Bihar Board class10 sanskrit chapter07- नीतिश्लोक | Revision notes | Exercise solved | additional questions solved

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बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 7: नीतिश्लोकाः - सम्पूर्ण नोट्स और प्रश्नोत्तर

बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत

अध्याय 7: नीतिश्लोकाः (Niti Shlokas)

पाठ परिचय

यह पाठ 'नीतिश्लोकाः' महाभारत के उद्योग पर्व के अन्तर्गत 'विदुरनीति' से संकलित है। महाभारत युद्ध के प्रारम्भ होने पर धृतराष्ट्र ने अपनी चित्त की शांति के लिए मंत्रीश्रेष्ठ विदुर से परामर्श मांगा। विदुर ने उन्हें जो उपदेश दिए, वे ही 'विदुरनीति' के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन श्लोकों में जीवन के शाश्वत मूल्यों, सदाचार, और लोक-व्यवहार सम्बन्धी महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। ये श्लोक व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

महत्वपूर्ण श्लोक एवं हिन्दी अनुवाद/भावार्थ

1. यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति शीतमुष्णं भयं रतिः।
समृद्धिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते॥1॥

अन्वयः – यस्य कृत्यं शीतम् उष्णं भयं रतिः समृद्धिः असवृद्धिः वा न विघ्नन्ति, सः वै पण्डितः उच्यते।

हिन्दी अनुवाद: जिसके कार्य को सर्दी-गर्मी, भय-प्रेम, उन्नति-अवनति आदि बाधा नहीं पहुँचाते, वही व्यक्ति पंडित (ज्ञानी) कहलाता है।

भावार्थ: सच्चा ज्ञानी वह है जो किसी भी परिस्थिति (सुख-दुःख, लाभ-हानि) में विचलित हुए बिना अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहता है।

2. तत्त्वज्ञः सर्वभूतानां योगज्ञः सर्वकर्मणाम्।
उपायज्ञो मनुष्याणां नरः पण्डित उच्यते॥2॥

अन्वयः – सर्वभूतानां तत्त्वज्ञः, सर्वकर्मणां योगज्ञः, मनुष्याणाम् उपायज्ञः नरः पण्डितः उच्यते।

हिन्दी अनुवाद: जो सभी जीवों के तत्वों (रहस्यों) को जानने वाला, सभी कर्मों के करने के कौशल (योग) को जानने वाला और मनुष्यों के लिए उपायों को जानने वाला होता है, वह मनुष्य पंडित कहलाता है।

भावार्थ: जो व्यक्ति सभी प्राणियों के सार को समझता है, अपने कर्मों को कुशलतापूर्वक करता है और मनुष्यों के कल्याण के उपाय जानता है, वही ज्ञानी है।

3. अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते।
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः॥3॥

अन्वयः – (यः) अनाहूतः प्रविशति, अपृष्टः बहु भाषते, अविश्वस्ते विश्वसिति, (सः) मूढचेता नराधमः (अस्ति)।

हिन्दी अनुवाद: जो बिना बुलाए प्रवेश करता है, बिना पूछे बहुत बोलता है, और अविश्वासी पर विश्वास करता है, वह मूर्ख हृदय वाला मनुष्यों में नीच होता है।

भावार्थ: मूर्ख व्यक्ति बिना निमंत्रण के कहीं भी चला जाता है, बिना पूछे अपनी बात कहता रहता है और जो विश्वास के योग्य नहीं है, उस पर भी भरोसा कर लेता है। ऐसे लोग अधम माने जाते हैं।

4. एक एव धर्मः परं श्रेयः क्षमैका शान्तिरुत्तमा।
विद्यैका परमा तृप्तिः अहिंसैका सुखावहा॥4॥

अन्वयः – एकः धर्मः एव परं श्रेयः, एका क्षमा उत्तमा शान्तिः, एका विद्या परमा तृप्तिः, एका अहिंसा सुखावहा (अस्ति)।

हिन्दी अनुवाद: एक ही धर्म सबसे श्रेष्ठ कल्याणकारी है, एक क्षमा ही उत्तम शांति है, एक विद्या ही परम संतोष देने वाली है और एक अहिंसा ही सुख देने वाली है।

भावार्थ: धर्म का पालन ही परम कल्याण है। क्षमा करने से उत्तम शांति मिलती है। विद्या से परम संतुष्टि प्राप्त होती है और अहिंसा का पालन करने से सुख मिलता है।

5. त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्॥5॥

अन्वयः – इदं त्रिविधं नरकस्य द्वारम् आत्मनः नाशनम् – कामः क्रोधः तथा लोभः। तस्मात् एतत् त्रयं त्यजेत्।

हिन्दी अनुवाद: काम, क्रोध और लोभ – ये तीन प्रकार के नरक के द्वार हैं जो आत्मा का नाश करने वाले हैं। इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।

भावार्थ: अत्यधिक इच्छा (काम), गुस्सा (क्रोध) और लालच (लोभ) व्यक्ति को पतन की ओर ले जाते हैं और ये नरक के मार्ग हैं। अतः इन्हें छोड़ देना चाहिए।

6. षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता॥6॥

अन्वयः – इह भूतिम् इच्छता पुरुषेण षड् दोषाः हातव्याः – निद्रा, तन्द्रा, भयं, क्रोधः, आलस्यं, दीर्घसूत्रता।

हिन्दी अनुवाद: इस संसार में उन्नति (ऐश्वर्य) चाहने वाले पुरुष को छः दोषों का त्याग कर देना चाहिए – नींद, ऊँघना (तन्द्रा), भय, क्रोध, आलस्य और किसी काम को देर तक टालने की आदत (दीर्घसूत्रता)।

भावार्थ: जो व्यक्ति जीवन में प्रगति करना चाहता है, उसे अधिक सोना, ऊँघते रहना, डरना, गुस्सा करना, आलसी होना और कामों को टालते रहना – इन छह बुरी आदतों को छोड़ देना चाहिए।

शब्दार्थ (Word Meanings)

संस्कृत शब्द हिन्दी अर्थ English Meaning
कृत्यम्कार्य कोwork
विघ्नन्तिबाधा डालते हैंobstruct
शीतम्सर्दीcold
उष्णम्गर्मीheat
रतिःप्रेम, आसक्तिattachment, love
समृद्धिःउन्नति, सम्पन्नताprosperity
असमृद्धिःअवनति, विपन्नताadversity
पण्डितःज्ञानी, विद्वानwise man
तत्त्वज्ञःरहस्य को जानने वालाknower of reality/essence
सर्वभूतानाम्सभी प्राणियों काof all beings
योगज्ञःकर्म-कौशल को जानने वालाknower of the art of work
उपायज्ञःउपाय जानने वालाknower of means/solutions
अनाहूतःबिना बुलाया हुआuninvited
प्रविशतिप्रवेश करता हैenters
अपृष्टःबिना पूछेunasked
बहु भाषतेबहुत बोलता हैspeaks much
अविश्वस्तेअविश्वासी परon the untrustworthy
विश्वसितिविश्वास करता हैtrusts
मूढचेतामूर्ख हृदय वालाfoolish-minded
नराधमःमनुष्यों में नीचlowest among men
श्रेयःकल्याणwelfare
क्षमासहनशीलताforgiveness
उत्तमाश्रेष्ठbest
परमापरम, सबसे बड़ीsupreme
तृप्तिःसंतोषsatisfaction
अहिंसाहिंसा न करनाnon-violence
सुखावहासुख देने वालीgiver of happiness
त्रिविधम्तीन प्रकार काthree types
नाशनम्नाश करने वालाdestroyer
आत्मनःआत्मा काof the self
त्यजेत्त्याग देना चाहिएshould abandon
षड्छहsix
दोषाःदोष, अवगुणfaults, vices
हातव्याःत्याग देने चाहिएshould be given up
भूतिम्उन्नति, ऐश्वर्यprosperity, well-being
इच्छताचाहने वाले के द्वाराby one who desires
निद्रानींदsleep
तन्द्राऊँघ, सुस्तीdrowsiness, lethargy
दीर्घसूत्रताकाम में देर लगाने की आदतprocrastination

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों के हल (Solved Exercises - उदाहरण स्वरूप)

(यह भाग आपकी पाठ्यपुस्तक के विशिष्ट प्रश्नों पर आधारित होना चाहिए। यहाँ कुछ सामान्य प्रकार के प्रश्न और उनके उत्तर दिए जा रहे हैं।)

I. एकपदेन उत्तरत (एक पद में उत्तर दें):

  1. कस्य कृत्यं शीतमुष्णं भयं रतिः न विघ्नन्ति?

    उत्तर: पण्डितस्य।
  2. मूढचेता कः उच्यते?

    उत्तर: नराधमः।
  3. का परमा तृप्तिः?

    उत्तर: विद्या।
  4. नरकस्य कति द्वाराणि सन्ति?

    उत्तर: त्रीणि (त्रिविधम्)।
  5. भूतिमिच्छता पुरुषेण कति दोषाः हातव्याः?

    उत्तर: षड्।

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर दें):

  1. पण्डितः कः उच्यते?

    उत्तर: यस्य कृत्यं शीतमुष्णं भयं रतिः समृद्धिरसमृद्धिर्वा न विघ्नन्ति, स वै पण्डित उच्यते।
  2. मूढचेता नराधमः कानि कार्याणि करोति?

    उत्तर: मूढचेता नराधमः अनाहूतः प्रविशति, अपृष्टो बहु भाषते, अविश्वस्ते च विश्वसिति।
  3. का एका सुखावहा?

    उत्तर: अहिंसा एका सुखावहा।
  4. नरकस्य त्रीणि द्वाराणि कानि सन्ति?

    उत्तर: कामः, क्रोधः तथा लोभः इति नरकस्य त्रीणि द्वाराणि सन्ति।
  5. ऐश्वर्यम् इच्छता पुरुषेण के षड् दोषाः हातव्याः?

    उत्तर: ऐश्वर्यम् इच्छता पुरुषेण निद्रा, तन्द्रा, भयं, क्रोधः, आलस्यं, दीर्घसूत्रता च इति षड् दोषाः हातव्याः।

III. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करें):

  1. पण्डितस्य कृत्यं शीतमुष्णं न विघ्नन्ति।

    उत्तर: कस्य कृत्यं शीतमुष्णं न विघ्नन्ति?
  2. अनाहूतः प्रविशति मूढचेता।

    उत्तर: कः प्रविशति मूढचेता?
  3. विद्या परमा तृप्तिः।

    उत्तर: का परमा तृप्तिः?
  4. नरकस्य त्रिविधं द्वारम्।

    उत्तर: कस्य त्रिविधं द्वारम्?
  5. भूतिमिच्छता पुरुषेण षड् दोषाः हातव्याः।

    उत्तर: भूतिमिच्छता पुरुषेण कति दोषाः हातव्याः?

IV. श्लोकांशान् योजयत (श्लोकांशों को मिलाएं):

सही जोड़ी
1. यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति (क) मूढचेता नराधमः 1 → (ख)
2 → (क)
3 → (घ)
4 → (ग)
5 → (ङ)
2. अनाहूतः प्रविशति (ख) स वै पण्डित उच्यते
3. एक एव धर्मः (ग) शान्तिरुत्तमा
4. क्षमैका (घ) परं श्रेयः
5. षड् दोषाः पुरुषेणेह (ङ) हातव्या भूतिमिच्छता

उत्तर:

  1. यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति – (ख) स वै पण्डित उच्यते
  2. अनाहूतः प्रविशति – (क) मूढचेता नराधमः
  3. एक एव धर्मः – (घ) परं श्रेयः
  4. क्षमैका – (ग) शान्तिरुत्तमा
  5. षड् दोषाः पुरुषेणेह – (ङ) हातव्या भूतिमिच्छता

20 अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (20 Additional Questions with Solutions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. 'नीतिश्लोकाः' पाठ किस ग्रन्थ से संकलित है?

    • (क) रामायण
    • (ख) महाभारत
    • (ग) उपनिषद्
    • (घ) पुराण
    उत्तर: (ख) महाभारत
  2. विदुरनीति महाभारत के किस पर्व का अंश है?

    • (क) आदिपर्व
    • (ख) सभापर्व
    • (ग) वनपर्व
    • (घ) उद्योगपर्व
    उत्तर: (घ) उद्योगपर्व
  3. कौन बिना बुलाए प्रवेश करता है?

    • (क) पण्डित
    • (ख) सज्जन
    • (ग) मूढचेता
    • (घ) अतिथि
    उत्तर: (ग) मूढचेता
  4. मनुष्यों में अधम (नीच) किसे कहा गया है?

    • (क) जो सत्य बोलता है
    • (ख) जो बिना पूछे बहुत बोलता है
    • (ग) जो मौन रहता है
    • (घ) जो कम बोलता है
    उत्तर: (ख) जो बिना पूछे बहुत बोलता है
  5. उत्तम शांति क्या है?

    • (क) धन
    • (ख) विद्या
    • (ग) क्षमा
    • (घ) बल
    उत्तर: (ग) क्षमा
  6. नरक के कितने द्वार बताए गए हैं?

    • (क) एक
    • (ख) दो
    • (ग) तीन
    • (घ) चार
    उत्तर: (ग) तीन
  7. उन्नति चाहने वाले पुरुष को कितने दोष त्यागने चाहिए?

    • (क) चार
    • (ख) पाँच
    • (ग) छह
    • (घ) सात
    उत्तर: (ग) छह

लघु उत्तरीय प्रश्न:

  1. विदुर कौन थे?

    उत्तर: विदुर धृतराष्ट्र के मंत्री एवं भाई थे, जो अपनी बुद्धिमत्ता और नीतिपूर्ण बातों के लिए प्रसिद्ध थे।
  2. 'तत्त्वज्ञः' का क्या अर्थ है?

    उत्तर: 'तत्त्वज्ञः' का अर्थ है सभी प्राणियों के सार या रहस्य को जानने वाला।
  3. आत्मा का नाश करने वाले तीन दोष कौन से हैं?

    उत्तर: काम, क्रोध और लोभ आत्मा का नाश करने वाले तीन दोष हैं।
  4. परम तृप्ति किससे मिलती है?

    उत्तर: विद्या से परम तृप्ति मिलती है।
  5. 'दीर्घसूत्रता' का क्या अभिप्राय है?

    उत्तर: 'दीर्घसूत्रता' का अभिप्राय है किसी कार्य को करने में अनावश्यक विलम्ब करना या टालमटोल करना।
  6. किसे पंडित कहा जाता है? (श्लोक 1 के अनुसार)

    उत्तर: जिसके कार्य को सर्दी-गर्मी, भय-प्रेम, उन्नति-अवनति आदि बाधा नहीं पहुँचाते, वही व्यक्ति पंडित कहलाता है।
  7. कौन-कौन से छः दोष उन्नति में बाधक हैं?

    उत्तर: निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता – ये छः दोष उन्नति में बाधक हैं।

रिक्त स्थान भरें:

  1. एक एव धर्मः परं __________।

    उत्तर: श्रेयः
  2. __________ परमा तृप्तिः।

    उत्तर: विद्यैका
  3. कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं __________।

    उत्तर: त्यजेत्

सत्य/असत्य:

  1. क्षमा उत्तम शांति नहीं है।

    उत्तर: असत्य
  2. अहिंसा दुःख देने वाली है।

    उत्तर: असत्य

एक शब्द में उत्तर:

  1. 'अनाहूतः' का विलोम शब्द क्या है?

    उत्तर: आहूतः

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