Bihar Board class12 physics chapter 6: वैद्युतचुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction): NCERT Class 12 Chapter 6 Notes in Hindi

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वैद्युतचुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction): NCERT Class 12 Chapter 6 Notes in Hindi

अध्याय 6: वैद्युतचुंबकीय प्रेरण

परिचय (Introduction)

नमस्ते छात्रों! इस अध्याय में हम भौतिक विज्ञान के एक बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण विषय - वैद्युतचुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) - के बारे में गहराई से जानेंगे। आज हम जिस बिजली का उपयोग करते हैं, वह काफी हद तक इसी सिद्धांत पर आधारित है। इस अध्याय में हम फैराडे का प्रेरण का नियम (Faraday's Law of Induction), लेंज का नियम (Lenz's Law), चुंबकीय फ्लक्स, गतिक विद्युत वाहक बल (Motional EMF), स्व-प्रेरकत्व (Self-Inductance), अन्योन्य प्रेरकत्व (Mutual Inductance) और AC जनित्र (AC Generator) जैसे महत्वपूर्ण विषयों का अध्ययन करेंगे। यह Class 12 Physics Chapter 6 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो न केवल सैद्धांतिक है बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी अत्यंत उपयोगी है।

बहुत समय पहले, बिजली और चुंबकत्व को दो अलग-अलग चीजें माना जाता था। लेकिन, 19वीं सदी में ऑस्ट्रेड और एम्पियर के प्रयोगों ने साबित किया कि विद्युत धाराएँ चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं। फिर सवाल उठा, क्या इसका उल्टा भी संभव है? क्या बदलता हुआ चुंबकीय क्षेत्र बिजली उत्पन्न कर सकता है? इस सवाल का जवाब 'हाँ' में माइकल फैराडे और जोसेफ हेनरी ने दिया। उनकी खोज ने आधुनिक जनरेटर और ट्रांसफार्मर का रास्ता खोला, जिसने हमारी सभ्यता को हमेशा के लिए बदल दिया।

6.1 फैराडे एवं हेनरी के प्रयोग (Faraday and Henry's Experiments)

वैद्युतचुंबकीय प्रेरण की खोज कई सरल लेकिन महत्वपूर्ण प्रयोगों पर आधारित है। आइए, उनमें से कुछ मुख्य प्रयोगों को समझते हैं:

प्रयोग 6.1: चुंबक और कॉइल

फैराडे का प्रयोग जिसमें एक कॉइल और एक बार चुंबक के बीच सापेक्ष गति से प्रेरित धारा उत्पन्न होती है। चित्र 6.1: कॉइल और चुंबक के बीच सापेक्ष गति।
  • एक गैल्वेनोमीटर से जुड़ी कॉइल (C₁) के पास जब एक बार चुंबक के उत्तरी ध्रुव को लाया जाता है, तो गैल्वेनोमीटर में विक्षेप होता है, जो प्रेरित धारा को दर्शाता है।
  • यह विक्षेप केवल तब तक रहता है जब तक चुंबक गति में है।
  • जब चुंबक को दूर ले जाया जाता है, तो विक्षेप विपरीत दिशा में होता है।
  • चुंबक की गति जितनी तेज होती है, प्रेरित धारा उतनी ही अधिक होती है।
निष्कर्ष: कॉइल में विद्युत धारा का प्रेरण, चुंबक और कॉइल के बीच सापेक्ष गति (relative motion) के कारण होता है।

प्रयोग 6.2: दो कॉइल

  • इस प्रयोग में बार चुंबक की जगह बैटरी से जुड़ी एक दूसरी कॉइल (C₂) का उपयोग किया जाता है।
  • जब धारावाही कॉइल C₂ को C₁ के पास या दूर ले जाया जाता है, तो C₁ से जुड़े गैल्वेनोमीटर में विक्षेप होता है।
  • यहाँ भी, विक्षेप केवल कॉइल्स के बीच सापेक्ष गति के दौरान होता है।
निष्कर्ष: यहाँ भी, कॉइल्स के बीच सापेक्ष गति विद्युत धारा प्रेरित करती है।

प्रयोग 6.3: बदलती हुई धारा

फैराडे का प्रयोग जिसमें एक कॉइल में धारा में परिवर्तन से पास की दूसरी कॉइल में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है। चित्र 6.3: सापेक्ष गति के बिना प्रेरण।
  • दो स्थिर कॉइल C₁ और C₂ ली जाती हैं। C₂ एक बैटरी और कुंजी (key) K से जुड़ी होती है।
  • जब कुंजी K को दबाया (सर्किट बंद किया) जाता है, तो C₁ के गैल्वेनोमीटर में एक क्षणिक विक्षेप होता है।
  • जब कुंजी को छोड़ा (सर्किट खोला) जाता है, तो फिर से एक क्षणिक विक्षेप होता है, लेकिन विपरीत दिशा में।
स्पष्टीकरण: जब कुंजी को दबाया या छोड़ा जाता है, तो कॉइल C₂ में धारा (और उससे उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र) बदलती है। इस बदलते चुंबकीय क्षेत्र के कारण कॉइल C₁ से जुड़े चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है, जिससे प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
समग्र निष्कर्ष: किसी परिपथ से जुड़े चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन के कारण उसमें एक प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) उत्पन्न होता है।

6.2 चुंबकीय फ्लक्स (Magnetic Flux)

चुंबकीय फ्लक्स (ΦB) किसी सतह से होकर गुजरने वाली कुल चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या का माप है। यह वैद्युतचुंबकीय प्रेरण को समझने के लिए एक मौलिक अवधारणा है।

यदि क्षेत्रफल A वाले समतल को एकसमान चुंबकीय क्षेत्र B में रखा जाता है, तो चुंबकीय फ्लक्स को इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:

$$ \Phi_B = \vec{B} \cdot \vec{A} = BA \cos \theta $$

यहाँ θ, चुंबकीय क्षेत्र सदिश (B) और क्षेत्रफल सदिश (A) के बीच का कोण है।

  • चुंबकीय फ्लक्स एक अदिश राशि (scalar quantity) है।
  • इसका SI मात्रक वेबर (Wb) है, जिसे टेस्ला वर्ग मीटर (T m²) भी कहते हैं।

6.3 फैराडे का प्रेरण का नियम (Faraday's Law of Induction)

अपने प्रयोगों के आधार पर, फैराडे ने वैद्युतचुंबकीय प्रेरण का एक मौलिक नियम दिया:

फैराडे का नियम: किसी बंद परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल (induced EMF) का परिमाण, उस परिपथ से जुड़े चुंबकीय फ्लक्स में समय के साथ होने वाले परिवर्तन की दर के बराबर होता है।

गणितीय रूप में, इसे इस प्रकार लिखा जाता है:

$$ \varepsilon = - \frac{d\Phi_B}{dt} $$

यदि कॉइल में पास-पास लिपटे N फेरे हैं, तो कुल प्रेरित EMF होगा:

$$ \varepsilon = - N \frac{d\Phi_B}{dt} $$

यहाँ ऋणात्मक चिन्ह प्रेरित EMF की दिशा को इंगित करता है, जिसे लेंज के नियम द्वारा समझाया गया है।

6.4 लेंज का नियम तथा ऊर्जा संरक्षण (Lenz's Law and Energy Conservation)

जर्मन भौतिक विज्ञानी हेनरिक लेंज ने प्रेरित धारा की दिशा निर्धारित करने के लिए एक नियम दिया।

लेंज का नियम: प्रेरित विद्युत वाहक बल की ध्रुवता (polarity) या प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह उस कारण (चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन) का विरोध करे जिसने उसे उत्पन्न किया है।

लेंज का नियम समझाता हुआ चित्र, जिसमें प्रेरित धारा की दिशा चुंबक की गति का विरोध करती है। चित्र 6.6: लेंज का नियम और ऊर्जा संरक्षण।

उदाहरण: जब चुंबक का उत्तरी ध्रुव कॉइल के पास आता है, तो कॉइल से जुड़ा फ्लक्स बढ़ता है। लेंज के नियम के अनुसार, प्रेरित धारा एक ऐसा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करेगी जो इस वृद्धि का विरोध करे। इसके लिए, कॉइल का चुंबक की ओर वाला सिरा एक उत्तरी ध्रुव की तरह व्यवहार करेगा, जो आने वाले उत्तरी ध्रुव को प्रतिकर्षित (repel) करेगा।

ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation)

लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का ही एक रूप है। चुंबक को कॉइल की ओर धकेलने में प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध हमें यांत्रिक कार्य करना पड़ता है। यही यांत्रिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा (प्रेरित धारा) में परिवर्तित होती है। यदि प्रेरित धारा विरोध करने के बजाय समर्थन करती, तो चुंबक अपने आप त्वरित होता और बिना किसी ऊर्जा स्रोत के ऊर्जा उत्पन्न होती, जो असंभव है।

उदाहरण 6.4 (हल सहित)

प्रश्न: चित्र में दिखाए गए लूपों में प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात कीजिए जब वे चुंबकीय क्षेत्र (अंदर की ओर) में प्रवेश कर रहे हैं या बाहर निकल रहे हैं।

हल:
(i) आयताकार लूप (प्रवेश करते समय): अंदर की ओर फ्लक्स बढ़ रहा है। विरोध करने के लिए, प्रेरित धारा बाहर की ओर क्षेत्र उत्पन्न करेगी। अतः, धारा की दिशा वामावर्त (bcdab) होगी।
(ii) त्रिभुजाकार लूप (बाहर निकलते समय): अंदर की ओर फ्लक्स घट रहा है। विरोध करने के लिए, प्रेरित धारा अंदर की ओर क्षेत्र उत्पन्न करेगी। अतः, धारा की दिशा दक्षिणावर्त (acb) होगी।
(iii) अनियमित लूप (बाहर निकलते समय): अंदर की ओर फ्लक्स घट रहा है। विरोध करने के लिए, प्रेरित धारा अंदर की ओर क्षेत्र उत्पन्न करेगी। अतः, धारा की दिशा दक्षिणावर्त (cdabc) होगी।

6.5 गतिक विद्युत वाहक बल (Motional Electromotive Force)

जब एक चालक (conductor) किसी चुंबकीय क्षेत्र में गति करता है, तो उसके सिरों के बीच एक विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है। इस EMF को गतिक विद्युत वाहक बल (Motional EMF) कहते हैं।

एक चालक छड़ PQ चुंबकीय क्षेत्र में वेग v से गति कर रही है, जिससे गतिक EMF उत्पन्न होता है। चित्र 6.10: गतिक EMF का प्रदर्शन।

यदि लंबाई l की एक चालक छड़, चुंबकीय क्षेत्र B के लंबवत, वेग v से गति करती है, तो प्रेरित गतिक EMF का मान होता है:

$$ \varepsilon = Blv $$

इसकी व्याख्या चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर लगने वाले लोरेंज बल (Lorentz force) \( F = q(\vec{v} \times \vec{B}) \) से भी की जा सकती है। यह बल इलेक्ट्रॉनों को छड़ के एक सिरे पर जमा कर देता है, जिससे सिरों के बीच विभवांतर (EMF) उत्पन्न हो जाता है।

6.6 प्रेरकत्व (Inductance)

प्रेरकत्व किसी परिपथ का वह गुण है जो उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में परिवर्तन का विरोध करता है। यह दो प्रकार का होता है:

6.7.1 अन्योन्य प्रेरकत्व (Mutual Inductance)

जब एक कॉइल में प्रवाहित धारा में परिवर्तन के कारण पास रखी दूसरी कॉइल में EMF प्रेरित होता है, तो इस घटना को अन्योन्य प्रेरण (Mutual Induction) कहते हैं।

यदि कॉइल 2 में धारा I₂ के कारण कॉइल 1 (N₁ फेरों वाली) से जुड़ा फ्लक्स-बंधन N₁Φ₁ है, तो:

$$ N_1 \Phi_1 = M_{12} I_2 $$

यहाँ M₁₂ को कॉइल्स का अन्योन्य प्रेरकत्व कहते हैं। प्रेरित EMF होता है:

$$ \varepsilon_1 = -M_{12} \frac{dI_2}{dt} $$

यह सिद्ध किया जा सकता है कि \( M_{12} = M_{21} = M \)। अन्योन्य प्रेरकत्व का SI मात्रक हेनरी (Henry, H) है।

6.7.2 स्व-प्रेरकत्व (Self-Inductance)

जब किसी कॉइल में प्रवाहित धारा में परिवर्तन के कारण उसी कॉइल में एक विरोधी EMF प्रेरित होता है, तो इस घटना को स्व-प्रेरण (Self-Induction) कहते हैं।

N फेरों वाली कॉइल में, फ्लक्स-बंधन (NΦ) उसी कॉइल में प्रवाहित धारा (I) के समानुपाती होता है:

$$ N\Phi_B = LI $$

यहाँ L को कॉइल का स्व-प्रेरकत्व कहते हैं। इसके कारण उत्पन्न विरोधी EMF (back emf) होता है:

$$ \varepsilon = -L \frac{dI}{dt} $$

स्व-प्रेरकत्व को विद्युत जड़त्व (electrical inertia) भी कहा जाता है क्योंकि यह धारा में किसी भी परिवर्तन का विरोध करता है।

प्रेरक में संचित ऊर्जा (Energy Stored in an Inductor)

एक प्रेरक (inductor) में धारा I स्थापित करने के लिए किया गया कार्य उसमें चुंबकीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।

$$ U = \frac{1}{2} L I^2 $$

चुंबकीय ऊर्जा घनत्व (Magnetic Energy Density)

चुंबकीय क्षेत्र B में प्रति एकांक आयतन में संचित ऊर्जा को चुंबकीय ऊर्जा घनत्व कहते हैं।

$$ u_B = \frac{B^2}{2\mu_0} $$

6.8 प्रत्यावर्ती धारा जनित्र (Alternating Current Generator)

AC जनित्र एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है। इसका कार्य सिद्धांत वैद्युतचुंबकीय प्रेरण पर आधारित है।

AC जनित्र का कार्य सिद्धांत, जिसमें एक कॉइल चुंबकीय क्षेत्र में घूमती है। चित्र 6.13: AC जनित्र की मूल संरचना।

जब N फेरों और A क्षेत्रफल वाली एक कॉइल को एकसमान चुंबकीय क्षेत्र B में कोणीय चाल ω से घुमाया जाता है, तो किसी समय t पर कॉइल से जुड़ा फ्लक्स होता है:

$$ \Phi_B = BA \cos(\omega t) $$

फैराडे के नियम के अनुसार, प्रेरित EMF का तात्क्षणिक मान होता है:

$$ \varepsilon = -N \frac{d\Phi_B}{dt} = NBA\omega \sin(\omega t) $$

इसे इस प्रकार भी लिखा जा सकता है:

$$ \varepsilon = \varepsilon_0 \sin(\omega t) $$

जहाँ \( \varepsilon_0 = NBA\omega \) प्रेरित EMF का अधिकतम मान (peak value) है। चूँकि EMF का मान और दिशा समय के साथ आवर्ती रूप से बदलते हैं, इसे प्रत्यावर्ती (Alternating) EMF कहते हैं, और इससे उत्पन्न धारा प्रत्यावर्ती धारा (AC) कहलाती है।

अभ्यास प्रश्न (Exercise Questions)

प्रश्न 6.3:

एक लंबी परिनालिका के इकाई सेंटीमीटर लंबाई में 15 फेरे हैं। उसके अंदर 2.0 cm² का एक छोटा-सा लूप परिनालिका की अक्ष के लंबवत रखा गया है। यदि परिनालिका में बहने वाली धारा का मान 2.0 A से 4.0 A, 0.1 s में कर दिया जाए, तो प्रेरित विद्युत वाहक बल कितना होगा?

हल:
दिया है: \( n = 15 \text{ फेरे/cm} = 1500 \text{ फेरे/m} \), \( A = 2.0 \times 10^{-4} \text{ m}^2 \), \( dI = 4.0 - 2.0 = 2.0 \text{ A} \), \( dt = 0.1 \text{ s} \)।
लूप से फ्लक्स, \( \Phi_B = B \cdot A = (\mu_0 n I) A \)।
प्रेरित EMF, \( \varepsilon = -\frac{d\Phi_B}{dt} = -\mu_0 n A \frac{dI}{dt} \)।
\( \varepsilon = - (4\pi \times 10^{-7} \times 1500 \times 2.0 \times 10^{-4}) \times \frac{2.0}{0.1} \)
\( \varepsilon = - (4\pi \times 10^{-7} \times 1500 \times 2.0 \times 10^{-4} \times 20) \)
\( \varepsilon = - 7.54 \times 10^{-6} \text{ V} = -7.54 \text{ µV} \)
प्रेरित EMF का परिमाण 7.54 µV है।

प्रश्न 6.7:

किसी परिपथ में 0.1 s में धारा 5.0 A से 0.0 A तक गिरती है। यदि औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल 200 V है तो परिपथ में स्वप्रेरकत्व का आकलन कीजिए।

हल:
दिया है: \( dt = 0.1 \text{ s} \), \( dI = 0.0 - 5.0 = -5.0 \text{ A} \), \( \varepsilon = 200 \text{ V} \)।
हम जानते हैं, \( \varepsilon = -L \frac{dI}{dt} \)।
\( 200 = -L \frac{-5.0}{0.1} \)
\( 200 = L \times 50 \)
\( L = \frac{200}{50} = 4 \text{ H} \)।
परिपथ का स्वप्रेरकत्व 4 H है।

बोर्ड परीक्षा के लिए संक्षिप्त सारांश (Revision Summary)

  • चुंबकीय फ्लक्स (ΦB): \( \Phi_B = BA \cos \theta \)। मात्रक: वेबर (Wb)।
  • फैराडे का नियम: प्रेरित EMF, फ्लक्स परिवर्तन की दर के बराबर होता है। \( \varepsilon = -N \frac{d\Phi_B}{dt} \)।
  • लेंज का नियम: प्रेरित धारा की दिशा हमेशा उस कारण का विरोध करती है जिससे वह उत्पन्न हुई है। (ऊर्जा संरक्षण पर आधारित)।
  • गतिक EMF: चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान चालक में प्रेरित EMF. \( \varepsilon = Blv \)।
  • स्व-प्रेरकत्व (L): किसी कॉइल का वह गुण जो उसी में धारा परिवर्तन का विरोध करता है। \( \varepsilon = -L \frac{dI}{dt} \)। मात्रक: हेनरी (H)।
  • अन्योन्य प्रेरकत्व (M): एक कॉइल में धारा परिवर्तन से दूसरी कॉइल में EMF प्रेरण। \( \varepsilon_2 = -M \frac{dI_1}{dt} \)।
  • प्रेरक में ऊर्जा: \( U = \frac{1}{2} L I^2 \)। ऊर्जा घनत्व \( u_B = \frac{B^2}{2\mu_0} \)।
  • AC जनित्र: यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। प्रेरित EMF \( \varepsilon = \varepsilon_0 \sin(\omega t) \), जहाँ \( \varepsilon_0 = NBA\omega \)।

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