बिहार बोर्ड सामाजिक विज्ञान इतिहास अर्थव्यवस्था और आजीविका रिवीजन नोट्स | Class 10 History Chapter 5 Revision Notes | Highly useful for BSEB Matric Exam

Digital BiharBoard Team
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 अर्थव्यवस्था और आजीविका

history chapter 5


औद्योगीकरण से पहले इंगलैंड भी एक कृषि प्रधान देश ही था। लेकिन औद्योगिक क्रांति के सफल हो जाने से वहाँ के ग्रामीण उद्योग धंधे बर्बाद हो गए और ग्रामीण शहरों में एकत्र होकर कारखानों में काम करने लगे। इंग्लैंड में औद्योगीकरण का कारण था कि यहाँ कुछ ऐसे यंत्रों के आविष्कार हुए जिनसे उत्पादन सस्ता और सुन्दर होने लगा। अब समस्या थी कि इन तैयार मालों को बेंचा कहाँ जाय। इसके लिए उपनिवेशों को बढ़ाने और उन पर अधिकाधिक अंकुश रखा जाने लगा। वहाँ उन्हें केवल बाजार ही नहीं मिले, बल्कि कच्चे माल भी मिलने लगे। वे नाम मात्र के मूल्य या खर्च पर कच्चा माल ला और उसी से माल तैयार कर उन्हीं देशों में बेचने लगे। इससे केवल इंग्लैंड ही नहीं, लगभग यूरोप के सभी देश धन-धान्य से पूर्ण रहने लगे। कच्चे माल की प्राप्ति तथा तैयार माल के बाजार के लिए उनमें प्रतिद्वन्द्विता भी बढ़ने लगी।

राष्ट्रवादिता के उदय के फलस्वरूप भारत में भी फैक्टिरियों की स्थापना होने लगी। सर्वप्रथम 1830-40 के दशक के मध्य बंगाल में द्वारका नाथ टैगोर ने 6 संयुक्त उद्यम कम्पनियों स्थापित करने में सफलता पाई। सूती कपड़े का पहला कारखाना 1851 में बम्बई में स्थापित हुआ। धागा कातने का पहला कारखाना बम्बई में ही 1954 में लगा। इसके बाद लगातार सूती वस्त्र के कारखाने बढ़ते ही गए जो 1914 तक इनकी संख्या 144 तक हो गई। जूट मिलों की स्थापना 1917 में कलकत्ता में हुई। 1907 में जमशेद जी नशरवान जी टाटा ने साकची नामक स्थान पर लोहे का कारखाना खोला और जमशेदुपर नगर बसाया। 1955 तक स्टील प्लाटों की संख्या 7 हो गई, जिनमें कुछ तो सार्वजनिक क्षेत्र के हैं और कुछ निजी क्षेत्र के अंग्रेजों ने ही भारत में चाय तथा कॉफी के बगान लगवाए। यह भी औद्योगीकरण की ही देन थी। भारत में भी अब उद्योगों का तांता लग गया। परिणाम हुआ कि नगरो का विकास हुआ लेकिन कुटीर उद्योग नष्ट हो गये। समाज में वर्ग विभाजन भी तेजी से फैला। पहले जहाँ मजदूर केवल खेतों में ही काम करते थे, अब कारखानों में भी काम करने लगे। एक स्थान पर मजदूरों के एकत्र होने से स्लम पद्धति की शुरुआत हुई। झुग्गी-झोपड़ियों की संख्या बढ़ने लगी। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुटीर उद्योगों की उन्नति की ओर अधिक ध्यान दिया गया। हालाँकि गाँधीजी के प्रयत्न से कांग्रेस पहले से ही कुटीर उद्योगों के विकास का प्रयत्न कर रही थी।


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3Comments

  1. Sir apka Notes बहुत अच्छा है please Hindi ka revision notes upload कर दीजिए सर

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  2. धन्यवाद
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