बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत
अध्याय 9: स्वामी दयानन्दः
(पुनरावृत्ति नोट्स, शब्दार्थ, अभ्यास एवं अतिरिक्त प्रश्नोत्तर)
पाठ का सारांश
यह पाठ उन्नीसवीं शताब्दी के महान समाज सुधारक, आर्य समाज के संस्थापक और वेदों के प्रकाण्ड विद्वान स्वामी दयानन्द सरस्वती के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डालता है। उनका जन्म गुजरात के टंकारा नामक गाँव में 1824 ई. में हुआ था। उनका बचपन का नाम मूलशंकर था। शिवरात्रि की एक घटना ने उनके मन में मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था उत्पन्न कर दी और वे सत्य की खोज में निकल पड़े।
उन्होंने मथुरा में प्रज्ञाचक्षु (नेत्रहीन) स्वामी विरजानन्द से वेदों और आर्ष ग्रन्थों की शिक्षा प्राप्त की। गुरु की आज्ञा से उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, कुरीतियों जैसे मूर्तिपूजा, बाल विवाह, छुआछूत, अशिक्षा, विधवाओं की दुर्दशा आदि का खंडन किया और वैदिक धर्म के पुनरुद्धार का बीड़ा उठाया।
उन्होंने 1875 ई. में बम्बई (अब मुंबई) में "आर्य समाज" नामक संस्था की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य वेदों की ओर लौटना और सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था। उन्होंने "सत्यार्थ प्रकाश" नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना हिन्दी में की, ताकि आम लोग भी वैदिक सिद्धांतों को समझ सकें। उन्होंने स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह का समर्थन किया और शिक्षा के प्रसार के लिए गुरुकुलों की स्थापना को प्रोत्साहित किया। उनका नारा था "वेदों की ओर लौटो"। उनका जीवन और कार्य भारतीय समाज के नवजागरण में मील का पत्थर साबित हुआ।
मुख्य बिन्दु
- जन्म: 1824 ई., गुजरात के टंकारा नामक ग्राम में।
- बचपन का नाम: मूलशंकर।
- गुरु: स्वामी विरजानन्द (मथुरा में)।
- प्रमुख कार्य:
- मूर्तिपूजा, कर्मकाण्ड, बाल विवाह, छुआछूत का विरोध।
- स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह का समर्थन।
- वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार।
- आर्य समाज की स्थापना: 1875 ई., बम्बई में।
- प्रमुख ग्रन्थ: सत्यार्थ प्रकाश (हिन्दी में)।
- प्रमुख नारा: "वेदों की ओर लौटो"।
- योगदान: समाज सुधार, शिक्षा का प्रसार, राष्ट्रीय चेतना का जागरण।
- निधन: 1883 ई.।
शब्दार्थ (महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ)
संस्कृत शब्द (देवनागरी) | रोमन लिपि (IAST) | हिन्दी अर्थ |
---|---|---|
प्रादुर्भावः | prādurbhāvaḥ | आविर्भाव, प्रकट होना |
मध्यकाले | madhyakāle | मध्यकाल में |
नानाकुत्सितरीतयः | nānākutsitarītayaḥ | अनेक बुरी रीतियाँ/प्रथाएँ |
अदूषयन् | adūṣayan | दूषित कर रही थीं |
आडम्बरः | āḍambaraḥ | दिखावा, ढोंग |
विजृम्भिता | vijṛmbhitā | फैली हुई |
विचिन्त्य | vicintya | सोचकर |
निर्वेदः | nirvedaḥ | वैराग्य |
उत्पन्नः | utpannaḥ | उत्पन्न हुआ |
अन्वेषणम् | anveṣaṇam | खोज |
प्रव्रजन् | pravrajan | घूमते हुए, यात्रा करते हुए |
प्रज्ञाचक्षुषः | prajñācakṣuṣaḥ | ज्ञान रूपी नेत्रों वाले (यहाँ नेत्रहीन विद्वान के लिए) |
उपागमत् | upāgamat | पास गए |
आर्षग्रन्थानाम् | ārṣagranthānām | ऋषि-मुनियों द्वारा रचित ग्रन्थों का |
अध्ययनं प्रारभत | adhyayanaṁ prārabhata | अध्ययन प्रारम्भ किया |
उद्बोधितः | udbodhitaḥ | प्रेरित हुए, जगाए गए |
प्रचारम् अकरोत् | pracāram akarot | प्रचार किया |
विषमताम् | viṣamatām | असमानता को |
न्यवारयत् | nyavārayat | दूर किया, रोका |
संस्थापयत् | saṁsthāpayat | स्थापित किया |
अङ्गीकृत्य | aṅgīkṛtya | स्वीकार करके |
पुनरुद्धारम् | punaruddhāram | पुनः उद्धार, फिर से स्थापना |
कृतवान् | kṛtavān | किया |
अद्यापि | adyāpi | आज भी |
शाखाप्रशाखाः | śākhāpraśākhāḥ | शाखाएँ और उपशाखाएँ |
प्रवर्तन्ते | pravartante | चल रही हैं, विद्यमान हैं |
अभ्यास प्रश्नोत्तर (पाठ्यपुस्तक के आधार पर मॉडल प्रश्नोत्तर)
(क) एकपदेन उत्तरं वदत (एक पद में उत्तर दें):
1. स्वामी दयानन्दस्य जन्म कुत्र अभवत्?
उत्तरम् - टङ्काराग्रामे (टंकाराग्रामे)
2. बाल्ये स्वामी दयानन्दस्य नाम किम् आसीत्?
उत्तरम् - मूलशङ्करः (मूलशंकरः)
3. स्वामी दयानन्दस्य गुरुः कः आसीत्?
उत्तरम् - विरजानन्दः (विरजानन्दः)
4. आर्यसमाजस्य स्थापना कदा अभवत्?
उत्तरम् - १८७५ तमे वर्षे (1875 तमे वर्षे)
5. सत्यार्थप्रकाशस्य रचयिता कः?
उत्तरम् - स्वामी दयानन्दः
(ख) पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत (पूर्ण वाक्य में उत्तर लिखें):
1. स्वामी दयानन्दः समाजस्य कृते किं किं कृतवान्?
उत्तरम् - स्वामी दयानन्दः समाजस्य कृते मूर्तिपूजायाः खण्डनम्, बालविवाहस्य निवारणम्, विधवाविवाहस्य समर्थनम्, स्त्रीशिक्षायाः प्रचारम्, अस्पृश्यतायाः उन्मूलनं च इत्यादीनि महत्वपूर्णानि कार्याणि कृतवान्। (स्वामी दयानन्द ने समाज के लिए मूर्तिपूजा का खंडन, बाल विवाह का निवारण, विधवा विवाह का समर्थन, स्त्री शिक्षा का प्रचार और अस्पृश्यता का उन्मूलन इत्यादि महत्वपूर्ण कार्य किए।)
2. आर्यसमाजस्य मुख्यः उद्देश्यः कः आसीत्?
उत्तरम् - आर्यसमाजस्य मुख्यः उद्देश्यः वैदिकधर्मस्य पुनरुद्धारः, सामाजिककुरीतीनां निवारणम्, तथा च जनान् वेदानां प्रति उन्मुखं करणम् आसीत्। (आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य वैदिक धर्म का पुनरुद्धार, सामाजिक कुरीतियों का निवारण तथा लोगों को वेदों की ओर उन्मुख करना था।)
3. स्वामी दयानन्दः किं स्लोगनम् (नारा) अददात्?
उत्तरम् - स्वामी दयानन्दः "वेदान् प्रति गच्छत" (वेदों की ओर लौटो) इति स्लोगनम् अददात्।
20 अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
(अ) बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
-
स्वामी दयानन्द का जन्म किस राज्य में हुआ था?
उत्तरम्: (ख) गुजरात
-
मूलशंकर को वैराग्य भाव कब उत्पन्न हुआ?
उत्तरम्: (घ) शिवरात्रि पर्व पर (और बाद में भगिनी/स्वजन की मृत्यु ने इसे दृढ़ किया)
-
स्वामी विरजानन्द कहाँ रहते थे?
उत्तरम्: (ग) मथुरा में
-
'सत्यार्थ प्रकाश' किस भाषा में रचित ग्रन्थ है?
उत्तरम्: (घ) हिन्दी
-
आर्य समाज की स्थापना कहाँ हुई थी?
उत्तरम्: (ग) बम्बई
-
स्वामी दयानन्द ने किसका खण्डन किया?
उत्तरम्: (ख) मूर्तिपूजा का
-
"वेदों की ओर लौटो" यह किसका नारा था?
उत्तरम्: (ग) स्वामी दयानन्द
-
स्वामी दयानन्द के गुरु कैसे थे?
उत्तरम्: (ख) नेत्रहीन (प्रज्ञाचक्षु)
-
डी.ए.वी. (दयानन्द एंग्लो वैदिक) विद्यालयों की स्थापना किसकी प्रेरणा से हुई?
उत्तरम्: (ग) स्वामी दयानन्द (उनके अनुयायियों द्वारा उनकी स्मृति में)
-
स्वामी दयानन्द का निधन कब हुआ?
उत्तरम्: (ख) 1883 ई.
(आ) लघु उत्तरीय प्रश्न:
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स्वामी दयानन्द का बचपन का नाम क्या था और क्यों प्रसिद्ध हुआ?
स्वामी दयानन्द का बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। यह नाम इसलिए प्रसिद्ध हुआ क्योंकि यही वह व्यक्ति थे जिन्होंने बाद में स्वामी दयानन्द के रूप में भारतीय समाज में क्रान्तिकारी सुधार किए।
-
शिवरात्रि की किस घटना ने मूलशंकर के जीवन को बदल दिया?
शिवरात्रि पर्व पर जब मूलशंकर ने देखा कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को चूहे खा रहे हैं, तो उनके मन में मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था उत्पन्न हो गई और वे सोचने लगे कि यदि यह मूर्ति स्वयं अपनी रक्षा नहीं कर सकती तो दूसरों की क्या करेगी। इसी घटना ने उन्हें सत्य की खोज के लिए प्रेरित किया।
-
स्वामी दयानन्द ने समाज सुधार के लिए कौन-कौन से प्रमुख कार्य किए?
स्वामी दयानन्द ने मूर्तिपूजा, बाल विवाह, छुआछूत, जातीय भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों का खंडन किया। उन्होंने स्त्री शिक्षा और विधवा विवाह का पुरजोर समर्थन किया।
-
'आर्य समाज' की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
'आर्य समाज' की स्थापना का मुख्य उद्देश्य वैदिक धर्म की पुनः प्रतिष्ठा करना, समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों को दूर करना, तथा भारतीयों को उनके गौरवशाली अतीत से परिचित कराकर उनमें आत्मगौरव का भाव जगाना था।
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"सत्यार्थ प्रकाश" ग्रन्थ की रचना का क्या प्रयोजन था?
"सत्यार्थ प्रकाश" ग्रन्थ की रचना हिन्दी में इसलिए की गई ताकि सामान्य जन भी वेदों के वास्तविक ज्ञान, ईश्वर, धर्म और समाज संबंधी सत्य विचारों को आसानी से समझ सकें और पाखंडों से बच सकें।
-
स्वामी दयानन्द ने शिक्षा के क्षेत्र में क्या योगदान दिया?
स्वामी दयानन्द ने वैदिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा के समन्वय पर बल दिया। उनकी प्रेरणा से ही बाद में डी.ए.वी. (दयानन्द एंग्लो वैदिक) स्कूल और कॉलेजों की स्थापना हुई, तथा गुरुकुल कांगड़ी जैसे संस्थानों की भी नींव पड़ी।
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स्वामी विरजानन्द ने अपने शिष्य दयानन्द से गुरुदक्षिणा में क्या माँगा?
स्वामी विरजानन्द ने अपने शिष्य दयानन्द से गुरुदक्षिणा में यह वचन माँगा कि वे अपना सम्पूर्ण जीवन वेदों के प्रचार-प्रसार और समाज में व्याप्त अज्ञान और कुरीतियों को दूर करने में लगा देंगे।
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स्वामी दयानन्द के अनुसार धर्म का वास्तविक स्वरूप क्या था?
स्वामी दयानन्द के अनुसार धर्म का वास्तविक स्वरूप वेदों में निहित सत्य, ज्ञान और तर्क पर आधारित था। वे आडम्बरों, अंधविश्वासों और कर्मकांडों को धर्म नहीं मानते थे।
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स्वामी दयानन्द को "आधुनिक भारत का निर्माता" क्यों कहा जाता है?
स्वामी दयानन्द ने भारतीय समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों, अंधविश्वासों को दूर कर लोगों में नई चेतना जगाई, शिक्षा के महत्व को समझाया, और राष्ट्रीय गौरव की भावना का संचार किया। उनके इन कार्यों ने आधुनिक भारत के निर्माण की नींव रखी, इसलिए उन्हें यह संज्ञा दी जाती है।
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स्वामी दयानन्द द्वारा प्रचारित किन्हीं दो सामाजिक सुधारों का उल्लेख करें।
स्वामी दयानन्द द्वारा प्रचारित दो प्रमुख सामाजिक सुधार थे:
(i) मूर्तिपूजा और व्यर्थ के कर्मकांडों का खंडन।
(ii) स्त्री शिक्षा और विधवा विवाह का समर्थन।
यह पुनरावृत्ति सामग्री आपको अध्याय को समझने और परीक्षा की तैयारी में मदद करेगी। इस सामग्री को ध्यानपूर्वक पढ़ें और सभी प्रश्नों का अभ्यास करें।
शुभकामनाएँ!
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