बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत: अध्याय 10
मन्दाकिनीवर्णनम् (मन्दाकिनी का वर्णन)
प्रिय छात्रों, इस ब्लॉग पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत के दसवें अध्याय "मन्दाकिनीवर्णनम्" का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह पाठ वाल्मीकि रामायण से लिया गया है और इसमें प्रकृति की अद्भुत सुंदरता का मनोहारी वर्णन है। यहाँ आपको सम्पूर्ण पुनरीक्षण नोट्स, महत्वपूर्ण शब्दार्थ, पाठ्यपुस्तक के हल किए गए अभ्यास और अतिरिक्त प्रश्नोत्तर मिलेंगे, जो आपकी परीक्षा की तैयारी में अत्यंत सहायक होंगे।
पुनरीक्षण नोट्स (Revision Notes)
1. पाठ का परिचय:
यह पाठ महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अयोध्याकाण्ड के 95वें सर्ग से संकलित है। इसमें चित्रकूट पर्वत के निकट बहने वाली मन्दाकिनी नामक छोटी नदी का अनुपम वर्णन किया गया है। वनवास काल में जब श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट पहुँचते हैं, तो वे माता सीता को मन्दाकिनी नदी की प्राकृतिक सुषमा (सुंदरता) का दर्शन कराते हुए उसका वर्णन करते हैं। यह वर्णन इतना सजीव और मनमोहक है कि पाठक स्वयं को प्रकृति की गोद में अनुभव करने लगते हैं।
2. पाठ का सारांश:
श्री राम, सीता को 'हे सीते!', 'हे विशालाक्षि!', 'हे शोभने!' जैसे प्रिय संबोधनों से पुकारते हुए मन्दाकिनी नदी की ओर उनका ध्यान आकर्षित करते हैं। वे कहते हैं:
- "हे सीते! फूलों से परिपूर्ण, हंसों और सारसों जैसे पक्षियों से सेवित, सुंदर किनारों वाली इस मनमोहक मन्दाकिनी नदी को देखो।"
- यह नदी रंग-बिरंगे तटों वाली है और इसकी शोभा पुष्पों और फलों से लदे वृक्षों से और भी बढ़ गई है, ठीक वैसे ही जैसे कुबेर का सरोवर सुशोभित होता है।
- मृग-समूहों द्वारा पीया गया इसका जल अब निर्मल और कलुषरहित (गंदगी रहित) हो गया है, जो पीने के लिए उपयुक्त है।
- जटा और मृगचर्म धारण करने वाले, वल्कल वस्त्र पहनने वाले ऋषि-मुनि इसी पवित्र मन्दाकिनी में समय पर स्नान करते हैं और नियमपूर्वक सूर्य देव की उपासना करते हैं।
- कुछ ऊँचे उठे हुए शिखर वाले पर्वत, जो वृक्षों से आच्छादित हैं, मन्दाकिनी के दोनों ओर ऐसे सुशोभित हो रहे हैं मानो वे वायु के वेग से नृत्य कर रहे हों।
- श्री राम सीता को दिखाते हैं कि किस प्रकार वायु द्वारा उड़ाए गए फूल नदी पर तैर रहे हैं और वृक्षों की चोटियाँ मानो आनंद में झूम रही हैं।
- वे कहते हैं कि इस मन्दाकिनी का दर्शन, चित्रकूट का निवास अयोध्या के राजभवन के सुख से भी कहीं अधिक सुखदायी और श्रेयस्कर है। यहाँ का निर्मल जल, यहाँ निवास करने वाले सिद्धजन, और यह प्राकृतिक सौन्दर्य मन को मोह लेता है।
लक्ष्मण भी इस दिव्य वर्णन को सुनते हैं और सीता भी प्रकृति की इस अनुपम छटा को देखकर अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
3. मुख्य शिक्षा/संदेश:
- प्रकृति का सौन्दर्य अद्वितीय होता है और यह हमारे मन को शांति तथा आनंद प्रदान करता है।
- कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी प्रकृति का सान्निध्य हमें सुखद अनुभूति प्रदान कर सकता है और हमारे दुखों को कम कर सकता है।
- हमें अपनी प्राकृतिक धरोहरों, जैसे नदियों, पर्वतों, वनों का सम्मान करना चाहिए और उनके संरक्षण के प्रति सचेत रहना चाहिए।
शब्दार्थ (Word Meanings)
संस्कृत शब्द (और संबोधन) | हिन्दी अर्थ | English Meaning |
---|---|---|
विशालाक्षि (हे विशाल नेत्रों वाली!) | सीता के लिए संबोधन | O large-eyed one! (Address to Sita) |
शोभने (हे सुंदरी!) | सीता के लिए संबोधन | O beautiful one! (Address to Sita) |
हंससारससेविताम् | हंसों और सारसों से सेवित | Frequented by swans and cranes |
कुसुमैः | फूलों से | With flowers |
उपसम्पन्नाम् | युक्त, परिपूर्ण | Endowed with, full of |
पश्य | देखो | See / behold |
मन्दाकिनीं नदीम् | मन्दाकिनी नदी को | The Mandakini river |
नानाविधैः | अनेक प्रकार के | With various types |
तीररुहैः | किनारे पर उगे हुए वृक्षों से | By trees grown on the banks |
वृताम् | घिरी हुई, आच्छादित | Surrounded, covered |
पुष्पफलद्रुमैः | फूलों और फलों वाले वृक्षों से | With trees bearing flowers and fruits |
राजन्तीम् | सुशोभित होती हुई | Shining, looking beautiful |
राजराजस्य | कुबेर की (राजाओं के राजा) | Of Kubera (king of kings, god of wealth) |
नलिनीमिव | सरोवर की तरह | Like a pond/lake |
मृगयूथनिपीतानि | हिरणों के समूह द्वारा पिए गए | Drunk by herds of deer |
कलुषांभसि | गंदे जल (यहाँ 'अकलुषांभांसि' = निर्मल जल) | Dirty water (here 'akalushambhansi' implies clear/pure water) |
साम्प्रतम् | इस समय, अब | Now, at present |
जटाजिनधराः | जटा और मृगचर्म धारण करने वाले | Wearing matted hair and deer skin |
काले | समय पर | On time, at the proper time |
वल्कलोत्तरवाससः | पेड़ की छाल के वस्त्र पहनने वाले | Wearing upper garments made of tree bark |
ऋषयः | ऋषिगण | Sages, seers |
अवगाहन्ते | स्नान करते हैं, डुबकी लगाते हैं | Bathe, immerse |
आदित्यम् | सूर्य को | The Sun |
उपतिष्ठन्ते | पूजा/आराधना करते हैं, उपासना करते हैं | Worship, adore |
नियमात् | नियमपूर्वक | According to rules, regularly |
मारुतोद्धूतशिखरैः | वायु द्वारा हिलाए गए शिखरों वाले | With peaks shaken by the wind |
प्रनृत्त इव | नृत्य करते हुए से | As if dancing |
पर्वतः | पर्वत | Mountain |
पादपैः | वृक्षों से | By trees |
क्वचित् | कहीं | Somewhere |
मणिनिकाशोदकाम् | मणि जैसे निर्मल जल वाली | With water as clear as crystal/gem |
पुलिनान्विताम् | सुंदर तटों वाली (रेतीले किनारों से युक्त) | With beautiful banks (having sandy shores) |
सिद्धजनाकीर्णाम् | सिद्ध पुरुषों से भरी हुई, सेवित | Crowded/frequented with accomplished sages |
निर्धूत | उड़ाए हुए, झकझोरे हुए | Blown away, shaken off |
वायुना | वायु द्वारा | By the wind |
पुष्पसञ्चयान् | फूलों के समूह को | Heaps/collections of flowers |
पोप्लूयमानान् | तैरते हुए | Floating |
अपरान् | दूसरे | Others |
जलमध्यगान् | जल के मध्य में स्थित | Situated in the middle of the water |
त्वम् | तुम (यहाँ सीता के लिए) | You (here, for Sita) |
एतां | इसको | This |
दर्शनम् | दर्शन, दृश्य | Sight, view |
चित्रकूटस्य | चित्रकूट का | Of Chitrakoot |
मन्दाकिन्याः | मन्दाकिनी का | Of Mandakini |
अधिकम् | अधिक | More |
पुरात् | नगर से/अयोध्या से | Than the city (Ayodhya) |
मन्ये | मैं मानता हूँ | I believe/think |
तव | तुम्हारा (यहाँ सीता का) | Your (here, Sita's) |
संस्तवात् | साथ में रहने से / प्रशंसा से (प्रसंगानुसार अर्थ) | From living together / from praise (contextual) |
पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर (Solved Textbook Exercises)
(क) एकपदेन उत्तरं वदत (एक पद में उत्तर दें):
1. मन्दाकिनी नदी कस्य पर्वतस्य निकटे प्रवहति? (मन्दाकिनी नदी किस पर्वत के निकट बहती है?)
उत्तर: चित्रकूटस्य (चित्रकूट के)
2. नृत्यति इव कः प्रतिभाति? (कौन नृत्य करता हुआ सा प्रतीत होता है?)
उत्तर: पर्वतः (पर्वत)
3. मन्दाकिनीवर्णनं रामायणस्य कस्मिन् काण्डे अस्ति? (मन्दाकिनी वर्णन रामायण के किस काण्ड में है?)
उत्तर: अयोध्याकाण्डे (अयोध्याकाण्ड में)
4. रामः मन्दाकिनीं नदीं कां दर्शयति? (राम मन्दाकिनी नदी किसे दिखाते हैं?)
उत्तर: सीताम् (सीता को)
5. मन्दाकिनी नदी कीदृशैः पुष्पैः सम्पन्ना अस्ति? (मन्दाकिनी नदी कैसे फूलों से युक्त है?)
उत्तर: नानाविधैः (अनेक प्रकार के) / कुसुमैः (फूलों से)
6. जटाजिनधराः के सन्ति? (जटा और मृगचर्म धारण करने वाले कौन हैं?)
उत्तर: ऋषयः (ऋषिगण)
(ख) पूर्णवाक्येन उत्तरं वदत (पूर्ण वाक्य में उत्तर दें):
1. सीतायाः कृते रामः मन्दाकिनीं कथं वर्णयति? (सीता के लिए राम मन्दाकिनी का वर्णन कैसे करते हैं?)
उत्तर: रामः सीतायाः कृते मन्दाकिनीं हंससारससेवितां, पुष्पफलद्रुमैः आवृतां, मृगयूथनिपीतजलां, ऋषिजनावगाहितां च वर्णयति। (राम सीता के लिए मन्दाकिनी को हंसों-सारसों से सेवित, फूलों-फलों के वृक्षों से ढकी, हिरणों के झुंड द्वारा पिए गए जल वाली और ऋषियों द्वारा स्नान की जाने वाली नदी के रूप में वर्णित करते हैं।)
2. ऋषयः मन्दाकिन्यां किं कुर्वन्ति? (ऋषिगण मन्दाकिनी में क्या करते हैं?)
उत्तर: ऋषयः मन्दाकिन्यां स्नानं कुर्वन्ति आदित्यं च उपतिष्ठन्ते। (ऋषिगण मन्दाकिनी में स्नान करते हैं और सूर्य की उपासना करते हैं।)
3. मन्दाकिन्याः वर्णनं श्रुत्वा सीता किं अनुभवति? (मन्दाकिनी का वर्णन सुनकर सीता क्या अनुभव करती हैं?)
उत्तर: मन्दाकिन्याः वर्णनं श्रुत्वा सीता प्रसन्नतां सुखं च अनुभवति। (मन्दाकिनी का वर्णन सुनकर सीता प्रसन्नता और सुख का अनुभव करती हैं।)
4. श्रीरामः मन्दाकिन्याः दर्शनं कस्मात् अधिकं महत्त्वपूर्णं मन्यते? (श्रीराम मन्दाकिनी के दर्शन को किससे अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं?)
उत्तर: श्रीरामः मन्दाकिन्याः दर्शनं पुरात् (अयोध्यायाः राजसुखात्) अधिकं महत्त्वपूर्णं मन्यते। (श्रीराम मन्दाकिनी के दर्शन को नगर (अयोध्या के राजसुख) से अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं।)
(ग) रिक्तस्थानानि पूरयत (रिक्त स्थानों की पूर्ति करें):
(यह प्रश्न पाठ्यपुस्तक के श्लोकों पर आधारित होगा। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं।)
- विशालाक्षि! पश्य एनां मन्दाकिनीं नदीम्।
- क्वचित् मणिनिकाशोदकां क्वचित् पुलिनशालिनीम्।
- जटाजिनधराः काले वल्कलोत्तरवाससः।
- दर्शनं चित्रकूटस्य मन्दाकिन्याश्च शोभने।
(घ) संस्कृतेन वाक्यप्रयोगं कुरुत (संस्कृत में वाक्य प्रयोग करें):
(यह छात्रों को स्वयं करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यहाँ उदाहरण हैं।)
- पश्य (देखो) - त्वं चित्रं पश्य। (तुम चित्र देखो।)
- वृक्षः (पेड़) - ग्रामे एकः विशालः वृक्षः अस्ति। (गाँव में एक विशाल पेड़ है।)
- नदी (नदी) - गंगा एका पवित्रा नदी अस्ति। (गंगा एक पवित्र नदी है।)
- सुन्दरम् (सुंदर) - उद्यानस्य पुष्पं सुन्दरम् अस्ति। (बगीचे का फूल सुंदर है।)
- पर्वतः (पर्वत) - हिमालयः उन्नतः पर्वतः अस्ति। (हिमालय ऊँचा पर्वत है।)
20 अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (20 Additional Questions with Solutions)
1. प्रश्न: "मन्दाकिनीवर्णनम्" पाठस्य स्रोतः कः? (मन्दाकिनीवर्णनम् पाठ का स्रोत क्या है?)
उत्तर: वाल्मीकिरामायणम् (अयोध्याकाण्डम्)।
2. प्रश्न: मन्दाकिनी नदी केन सेविता अस्ति? (मन्दाकिनी नदी किससे सेवित है?)
उत्तर: हंससारसैः (हंसों और सारसों से)।
3. प्रश्न: रामः कं सम्बोध्य मन्दाकिनीं वर्णयति? (राम किसे सम्बोधित करके मन्दाकिनी का वर्णन करते हैं?)
उत्तर: सीताम् (सीता को)।
4. प्रश्न: के जटाजिनधराः सन्ति? (कौन जटा और मृगचर्म धारण करने वाले हैं?)
उत्तर: ऋषयः (ऋषिगण)।
5. प्रश्न: ऋषयः कं देवम् उपतिष्ठन्ते? (ऋषिगण किस देवता की उपासना करते हैं?)
उत्तर: आदित्यम् (सूर्य को)।
6. प्रश्न: नदीजलं कैः पीतम्? (नदी का जल किनके द्वारा पिया गया है?)
उत्तर: मृगयूथैः (हिरणों के समूहों द्वारा)।
7. प्रश्न: "विशालाक्षि" इति कस्यै सम्बोधनम्? ("विशालाक्षि" यह किसके लिए संबोधन है?)
उत्तर: सीतायै (सीता के लिए)।
8. प्रश्न: मन्दाकिन्याः जलं कीदृशम् अस्ति? (मन्दाकिनी का जल कैसा है?)
उत्तर: निर्मलम् / अकलुषम् (निर्मल / स्वच्छ)।
9. प्रश्न: चित्रकूटपर्वतः कैः आच्छन्नः अस्ति? (चित्रकूट पर्वत किनसे ढका हुआ है?)
उत्तर: पादपैः / वृक्षैः (वृक्षों से)।
10. प्रश्न: वायुना उध्धूताः के प्रनृत्ताः इव भान्ति? (वायु द्वारा उड़ाए गए कौन नृत्य करते हुए से लगते हैं?)
उत्तर: पर्वतशिखराणि / पादपाः (पर्वत शिखर / वृक्ष)।
11. प्रश्न: पुष्पसञ्चयाः कुत्र पोप्लूयमानाः सन्ति? (फूलों के समूह कहाँ तैर रहे हैं?)
उत्तर: जलमध्येषु (जल के मध्य में)।
12. प्रश्न: रामस्य मते चित्रकूटस्य मन्दाकिन्याश्च दर्शनं कस्मात् अधिकं श्रेयस्करम्? (राम के मत में चित्रकूट और मन्दाकिनी का दर्शन किससे अधिक कल्याणकारी है?)
उत्तर: पुरवासात् / अयोध्यायाः राजसुखात् (नगर के वास से / अयोध्या के राजसुख से)।
13. प्रश्न: "शोभने" इति सम्बोधनपदं कस्यै प्रयुक्तम्? ("शोभने" यह संबोधन पद किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?)
उत्तर: सीतायै (सीता के लिए)।
14. प्रश्न: मन्दाकिनी नदी कुत्र स्थिता अस्ति? (मन्दाकिनी नदी कहाँ स्थित है?)
उत्तर: चित्रकूटपर्वतस्य समीपे (चित्रकूट पर्वत के पास)।
15. प्रश्न: मन्दाकिन्याः तीरेषु के विराजन्ते? (मन्दाकिनी के तटों पर कौन सुशोभित हैं?)
उत्तर: पुष्पफलद्रुमाः (फूलों और फलों वाले वृक्ष)।
16. प्रश्न: "वल्कलोत्तरवाससः" के सन्ति? ("पेड़ की छाल के वस्त्र पहनने वाले" कौन हैं?)
उत्तर: ऋषयः (ऋषिगण)।
17. प्रश्न: मन्दाकिनीवर्णनं केन कृतम्? (मन्दाकिनी का वर्णन किसके द्वारा किया गया है?)
उत्तर: रामेण (राम के द्वारा)।
18. प्रश्न: रामः, सीता, लक्ष्मणश्च कुत्र निवसन्ति स्म अस्मिन् प्रसङ्गे? (इस प्रसंग में राम, सीता और लक्ष्मण कहाँ निवास कर रहे थे?)
उत्तर: चित्रकूटे (चित्रकूट में)।
19. प्रश्न: मन्दाकिनी नदी कीदृशी नलिनी इव राजते? (मन्दाकिनी नदी किस प्रकार की नलिनी (सरोवर) के समान सुशोभित है?)
उत्तर: राजराजस्य (कुबेर की) नलिनी इव।
20. प्रश्न: पाठेऽस्मिन् कस्याः नद्याः वर्णनम् अस्ति? (इस पाठ में किस नदी का वर्णन है?)
उत्तर: मन्दाकिन्याः (मन्दाकिनी का)।
हमें उम्मीद है कि यह विस्तृत अध्ययन सामग्री आपको "मन्दाकिनीवर्णनम्" अध्याय को गहराई से समझने और परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में मदद करेगी। प्रकृति के इस सुंदर वर्णन का आनंद लें और इसके संदेशों को अपने जीवन में उतारें।
शुभकामनाएँ!
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