बिहार बोर्ड सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र मुद्रा, बचत एवं साख रिवीजन नोट्स | Bihar Board Class 10 Economics Revision Chapter 3 Notes | Short Notes Highly useful for BSEB Matric Exam

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Bihar Board Class 10 Economics Chapter 3
 Short Revision   Notes | Highly useful for BSEB Matric Exam

मुद्रा, बचत एवं साख

 मुद्रा, बचत एवं साख

आज के युग में आर्थिक जगत में मुद्रा का महत्व बढ़ गया है। लेकिन मुद्रा का यह रूप एकाएक उपस्थित नहीं हुआ है। इसे एक लम्बो यात्रा तय करनी पड़ी है। सबसे पहले वस्तु से वस्तु की अदला-बदली से आरम्भ होकर मुद्रा आज की स्थिति में आई है। जैसे जैसे तत्कालिन मुद्रा में कठिनाई आती गई, मुद्रा का रूप भी बदलता गया। वस्तु से वस्तु की अदला-बदली के बाद किसी महत्त्व की वस्तु को ही मुद्रा माना गया। इसमें झंझट उपस्थित होने लगा। तब मुद्रा रूप में धातु का उपयोग होने लगा। धातु में भी गड़बड़ी उपस्थित होने पर सिक्के चालू किस गए। ये सिक्के भी धातु के ही होते थे और किसी सार्वभौम राज्य द्वारा जारी किए जाते थे। लेकिन धातु मुद्रा को दूरस्थ स्थानों पर भेजना कठिन होने लगा, क्योंकि वह वजन में भारी होती थी। तब पत्र मुद्रा चलाई गई, जिसे हम नोट (Note) कहते है। इसमें कुछ को तो केन्द्रीय सरकार जारी करती है और बहुतों को रिजर्व बैंक लागू करता है।

मुद्रा के आविष्कार से व्यापार में तो आसानी हुई है, सरकारी अर्थव्यवस्था का भी यह एक आधार स्तम्भ बन गया।

 विभिन्न देशों में मुद्रा के विभिन्न नाम हैं। जैसे

1. भारत=रुपया

2. पाकिस्तान=रुपया

3. बांगलादेश=टका

4. नेपाल=रुपया

5. अमेरिका=डॉलर

6. इंगलैंड=पौण्ड

7.रूस=रूबल

8. सिंगापुर=डॉर

9. अफगानिस्तान=अफगानी

10. ईरान=रियाल

11. इराक=दिनार

12. स्वीडेन= क्रोना

रुपया शब्द रुपा से बना है। रूपा का अर्थ चाँदी होता है। 

मुद्रा के अनेक लाभ हैं। 

जैसे: (i) विनिमय का आसान माध्यम

(ii) मूल्य मापन में आसानी

(iii) विलंबित भुगतान का माध्यम

(iv) मूल्य संचय का माध्यम

(v) क्रय शक्ति का माध्यम

(vi) साख का आधार

 

 

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