अध्याय 5: चुंबकत्व एवं द्रव्य (Magnetism and Matter)
नमस्ते! चलिए, भौतिकी के अध्याय 5, "चुंबकत्व एवं द्रव्य" को मिलकर समझते हैं। यह एक बहुत ही रोचक अध्याय है जो हमें चुंबकों की दुनिया और पदार्थों के चुंबकीय व्यवहार के बारे में बताता है। ये नोट्स इस तरह से तैयार किए गए हैं कि आप इन्हें पढ़कर खुद ही पूरे अध्याय को आसानी से समझ सकते हैं और अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी को मजबूत कर सकते हैं। तो चलिए, शुरू करते हैं!
5.1 भूमिका (Introduction)
दोस्तों, चुंबक कोई नई चीज नहीं है। हम सबने बचपन में चुंबकों से खेला है। यह जानना कितना मजेदार है कि हमारी पृथ्वी खुद एक बहुत बड़े चुंबक की तरह व्यवहार करती है! चुंबकीय परिघटनाएँ सिर्फ हमारे खिलौनों या पृथ्वी तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ये ब्रह्मांड में मौजूद विशाल गैलेक्सी से लेकर छोटे-से-छोटे परमाणु तक में पाई जाती हैं।
- 'चुंबक' शब्द का इतिहास: यह शब्द यूनान के एक द्वीप 'मैग्नेशिया' के नाम से लिया गया है, जहाँ 600 ईसा पूर्व में चुंबकीय अयस्कों (मैग्नेटाइट) के भंडार मिले थे।
- चुंबकीय क्षेत्र का स्रोत: पिछले अध्याय में हमने पढ़ा था कि गतिशील आवेश (या विद्युत धारा) चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं। इसका श्रेय ऑस्टेंड, ऐम्पियर जैसे वैज्ञानिकों को जाता है।
- पृथ्वी का चुंबकत्व: हमारी पृथ्वी एक विशाल चुंबक की तरह है, जिसका चुंबकीय क्षेत्र भौगोलिक दक्षिण से उत्तर की ओर होता है।
- स्वतंत्र रूप से लटका चुंबक: जब किसी छड़ चुंबक को धागे से लटकाया जाता है, तो वह हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में ही रुकता है। जो सिरा भौगोलिक उत्तर की ओर होता, है उसे उत्तरी ध्रुव (North Pole) और जो सिरा भौगोलिक दक्षिण की ओर होता है, उसे दक्षिणी ध्रुव (South Pole) कहते हैं।
5.2 छड़ चुंबक (The Bar Magnet)
छड़ चुंबक, चुंबकत्व को समझने का सबसे सरल उदाहरण है। आइए, इसके गुणों और व्यवहार को समझते हैं।
चुंबक के मूल गुण:
- आकर्षण और विकर्षण: समान ध्रुव (उत्तर-उत्तर या दक्षिण-दक्षिण) एक-दूसरे को विकर्षित (repel) करते हैं, जबकि विपरीत ध्रुव (उत्तर-दक्षिण) एक-दूसरे को आकर्षित (attract) करते हैं।
- ध्रुवों का अविभाज्य होना: किसी चुंबक के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को अलग नहीं किया जा सकता। यदि आप एक चुंबक को बीच से तोड़ दें, तो आपको दो अलग-अलग ध्रुव नहीं, बल्कि दो नए छोटे चुंबक मिलेंगे, जिनमें से प्रत्येक का अपना उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होगा। इसका अर्थ है कि एकल चुंबकीय ध्रुवों (Magnetic Monopoles) का अस्तित्व नहीं है।
- चुंबक बनाना: लौह (Iron) और उसकी मिश्रधातुओं से कृत्रिम चुंबक बनाए जा सकते हैं।
चुंबकीय क्षेत्र को देखने का एक तरीका है चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ। ये काल्पनिक रेखाएँ हैं जो किसी स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और प्रबलता को दर्शाती हैं।
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण:
- बंद लूप: ये रेखाएँ हमेशा संतत बंद लूप (continuous closed loops) बनाती हैं। ये चुंबक के बाहर उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और चुंबक के अंदर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हैं। यह विद्युत क्षेत्र रेखाओं से अलग है, जो धनावेश से शुरू होकर ऋणावेश पर समाप्त हो जाती हैं।
- दिशा: क्षेत्र रेखा के किसी भी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (tangent) उस बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र (B) की दिशा बताती है।
- प्रबलता: जहाँ क्षेत्र रेखाएँ पास-पास (घनी) होती हैं, वहाँ चुंबकीय क्षेत्र प्रबल होता है और जहाँ दूर-दूर होती हैं, वहाँ क्षेत्र दुर्बल होता है।
- प्रतिच्छेदन नहीं: दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं। क्योंकि यदि वे काटेंगी, तो कटान बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हो जाएँगी, जो कि असंभव है।

चित्र: (a) छड़ चुंबक, (b) परिनालिका, और (c) वैद्युत द्विध्रुव की क्षेत्र रेखाएँ। ध्यान दें कि चुंबक और परिनालिका की रेखाएँ बंद लूप बना रही हैं।
एक धारावाही परिनालिका (solenoid) का चुंबकीय क्षेत्र बिल्कुल एक छड़ चुंबक जैसा ही होता है। इससे यह परिकल्पना की गई (ऐम्पियर द्वारा) कि सभी चुंबकीय प्रभाव मूल रूप से परमाणुओं के भीतर बहने वाली परिसंचारी धाराओं (circulating currents) के कारण होते हैं।
सबूत (Proof):
एक सीमित लंबाई की परिनालिका, जिसके अक्ष पर किसी दूर स्थित बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र की गणना की जाती है, तो उसका सूत्र आता है:
जहाँ \(m\) परिनालिका का चुंबकीय आघूर्ण (\(m = n \cdot 2l \cdot I \cdot A\)) है। यह सूत्र ठीक वैसा ही है जैसा एक छड़ चुंबक के अक्ष पर स्थित बिंदु के लिए चुंबकीय क्षेत्र का होता है। यह समानता सिद्ध करती है कि एक छड़ चुंबक को एक धारावाही परिनालिका के समतुल्य माना जा सकता है।
जब एक चुंबकीय द्विध्रुव (जैसे चुंबकीय सुई या छड़ चुंबक) को एकसमान चुंबकीय क्षेत्र \( \mathbf{B} \) में रखा जाता है, तो:
- बल आघूर्ण (Torque): इस पर एक बल आघूर्ण लगता है जो इसे घुमाकर क्षेत्र की दिशा में लाने का प्रयास करता है।
\( \mathbf{\tau} = \mathbf{m} \times \mathbf{B} \)जहाँ \(m\) चुंबकीय आघूर्ण है और \( \theta \), \( \mathbf{m} \) और \( \mathbf{B} \) के बीच का कोण है।
\( \tau = mB \sin\theta \) - स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy): द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा होती है:
\( U = -\mathbf{m} \cdot \mathbf{B} = -mB \cos\theta \)
- स्थायी संतुलन (Stable Equilibrium): जब \( \mathbf{m} \) और \( \mathbf{B} \) समांतर हों (\(\theta = 0^\circ\)), तो \(\cos\theta = 1\) और ऊर्जा न्यूनतम (\(U = -mB\)) होती है। यह सबसे स्थायी अवस्था है।
- अस्थायी संतुलन (Unstable Equilibrium): जब \( \mathbf{m} \) और \( \mathbf{B} \) प्रतिसमांतर हों (\(\theta = 180^\circ\)), तो \(\cos\theta = -1\) और ऊर्जा अधिकतम (\(U = +mB\)) होती है। यह सबसे अस्थायी अवस्था है।
चुंबकत्व और स्थिरवैद्युतिकी में सादृश्यता
चुंबकत्व और स्थिरवैद्युतिकी में बहुत समानता है। हम एक-दूसरे के सूत्र याद रखने के लिए इस सादृश्यता का उपयोग कर सकते हैं।
स्थिर वैद्युत (Electrostatics) | चुंबकीय (Magnetism) |
---|---|
आवेश (Charge) \(q\) | ध्रुव प्राबल्य (Pole Strength) \(q_m\) (अब यह अवधारणा कम प्रयोग होती है) |
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण \(\mathbf{p}\) | चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण \(\mathbf{m}\) |
विद्युत क्षेत्र \(\mathbf{E}\) | चुंबकीय क्षेत्र \(\mathbf{B}\) |
\(1 / \varepsilon_0\) | \(\mu_0\) |
अक्षीय क्षेत्र: \( \frac{2\mathbf{p}}{4\pi\varepsilon_0r^3} \) | अक्षीय क्षेत्र: \( \frac{\mu_0}{4\pi}\frac{2\mathbf{m}}{r^3} \) |
विषुवतीय क्षेत्र: \( -\frac{\mathbf{p}}{4\pi\varepsilon_0r^3} \) | विषुवतीय क्षेत्र: \( -\frac{\mu_0}{4\pi}\frac{\mathbf{m}}{r^3} \) |
बल आघूर्ण: \( \mathbf{p} \times \mathbf{E} \) | बल आघूर्ण: \( \mathbf{m} \times \mathbf{B} \) |
ऊर्जा: \( -\mathbf{p} \cdot \mathbf{E} \) | ऊर्जा: \( -\mathbf{m} \cdot \mathbf{B} \) |
पुस्तक में दिए गए हल सहित उदाहरण (Solved In-text Examples)
उदाहरण 5.1
(a) चुंबक को (i) लंबाई के लंबवत, (ii) लंबाई के अनुदिश विभाजित करने पर क्या होगा?
हल: दोनों ही स्थितियों में आपको दो नए, छोटे और थोड़े कमजोर चुंबक मिलेंगे, जिनमें से प्रत्येक का अपना उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होगा।
(b) एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में सुई पर बल आघूर्ण लगता है पर परिणामी बल नहीं। लेकिन छड़ चुंबक के पास रखी कील पर आकर्षण बल लगता है। क्यों?
हल: एकसमान क्षेत्र में सुई के दोनों ध्रुवों पर बराबर और विपरीत बल लगता है, इसलिए नेट बल शून्य होता है, पर बल आघूर्ण होता है। छड़ चुंबक का क्षेत्र असमान होता है। यह कील में चुंबकत्व प्रेरित करता है। कील का जो सिरा चुंबक के पास होता है, उस पर आकर्षण बल अधिक শক্তিশালী होता है, इसलिए कील खिंची चली आती है।
(c) क्या हर चुंबकीय विन्यास का उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होना आवश्यक है?
हल: नहीं। एक टोरॉयड (toroid) के अंदर चुंबकीय क्षेत्र होता है लेकिन उसका कोई ध्रुव नहीं होता क्योंकि क्षेत्र रेखाएँ पूरी तरह से उसके अंदर ही सीमित रहती हैं।
(d) दो एक जैसी छड़ें A और B दी गई हैं। एक चुंबकीय है। कैसे पता करेंगे?
हल: विकर्षण ही चुंबकत्व की असली पहचान है (Repulsion is the surest test of magnetism)। एक छड़ (A) को हाथ में पकड़ें और दूसरी (B) के सिरों को उसके पास लाएँ। यदि B का एक सिरा A के किसी सिरे से विकर्षित होता है, तो दोनों छड़ें चुंबकीय हैं। यदि हमेशा आकर्षण ही होता है, तो A चुंबकीय है और B सिर्फ एक लोहे की छड़ है।
उदाहरण 5.2
चित्र में, P एक छोटी चुंबकीय सुई है। Q की विभिन्न स्थितियों के लिए बताइए:
(a) किस विन्यास में निकाय संतुलन में नहीं होगा?
हल: PQ₁ और PQ₂। यहाँ बलआघूर्ण शून्य नहीं है।
(b) किस विन्यास में निकाय (i) स्थायी (ii) अस्थायी संतुलन में होगा?
हल: (i) स्थायी संतुलन: PQ₃ और PQ₆। यहाँ \(m\) और \(B\) समांतर हैं, ऊर्जा न्यूनतम है। (ii) अस्थायी संतुलन: PQ₅ और PQ₄। यहाँ \(m\) और \(B\) प्रतिसमांतर हैं, ऊर्जा अधिकतम है।
(c) किसमें न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा है?
हल: PQ₆ में। यहाँ चुंबकीय क्षेत्र (अक्षीय स्थिति) सबसे प्रबल है और \(m\) तथा \(B\) समांतर हैं, इसलिए ऊर्जा \(U = -mB\) सबसे अधिक ऋणात्मक (न्यूनतम) है।
5.3 चुंबकत्व एवं गाउस का नियम (Magnetism and Gauss’s Law)
यह नियम चुंबकत्व का एक बहुत ही मौलिक सिद्धांत है।
गाउस का नियम: किसी भी बंद पृष्ठ से गुजरने वाला कुल चुंबकीय फ्लक्स हमेशा शून्य होता है।
इसका अर्थ क्या है? इसका सीधा-सा मतलब है कि जितनी चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ किसी बंद पृष्ठ में प्रवेश करती हैं, उतनी ही रेखाएँ उससे बाहर निकलती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि चुंबकीय ध्रुव हमेशा जोड़े (उत्तरी-दक्षिणी) में मौजूद होते हैं। आप किसी एक ध्रुव को अकेले बंद नहीं कर सकते। यह "एकल चुंबकीय ध्रुवों का अस्तित्व नहीं होता" वाले कथन का गणितीय रूप है।
5.4 चुंबकीकरण एवं चुंबकीय तीव्रता (Magnetisation and Magnetic Intensity)
जब किसी चुंबकीय पदार्थ को बाहरी चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो वह भी चुंबकित हो जाता है। इस व्यवहार को समझने के लिए हम कुछ नई राशियाँ परिभाषित करते हैं:
- चुंबकन (Magnetisation, M): किसी पदार्थ के प्रति इकाई आयतन में उत्पन्न परिणामी चुंबकीय आघूर्ण को चुंबकन कहते हैं। \( \mathbf{M} = \frac{\mathbf{m}_{net}}{V} \) (मात्रक: A/m)
- चुंबकीय तीव्रता (Magnetic Intensity, H): यह एक सहायक चुंबकीय क्षेत्र है जो बाहरी स्रोतों पर निर्भर करता है। \( \mathbf{B} = \mu_0(\mathbf{H} + \mathbf{M}) \) (मात्रक: A/m)
- चुंबकीय प्रवृत्ति (Magnetic Susceptibility, χ): यह बताती है कि कोई पदार्थ कितनी आसानी से चुंबकित हो सकता है। \( \mathbf{M} = \chi \mathbf{H} \)
- आपेक्षिक चुंबकशीलता (Relative Permeability, μᵣ): यह बताती है कि किसी पदार्थ के अंदर चुंबकीय क्षेत्र, निर्वात की तुलना में कितने गुना अधिक या कम है। \( B = \mu H = \mu_r \mu_0 H \)
सबसे महत्वपूर्ण संबंध:
यह सूत्र इन सभी राशियों को एक-दूसरे से जोड़ता है।
5.5 पदार्थों के चुंबकीय गुण (Magnetic Properties of Materials)
पदार्थों को उनकी चुंबकीय प्रवृत्ति (\( \chi \)) के आधार पर तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है:
गुण | प्रतिचुंबकीय (Diamagnetic) | अनुचुंबकीय (Paramagnetic) | लौहचुंबकीय (Ferromagnetic) |
---|---|---|---|
व्यवहार | बाह्य क्षेत्र में कमजोर रूप से विकर्षित होते हैं। | बाह्य क्षेत्र में कमजोर रूप से आकर्षित होते हैं। | बाह्य क्षेत्र में बहुत शक्तिशाली रूप से आकर्षित होते हैं। |
χ (प्रवृत्ति) | छोटी और ऋणात्मक (\(\approx -10^{-5}\)) | छोटी और धनात्मक (\(\approx +10^{-5}\)) | बहुत बड़ी और धनात्मक (\(>1000\)) |
μᵣ (आपेक्षिक चुंबकशीलता) | 1 से थोड़ी कम | 1 से थोड़ी अधिक | 1 से बहुत अधिक ( \( \gg 1 \) ) |
कारण | परमाणुओं में युग्मित इलेक्ट्रॉन। बाह्य क्षेत्र इलेक्ट्रॉन की गति को इस तरह बदलता है कि एक विपरीत क्षेत्र उत्पन्न हो। (लेंज का नियम) | परमाणुओं में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन, जिनके पास स्थायी चुंबकीय आघूर्ण होता है। बाह्य क्षेत्र इन्हें अपनी दिशा में संरेखित करता है। | डोमेन का बनना। डोमेन वे क्षेत्र हैं जिनमें लाखों परमाणुओं के आघूर्ण पहले से ही एक दिशा में संरेखित होते हैं। बाह्य क्षेत्र इन डोमेनों को संरेखित करता है। |
उदाहरण | बिस्मथ, ताँबा, सीसा, पानी, नाइट्रोजन | ऐलुमिनियम, सोडियम, कैल्शियम, ऑक्सीजन | लोहा, कोबाल्ट, निकल, गैडोलिनियम |
अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर
प्रश्न 5.1
एक छोटा छड़ चुंबक 0.25T के बाह्य क्षेत्र के साथ 30° का कोण बनाता है, और इस पर \( 4.5 \times 10^{-2} \) J का बल आघूर्ण लगता है। चुंबकीय आघूर्ण (m) का परिमाण क्या है?
हल:
दिया है: \( B = 0.25 \, \text{T} \), \( \tau = 4.5 \times 10^{-2} \, \text{J} \), \( \theta = 30^\circ \)
सूत्र: \( \tau = mB \sin\theta \)
\( m = \frac{\tau}{B \sin\theta} = \frac{4.5 \times 10^{-2}}{0.25 \times \sin30^\circ} \)
\( m = \frac{4.5 \times 10^{-2}}{0.25 \times 0.5} = \frac{4.5 \times 10^{-2}}{0.125} = 0.36 \, \text{J/T} \)
उत्तर: चुंबक का चुंबकीय आघूर्ण 0.36 J/T है।
प्रश्न 5.2
\( m = 0.32 \, \text{JT}^{-1} \) वाला एक छोटा छड़ चुंबक, 0.15T के क्षेत्र में रखा है। (i) स्थायी और (ii) अस्थायी संतुलन में स्थितिज ऊर्जा बताइए।
हल:
(i) स्थायी संतुलन: \( \theta = 0^\circ \)
\( U = -mB \cos\theta = -0.32 \times 0.15 \times \cos0^\circ = -0.048 \, \text{J} \)
(ii) अस्थायी संतुलन: \( \theta = 180^\circ \)
\( U = -mB \cos\theta = -0.32 \times 0.15 \times \cos180^\circ = -0.32 \times 0.15 \times (-1) = +0.048 \, \text{J} \)
उत्तर: स्थायी संतुलन में ऊर्जा -0.048 J और अस्थायी संतुलन में +0.048 J है।
20 नये अभ्यास प्रश्न (उत्तर सहित)
एक-अंकीय प्रश्न
- चुंबकीय प्रवृत्ति (χ) की परिभाषा दीजिए।
- गाउस का चुंबकत्व संबंधी नियम क्या दर्शाता है?
- किसी प्रतिचुंबकीय पदार्थ के लिए μᵣ का मान कितना होता है?
- चुंबकत्व की असली पहचान क्या है: आकर्षण या विकर्षण?
- किसी छड़ चुंबक के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है?
दो-अंकीय प्रश्न
- प्रतिचुंबकीय और अनुचुंबकीय पदार्थों में दो अंतर लिखिए।
- चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को क्यों नहीं काटतीं?
- एक धारावाही परिनालिका और एक छड़ चुंबक में दो समानताएँ बताइए।
- स्थायी चुंबक बनाने के लिए किस प्रकार के पदार्थ (कठोर या नर्म लौहचुंबकीय) का उपयोग होता है और क्यों?
- पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के तीन अवयव कौन-कौन से हैं?
- एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में रखे चुंबकीय द्विध्रुव पर नेट बल शून्य क्यों होता है?
अभ्यास प्रश्नों के उत्तर
- M = χH, यह पदार्थ की चुंबकित होने की क्षमता का माप है।
- एकल चुंबकीय ध्रुवों का अस्तित्व नहीं होता।
- 1 से थोड़ा कम।
- विकर्षण।
- दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर।
- (i) प्रतिचुंबकीय विकर्षित होते हैं, अनुचुंबकीय आकर्षित। (ii) प्रति में χ ऋणात्मक, अनु में धनात्मक।
- क्योंकि कटान बिंदु पर क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी, जो असंभव है।
- (i) दोनों का चुंबकीय क्षेत्र समान होता है। (ii) दोनों को लटकाने पर उत्तर-दक्षिण में ठहरते हैं।
- कठोर लौहचुंबकीय, क्योंकि उनकी धारणशीलता (retentivity) और निग्राहिता (coercivity) उच्च होती है।
- नति कोण (Angle of Dip), दिक्पात कोण (Angle of Declination), और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक (Horizontal Component)।
- क्योंकि दोनों ध्रुवों पर बराबर और विपरीत बल लगते हैं।
- \( \tau_{max} = mB = (2 \times 10^{-2}) \times 0.1 = 0.002 \, \text{Nm} \). (जब \( \theta=90^\circ \))
- \( \chi = \mu_r - 1 = 5500 - 1 = 5499 \).
- \( n = N/L = 1000/0.5 = 2000 \) फेरे/मीटर। \( H = nI = 2000 \times 2 = 4000 \, \text{A/m} \).
- \( W = mB(\cos\theta_1 - \cos\theta_2) = 0.4 \times 0.2 \times (\cos0^\circ - \cos60^\circ) = 0.08 \times (1 - 0.5) = 0.04 \, \text{J} \).
- \( W = mB(\cos\theta_1 - \cos(\theta_1+360^\circ)) = mB(\cos\theta_1 - \cos\theta_1) = 0 \).
- परिभाषाएँ ऊपर नोट्स में हैं। संबंध: \( B = \mu_0(H+M) \), \( M=\chi H \), \( B=\mu H \)। तो \( \mu H = \mu_0(H+\chi H) = \mu_0 H(1+\chi) \)। H से H कटने पर \( \mu = \mu_0(1+\chi) \), या \( \mu/\mu_0 = 1+\chi \), यानि \( \mu_r = 1+\chi \).
- \( B_{axial} = \frac{\mu_0}{4\pi} \frac{2m}{r^3} \). (व्यंजक का निगमन पाठ्यपुस्तक से देखें)।
- \( I = e/T = ev/2\pi r \). \( \mu_e = IA = (\frac{ev}{2\pi r}) \times \pi r^2 = \frac{evr}{2} \). \( L = mvr \). तो \( \mu_e = (\frac{e}{2m}) \times mvr = (\frac{e}{2m})L \).
- \( n = 2000 \) फेरे/मीटर (माना)। (i) \( H = nI = 2000 \times 1.5 = 3000 \, \text{A/m} \). (ii) \( \chi = \mu_r - 1 = 600 - 1 = 599 \). \( M = \chi H = 599 \times 3000 \approx 1.8 \times 10^6 \, \text{A/m} \). (iii) \( B = \mu_r \mu_0 H = 600 \times (4\pi \times 10^{-7}) \times 3000 \approx 2.26 \, \text{T} \).
बोर्ड परीक्षा के लिए संक्षिप्त सारांश (Quick Revision Summary)
- चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ: बंद लूप बनाती हैं, N से S (बाहर) और S से N (अंदर), कभी काटती नहीं।
- एकल ध्रुव: अस्तित्व में नहीं हैं।
- गाउस का नियम: \( \oint \mathbf{B} \cdot d\mathbf{S} = 0 \).
- बल आघूर्ण: \( \tau = mB \sin\theta \); स्थितिज ऊर्जा: \( U = -mB \cos\theta \).
- स्थायी संतुलन: \( \theta = 0^\circ \), \( U_{min} = -mB \). अस्थायी संतुलन: \( \theta = 180^\circ \), \( U_{max} = +mB \).
- अक्षीय क्षेत्र: \( B_{axial} = (\mu_0/4\pi) \cdot (2m/r^3) \).
- विषुवतीय क्षेत्र: \( B_{eq} = (\mu_0/4\pi) \cdot (m/r^3) \).
- मुख्य सूत्र: \( \mathbf{B} = \mu_0(\mathbf{H} + \mathbf{M}) \) और \( \mu_r = 1 + \chi \).
- पदार्थों का वर्गीकरण:
- प्रतिचुंबकीय (Dia): कमजोर विकर्षण, χ ऋणात्मक, \( \mu_r < 1 \). (उदा. ताँबा, पानी)
- अनुचुंबकीय (Para): कमजोर आकर्षण, χ धनात्मक, \( \mu_r > 1 \). (उदा. ऐलुमिनियम, ऑक्सीजन)
- लौहचुंबकीय (Ferro): प्रबल आकर्षण, χ बहुत अधिक, \( \mu_r \gg 1 \), डोमेन होते हैं। (उदा. लोहा, निकल)
मुझे उम्मीद है कि इन नोट्स से आपको "चुंबकत्व एवं द्रव्य" अध्याय को समझने में बहुत मदद मिलेगी। इन्हें अच्छी तरह से पढ़ें, सूत्रों को याद करें और प्रश्नों का अभ्यास करें। शुभकामनाएँ!
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