बिहार बोर्ड सामाजिक विज्ञान इतिहास शहरीकरण एवं शहरी जीवन रिवीजन नोट्स | Class 10 History Chapter 6 Revision Notes | Highly useful for BSEB Matric Exam

Digital BiharBoard Team
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 शहरीकरण एवं शहरी जीवन


class 10 revision notes

गाँव से बाजार, बाजार से कस्बा और कस्बा से शहर में बदल जाने की किया को शहरीकरण कहते हैं। शहर वहाँ विकसित होते है, जहाँ किन्हीं वस्तुओं को खरीदने और बेचने वाले एकत्र होते है। इसके अलावा बन्दरगाहों के नगर, राजधानियों के नगर,औद्योगिक स्थानों में शहर आपोआप विकसित हो जाते है। जहाँ खनन का काम होता है, वहाँ भी शहर बस जाते है। शहरों में चूंकि एक साथ अधिक लोग निवास करते है, अतः उनके लिए स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकारी गैरसरकारी अस्पतालों की व्यवस्था होती है। अब तो विद्यालय भी सरकारी के साथ-साथ गैरसरकारी दिखने लगे हैं। लेकिन गैरसरकारी विद्यालयों में अमीरों के बच्चे ही पढ़ सकते है।

ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन में बहुत अंतर होता है। गाँवों में सामाजिकता का पालन कड़ाई से होता है, जिससे समाज सुव्यवस्थित रहता है। समाज का कोई व्यक्ति गलत काम करने का हिम्मत नहीं करता। लेकिन शहरों में प्रतिष्ठा का मापदंड धन होता है। एक धनी व्यक्ति अपने दूर की बहन से भी विवाह कर इज्जत और शान से बाजार में घूमता है। शहरों में एक से अधिक विवाह करना, रखेल रखना प्रतिष्ठा की बात समझी जाती है। धन बल के कारण उन्हें कोई कुछ नहीं बोलता। लेकिन देखा यह जाता है कि उनका भी एक समाज बन जाता है।

गाँवों में पास-पड़ोस के लोगों में परस्पर प्रेम की भावना रहती है, जबकि शहरी जीवन में निकटस्थ पड़ोसी भी एक-दूसरे से अपरिचित-सा व्यवहार करते हैं। गाँवों में सादा जीवन उच्च विचार पाया जाता है, वही शहरों में कृत्रिमता ही कृत्रिमता है।

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