Bihar Board class12 physics अध्याय 3: विद्युत धारा (Current Electricity) - Class 12 Physics Notes in Hindi | Revision notes

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अध्याय 3: विद्युत धारा (Current Electricity) - Class 12 Physics Notes in Hindi

अध्याय 3: विद्युत धारा (Current Electricity)

नमस्ते दोस्तों! भौतिकी (Physics) के इस सफर में आपका स्वागत है। हम कक्षा 12 के एक बहुत ही महत्वपूर्ण और रोचक अध्याय - अध्याय 3: विद्युत धारा (Current Electricity) का अध्ययन करेंगे। ये नोट्स विशेष रूप से आपके लिए तैयार किए गए हैं ताकि आप इस अध्याय को बहुत ही सरलता से, आत्मनिर्भर होकर समझ सकें और बोर्ड परीक्षाओं के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें।

इन नोट्स में हमने हर विषय को सरल हिंदी में समझाया है, सभी महत्वपूर्ण परिभाषाएँ, सूत्र और नियम शामिल किए हैं। पुस्तक में दिए गए उदाहरणों को कदम-दर-कदम हल किया गया है और साथ ही आपके अभ्यास के लिए नए प्रश्न भी दिए गए हैं। अंत में, परीक्षा से ठीक पहले दोहराने के लिए एक संक्षिप्त सारांश भी है।

तो चलिए, शुरू करते हैं विद्युत धारा की इस रोमांचक दुनिया की खोज!

विद्युत धारा का प्रतीकात्मक चित्र

अध्याय 3: विद्युत धारा (Current Electricity) - सम्पूर्ण आत्म-अध्ययन नोट्स

1. सभी महत्वपूर्ण विषयों की सरल एवं स्पष्ट हिंदी में व्याख्या

1.1 परिचय (Introduction)

पिछले अध्याय में हमने स्थिर आवेशों (static charges) के बारे में पढ़ा था। लेकिन जब यही आवेश गति करने लगते हैं, तो विद्युत धारा (Electric Current) बनती है। प्रकृति में इसका सबसे बड़ा उदाहरण बिजली का चमकना (तड़ित) है, जिसमें आवेश बादलों से धरती की ओर बहते हैं। हमारे दैनिक जीवन में टॉर्च, मोबाइल फोन, घड़ी जैसे अनगिनत उपकरण इसी विद्युत धारा पर चलते हैं। इस अध्याय में हम स्थायी (steady) विद्युत धारा और उससे जुड़े नियमों को समझेंगे।

1.2 विद्युत धारा (Electric Current)

कल्पना कीजिए कि एक पाइप से पानी बह रहा है। हम कह सकते हैं कि प्रति सेकंड जितना पानी एक सिरे से गुजरता है, वह पानी का प्रवाह (current) है। ठीक इसी प्रकार, किसी चालक (conductor) के किसी अनुप्रस्थ काट (cross-section) से प्रति इकाई समय में प्रवाहित होने वाले नेट आवेश (net charge) की मात्रा को विद्युत धारा कहते हैं।

  • स्थायी धारा (Steady Current): यदि t समय में q आवेश प्रवाहित होता है, तो धारा:
    $$ I = \frac{q}{t} $$
  • अस्थायी धारा (Variable Current): यदि धारा का मान समय के साथ बदल रहा हो, तो किसी क्षण t पर धारा को अवकलन (differentiation) के रूप में व्यक्त करते हैं:
    $$ I(t) = \frac{dq}{dt} $$
  • धारा की दिशा: परंपरागत रूप से, धन आवेश के प्रवाह की दिशा को ही विद्युत धारा की दिशा माना जाता है। इलेक्ट्रॉनों (जो ऋणावेशित होते हैं) के प्रवाह की दिशा के विपरीत धारा की दिशा होती है।
  • SI मात्रक: विद्युत धारा का SI मात्रक एम्पियर (Ampere) है, जिसे 'A' से दर्शाते हैं।
    $$ \text{1 एम्पियर} = \frac{\text{1 कूलॉम}}{\text{1 सेकंड}} $$
    हमारे घरों में चलने वाले उपकरण लगभग 1 एम्पियर की धारा लेते हैं, जबकि आकाशीय बिजली में हजारों एम्पियर की धारा होती है और हमारी तंत्रिकाओं (nerves) में माइक्रोएम्पियर (\(\mu A\)) की कोटि की धारा बहती है।

1.3 चालक में विद्युत धारा और इलेक्ट्रॉन का अपवाह (Current in a Conductor and Drift of Electrons)

चालक (Conductor): वे पदार्थ, जैसे धातुएँ (ताँबा, चाँदी), जिनमें बहुत सारे मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electrons) होते हैं जो गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं, चालक कहलाते हैं।

  • बिना विद्युत क्षेत्र के: जब किसी चालक को बैटरी से नहीं जोड़ा जाता, तो ये मुक्त इलेक्ट्रॉन उच्च तापीय ऊर्जा के कारण बेतरतीब (random) दिशाओं में गति करते रहते हैं। उनकी गति की कोई निश्चित दिशा नहीं होती, इसलिए नेट प्रवाह शून्य होता है और कोई विद्युत धारा नहीं बनती।
  • विद्युत क्षेत्र लगाने पर: जब हम चालक के सिरों पर एक बैटरी जोड़ते हैं, तो एक विद्युत क्षेत्र (Electric Field, E) स्थापित हो जाता है। यह विद्युत क्षेत्र ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों पर अपनी दिशा के विपरीत एक बल लगाता है (\( F = -eE \))। इस बल के कारण, इलेक्ट्रॉन एक निश्चित दिशा में एक छोटा-सा औसत वेग प्राप्त कर लेते हैं।
  • अपवाह वेग (Drift Velocity, \(v_d\)): विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में, चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा प्राप्त किए गए औसत वेग को अपवाह वेग कहते हैं। यह वेग बहुत कम होता है (लगभग 1 mm/s)।
समझने के लिए उदाहरण: जैसे कोई व्यक्ति भीड़ भरे बाजार से निकल रहा हो। वह सीधा नहीं चल पाता, बार-बार लोगों से टकराता है, लेकिन फिर भी धीरे-धीरे एक दिशा में आगे बढ़ता जाता है। यहाँ इलेक्ट्रॉनों की तापीय गति (बाजार की भीड़) बहुत तेज होती है, लेकिन अपवाह वेग (आगे बढ़ने की गति) बहुत धीमा होता है।

1.4 ओम का नियम (Ohm's Law)

जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने 1828 में किसी चालक में बहने वाली धारा और उसके सिरों पर लगाए गए विभवांतर के बीच एक संबंध स्थापित किया।

ओम के नियम के अनुसार: यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था (जैसे ताप, दाब) में कोई परिवर्तन न हो, तो उसके सिरों पर लगाया गया विभवांतर (V) उसमें प्रवाहित होने वाली धारा (I) के अनुक्रमानुपाती होता है।

$$ V \propto I \quad \implies \quad V = R I $$

यहाँ R एक स्थिरांक है जिसे चालक का प्रतिरोध (Resistance) कहते हैं। इसका SI मात्रक ओम (Ohm) है, जिसे 'Ω' प्रतीक से दर्शाते हैं।

प्रतिरोध की निर्भरता:

  1. लंबाई (l) पर: \( R \propto l \) (तार जितना लंबा, प्रतिरोध उतना अधिक)।
  2. अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल (A) पर: \( R \propto \frac{1}{A} \) (तार जितना मोटा, प्रतिरोध उतना कम)।

इन दोनों को मिलाकर:

$$ R = \rho \frac{l}{A} $$

यहाँ ρ (rho) एक स्थिरांक है जिसे पदार्थ की प्रतिरोधकता (Resistivity) या विशिष्ट प्रतिरोध (Specific Resistance) कहते हैं। यह केवल पदार्थ की प्रकृति और ताप पर निर्भर करता है।

1.5 प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता (Temperature Dependence of Resistivity)

  • धातुओं (Metals) के लिए: ताप बढ़ाने पर धातुओं की प्रतिरोधकता बढ़ती है।
    $$ \rho_T = \rho_0 [1 + \alpha (T - T_0)] $$
    जहाँ \(\alpha\) प्रतिरोधकता ताप-गुणांक है।
  • मिश्र धातुओं (Alloys) के लिए: नाइक्रोम, मैंगनिन जैसी मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता पर ताप का प्रभाव बहुत कम होता है।
  • अर्धचालकों (Semiconductors) के लिए: अर्धचालकों (जैसे सिलिकॉन, जर्मेनियम) में ताप बढ़ाने पर प्रतिरोधकता घटती है

1.6 विद्युत ऊर्जा और शक्ति (Electrical Energy and Power)

जब किसी चालक में धारा बहती है, तो इलेक्ट्रॉन लगातार चालक के आयनों से टकराते हैं, जिससे उनकी गतिज ऊर्जा ऊष्मा में बदल जाती है।

  • क्षयित ऊर्जा (Energy Dissipated): t समय में R प्रतिरोध में क्षयित ऊर्जा:
    $$ W = V I t = I^2 R t = \frac{V^2}{R} t $$
  • विद्युत शक्ति (Electric Power, P): प्रति इकाई समय में क्षय होने वाली ऊर्जा को शक्ति कहते हैं।
    $$ P = \frac{W}{t} \quad \implies \quad P = V I = I^2 R = \frac{V^2}{R} $$

1.7 सेल, विद्युत वाहक बल (EMF) और आंतरिक प्रतिरोध

  • सेल (Cell): यह एक ऐसी युक्ति है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलकर किसी परिपथ में स्थायी धारा बनाए रखती है।
  • विद्युत वाहक बल (EMF, ε): जब सेल से कोई धारा नहीं ली जाती (खुला परिपथ), तो उसके दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच के अधिकतम विभवांतर को सेल का विद्युत वाहक बल (emf) कहते हैं। इसका मात्रक वोल्ट (V) है।
  • आंतरिक प्रतिरोध (Internal Resistance, r): सेल के अंदर का विद्युत अपघट्य भी धारा के प्रवाह में कुछ रुकावट डालता है। इसी रुकावट को सेल का आंतरिक प्रतिरोध कहते हैं।
  • टर्मिनल विभवांतर (Terminal Voltage, V): जब सेल से धारा I ली जाती है, तो आंतरिक प्रतिरोध के कारण V का मान हमेशा ε से कुछ कम होता है।
    $$ V = \varepsilon – I r $$

1.8 सेलों का संयोजन (Combination of Cells)

  • श्रेणीक्रम संयोजन (Series): तुल्य emf: \( \varepsilon_{eq} = \varepsilon_1 + \varepsilon_2 + \dots \), तुल्य आंतरिक प्रतिरोध: \( r_{eq} = r_1 + r_2 + \dots \)
  • पार्श्वक्रम (समानांतर) संयोजन (Parallel): तुल्य emf: \( \frac{\varepsilon_{eq}}{r_{eq}} = \frac{\varepsilon_1}{r_1} + \frac{\varepsilon_2}{r_2} + \dots \), तुल्य आंतरिक प्रतिरोध: \( \frac{1}{r_{eq}} = \frac{1}{r_1} + \frac{1}{r_2} + \dots \)

1.9 किरचॉफ के नियम (Kirchhoff's Laws)

  1. संधि नियम (Junction Rule): किसी भी संधि (junction) पर मिलने वाली सभी धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है। (यह आवेश संरक्षण पर आधारित है।)
    $$ \sum I = 0 $$
  2. पाश नियम (Loop Rule): किसी भी बंद पाश (closed loop) में, सभी विभवांतरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है। (यह ऊर्जा संरक्षण पर आधारित है।)
    $$ \sum V = 0 $$

1.10 व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone Bridge)

यह चार प्रतिरोधकों से बना एक विशेष परिपथ है। संतुलन की अवस्था में (जब गैल्वेनोमीटर में धारा शून्य हो):

$$ \frac{R_1}{R_2} = \frac{R_3}{R_4} \quad (\text{या } \frac{P}{Q} = \frac{R}{S}) $$

2. प्रमुख परिभाषाएँ, संकल्पनाएँ और शब्दों की स्पष्ट व्याख्या

  • विद्युत धारा (I): आवेश प्रवाह की दर। मात्रक - एम्पियर (A)।
  • अपवाह वेग (\(v_d\)): विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में इलेक्ट्रॉनों का औसत वेग।
  • विश्रांति काल (\(\tau\)): इलेक्ट्रॉनों की दो क्रमिक टक्करों के बीच का औसत समय।
  • प्रतिरोध (R): धारा के प्रवाह में उत्पन्न अवरोध। मात्रक - ओम (\(\Omega\))।
  • प्रतिरोधकता (\(\rho\)): पदार्थ का गुण जो धारा का विरोध बताता है। मात्रक - ओम-मीटर (\(\Omega m\))।
  • विद्युत वाहक बल (EMF, \(\varepsilon\)): खुले परिपथ में सेल के सिरों का विभवांतर। मात्रक - वोल्ट (V)।
  • किरचॉफ का संधि नियम: \(\sum I = 0\) (आवेश संरक्षण)।
  • किरचॉफ का पाश नियम: \(\sum V = 0\) (ऊर्जा संरक्षण)।

3. व्युत्पत्ति/प्रमाण आधारित प्रश्न (Proof/Derivation)

प्रश्न 1: अपवाह वेग (\(v_d\)) तथा विद्युत धारा (I) में संबंध स्थापित कीजिए। (Derive \(I = neAv_d\))

हल:

  1. मान लीजिए एक चालक की लंबाई \(l\) तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है।
  2. चालक के प्रति एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या n है।
  3. चालक में कुल मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या = \( n \times A \times l \)।
  4. चालक पर कुल आवेश \( Q = (nAl) \times e \) (जहाँ e एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश है)।
  5. इलेक्ट्रॉनों को चालक की लंबाई \(l\) पार करने में लगा समय \( t = l / v_d \)।
  6. हम जानते हैं कि विद्युत धारा \( I = Q / t \)।
  7. मान रखने पर: \( I = \frac{nAle}{l / v_d} = nAle \times \frac{v_d}{l} \)
$$ I = n e A v_d $$

प्रश्न 2: ओम के नियम (V=IR) को अपवाह वेग के सिद्धांत से व्युत्पन्न कीजिए।

हल:

  1. एक इलेक्ट्रॉन पर बल \( F = eE \)। त्वरण \( a = F/m = eE/m \)।
  2. अपवाह वेग \( v_d = a\tau = \frac{eE\tau}{m} \) (जहाँ \(\tau\) विश्रांति काल है)।
  3. धारा संबंध \( I = neAv_d \) में \(v_d\) का मान रखने पर:
    \( I = neA \left( \frac{eE\tau}{m} \right) = \frac{ne^2A\tau}{m}E \)
  4. यदि विभवांतर V है, तो \( E = V/l \)।
    \( I = \frac{ne^2A\tau}{m} \left( \frac{V}{l} \right) \)
  5. V को एक तरफ करने पर:
    \( V = \left[ \frac{ml}{ne^2\tau A} \right] \times I \)
  6. कोष्ठक [...] में दी गई राशि चालक का प्रतिरोध R है: \( R = \rho \frac{l}{A} \) जहाँ \( \rho = \frac{m}{ne^2\tau} \)।
$$ V = R I $$

यही ओम का नियम है।

4. पुस्तक में दिए गए उदाहरणों का चरण-दर-चरण हल

उदाहरण 3.1

(a) \(1.0 \times 10^{-7} \, m^2\) अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले ताँबे के तार में 1.5 A धारा प्रवाहित हो रही है। इसमें चालक इलेक्ट्रॉनों की औसत अपवाह चाल का आकलन कीजिए। (b) इस चाल की तुलना तापीय चाल और विद्युत क्षेत्र संचरण की चाल से करें।

हल:

(a) अपवाह चाल (\(v_d\)) का आकलन:

चरण 1: सूत्र को पहचानें।
हम जानते हैं \( I = n e A v_d \), जिससे \( v_d = \frac{I}{neA} \)

चरण 2: दिए गए मानों को लिखें।
I = 1.5 A, A = \(1.0 \times 10^{-7} \, m^2\), e = \(1.6 \times 10^{-19} \, C\). हमें n (इलेक्ट्रॉन घनत्व) की गणना करनी है।

चरण 3: n की गणना करें।
ताँबे का घनत्व \( \rho_m = 9.0 \times 10^3 \, \text{kg/m}^3 \)
दाढ़ द्रव्यमान M = \(63.5 \times 10^{-3} \, \text{kg/mol}\)
आवोग्रादो संख्या \( N_A = 6.022 \times 10^{23} \, \text{mol}^{-1} \)
इलेक्ट्रॉन घनत्व \( n = \frac{\rho_m N_A}{M} \)
\( n = \frac{(9.0 \times 10^3) \times (6.022 \times 10^{23})}{63.5 \times 10^{-3}} \approx 8.5 \times 10^{28} \, \text{m}^{-3} \)

चरण 4: \(v_d\) के सूत्र में सभी मान रखें।
\( v_d = \frac{1.5}{(8.5 \times 10^{28}) \times (1.6 \times 10^{-19}) \times (1.0 \times 10^{-7})} \)
\( v_d = \frac{1.5}{13.6 \times 10^2} \approx 1.1 \times 10^{-3} \, \text{m/s} \)

\( v_d = 1.1 \, \text{mm/s} \)

(b) तुलना:

(i) तापीय चाल से: तापीय चाल (\(\approx 10^5 \, \text{m/s}\)) अपवाह चाल (\(\approx 10^{-3} \, \text{m/s}\)) से बहुत अधिक है।

(ii) विद्युत क्षेत्र की चाल से: विद्युत क्षेत्र की चाल (प्रकाश की चाल \(\approx 3 \times 10^8 \, \text{m/s}\)) अपवाह चाल से अत्यधिक अधिक है।

5. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर

प्रश्न 1: किसी कार की संचायक बैटरी का विद्युत वाहक बल 12 V है। यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध 0.4 Ω हो, तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या है?

हल:
सेल से धारा का सूत्र है: \( I = \frac{\varepsilon}{R + r} \)
अधिकतम धारा (\(I_{max}\)) के लिए बाह्य प्रतिरोध \(R=0\) होता है।
\( I_{max} = \frac{\varepsilon}{r} = \frac{12 \, \text{V}}{0.4 \, \Omega} = 30 \, \text{A} \)
अतः, अधिकतम धारा 30 A है।

प्रश्न 2: किरचॉफ के नियमों को लिखिए तथा उनकी व्याख्या कीजिए।

हल:
1. किरचॉफ का प्रथम नियम (संधि नियम): इस नियम के अनुसार, "किसी विद्युत परिपथ में किसी भी संधि पर मिलने वाली समस्त विद्युत धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।" \( (\sum I = 0) \)
व्याख्या: यह 'आवेश के संरक्षण' पर आधारित है। किसी संधि पर आने वाली कुल धारा, जाने वाली कुल धारा के बराबर होती है।

2. किरचॉफ का द्वितीय नियम (पाश नियम): इस नियम के अनुसार, "किसी बंद पाश (लूप) के विभिन्न भागों में बहने वाली धाराओं तथा संगत प्रतिरोधों के गुणनफलों का बीजगणितीय योग, उस पाश में लगे समस्त विद्युत वाहक बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।" \( (\sum V = 0 \text{ or } \sum IR = \sum \varepsilon) \)
व्याख्या: यह 'ऊर्जा के संरक्षण' पर आधारित है। एक बंद लूप में विभव में कुल परिवर्तन शून्य होता है।

6. अध्याय की अवधारणाओं पर आधारित नए अभ्यास प्रश्न

  1. (वैचारिक): मोटे तार का प्रतिरोध कम और पतले तार का प्रतिरोध अधिक क्यों होता है? अपवाह वेग के आधार पर समझाएं।
  2. (संख्यात्मक): 2V विद्युत वाहक बल और 0.5 Ω आंतरिक प्रतिरोध वाले एक सेल को 9.5 Ω के बाह्य प्रतिरोध से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा, सेल का टर्मिनल विभवांतर तथा शक्ति क्षय की गणना करें।
  3. (व्युत्पत्ति): दो सेलों, जिनके emf \(\varepsilon_1\) व \(\varepsilon_2\) तथा आंतरिक प्रतिरोध \(r_1\) व \(r_2\) हैं, को पार्श्वक्रम में जोड़ा गया है। इस संयोजन के तुल्य emf और तुल्य आंतरिक प्रतिरोध का सूत्र व्युत्पन्न करें।
  4. (वैचारिक): क्या ओम का नियम सभी चालकों के लिए सार्वत्रिक रूप से सत्य है? उदाहरण सहित बताएं। (संकेत: अर्धचालक डायोड)

बोर्ड परीक्षा से पहले पुनरावृत्ति के लिए संक्षिप्त सारांश

  • विद्युत धारा: \( I = q/t \), मात्रक - एम्पियर (A)
  • ओम का नियम: \( V = IR \)
  • प्रतिरोध: \( R = \rho (l/A) \), मात्रक - ओम (\(\Omega\))
  • प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता: धातु: ताप ↑, \(\rho\) ↑ | अर्धचालक: ताप ↑, \(\rho\) ↓
  • धारा और अपवाह वेग: \( I = n e A v_d \)
  • अपवाह वेग: \( v_d = (eE/m)\tau \)
  • प्रतिरोधकता का सूक्ष्म रूप: \( \rho = m / (ne^2\tau) \)
  • विद्युत शक्ति: \( P = VI = I^2R = V^2/R \), मात्रक - वॉट (W)
  • सेल: \( V = \varepsilon – Ir \) (धारा लेते समय)
  • सेलों का श्रेणी संयोजन: \( \varepsilon_{eq} = \varepsilon_1 + \varepsilon_2, \quad r_{eq} = r_1 + r_2 \)
  • सेलों का पार्श्व संयोजन: \( \frac{1}{r_{eq}} = \frac{1}{r_1} + \frac{1}{r_2}, \quad \frac{\varepsilon_{eq}}{r_{eq}} = \frac{\varepsilon_1}{r_1} + \frac{\varepsilon_2}{r_2} \)
  • किरचॉफ का संधि नियम: \( \sum I = 0 \)
  • किरचॉफ का पाश नियम: \( \sum V = 0 \)
  • व्हीटस्टोन सेतु (संतुलित): \( R_1/R_2 = R_3/R_4 \)

उम्मीद है कि ये नोट्स आपको "विद्युत धारा" अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे। शुभकामनाएँ!

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