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जो राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर संक्रमण के दौर से गुजर रहा है।
(ब) विस्तार की चुनौती
यह स्थापित लोकतंत्रों के सामने होती है, जिसमें लोकतंत्र के सिद्धांतों को समाज के हर वर्ग और क्षेत्र में लागू करना शामिल है। जैसे, स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार देना।
(स) लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती
यह लोकतंत्र को केवल कागजों तक सीमित न रखकर उसे वास्तविक रूप में मजबूत बनाने की चुनौती है, जिसमें संस्थागत सुधार और जनता की सक्रिय भागीदारी शामिल है।
3. भारतीय लोकतंत्र की प्रमुख चुनौतियाँ

परिवारवाद, जातिवाद और भ्रष्टाचार भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं।
- भ्रष्टाचार और असमानता: उच्च पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता लोकतंत्र की नींव को कमजोर करती है।
- जातिवाद और परिवारवाद: बिहार जैसे राज्यों में जाति के आधार पर वोटिंग और राजनीतिक दलों में वंशवाद (परिवारवाद) योग्य नेतृत्व को उभरने से रोकता है।
- सामाजिक कुरीतियाँ: शिक्षा का अभाव, लिंग-भेद, बाल-मजदूरी जैसी समस्याएँ कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा डालती हैं।
- धनबल और बाहुबल: चुनावों में धन और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का बढ़ता प्रभाव एक गंभीर चुनौती है। नई लोकसभा में करोड़पति सांसदों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर है।
- आतंकवाद और अलगाववाद: आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियाँ देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा हैं।
- महिलाओं की कम भागीदारी: यद्यपि 15वीं लोकसभा के बाद महिलाओं की भागीदारी 10% से अधिक हो गई है, लेकिन यह अभी भी वैश्विक औसत (19.3%) से कम है। 33% महिला आरक्षण बिल अभी भी लंबित है।
4. लोकतांत्रिक सुधार
लोकतांत्रिक सुधारों का काम मुख्य रूप से राजनीतिक दलों, आंदोलनों और जागरूक नागरिकों द्वारा ही हो सकता है। कानून बनाकर गलत राजनीतिक आचरण को रोका जा सकता है।
सबसे बढ़िया कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने के लिए सशक्त बनाते हैं। सूचना का अधिकार (RTI) कानून इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। यह कानून लोगों को सरकार के कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है। इसलिए, RTI को लोकतंत्र का रखवाला कहा जाता है।
5. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर
1. "लोकतंत्र जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन है" यह कथन किसने कहा है?
2. क्षेत्रवाद की भावना का एक कुपरिणाम क्या है?
3. भारतीय लोकतंत्र ............ लोकतंत्र है।
4. न्यायपालिका में ............ के प्रति निष्ठा होनी चाहिए।
5. परिवारवाद क्या है?
6. सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है, कैसे?
7. गठबंधन की राजनीति कैसे लोकतंत्र को प्रभावित करती है?
8. आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है। कैसे?
9. परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित करता है?
10. क्या चुने हुए शासक लोकतंत्र में अपनी मर्जी से सब कुछ कर सकते हैं?
6. अध्याय पर आधारित 20 नए अभ्यास प्रश्न (उत्तर सहित)
1. भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश क्यों कहा जाता है?
2. भारत ने किस देश की तरह कैबिनेट प्रणाली को अपनाया है?
3. लोकतंत्र की 'विस्तार की चुनौती' का एक उदाहरण दें।
4. बिहार में जातिवादी राजनीति का सबसे बड़ा नुकसान क्या हुआ है?
5. 15वीं लोकसभा चुनाव के बाद महिलाओं की भागीदारी कितने प्रतिशत से अधिक हो गई?
6. एक ऐसे कानून का उदाहरण दें जिसके परिणाम उलटे निकले।
7. लोकतांत्रिक सुधारों के प्रस्तावों में किन उपायों की सफल होने की संभावना ज्यादा होती है?
8. आर्थिक अपराध का एक उदाहरण दें।
9. नेपाल में लोकतांत्रिक गठबंधन में कितने दल शामिल थे?
10. नागरिकों की उदासीनता लोकतंत्र के लिए कैसे एक समस्या है?
11. न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती कैसे बन सकती है?
12. भारतीय लोकतंत्र के तीन अंग कौन-कौन से हैं?
13. वैश्विक स्तर पर महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी कितनी है?
14. लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती का क्या अर्थ है?
15. नक्सली गतिविधियाँ लोकतंत्र के लिए किस प्रकार की चुनौती हैं?
16. पंचायती राज व्यवस्था ने महिलाओं की भागीदारी में कैसे मदद की है?
17. लोकतांत्रिक सुधारों का जोर मुख्यत: किस पर होना चाहिए?
18. 'चुनौतियाँ साधारण समस्याओं जैसी नहीं होतीं' - इसका क्या मतलब है?
19. विदेश-नीति और रक्षा तैयारियाँ लोकतंत्र के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
20. चुनाव में धन के वितरण की चुनौती क्या है?
7. अध्याय का संक्षिप्त सारांश
यह अध्याय लोकतंत्र की चुनौतियों का विश्लेषण करता है। लोकतंत्र, "जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन" है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये चुनौतियाँ तीन प्रकार की हैं: बुनियादी आधार बनाने की, विस्तार की, और लोकतंत्र को मजबूत करने की। भारतीय लोकतंत्र के समक्ष परिवारवाद, जातिवाद, भ्रष्टाचार, धनबल, आतंकवाद और महिलाओं की कम भागीदारी जैसी गंभीर चुनौतियाँ हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए लोकतांत्रिक सुधार आवश्यक हैं। सूचना का अधिकार (RTI) जैसे कानून नागरिकों को सशक्त बनाकर लोकतंत्र के रखवाले के रूप में काम करते हैं। लोकतंत्र की सफलता अंततः राजनीतिक दलों, नागरिक समाज और जागरूक नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर निर्भर करती है।
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