अध्याय 4: गतिमान आवेश और चुंबकत्व
इस अध्याय में हम गतिमान आवेशों (यानी, विद्युत धाराओं) और उनके द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्रों के बारे में जानेंगे, और यह भी समझेंगे कि चुंबकीय क्षेत्र इन गतिमान आवेशों या धाराओं पर कैसे बल लगाते हैं। यह विषय विद्युत और चुंबकत्व के बीच गहरे संबंध को उजागर करता है, जिसे हम 'विद्युत चुंबकत्व' कहते हैं।
4.1 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
2000 वर्ष से भी पहले लोग बिजली और चुंबकत्व दोनों के बारे में जानते थे1। लेकिन यह लगभग 200 साल पहले, 1820 में ही स्पष्ट रूप से समझा गया कि इन दोनों के बीच एक अटूट संबंध है1।
ओर्स्टेड का प्रयोग (1820)
डच भौतिक विज्ञानी हेंस क्रिश्चियन ओर्स्टेड ने 1820 की गर्मियों में एक महत्वपूर्ण प्रयोग किया13:
- जब एक सीधे तार में विद्युत धारा प्रवाहित की गई, तो पास रखी चुंबकीय सुई में विक्षेप (deflection) हुआ1।
- उन्होंने पाया कि चुंबकीय सुई तार के लंबवत तल में, तार के चारों ओर केंद्रित वृत्त की स्पर्श रेखा के समानांतर संरेखित होती है1।
- यह प्रभाव देखने के लिए तार में पर्याप्त धारा होनी चाहिए और चुंबकीय सुई तार के काफी निकट होनी चाहिए ताकि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की उपेक्षा की जा सके1।
- यदि तार में धारा की दिशा उलट दी जाए, तो चुंबकीय सुई घूमकर विपरीत दिशा में संरेखित हो जाती है1।
- तार में धारा का परिमाण बढ़ाने या सुई को तार के निकट लाने से चुंबकीय सुई का विक्षेप बढ़ जाता है1।
- यदि तार के चारों ओर लोहे का बुरादा छिड़कें, तो इसके कण तार के चारों ओर संकेंद्रित वृत्तों में व्यवस्थित हो जाते हैं1।
निष्कर्ष: ओर्स्टेड ने इस घटना से निष्कर्ष निकाला कि गतिमान आवेश (धारा) अपने चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं1।
इस खोज के बाद प्रयोगों की गति तेज हो गई2। 1864 में जेम्स मैक्सवेल ने विद्युत और चुंबकत्व के नियमों को एकीकृत किया और यह स्पष्ट किया कि प्रकाश वास्तव में विद्युत चुंबकीय तरंगें हैं2। हर्त्ज़ ने रेडियो तरंगों की खोज की और 19वीं सदी के अंत तक सर जे.सी. बोस और मार्कोनी ने इन तरंगों को उत्पन्न किया2। 20वीं सदी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अद्भुत प्रगति हुई, जिसका श्रेय विद्युत चुंबकत्व के बढ़ते ज्ञान को जाता है2।
🎨 [यहाँ चित्र 4.1 डालें: सीधे लंबे धारावाही तार के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र]
इस अध्याय में हम क्या सीखेंगे?4
- चुंबकीय क्षेत्र आवेशित कणों और धारावाही तारों पर बल कैसे लगाते हैं।
- विद्युत धाराएं चुंबकीय क्षेत्र कैसे उत्पन्न करती हैं।
- साइक्लोट्रॉन में कणों को बहुत उच्च ऊर्जा तक कैसे त्वरित किया जा सकता है।
- गैल्वेनोमीटर द्वारा विद्युत धाराओं और वोल्टताओं का संसूचन कैसे किया जाता है।
दिशा संकेतन परंपरा (Direction Convention)4
- कागज के तल से बाहर की ओर निकलती विद्युत धारा या क्षेत्र को एक बिंदु (⊙) द्वारा दर्शाया जाता है4।
- कागज के तल में अंदर की ओर जाती विद्युत धारा या क्षेत्र को एक क्रॉस (⊗) द्वारा दर्शाया जाता है4।
4.2 चुंबकीय बल
4.2.1 स्रोत और क्षेत्र5,6
चुंबकीय क्षेत्र (B) की अवधारणा को समझने से पहले, आइए विद्युत क्षेत्र (E) को याद करें5। दो आवेशों के बीच अन्योन्य क्रिया को दो चरणों में समझा जा सकता है5:
- स्रोत आवेश (Q) अपने चारों ओर विद्युत क्षेत्र (E) उत्पन्न करता है: \( \mathbf{E} = \frac{Q \hat{\mathbf{r}}}{4\pi\epsilon_0 r^2} \)5। E एक सदिश क्षेत्र है5।
- दूसरा आवेश (q) इस क्षेत्र से अन्योन्य क्रिया करके एक बल (F) का अनुभव करता है: \( \mathbf{F} = q\mathbf{E} = \frac{qQ \hat{\mathbf{r}}}{4\pi\epsilon_0 r^2} \)5,7।
विद्युत क्षेत्र E सिर्फ एक गणितीय तथ्य नहीं है, बल्कि इसकी भौतिक भूमिका भी है। यह ऊर्जा और संवेग स्थानांतरित कर सकता है7। जिस प्रकार स्थिर आवेश विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं, उसी प्रकार विद्युत धाराएं या गतिमान आवेश चुंबकीय क्षेत्र (B(r)) उत्पन्न करते हैं6। B भी एक सदिश क्षेत्र है और यह अध्यारोपण के सिद्धांत का पालन करता है, जिसका अर्थ है कि बहुत सारे स्रोतों का कुल चुंबकीय क्षेत्र प्रत्येक व्यक्तिगत स्रोत के चुंबकीय क्षेत्रों का सदिश योग होता है6।
4.2.2 चुंबकीय क्षेत्र, लोरेंत्ज़ बल8
मान लीजिए कि विद्युत क्षेत्र E(r) और चुंबकीय क्षेत्र B(r) दोनों की उपस्थिति में कोई बिंदु आवेश q, वेग v से गतिमान है। आवेश q पर इन दोनों क्षेत्रों द्वारा लगाया गया कुल बल लोरेंत्ज़ बल कहलाता है, जिसे एच.ए. लोरेंत्ज़ ने व्यक्त किया था8।
(समीकरण 4.3)
चुंबकीय बल की विशेषताएँ8,9
- निर्भरता: यह बल आवेश (q), वेग (v) और चुंबकीय क्षेत्र (B) पर निर्भर करता है8। ऋणावेश पर बल धनावेश के विपरीत दिशा में लगता है।
- दिशा: चुंबकीय बल \( (\mathbf{F}_{\text{चुंबकीय}} = q(\mathbf{v} \times \mathbf{B})) \) वेग (v) और चुंबकीय क्षेत्र (B) दोनों के लंबवत होता है9। इसकी दिशा दाहिने हाथ के स्क्रू नियम से ज्ञात की जाती है।
- शून्य बल: यदि आवेश स्थिर है (v=0) या वेग (v) चुंबकीय क्षेत्र (B) के समानांतर या प्रति-समानांतर है, तो चुंबकीय बल शून्य होता है9।
🎨 [यहाँ चित्र 4.2 डालें: आवेशित कण पर बल की दिशा]
चुंबकीय क्षेत्र का मात्रक12
चुंबकीय क्षेत्र B का SI मात्रक टेस्ला (Tesla, T) है12। टेस्ला एक बड़ा मात्रक है, इसलिए एक छोटे मात्रक गाउस (Gauss, G) का भी उपयोग किया जाता है12।
4.2.3 विद्युत धारावाही चालक पर चुंबकीय बल13
यदि लंबाई l की एक सीधी छड़, जिसमें विद्युत धारा I प्रवाहित हो रही है, को एकसमान बाहरी चुंबकीय क्षेत्र B में रखा जाए, तो उस पर लगने वाला चुंबकीय बल होता है14:
(समीकरण 4.4)
यहाँ l एक सदिश है जिसका परिमाण छड़ की लंबाई है और दिशा विद्युत धारा I की दिशा में है14। ध्यान दें कि यह बल बाहरी चुंबकीय क्षेत्र के कारण लगता है, न कि तार द्वारा स्वयं उत्पन्न क्षेत्र के कारण10। यदि तार की आकृति यादृच्छिक हो, तो कुल बल की गणना समाकलन (integration) द्वारा की जाती है: \( \mathbf{F} = \int I (d\mathbf{l} \times \mathbf{B}) \)15।
प्रश्न: 200 g द्रव्यमान तथा 1.5 m लंबाई के किसी सीधे तार से 2 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। यह किसी एकसमान क्षैतिज चुंबकीय क्षेत्र B द्वारा वायु में निलंबित है। चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए15।
हल: तार के वायु में निलंबित रहने के लिए, उस पर लगने वाला चुंबकीय बल (ऊपर की ओर) उसके भार (नीचे की ओर) को संतुलित करना चाहिए15।
चुंबकीय बल \( F = IlB\sin\theta \)। भार \( W = mg \)।
संतुलन के लिए, \( F = W \)। चूँकि बल ऊपर की ओर है, तो \( \theta = 90^\circ \) और \( \sin\theta = 1 \)।
\( IlB = mg \)
अतः, \( B = \frac{mg}{Il} \)
दिए गए मान: \( m = 0.2 \, \text{kg} \), \( g = 9.8 \, \text{m/s}^2 \), \( I = 2 \, \text{A} \), \( l = 1.5 \, \text{m} \)
\( B = \frac{0.2 \times 9.8}{2 \times 1.5} = \frac{1.96}{3.0} \approx 0.653 \, \text{T} \)
उत्तर: चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण लगभग 0.65 T है16।
प्रश्न: यदि चुंबकीय क्षेत्र धनात्मक y-अक्ष के समांतर है तथा आवेशित कण धनात्मक x-अक्ष के अनुदिश गतिमान है, तो लोरेंत्ज़ बल किस ओर लगेगा जबकि गतिमान कण (a) इलेक्ट्रॉन (ऋण आवेश), (b) प्रोटॉन (धन आवेश) है16।
हल: वेग \( \mathbf{v} \) की दिशा \( \hat{\mathbf{i}} \) (x-अक्ष) है। चुंबकीय क्षेत्र \( \mathbf{B} \) की दिशा \( \hat{\mathbf{j}} \) (y-अक्ष) है16।
बल की दिशा \( \mathbf{v} \times \mathbf{B} \) की दिशा से निर्धारित होती है।
\( \mathbf{v} \times \mathbf{B} \) की दिशा \( \hat{\mathbf{i}} \times \hat{\mathbf{j}} = \hat{\mathbf{k}} \) है, जो धनात्मक z-अक्ष की दिशा है17।
(a) इलेक्ट्रॉन (q < 0): बल की दिशा \( -(\mathbf{v} \times \mathbf{B}) \) होती है, यानी \( -\hat{\mathbf{k}} \) की दिशा में (ऋणात्मक z-अक्ष के अनुदिश)17।
(b) प्रोटॉन (q > 0): बल की दिशा \( (\mathbf{v} \times \mathbf{B}) \) होती है, यानी \( \hat{\mathbf{k}} \) की दिशा में (धनात्मक z-अक्ष के अनुदिश)17।
4.3 चुंबकीय क्षेत्र में गति
जब कोई आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र में गति करता है, तो चुंबकीय बल हमेशा उसके वेग के लंबवत होता है19। इसका एक महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि चुंबकीय बल कोई कार्य नहीं करता है। इसलिए, यह कण के वेग के परिमाण (चाल) या उसकी गतिज ऊर्जा को नहीं बदलता, केवल उसकी गति की दिशा बदलता है19।
एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में आवेशित कण की गति20
1. जब वेग (v) चुंबकीय क्षेत्र (B) के लंबवत है (\( \theta = 90^\circ \))
इस स्थिति में, लंबवत चुंबकीय बल \( (qvB) \) एक अभिकेन्द्र बल (centripetal force) की तरह कार्य करता है, जिससे कण एक वृत्तीय पथ पर गति करता है20।
अभिकेन्द्र बल = चुंबकीय बल
\( \frac{mv^2}{r} = qvB \)
वृत्ताकार पथ की त्रिज्या (r) होगी:
(समीकरण 4.5)
कण की कोणीय आवृत्ति \( (\omega) \) और आवृत्ति \( (\nu) \) चाल पर निर्भर नहीं करती है:
(समीकरण 4.6(a))
🎨 [यहाँ चित्र 4.5 डालें: चुंबकीय क्षेत्र में वृत्तीय गति]
2. जब वेग (v) का कोई अवयव B के अनुदिश है
यदि वेग का एक घटक क्षेत्र के समानांतर \( (v_{||}) \) और दूसरा घटक लंबवत \( (v_{\perp}) \) हो, तो गति इन दोनों का संयोजन होती है20:
- लंबवत घटक \( (v_{\perp}) \) के कारण कण वृत्तीय गति करता है।
- समानांतर घटक \( (v_{||}) \) अपरिवर्तित रहता है, जिससे कण क्षेत्र की दिशा में आगे बढ़ता है।
इन दोनों गतियों के संयोजन से कण का पथ कुंडलित (helical) हो जाता है20। एक घूर्णन में कण द्वारा क्षेत्र के अनुदिश चली गई दूरी को पिच (pitch) कहते हैं22।
(समीकरण 4.6(b))
🎨 [यहाँ चित्र 4.6 डालें: चुंबकीय क्षेत्र में कुंडलित गति]
प्रश्न: \( 6 \times 10^{-4} \, \text{T} \) के चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत \( 3 \times 10^7 \, \text{m/s} \) की चाल से गतिमान किसी इलेक्ट्रॉन (द्रव्यमान \( 9 \times 10^{-31} \, \text{kg} \), आवेश \( 1.6 \times 10^{-19} \, \text{C} \)) के पथ की त्रिज्या, आवृत्ति और ऊर्जा (keV में) परिकलित कीजिए23।
हल:
पथ की त्रिज्या (r): समीकरण (4.5) से,
\( r = \frac{mv}{qB} = \frac{(9 \times 10^{-31}) \times (3 \times 10^7)}{(1.6 \times 10^{-19}) \times (6 \times 10^{-4})} \approx 0.28 \, \text{m} \) या 28 cm23।
आवृत्ति (ν): समीकरण [4.6(a)] से,
\( \nu = \frac{qB}{2\pi m} = \frac{(1.6 \times 10^{-19}) \times (6 \times 10^{-4})}{2\pi \times (9 \times 10^{-31})} \approx 17 \times 10^6 \, \text{Hz} \) या 17 MHz23।
ऊर्जा (E): गतिज ऊर्जा \( E = \frac{1}{2}mv^2 \)
\( E = \frac{1}{2} \times (9 \times 10^{-31}) \times (3 \times 10^7)^2 \approx 4 \times 10^{-16} \, \text{J} \)
ऊर्जा को keV में बदलने पर (1 eV = \(1.6 \times 10^{-19}\) J):
\( E_{\text{keV}} = \frac{4 \times 10^{-16} \, \text{J}}{1.6 \times 10^{-19} \, \text{J/eV}} \times \frac{1}{1000} \approx 2.5 \, \text{keV} \)
उत्तर: त्रिज्या ≈ 28 cm, आवृत्ति ≈ 17 MHz, ऊर्जा ≈ 2.5 keV24।
4.4 विद्युत धारा अवयव के कारण चुंबकीय क्षेत्र, बायो-सावर्ट नियम
यह नियम किसी विद्युत धारा अवयव (current element) के कारण किसी बिंदु पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के बीच संबंध स्थापित करता है24। यह चुंबकत्व में वही स्थान रखता है जो स्थिरवैद्युतिकी में कूलम्ब का नियम रखता है।
बायो-सावर्ट नियम (Biot-Savart Law)24,25
एक अतिअल्प धारा अवयव \( I d\mathbf{l} \) के कारण इससे \( \mathbf{r} \) दूरी पर स्थित बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र \( d\mathbf{B} \) का मान इस प्रकार दिया जाता है:
(समीकरण 4.7(a))
यहाँ \( \mu_0 \) मुक्त आकाश (निर्वात) की चुंबकशीलता (permeability) है, और इसका मान \( \mu_0 = 4\pi \times 10^{-7} \, \text{T m/A} \) होता है26।
क्षेत्र का परिमाण है:
(समीकरण 4.7(b))
जहाँ \( \theta \) धारा अवयव \( d\mathbf{l} \) और विस्थापन सदिश \( \mathbf{r} \) के बीच का कोण है। क्षेत्र की दिशा \( d\mathbf{l} \) और \( \mathbf{r} \) दोनों के तल के लंबवत होती है, जिसे दाहिने हाथ के नियम से ज्ञात किया जा सकता है25।
🎨 [यहाँ चित्र 4.7 डालें: बायो-सावर्ट नियम का निदर्शक चित्र]
बायो-सावर्ट नियम और कूलम्ब नियम में तुलना27,28
गुणधर्म | बायो-सावर्ट नियम (चुंबकीय क्षेत्र) | कूलम्ब का नियम (विद्युत क्षेत्र) |
---|---|---|
दूरी पर निर्भरता | दोनों लंबी दूरी के हैं और दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती (\(1/r^2\)) हैं। | दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती (\(1/r^2\)) हैं। |
अध्यारोपण सिद्धांत | लागू होता है। | लागू होता है। |
स्रोत | एक सदिश स्रोत (धारा अवयव \( I d\mathbf{l} \)) द्वारा उत्पन्न होता है। | एक अदिश स्रोत (आवेश q) द्वारा उत्पन्न होता है। |
दिशा | स्रोत \( d\mathbf{l} \) और विस्थापन सदिश \( \mathbf{r} \) के तल के लंबवत होती है। | स्रोत को बिंदु से मिलाने वाले विस्थापन सदिश \( \mathbf{r} \) के अनुदिश होती है। |
कोणीय निर्भरता | \( \sin\theta \) पर निर्भर करता है। क्षेत्र, धारा की दिशा में शून्य होता है। | कोण पर निर्भर नहीं करता। |
एक रोचक संबंध: \( \mu_0, \epsilon_0 \) और c
मुक्त दिक्सथान की विद्युतशीलता \( (\epsilon_0) \), चुंबकशीलता \( (\mu_0) \) और निर्वात में प्रकाश के वेग \( (c) \) में एक गहरा संबंध है28:
यह संबंध दर्शाता है कि विद्युत और चुंबकत्व आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं और प्रकाश एक विद्युत चुंबकीय तरंग है।
4.5 विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश के अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र
बायो-सावर्ट नियम का उपयोग करके, हम एक वृत्ताकार पाश (loop) जिसमें स्थायी धारा I बह रही है, के कारण उसके अक्ष पर स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की गणना कर सकते हैं30।
🎨 [यहाँ चित्र 4.9 डालें: वृत्ताकार पाश के अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र]
मान लीजिए पाश की त्रिज्या R है और हम केंद्र से x दूरी पर अक्षीय बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात करना चाहते हैं30। समरूपता (symmetry) के कारण, चुंबकीय क्षेत्र के केवल अक्ष के अनुदिश घटक (x-घटक) ही जुड़ते हैं, जबकि लंबवत घटक एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं32।
संपूर्ण पाश के कारण बिंदु P पर कुल चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण होता है33:
(समीकरण 4.11)
क्षेत्र की दिशा अक्ष के अनुदिश होती है, जिसे दाहिने हाथ के अंगूठे के नियम से ज्ञात किया जा सकता है।
विशेष स्थिति: पाश के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र
पाश के केंद्र पर, \( x=0 \)। उपरोक्त समीकरण में \( x=0 \) रखने पर33:
\( B_{\text{center}} = \frac{\mu_0 I}{2R} \)
(समीकरण 4.12)दाहिने हाथ का अंगूठा नियम (वृत्ताकार पाश के लिए)35,36
अपने दाहिने हाथ की उंगलियों को वृत्ताकार पाश में बह रही विद्युत धारा की दिशा में मोड़ें। आपका फैला हुआ अंगूठा पाश के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बताएगा36।
अध्याय का सारांश
- ओर्स्टेड की खोज: गतिमान आवेश (विद्युत धारा) अपने चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
- लोरेंत्ज़ बल: विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाला कुल बल \( \mathbf{F} = q(\mathbf{E} + \mathbf{v} \times \mathbf{B}) \) होता है।
- चुंबकीय बल \( \mathbf{F_m} = q(\mathbf{v} \times \mathbf{B}) \): यह बल हमेशा वेग के लंबवत होता है, इसलिए यह कोई कार्य नहीं करता और कण की चाल नहीं बदलता।
- धारावाही चालक पर बल: एक सीधे तार पर बल \( \mathbf{F} = I(\mathbf{l} \times \mathbf{B}) \) होता है।
- चुंबकीय क्षेत्र में गति: यदि वेग क्षेत्र के लंबवत हो तो पथ वृत्ताकार होता है, और यदि किसी कोण पर हो तो पथ कुंडलित (helical) होता है।
- बायो-सावर्ट नियम: यह एक धारा अवयव \( I d\mathbf{l} \) के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र \( d\mathbf{B} = \frac{\mu_0}{4\pi} \frac{I d\mathbf{l} \times \hat{\mathbf{r}}}{r^2} \) का मान देता है।
- वृत्ताकार पाश: इसके केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र \( B = \frac{\mu_0 I}{2R} \) होता है।
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