Bihar Board class10 sanskrit chapter11- व्याघ्रपथिककथा | Revision notes | Exercise solved | Additional question solved

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व्याघ्रपथिककथा कक्षा 10 संस्कृत (Bihar Board) - सम्पूर्ण नोट्स, प्रश्नोत्तर | Chapter 11

बिहार बोर्ड कक्षा 10 – संस्कृत

अध्याय 11: व्याघ्रपथिककथा (बाघ और राहगीर की कहानी)

पाठ का परिचय (Parichay)

"व्याघ्रपथिककथा" नारायण पण्डित द्वारा रचित प्रसिद्ध नीति कथा ग्रंथ "हितोपदेश" के "मित्रलाभ" नामक खंड से संकलित है। इस कथा में एक बूढ़े, धूर्त बाघ और एक लालची राहगीर का वर्णन है। बाघ सोने के कंगन का लालच देकर राहगीर को अपने जाल में फँसाता है और अंततः उसे मारकर खा जाता है। यह कथा हमें शिक्षा देती है कि लोभ विनाश का कारण बनता है और अविश्वसनीय प्राणियों की बातों पर सहज विश्वास नहीं करना चाहिए।

पाठ का सारांश (Saaransh)

एक बूढ़ा बाघ स्नान करके हाथ में कुश लिए तालाब के किनारे बैठा था और राहगीरों को पुकार रहा था, "अरे राहगीरों! यह सोने का कंगन ले लो।" एक लालची राहगीर ने सोचा कि भाग्य से ही ऐसा मिलता है, लेकिन फिर उसने सोचा कि जहाँ संदेह हो, वहाँ नहीं जाना चाहिए क्योंकि अनुचित कार्य से भी कभी-कभी लाभ हो जाता है, परन्तु उससे अंत में हानि ही होती है।

राहगीर ने पूछा, "तुम्हारा कंगन कहाँ है?" बाघ ने अपना हाथ फैलाकर कंगन दिखाया। राहगीर ने कहा, "तुम हिंसक हो, मैं तुम पर कैसे विश्वास करूँ?"

बाघ ने उत्तर दिया, "हे राहगीर! सुनो, युवावस्था में मैं बहुत दुराचारी था। मैंने अनेक गायों और मनुष्यों का वध किया, जिसके कारण मेरे पुत्र और पत्नी मर गए और मैं वंशहीन हो गया। फिर किसी धर्मात्मा ने मुझे उपदेश दिया कि दान-धर्म करो। उनके उपदेश से मैं अब स्नान करके, दान देने वाला, बूढ़ा, गले हुए नाखून और दाँतों वाला हो गया हूँ, तो मुझ पर विश्वास क्यों नहीं करते? मैंने शास्त्रों में भी पढ़ा है कि दरिद्रों को धन देना चाहिए, रोगी को औषधि, और धनवान को धन देना व्यर्थ है। दूसरों को उपदेश देना सरल है, पर स्वयं आचरण करना कठिन है। इसलिए मैं तुम्हें यह कंगन देना चाहता हूँ।"

बाघ की बातों में आकर राहगीर लोभ में पड़ गया। उसने सोचा, "बाघ सही कह रहा है।" बाघ ने आगे कहा, "इस तालाब में स्नान करके यह सोने का कंगन ग्रहण करो।"

जैसे ही राहगीर स्नान करने के लिए तालाब में घुसा, वह गहरे कीचड़ में फँस गया और भागने में असमर्थ हो गया। कीचड़ में फँसे हुए उसे देखकर बाघ बोला, "अरे! तुम गहरे कीचड़ में फँस गए हो। ठहरो, मैं तुम्हें निकालता हूँ।" ऐसा कहकर बाघ धीरे-धीरे उसके पास गया और उस राहगीर को पकड़कर मार डाला और खा गया।

शिक्षा (Moral of the Story)

  • लोभ सभी पापों का मूल है (लोभः पापस्य कारणम्)।
  • अत्यधिक लालच विनाश की ओर ले जाता है (अतिलोभो विनाशाय)।
  • दुष्टों की मीठी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
  • सोच-समझकर ही कोई कदम उठाना चाहिए।

प्रमुख पात्र (Main Characters)

  1. वृद्ध व्याघ्र (बूढ़ा बाघ): धूर्त, चालाक, हिंसक, अपने स्वार्थ के लिए धर्म का दिखावा करने वाला।
  2. पथिक (राहगीर): लालची, भाग्यवादी, बाघ की बातों में आसानी से आ जाने वाला।

महत्वपूर्ण शब्दार्थ (Important Word Meanings)

संस्कृत शब्द (देवनागरी) रोमन लिपि (उच्चारण) हिन्दी अर्थ
स्नात्वाsnātvāस्नान करके
सरस्तीरेsarastīreतालाब के किनारे
ब्रूतेbrūteबोलता है
भो भोः पान्थाःbho bhoḥ pānthāḥअरे अरे राहगीरों!
इदं सुवर्णकङ्कणम्idaṁ suvarṇakaṅkaṇamयह सोने का कंगन
गृह्यताम्gṛhyatāmग्रहण करो / ले लो
लोभाकृष्टेनlobhākṛṣṭenaलोभ से आकर्षित हुए
पथिकेनpathikenaराहगीर के द्वारा
आलोकितम्ālokitamदेखा गया
भाग्येनैतत् सम्भवतिbhāgyenaitat sambhavatiभाग्य से ही यह संभव होता है
आत्मसन्देहेātmasandeheअपने विषय में संदेह होने पर
प्रवृत्तिर्न विधेयाpravṛttirna vidheyāप्रवृत्त नहीं होना चाहिए / कार्य नहीं करना चाहिए
हिंसात्मके त्वयि कथं विश्वासः?hiṁsātmake tvayi kathaṁ viśvāsaḥ?हिंसक तुम पर कैसे विश्वास करूँ?
शृणु रे पान्थśṛṇu re pānthaसुनो रे राहगीर
प्रागेव यौवनदशायाम्prāgeva yauvanadaśāyāmपहले युवावस्था में
अतिदुर्वृत्तः आसम्atidurvṛttaḥ āsamबहुत दुराचारी था
अनेकगोमानुषाणां वधात्anekagomānuṣāṇāṁ vadhātअनेक गायों और मनुष्यों के वध से
वंशहीनश्चाहम्vaṁśahīnaścāhamऔर मैं वंशहीन हो गया
उपदिष्टोऽहम्upadiṣṭo'hamमुझे उपदेश दिया गया
गलितनखदन्तःgalitanakhadantaḥजिसके नाखून और दाँत गल गए हों
कथं न विश्वासभूमिः?kathaṁ na viśvāsabhūmiḥ?कैसे विश्वास का पात्र नहीं हूँ?
दरिद्रान् भर कौन्तेयdaridrān bhara kaunteyaहे कुंतीपुत्र! दरिद्रों का भरण-पोषण करो
पङ्केpaṅkeकीचड़ में
निमग्नःnimagnaḥडूब गया
पलायितुमक्षमःpalāyitumakṣamaḥभागने में असमर्थ
व्यापादितः खादितश्चvyāpāditaḥ khāditaścaमार डाला गया और खा लिया गया

पाठ्यपुस्तक के हल किए गए अभ्यास (Solved Textbook Exercises)

(यहाँ सामान्य प्रकार के प्रश्नों को शामिल किया जा रहा है, जो पाठ्यपुस्तकों में होते हैं। आपके विशिष्ट पाठ्यपुस्तक के प्रश्न थोड़े भिन्न हो सकते हैं।)

I. एकपदेन उत्तरत (एक पद में उत्तर दें):

1. वृद्धव्याघ्रः कुत्र ब्रूते स्म? (बूढ़ा बाघ कहाँ बोल रहा था?)

उत्तरम्: सरस्तीरे (तालाब के किनारे)

2. व्याघ्रस्य हस्ते किम् आसीत्? (बाघ के हाथ में क्या था?)

उत्तरम्: सुवर्णकङ्कणम् (सोने का कंगन)

3. कः लोभाकृष्टः अभवत्? (कौन लोभ से आकृष्ट हुआ?)

उत्तरम्: पथिकः (राहगीर)

4. पथिकः कुत्र निमग्नः अभवत्? (राहगीर कहाँ डूब गया?)

उत्तरम्: महापङ्के (गहरे कीचड़ में)

5. "व्याघ्रपथिककथा" कस्य ग्रन्थस्य भागः? (व्याघ्रपथिककथा किस ग्रंथ का भाग है?)

उत्तरम्: हितोपदेशस्य (हितोपदेश का)

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर दें):

1. वृद्धव्याघ्रः किं दातुम् इच्छति स्म? (बूढ़ा बाघ क्या देना चाहता था?)

उत्तरम्: वृद्धव्याघ्रः सुवर्णकङ्कणं दातुम् इच्छति स्म। (बूढ़ा बाघ सोने का कंगन देना चाहता था।)

2. पथिकेन किं विचारितम्? (राहगीर ने क्या सोचा?)

उत्तरम्: पथिकेन विचारितं यत् भाग्येन एव एतत् सम्भवति किन्तु आत्मसन्देहे प्रवृत्तिर्न विधेया। (राहगीर ने सोचा कि भाग्य से ही यह संभव होता है, किन्तु संदेह होने पर प्रवृत्त नहीं होना चाहिए।)

3. व्याघ्रः पथिकं कथं व्यापादितवान् खादितवान् च? (बाघ ने राहगीर को कैसे मारा और खाया?)

उत्तरम्: यदा पथिकः महापङ्के निमग्नः पलायितुम् अक्षमः अभवत्, तदा व्याघ्रः तं धृत्वा व्यापादितवान् खादितवान् च। (जब राहगीर गहरे कीचड़ में डूब गया और भागने में असमर्थ हो गया, तब बाघ ने उसे पकड़कर मार डाला और खा लिया।)

4. अस्मात् कथायाः का शिक्षा मिलति? (इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?)

उत्तरम्: अस्मात् कथायाः शिक्षा मिलति यत् लोभः न कर्तव्यः, अविश्वसनीयेषु विश्वासः न विधेयः। (इस कथा से शिक्षा मिलती है कि लालच नहीं करना चाहिए, अविश्वसनीय लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।)

III. रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करें):

1. व्याघ्रः सरस्तीरे ब्रूते। (बाघ तालाब के किनारे बोलता है।)

उत्तरम्: व्याघ्रः कुत्र ब्रूते? (बाघ कहाँ बोलता है?)

2. पथिकः लोभाकृष्टः अभवत्। (राहगीर लोभ से आकृष्ट हुआ।)

उत्तरम्: कः लोभाकृष्टः अभवत्? (कौन लोभ से आकृष्ट हुआ?)

3. व्याघ्रः पथिकाय सुवर्णकङ्कणं दातुम् ऐच्छत्। (बाघ ने राहगीर को सोने का कंगन देना चाहा।)

उत्तरम्: व्याघ्रः कस्मै सुवर्णकङ्कणं दातुम् ऐच्छत्? (बाघ ने किसको सोने का कंगन देना चाहा?)

4. व्याघ्रः शास्त्रज्ञः इव आचरति स्म। (बाघ शास्त्रज्ञ की तरह आचरण कर रहा था।)

उत्तरम्: व्याघ्रः कीदृशः इव आचरति स्म? (बाघ किस प्रकार का आचरण कर रहा था?)

IV. सन्धिविच्छेदं कुरुत (संधि-विच्छेद करें):

1. भाग्येनैतत् = भाग्येन + एतत्

2. वंशहीनश्चाहम् = वंशहीनः + च + अहम्

3. उपदिष्टोऽहम् = उपदिष्टः + अहम्

4. लोभाकृष्टेन = लोभ + आकृष्टेन

5. इत्युक्त्वा = इति + उक्त्वा

20 अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (20 Additional Questions with Solutions):

1. "व्याघ्रपथिककथा" के रचयिता कौन हैं?

उत्तर: नारायण पण्डित।

2. हितोपदेश में कितने भाग हैं?

उत्तर: चार (मित्रलाभ, सुहृद्भेद, विग्रह, सन्धि)।

3. बाघ ने स्वयं को कैसा बताया था?

उत्तर: दानशील, बूढ़ा, गले हुए नाखून और दाँत वाला।

4. "इदं सुवर्णकङ्कणं गृह्यताम्" - यह वाक्य किसने किससे कहा?

उत्तर: बाघ ने राहगीर से कहा।

5. राहगीर के मन में कंगन देखकर सबसे पहले क्या विचार आया?

उत्तर: कि भाग्य से ही ऐसा मिलता है।

6. बाघ ने अपनी युवावस्था के बारे में क्या बताया?

उत्तर: कि वह युवावस्था में बहुत दुराचारी था और उसने अनेक गायों और मनुष्यों का वध किया था।

7. बाघ ने कंगन देने से पहले राहगीर को क्या करने के लिए कहा?

उत्तर: तालाब में स्नान करने के लिए।

8. क्या राहगीर को बाघ पर प्रारम्भ में विश्वास था?

उत्तर: नहीं, उसे संदेह था क्योंकि बाघ हिंसक प्राणी है।

9. राहगीर कीचड़ में क्यों फँस गया?

उत्तर: क्योंकि वह लालच में आकर बाघ के कहे अनुसार तालाब में स्नान करने उतरा था, जो गहरा और कीचड़युक्त था।

10. कथा के अंत में राहगीर का क्या हुआ?

उत्तर: बाघ ने उसे मारकर खा लिया।

11. "सरस्तीरे" पद का क्या अर्थ है?

उत्तर: तालाब के किनारे।

12. "पलायितुमक्षमः" का अर्थ क्या है?

उत्तर: भागने में असमर्थ।

13. बाघ ने किस शास्त्र वचन का उल्लेख किया?

उत्तर: "दरिद्रान् भर कौन्तेय, मा प्रयच्छेश्वरे धनम्।" (हे कुंतीपुत्र! दरिद्रों का भरण-पोषण करो, धनवान को धन मत दो।)

14. यह कथा किस प्रकार की कथा है?

उत्तर: उपदेशात्मक कथा या नीतिकथा।

15. कथा में मुख्य रूप से किस मानवीय दुर्गुण को दर्शाया गया है?

उत्तर: लोभ (लालच)।

16. "हितोपदेश" शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर: हितकारी उपदेश।

17. बाघ ने अपने पापों के प्रायश्चित के रूप में क्या करने की बात कही?

उत्तर: दान-धर्म करने की बात कही।

18. यदि राहगीर लालची न होता, तो क्या होता?

उत्तर: यदि राहगीर लालची न होता, तो वह बाघ के झाँसे में न आता और उसकी जान बच जाती।

19. "अविश्वस्ते विश्वासो नैव कर्तव्यः" - इस उक्ति का कथा से क्या सम्बन्ध है?

उत्तर: इस कथा में राहगीर ने अविश्वसनीय बाघ पर विश्वास किया, जिसका परिणाम उसकी मृत्यु हुई। यह उक्ति यही शिक्षा देती है।

20. इस कथा का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर: लालच विनाश का कारण है और धूर्तों की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

ये रिविज़न नोट्स आपको अध्याय को समझने और परीक्षा की तैयारी करने में मदद करेंगे। शुभकामनाएँ!

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