Bihar Board class12 physics chapter8: वैद्युतचुंबकीय तरंगें (Electromagnetic Waves) - कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 8 | सम्पूर्ण नोट्स

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वैद्युतचुंबकीय तरंगें (Electromagnetic Waves) - कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 8 | सम्पूर्ण नोट्स

वैद्युतचुंबकीय तरंगें (Electromagnetic Waves)

नमस्ते! चलिए, आपकी बोर्ड परीक्षा की तैयारी को आसान और रोचक बनाते हैं। प्रस्तुत हैं अध्याय 8, "वैद्युतचुंबकीय तरंगें" (Electromagnetic Waves) पर आधारित सम्पूर्ण आत्म-अध्ययन नोट्स। ये नोट्स भारतीय छात्रों की सीखने की शैली को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं, ताकि आप स्वयं पढ़कर इस अध्याय की हर अवधारणा को आसानी से समझ सकें। इस गाइड में हम विस्थापन धारा (Displacement Current) की अवधारणा, मैक्सवेल के समीकरण (Maxwell's Equations), वैद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम (EM Spectrum) और इससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण विषयों को विस्तार से समझेंगे।

परिचय (Introduction)

दोस्तों, पिछले अध्यायों में हमने सीखा कि विद्युत धारा (electric current) से चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) उत्पन्न होता है (ऑर्स्टेड का प्रयोग) और बदलते हुए चुंबकीय क्षेत्र से विद्युत क्षेत्र (electric field) उत्पन्न होता है (फैराडे का प्रेरण का नियम)।

अब एक सवाल मन में आता है - क्या इसका उल्टा भी सच है? क्या बदलता हुआ विद्युत क्षेत्र भी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकता है?

महान वैज्ञानिक जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने इस सवाल का जवाब "हाँ" में दिया। उन्होंने बताया कि सिर्फ चालन धारा (conduction current) ही नहीं, बल्कि समय के साथ बदलता हुआ विद्युत क्षेत्र भी चुंबकीय क्षेत्र का स्रोत होता है। इसी विचार ने वैद्युतचुंबकीय तरंगों की खोज का रास्ता खोला। इस अध्याय में हम इसी रोमांचक कहानी को समझेंगे।

1. विस्थापन धारा (Displacement Current)

यह इस अध्याय की सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है। इसे ध्यान से समझिए।

समस्या क्या थी?

मैक्सवेल ने देखा कि ऐम्पियर के परिपथीय नियम $ \oint \mathbf{B} \cdot d\mathbf{l} = \mu_0 i $ में एक असंगति (inconsistency) है, खासकर जब इसे एक चार्ज होते हुए संधारित्र (capacitor) पर लगाया जाता है।

Displacement Current in a Capacitor
चित्र 1: संधारित्र में चालन और विस्थापन धारा की अवधारणा।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं:

  • स्थिति 1: जब हम ऐम्पियर का नियम संधारित्र के बाहर किसी बिंदु P पर लगाते हैं, तो लूप से चालन धारा $i(t)$ गुजरती है। हमें चुंबकीय क्षेत्र $B$ का मान मिलता है: $ B(2\pi r) = \mu_0 i(t) $। इसका मतलब चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है।
  • स्थिति 2: अब हम उसी लूप के लिए एक अलग सतह की कल्पना करते हैं, जो एक घड़े की तरह है और संधारित्र की प्लेटों के बीच से गुजरती है। इस सतह से कोई चालन धारा नहीं गुजर रही है (क्योंकि प्लेटों के बीच खाली जगह है), इसलिए $i = 0$। इस हिसाब से बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र शून्य $(B = 0)$ होना चाहिए।

यह एक विरोधाभास है! एक ही बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र का मान शून्य भी है और अशून्य भी, जो असंभव है।

मैक्सवेल का समाधान: विस्थापन धारा

मैक्सवेल ने तर्क दिया कि संधारित्र की प्लेटों के बीच जब यह चार्ज हो रहा होता है, तो आवेश (charge) बदलता है, जिससे प्लेटों के बीच का विद्युत क्षेत्र (E) भी समय के साथ बदलता है। इस बदलते हुए विद्युत क्षेत्र के कारण विद्युत फ्लक्स ($\Phi_E$) में भी परिवर्तन होता है।

उन्होंने कहा कि यह बदलता हुआ विद्युत फ्लक्स भी एक धारा के समतुल्य प्रभाव उत्पन्न करता है, जिसे उन्होंने विस्थापन धारा (Displacement Current, $i_d$) नाम दिया।

परिभाषा: विस्थापन धारा ($i_d$)

यह वह धारा है जो समय के साथ विद्युत फ्लक्स में परिवर्तन के कारण अस्तित्व में आती है। इसका मान होता है:

$$ i_d = \varepsilon_0 \frac{d\Phi_E}{dt} $$

जहाँ, $\varepsilon_0$ निर्वात की विद्युतशीलता है और $\frac{d\Phi_E}{dt}$ समय के साथ विद्युत फ्लक्स में परिवर्तन की दर है।

ऐम्पियर के नियम का संशोधन (ऐम्पियर-मैक्सवेल नियम)

मैक्सवेल ने ऐम्पियर के नियम को संशोधित किया और बताया कि चुंबकीय क्षेत्र का स्रोत केवल चालन धारा ($i_c$) नहीं, बल्कि कुल धारा (चालन धारा + विस्थापन धारा) होती है।

संशोधित नियम (ऐम्पियर-मैक्सवेल नियम):

$$ \oint \mathbf{B} \cdot d\mathbf{l} = \mu_0 (i_c + i_d) = \mu_0 \left( i_c + \varepsilon_0 \frac{d\Phi_E}{dt} \right) $$

याद रखने योग्य बातें

  • चालक तार में मुख्य रूप से चालन धारा होती है।
  • संधारित्र की प्लेटों के बीच (खाली स्थान में) सिर्फ विस्थापन धारा होती है।
  • विस्थापन धारा आवेशों के वास्तविक प्रवाह के कारण नहीं होती, बल्कि बदलते विद्युत क्षेत्र के कारण होती है।

2. मैक्सवेल के समीकरण (Maxwell's Equations)

मैक्सवेल ने विद्युत और चुंबकत्व के सभी आधारभूत नियमों को चार सरल समीकरणों में समेट दिया। ये समीकरण ही मैक्सवेल के समीकरण कहलाते हैं और ये विद्युत-चुंबकत्व की नींव हैं।

निर्वात में मैक्सवेल के समीकरण:

  1. विद्युत के लिए गाउस का नियम: $ \oint \mathbf{E} \cdot d\mathbf{A} = \frac{Q}{\varepsilon_0} $
    अर्थ: किसी बंद पृष्ठ से गुजरने वाला कुल विद्युत फ्लक्स उस पृष्ठ द्वारा घेरे गए कुल आवेश का $1/\varepsilon_0$ गुना होता है। यह बताता है कि विद्युत आवेश विद्युत क्षेत्र का स्रोत है।
  2. चुंबकत्व के लिए गाउस का नियम: $ \oint \mathbf{B} \cdot d\mathbf{A} = 0 $
    अर्थ: किसी भी बंद पृष्ठ से गुजरने वाला कुल चुंबकीय फ्लक्स हमेशा शून्य होता है। यह बताता है कि अकेले चुंबकीय ध्रुव (magnetic monopole) का अस्तित्व नहीं होता।
  3. फैराडे का प्रेरण का नियम: $ \oint \mathbf{E} \cdot d\mathbf{l} = -\frac{d\Phi_B}{dt} $
    अर्थ: समय के साथ बदलता हुआ चुंबकीय फ्लक्स एक विद्युत क्षेत्र (या विद्युत वाहक बल) उत्पन्न करता है।
  4. ऐम्पियर-मैक्सवेल नियम: $ \oint \mathbf{B} \cdot d\mathbf{l} = \mu_0 i_c + \mu_0 \varepsilon_0 \frac{d\Phi_E}{dt} $
    अर्थ: चुंबकीय क्षेत्र दो कारणों से उत्पन्न हो सकता है: चालन धारा ($i_c$) के कारण और समय के साथ बदलते हुए विद्युत फ्लक्स (विस्थापन धारा) के कारण।

3. वैद्युतचुंबकीय तरंगें (Electromagnetic Waves - EM Waves)

मैक्सवेल के समीकरणों से जो सबसे बड़ी भविष्यवाणी निकली, वह थी वैद्युतचुंबकीय तरंगों का अस्तित्व।

वैद्युतचुंबकीय तरंगें क्या हैं?

ये वे तरंगें हैं जिनमें समय और स्थान के साथ बदलते हुए विद्युत क्षेत्र (E) और चुंबकीय क्षेत्र (B) होते हैं, जो एक-दूसरे के लंबवत होते हैं और तरंग संचरण की दिशा के भी लंबवत होते हैं। ये तरंगें बिना किसी माध्यम के भी चल सकती हैं (जैसे निर्वात में)।

स्रोत (Source of EM Waves): वैद्युतचुंबकीय तरंगों का स्रोत त्वरित आवेश (accelerated charge) होता है।

Electromagnetic Wave Propagation
चित्र 2: z-दिशा में चलती एक वैद्युतचुंबकीय तरंग, जिसमें E और B क्षेत्र परस्पर लंबवत हैं।

वैद्युतचुंबकीय तरंगों की प्रकृति और गुणधर्म

  • अनुप्रस्थ प्रकृति (Transverse Nature): विद्युत क्षेत्र (E), चुंबकीय क्षेत्र (B) और तरंग संचरण की दिशा (k) तीनों एक-दूसरे के लंबवत ($E \perp B \perp k$) होते हैं।
  • माध्यम की आवश्यकता नहीं: ये तरंगें निर्वात में भी चल सकती हैं।
  • निर्वात में चाल (Speed in Vacuum): निर्वात में सभी वैद्युतचुंबकीय तरंगें एक ही चाल से चलती हैं, जिसे प्रकाश की चाल (c) कहते हैं। मैक्सवेल के समीकरणों से यह सिद्ध होता है कि:
    $$ c = \frac{1}{\sqrt{\mu_0 \varepsilon_0}} $$
    जब $\mu_0$ और $\varepsilon_0$ का मान रखा जाता है, तो $c$ का मान लगभग 3 × 10⁸ m/s आता है। यहीं से यह सिद्ध हुआ कि प्रकाश एक वैद्युतचुंबकीय तरंग है।
  • E और B में संबंध: किसी भी क्षण पर, विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र के परिमाण का अनुपात प्रकाश की चाल के बराबर होता है।
    $$ \frac{E}{B} = c \quad \text{या} \quad \frac{E_0}{B_0} = c $$
    जहाँ $E_0$ और $B_0$ उनके आयाम (amplitudes) हैं।
  • ऊर्जा का वहन: ये तरंगें अपने साथ ऊर्जा और संवेग ले जाती हैं।

4. पुस्तक में दिए गए हल सहित उदाहरण

उदाहरण 8.1

25 MHz आवृत्ति की एक समतल वैद्युतचुंबकीय तरंग निर्वात में x-दिशा के अनुदिश गतिमान है। दिक्काल में किसी विशिष्ट बिंदु पर इसका $\mathbf{E} = 6.3 \, \hat{\mathbf{j}} \, \text{V/m}$ है। इस बिंदु पर $\mathbf{B}$ का मान क्या है?

चरण-दर-चरण हल:

  1. परिमाण की गणना: $B = E / c$
    $B = \frac{6.3 \, \text{V/m}}{3 \times 10^8 \, \text{m/s}} = 2.1 \times 10^{-8} \, \text{T}$
  2. दिशा का निर्धारण: हम जानते हैं कि तरंग संचरण की दिशा (x-अक्ष) $\mathbf{E} \times \mathbf{B}$ की दिशा में होती है।
    $\text{दिशा}(\mathbf{E}) = \hat{\mathbf{j}}$ (y-अक्ष)।
    हमें B की दिशा ऐसी चाहिए कि $\hat{\mathbf{j}} \times \text{दिशा}(\mathbf{B}) = \hat{\mathbf{i}}$।
    सदिश बीजगणित से, हम जानते हैं कि $\hat{\mathbf{j}} \times \hat{\mathbf{k}} = \hat{\mathbf{i}}$। इसलिए, B की दिशा z-अक्ष ($\hat{\mathbf{k}}$) के अनुदिश होगी।

उत्तर: चुंबकीय क्षेत्र $\mathbf{B} = 2.1 \times 10^{-8} \, \hat{\mathbf{k}} \, \text{T}$ है।

उदाहरण 8.2

किसी समतल वैद्युतचुंबकीय तरंग में चुंबकीय क्षेत्र $B_y = (2 \times 10^{-7}) \, \text{T} \, \sin(0.5 \times 10^3 x + 1.5 \times 10^{11} t)$ है। (a) तरंग की आवृत्ति तथा तरंगदैर्ध्य क्या है? (b) विद्युत क्षेत्र के लिए व्यंजक लिखिए।

चरण-दर-चरण हल:

मानक समीकरण $B_y = B_0 \sin(kx + \omega t)$ से तुलना करने पर:
$B_0 = 2 \times 10^{-7} \, \text{T}$, $k = 0.5 \times 10^3 \, \text{m}^{-1}$, $\omega = 1.5 \times 10^{11} \, \text{rad/s}$

  1. (a) आवृत्ति तथा तरंगदैर्ध्य:
    तरंगदैर्ध्य ($\lambda$): $\lambda = \frac{2\pi}{k} = \frac{2\pi}{0.5 \times 10^3} \approx 1.26 \, \text{cm}$
    आवृत्ति ($\nu$): $\nu = \frac{\omega}{2\pi} = \frac{1.5 \times 10^{11}}{2\pi} \approx 23.9 \, \text{GHz}$
  2. (b) विद्युत क्षेत्र का व्यंजक:
    E का आयाम ($E_0$): $E_0 = cB_0 = (3 \times 10^8) \times (2 \times 10^{-7}) = 60 \, \text{V/m}$
    E की दिशा: तरंग -x दिशा में है और B, y-दिशा में है, तो E को z-दिशा में होना चाहिए।
    E का व्यंजक: $E_z = 60 \, \sin(0.5 \times 10^3 x + 1.5 \times 10^{11} t) \, \text{V/m}$

5. वैद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम (Electromagnetic Spectrum)

वैद्युतचुंबकीय तरंगों को उनकी आवृत्ति या तरंगदैर्ध्य के आधार पर एक क्रम में व्यवस्थित करने को वैद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम कहते हैं।

Electromagnetic Spectrum Diagram
चित्र 3: वैद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भाग।
तरंग का नाम तरंगदैर्ध्य (m) आवृत्ति (Hz) स्रोत (Source) उपयोग (Uses)
रेडियो तरंगें > 0.1 m < 3 × 10⁹ त्वरित आवेश (चालक तारों में) रेडियो और टीवी प्रसारण, सेलुलर फोन
सूक्ष्म तरंगें 1 mm से 0.1 m 3×10⁹ से 3×10¹¹ क्लाइस्ट्रॉन, मैग्नेट्रॉन ट्यूब्स रडार प्रणाली, माइक्रोवेव ओवन, वाई-फाई
अवरक्त तरंगें 700 nm से 1 mm 3×10¹¹ से 4×10¹⁴ गर्म पिंड, अणु रिमोट कंट्रोल, रात्रि दृष्टि कैमरे, ऊष्मा चिकित्सा
दृश्य प्रकाश 400 nm से 700 nm 4×10¹⁴ से 7.5×10¹⁴ सूर्य, बल्ब, LED वस्तुओं को देखने में, प्रकाशिकी
पराबैंगनी (UV) 1 nm से 400 nm 7.5×10¹⁴ से 3×10¹⁷ सूर्य, विशेष लैंप जल शोधक, लेसिक नेत्र शल्यता
X-किरणें 10⁻³ nm से 1 nm 3×10¹⁷ से 3×10¹⁹ X-किरण ट्यूब चिकित्सा में हड्डी की छवियां, कैंसर उपचार
गामा किरणें < 10⁻³ nm > 3 × 10¹⁹ रेडियोधर्मी नाभिक कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में (रेडियोथेरेपी)

6. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर

प्रश्न 8.1 से 8.10 के हल

प्रश्न 8.1: (a) धारिता $C \approx 8.0 \, \text{pF}$, विभवांतर परिवर्तन की दर $\frac{dV}{dt} = 1.875 \times 10^{10} \, \text{V/s}$। (b) विस्थापन धारा $i_d = 0.15 \, \text{A}$। (c) हाँ, किरखोफ का नियम लागू होता है क्योंकि चालन धारा प्लेट में प्रवेश करती है और विस्थापन धारा बाहर निकलती है, जिससे आवेश संरक्षण होता है।

प्रश्न 8.2: (a) चालन धारा का rms मान $i_{rms} \approx 6.9 \, \mu\text{A}$। (b) हाँ, चालन धारा विस्थापन धारा के बराबर है। (c) B का आयाम $B_0 \approx 1.63 \times 10^{-11} \, \text{T}$।

प्रश्न 8.3: सभी के लिए निर्वात में चाल ($c = 3 \times 10^8 \, \text{m/s}$) समान है।

प्रश्न 8.4: दिशा: E और B सदिश x-y तल में होंगे और परस्पर लंबवत होंगे। तरंगदैर्ध्य: $\lambda = c/\nu = 10 \, \text{m}$।

प्रश्न 8.5: संगत तरंगदैर्ध्य बैंड 25 m से 40 m है।

प्रश्न 8.6: तरंग की आवृत्ति भी $10^9$ Hz होगी।

प्रश्न 8.7: विद्युत क्षेत्र का आयाम $E_0 = cB_0 = 153 \, \text{N/C}$।

प्रश्न 8.8: (a) $B_0 = 400 \, \text{nT}$, $\omega = 3.14 \times 10^8 \, \text{rad/s}$, $k \approx 1.05 \, \text{rad/m}$, $\lambda = 6.0 \, \text{m}$। (b) $E_x = 120 \sin(1.05z - 3.14 \times 10^8 t) \, \text{N/C}$, $B_y = 400 \times 10^{-9} \sin(1.05z - 3.14 \times 10^8 t) \, \text{T}$।

प्रश्न 8.9: फोटॉन ऊर्जा $E = hc/\lambda$। गामा किरण के लिए ~MeV, X-किरण के लिए ~keV, दृश्य प्रकाश के लिए ~eV, और रेडियो तरंग के लिए ~µeV से neV कोटि की ऊर्जा होती है।

प्रश्न 8.10: (a) तरंगदैर्ध्य $\lambda = 1.5 \, \text{cm}$। (b) चुंबकीय क्षेत्र का आयाम $B_0 = 1.6 \times 10^{-7} \, \text{T}$। (c) औसत ऊर्जा घनत्व $u_E = \frac{1}{4}\varepsilon_0 E_0^2$ और $u_B = \frac{B_0^2}{4\mu_0}$। $E_0 = cB_0$ और $c^2=1/\mu_0\varepsilon_0$ का उपयोग करके यह सिद्ध किया जा सकता है कि $u_E = u_B$।

7. अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (Additional Practice Questions)

विस्थापन धारा का SI मात्रक क्या है?

उत्तर: एम्पीयर

किस वैज्ञानिक ने प्रायोगिक रूप से वैद्युतचुंबकीय तरंगों के अस्तित्व को सिद्ध किया?

उत्तर: हेनरिच हर्ट्ज़

एक वैद्युतचुंबकीय तरंग में विद्युत क्षेत्र का आयाम 30 V/m है। चुंबकीय क्षेत्र का आयाम क्या होगा?

उत्तर: $10^{-7}$ T (हल: $B_0 = E_0/c = 30 / (3 \times 10^8) = 10^{-7} \text{T}$)

TV के रिमोट कंट्रोल में कौन सी वैद्युतचुंबकीय तरंगें उपयोग होती हैं?

उत्तर: अवरक्त तरंगें

ओजोन परत हमें सूर्य से आने वाली किन हानिकारक किरणों से बचाती है?

उत्तर: पराबैंगनी किरणें

वैद्युतचुंबकीय तरंगों में ऊर्जा किस रूप में होती है?

उत्तर: विद्युत क्षेत्र और चुंबकीय क्षेत्र में समान रूप से विभाजित होती है।

8. बोर्ड परीक्षा के लिए त्वरित पुनरावृत्ति सारांश

  • विस्थापन धारा ($i_d$): बदलते विद्युत फ्लक्स के कारण। $i_d = \varepsilon_0 (d\Phi_E / dt)$।
  • ऐम्पियर-मैक्सवेल नियम: $\oint \mathbf{B} \cdot d\mathbf{l} = \mu_0(i_c + i_d)$।
  • EM तरंग का स्रोत: त्वरित आवेश।
  • EM तरंग की प्रकृति: अनुप्रस्थ ($E \perp B \perp k$)।
  • निर्वात में चाल: $c = 1 / \sqrt{\mu_0\varepsilon_0} \approx 3 \times 10^8 \, \text{m/s}$।
  • E और B में संबंध: $E_0 / B_0 = c$।
  • ऊर्जा घनत्व: $u_E = u_B$।
  • स्पेक्ट्रम (बढ़ती आवृत्ति): रेडियो < सूक्ष्म < अवरक्त < दृश्य < पराबैंगनी < X-किरणें < गामा।

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