अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास | Bihar Board Class 10 Economics Revision Chapter 1 Notes | Highly useful for BSEB Matric Exam

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 Bihar Board Class 10 Economics Revision Chapter 1  Notes | Highly useful for BSEB Matric Exam | Short Chapterwise Social Science Revision Notes
अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास


अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास

15 अगस्त, 1947 को भारत फिरंगियों के शासन से मुक्त हुआ। इसके पूर्व 200 वर्षों तक इन फिरंगियों ने देश को खूब लूटा। फिरंगियों के दलाल अमन सभा के लोगइस लूट में सहयोग तो देते ही थे, स्वयं भी इस लूट के भागीदार बनते थे।

यहाँ फिरंगियों के शासन स्थापित होने के पूर्व देश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान होने के बावजूद गृह उद्योग के माध्यम से ही देश व्यापार, यातायात जैसी संरचनाओं में अन्य देशों के मुकाबले काफी आगे था। लेकिन फिरंगी और उनके दलाल जमींदारों ने देश को जर्जर बना दिया। यहाँ के गृह उद्योगों को नष्ट करने में इनका बड़ा हाथ था।

अपने जीवन-यापन के लिए लोग आय का अर्जन करते थे। जिन क्रियाओं के माध्यम से आर्य अर्जन किया जाता है, उन्हें आर्थिक क्रियाएँ कहते हैं। इन आर्थिक क्रियाओं में मुख्यतः (i) लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन तथा (ii) लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। इन सभी के मिले-जुले रूप को अर्थव्यवस्था कहते हैं।

अर्थव्यवस्था की संरचना को तीन क्षेत्रों में बाँटा गया है:

 (i) प्राथमिक क्षेत्र,

(ii) द्वितीयक क्षेत्र तथा 

(iii) तृतीयक क्षेत्र

अर्थव्यवस्था के तीन प्रकार हैं

(i) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था,

 (ii) समाजवादी अर्थव्यवस्था तथा 

(iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था  

आर्थिक विकास कोई तत्क्षण होने वाली स्थिति नहीं है। यह वर्षों के प्रयास के फलस्वरूप आज की स्थिति में आई है। आर्थिक विकास या अर्थव्यवस्था के विकास के लिए दो क्रियाओं का होना आवश्यक है। वे हैं !

(i) आर्थिक विकास तथा (ii) मौद्रिक विकास

आर्थिक विकास को अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से समझाया है। उनकी कही हुई बातों को 'परिभाषा' कहते हैं। मौद्रिक विकास मुद्रा के आविष्कार के बाद हुआ। इसके पहले वस्तुओं की अदला-बदली से काम चलाया जाता था। मौद्रिक विकास की गाड़ी आज काफी आगे बढ़ चुकी है।

आर्थिक विकास की माप के लिए सूचकांक का उपयोग होता है। 

सूचकांक अनेक हैं। जैसे :

 (i) राष्ट्रीय आय 

(ii) प्रति व्यक्ति आय 

(iii) मानव विकास सूचकांक तथा 

(iv) उपभोक्ता व्यय

आर्थिक विकास की पहचान 'आधारभूत संरचना' से होती हैं। इन संरचनाओं में बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, विद्यालय, महाविद्यालय, अस्पताल आदि आते हैं। परिवहन में सड़क, रेल तथा जल तीनों आते हैं।

बिहार में एक से बढ़कर एक जीनियस व्यक्ति पैदा हुए हैं और पैदा हो रहे हैं, लेकिन आर्थिक विकास की दृष्टि से यह काफी पिछड़ा राज्य है। बिहार के पिछड़ेपन के अनेक कारण है। वे निम्नलिखित है।

(1) तेजी से बढ़ रही जनसंख्या

(ii) आधारभूत संरचना की कमी

(iii) कृषि पर निर्भरता

(iv) बाढ़ तथा सूखे से क्षति

(v) औद्योगिक पिछड़ापन

(vi) गरीबी

(vii) खराब विधि व्यवस्था

(viii) कुशल प्रशासन का अभाव  

ऐसी बात नहीं है कि पिछड़ेपन के इन कारणों को दूर नहीं किया जा सकता। लेकिन उसके लिए कुछ उपाय करने होंगे।

उपाय हैं

(i) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगे

(ii) कृषि का विकास किया जाय

(iii) बाढ़ पर नियंत्रण के उपाय हो

(iv) सिचाई के साधनों को विकसित किया जाय

(v) आधारभूत संरचना का विकास हो

(vi) उद्योगों के विकास पर ध्यान दिया जाय

(vii) गरीबी दूर की जाय

(viii) शांति व्यवस्था की स्थापना हो

(ix) प्रशासकों को ईमानदार बनाया जाय

(x) बिहार का वाजिब हक केन्द्र समय पर भेजा करे।

यदि  बिहार का विकास होगा तो देश का भी विकास होगा। बिहार के लोग काफी उद्यमशील होते हैं। ये जहाँ जाते हैं वहाँ अपनी उद्यशीलता का झंडा फहरा देते हैं। लेकिन स्वयं बिहार के अन्दर यहाँ के लोग मूलभूत आवश्यकताओं की भी पूर्ति नहीं कर पाते। यहाँ की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहने को विवश है।

लेकिन सरकार उनकी स्थिति सुधारने के लिए काफी सचेष्ट है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा गरीबों के पास सस्ते अनाज पहुंचाना उसी कड़ी में एक है। गरीबों को रोगजार देने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (National Rural Employment Guaratee Act = NREGA) लागू किया गया है। यदि बिचौलिए अड़गा नहीं लगाव तो गरीबों के लिए यह एक वरदान है। इससे राज्य का आर्थिक विकास भी हो सकता है।

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