नमस्ते! यह आत्म-अध्ययन नोट्स विशेष रूप से कक्षा 10 के छात्रों के लिए "कार्बन एवं उसके यौगिक" अध्याय को सरलता से समझने और बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तैयार किए गए हैं।
अध्याय 4: कार्बन एवं उसके यौगिक
परिचय
कार्बन एक अद्वितीय तत्व है जो हमारे दैनिक जीवन और सजीव जगत का आधार है। भूपर्पटी में खनिजों (कार्बोनेट, कोयला, पेट्रोलियम) के रूप में केवल 0.02% और वायुमंडल में 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड होने के बावजूद, कार्बनिक यौगिकों की संख्या अन्य सभी तत्वों के यौगिकों से कहीं अधिक है। भोजन, कपड़े, दवाएं, पुस्तकें और यहाँ तक कि हम स्वयं भी कार्बन यौगिकों से बने हैं।
4.1 कार्बन में आबंधन – सहसंयोजी आबंध
आयनिक यौगिकों के गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं और वे गलित अवस्था में विद्युत चालन करते हैं। इसके विपरीत, अधिकांश कार्बन यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं और इनके गलनांक व क्वथनांक कम होते हैं। इससे पता चलता है कि कार्बन यौगिकों में आयनों की उत्पत्ति नहीं होती।
कार्बन (परमाणु संख्या 6, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास K-2, L-4) को उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त करने के लिए 4 इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने ($\text{C}^{4-}$) या खोने ($\text{C}^{4+}$) की आवश्यकता होती है। दोनों ही स्थितियाँ ऊर्जा की दृष्टि से कठिन हैं:
- 4 इलेक्ट्रॉन ग्रहण करना 6 प्रोटॉन वाले नाभिक के लिए मुश्किल है।
- 4 इलेक्ट्रॉन खोने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
कार्बन इस समस्या का समाधान अपने अन्य परमाणुओं या अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी (Sharing of valence electrons) करके करता है।
सहसंयोजी आबंध (Covalent Bond)
दो परमाणुओं के बीच संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनने वाले आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं। साझेदारी किए गए इलेक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं के बाहरी कोश के होते हैं, जिससे दोनों परमाणु उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त करते हैं।
सहसंयोजी आबंधों का बनना:
- हाइड्रोजन अणु ($\text{H}_2$): दो हाइड्रोजन परमाणु एक-एक इलेक्ट्रॉन की साझेदारी करके हाइड्रोजन अणु बनाते हैं। प्रत्येक हाइड्रोजन हीलियम ($\text{He}$) जैसा विन्यास प्राप्त करता है। यह एकल आबंध (Single bond, H—H) है।
$$ \text{H} \cdot + \cdot \text{H} \rightarrow \text{H} : \text{H} \quad \text{या} \quad \text{H—H} $$
- क्लोरिन अणु ($\text{Cl}_2$): दो क्लोरिन परमाणु एक-एक इलेक्ट्रॉन की साझेदारी करके क्लोरिन अणु बनाते हैं। प्रत्येक क्लोरिन आर्गन ($\text{Ar}$) जैसा विन्यास (अष्टक पूर्ण) प्राप्त करता है। यह भी एकल आबंध (Cl—Cl) है।
$$ :\ddot{\text{Cl}}\cdot + \cdot \ddot{\text{Cl}}: \rightarrow :\ddot{\text{Cl}}: \ddot{\text{Cl}}: \quad \text{या} \quad \text{Cl—Cl} $$
- ऑक्सीजन अणु ($\text{O}_2$): ऑक्सीजन के दो परमाणु दो-दो इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी करते हैं, जिससे द्वि-आबंध (Double bond, O═O) बनता है।
$$ :\ddot{\text{O}}: + :\ddot{\text{O}}: \rightarrow :\ddot{\text{O}}::\ddot{\text{O}}: \quad \text{या} \quad \text{O═O} $$
- नाइट्रोजन अणु ($\text{N}_2$): नाइट्रोजन के दो परमाणु तीन-तीन इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी करते हैं, जिससे त्रि-आबंध (Triple bond, N≡N) बनता है।
$$ :\dot{\text{N}}\cdot: + :\cdot\dot{\text{N}}: \rightarrow :\text{N}:::\text{N}: \quad \text{या} \quad \text{N≡N} $$
- मेथेन अणु ($\text{CH}_4$): कार्बन परमाणु हाइड्रोजन के चार परमाणुओं के साथ चार एकल सहसंयोजी आबंध बनाता है।
H | H – C – H | H
- जल अणु ($\text{H}_2\text{O}$): ऑक्सीजन परमाणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के साथ दो एकल सहसंयोजी आबंध बनाता है।
H – O – H
सहसंयोजी यौगिकों के गुणधर्म:
- इनके अणुओं के भीतर प्रबल आबंध होता है, लेकिन अंतराअणुक बल (Intermolecular forces) दुर्बल होते हैं।
- इनके गलनांक एवं क्वथनांक कम होते हैं।
- ये सामान्यतः विद्युत के कुचालक होते हैं, क्योंकि आवेशित कण नहीं बनते हैं।
कार्बन के अपररूप (Allotropes of Carbon)
प्रकृति में कार्बन तत्व अनेक भिन्न भौतिक गुणों के साथ विविध रूपों में पाया जाता है। इन रूपों को अपररूप कहते हैं।
- हीरा (Diamond): प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से दृढ़ त्रिआयामी संरचना में आबंधित होता है। यह ज्ञात सबसे कठोर पदार्थ है।
- ग्रेफाइट (Graphite): प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से षट्कोणीय परतों में आबंधित होता है। यह चिकना, फिसलनशील और विद्युत का सुचालक होता है।
- फुलेरीन (Fullerene): कार्बन परमाणुओं का गोलाकार (जैसे फुटबॉल) या नलिकाकार रूप। $\text{C}_{60}$ (बकमिनस्टरफुलेरीन) एक प्रसिद्ध उदाहरण है।
हीरे और ग्रेफाइट की संरचना भिन्न होने के कारण इनके भौतिक गुणधर्म भिन्न होते हैं, परंतु रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं।
4.2 कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति (Versatile Nature of Carbon)
कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है, जिसके दो मुख्य कारण हैं:
- शृंखलन (Catenation): कार्बन परमाणुओं में आपस में जुड़कर लंबी शृंखलाएँ, शाखित शृंखलाएँ और वलय (Rings) बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है। कार्बन-कार्बन आबंध अत्यंत प्रबल और स्थायी होता है।
- कार्बन के परमाणु एक, द्वि अथवा त्रि आबंध से जुड़े हो सकते हैं।
- एकल आबंध वाले कार्बन यौगिक संतृप्त यौगिक (Saturated compounds) कहलाते हैं।
- द्वि या त्रि-आबंध वाले कार्बन यौगिक असंतृप्त यौगिक (Unsaturated compounds) कहलाते हैं।
- चतुःसंयोजकता (Tetravalency): कार्बन की संयोजकता चार होती है, जिससे यह चार अन्य कार्बन परमाणुओं या हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर, हैलोजन जैसे अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंध बना सकता है। कार्बन का छोटा आकार इन आबंधों को प्रबल बनाता है।
कार्बनिक यौगिक (Organic Compounds)
प्रारंभ में माना जाता था कि कार्बनिक यौगिक केवल सजीवों में 'जीवन शक्ति' द्वारा निर्मित हो सकते हैं। 1828 में फ्रेडरिक वोहलर ने अमोनियम सायनेट से यूरिया (एक कार्बनिक यौगिक) बनाकर इस धारणा को तोड़ा। अब, कार्बाइड, कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट लवणों के अतिरिक्त सभी कार्बन यौगिकों का अध्ययन कार्बनिक रसायन के अंतर्गत आता है।
4.2.1 संतृप्त एवं असंतृप्त कार्बन यौगिक
केवल कार्बन एवं हाइड्रोजन वाले यौगिक हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons) कहलाते हैं।
- एल्केन (Alkanes): संतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें केवल एकल आबंध होते हैं (जैसे मेथेन $\text{CH}_4$, एथेन $\text{C}_2\text{H}_6$)।
H H | | H—C—C—H (एथेन) | | H H
- एल्कीन (Alkenes): असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें एक या अधिक द्वि-आबंध होते हैं (जैसे एथीन $\text{C}_2\text{H}_4$)।
H H \ / C═C (एथीन) / \ H H
- एल्काइन (Alkynes): असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें एक या अधिक त्रि-आबंध होते हैं (जैसे एथाइन $\text{C}_2\text{H}_2$)।
H—C≡C—H (एथाइन)
4.2.2 शृंखलाएं, शाखाएं एवं वलय
कार्बन यौगिकों में कार्बन परमाणु सीधी शृंखला, शाखित शृंखला या वलय के रूप में व्यवस्थित हो सकते हैं।
संरचनात्मक समावयव (Structural Isomers)
समान आणविक सूत्र लेकिन विभिन्न संरचनाओं वाले यौगिक संरचनात्मक समावयव कहलाते हैं।
उदाहरण: ब्यूटेन ($\text{C}_4\text{H}_{10}$) के दो समावयव:
- n-ब्यूटेन (सीधी शृंखला)
- आइसोब्यूटेन (2-मेथिलप्रोपेन, शाखित शृंखला)
चक्रीय यौगिकों के उदाहरण:
- साइक्लोहेक्सेन ($\text{C}_6\text{H}_{12}$): संतृप्त चक्रीय यौगिक।
- बेंजीन ($\text{C}_6\text{H}_6$): असंतृप्त चक्रीय यौगिक (एकांतर द्वि-आबंध)।
4.2.3 विषम परमाणु और प्रकार्यात्मक समूह
कार्बन अन्य तत्वों जैसे हैलोजन ($\text{Cl, Br}$), ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर के साथ भी आबंध बनाता है। हाइड्रोकार्बन शृंखला में हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने वाले इन तत्वों को विषम परमाणु (Heteroatom) कहते हैं। ये विषम परमाणु या वे समूह जिनमें ये उपस्थित होते हैं, यौगिकों को विशिष्ट गुण प्रदान करते हैं और प्रकार्यात्मक समूह (Functional Groups) कहलाते हैं।
विषम परमाणु | प्रकार्यात्मक समूह | सूत्र | अनुलग्न/पूर्वलग्न |
---|---|---|---|
Cl/Br | हैलो (क्लोरो/ब्रोमो) | -Cl, -Br | पूर्वलग्न: क्लोरो-, ब्रोमो- |
ऑक्सीजन | अल्कोहल | -OH | अनुलग्न: -ऑल (-ol) |
ऑक्सीजन | एल्डिहाइड | -CHO | अनुलग्न: -ऐल (-al) |
ऑक्सीजन | कीटोन | >C=O | अनुलग्न: -ओन (-one) |
ऑक्सीजन | कार्बोक्सिलिक अम्ल | -COOH | अनुलग्न: -ओइक अम्ल (-oic acid) |
(कोई नहीं) | एल्कीन | >C=C< | अनुलग्न: -ईन (-ene) |
(कोई नहीं) | एल्काइन | -C≡C- | अनुलग्न: -आइन (-yne) |
4.2.4 समजातीय श्रेणी (Homologous Series)
कार्बन यौगिकों की एक ऐसी श्रेणी जिसके सभी सदस्यों में एक ही प्रकार्यात्मक समूह हो, और किन्हीं भी दो लगातार सदस्यों के बीच केवल एक -CH₂- इकाई का अंतर हो, समजातीय श्रेणी कहलाती है।
उदाहरण: एल्केन की समजातीय श्रेणी ($\text{CH}_4, \text{C}_2\text{H}_6, \text{C}_3\text{H}_8, \dots$)
विशेषताएँ:
- सभी सदस्यों का सामान्य सूत्र समान होता है (जैसे एल्केन: $\text{C}_n\text{H}_{2n+2}$; एल्कीन: $\text{C}_n\text{H}_{2n}$; एल्काइन: $\text{C}_n\text{H}_{2n-2}$)।
- किन्हीं दो क्रमागत सदस्यों के आणविक सूत्र में -$\text{CH}_2$- का अंतर होता है।
- किन्हीं दो क्रमागत सदस्यों के आणविक द्रव्यमान में 14u का अंतर होता है।
- रासायनिक गुणधर्म लगभग समान होते हैं (समान प्रकार्यात्मक समूह के कारण)।
- भौतिक गुणधर्मों (जैसे गलनांक, क्वथनांक) में आणविक द्रव्यमान बढ़ने के साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।
4.2.5 कार्बन यौगिकों की नामपद्धति (Nomenclature)
IUPAC (International Union of Pure and Applied Chemistry) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार कार्बन यौगिकों का नामकरण किया जाता है:
- सबसे लंबी कार्बन शृंखला की पहचान करें (जनक शृंखला)।
- कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर मूल नाम दें (मेथ-, एथ-, प्रोप-, ब्यूट-, पेंट-, हेक्स- आदि)।
- प्रकार्यात्मक समूह को पूर्वलग्न या अनुलग्न के रूप में दर्शाएँ।
- यदि अनुलग्न स्वर (a, e, i, o, u) से प्रारंभ हो, तो जनक एल्केन के नाम से अंतिम 'e' हटा दें।
- असंतृप्तता (द्वि-आबंध या त्रि-आबंध) को '-ईन' या '-आइन' अनुलग्न से दर्शाएँ।
अभ्यास प्रश्न (पुस्तक के प्रश्न, पृष्ठ संख्या पाठ में भिन्न हो सकती है)
1. पेंटेन के लिए आप कितने संरचनात्मक समावयवों का चित्रण कर सकते हैं?
पेंटेन ($\text{C}_5\text{H}_{12}$) के तीन संरचनात्मक समावयव हैं:
- n-पेंटेन (सीधी शृंखला)
- आइसोपेंटेन (2-मेथिलब्यूटेन, एक शाखा)
- नियोपेंटेन (2,2-डाइमेथिलप्रोपेन, दो शाखाएँ)
(संरचनाएँ स्वयं बनाएं)
2. कार्बन के दो गुणधर्म कौन से हैं, जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?
(i) शृंखलन (Catenation) (ii) चतुःसंयोजकता (Tetravalency)
3. साइक्लोपेंटेन का सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होंगे?
सूत्र: $\text{C}_5\text{H}_{10}$। इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना में 5 कार्बन परमाणु एक वलय में एकल आबंधों से जुड़े होते हैं, और प्रत्येक कार्बन दो हाइड्रोजन परमाणुओं से जुड़ा होता है। (संरचना स्वयं बनाएं)
4. निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएं चित्रित कीजिए— (i) एथेनॉइक अम्ल (ii) ब्रोमोपेंटेन (iii) ब्यूटेनोन (iv) हेक्सेनैल
(i) एथेनॉइक अम्ल: $\text{CH}_3\text{COOH}$
(ii) ब्रोमोपेंटेन (1-ब्रोमोपेंटेन मानें): $\text{CH}_3\text{CH}_2\text{CH}_2\text{CH}_2\text{CH}_2\text{Br}$ (संरचना स्वयं बनाएं)
(iii) ब्यूटेनोन (ब्यूटेन-2-ओन): $\text{CH}_3\text{COCH}_2\text{CH}_3$
(iv) हेक्सेनैल: $\text{CH}_3\text{CH}_2\text{CH}_2\text{CH}_2\text{CH}_2\text{CHO}$ (संरचना स्वयं बनाएं)
5. निम्नलिखित यौगिकों का नामकरण कैसे करेंगे? (i) $\text{CH}_3\text{—CH}_2\text{—Br}$ (ii) $\text{HCHO}$ (iii) $\text{CH}_2\text{═CH—CH}_2\text{—CH}_3$ (पाठ में $\text{CH}_3\text{—CH═CH—CH}_3$ या समतुल्य यौगिक दिया गया था, यहाँ दिए गए के अनुसार नामकरण)
(i) ब्रोमोएथेन
(ii) मेथैनैल
(iii) $\text{CH}_2\text{═CH—CH}_2\text{—CH}_3$: ब्यूट-1-ईन (मूल पाठ में अलग यौगिक था, यह उसके आधार पर है)
(पाठ्यपुस्तक के अनुसार (iii) H H H H | | | | H—C═C—C—C—H | | H H: यह ब्यूट-1-ईन है।)
4.3 कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म
4.3.1 दहन (Combustion)
कार्बन अपने सभी अपररूपों में, ऑक्सीजन में दहन करके ऊष्मा एवं प्रकाश के साथ कार्बन डाइऑक्साइड ($\text{CO}_2$) देता है। अधिकांश कार्बन यौगिक भी दहन पर प्रचुर ऊष्मा एवं प्रकाश मुक्त करते हैं।
संतृप्त हाइड्रोकार्बन सामान्यतः स्वच्छ नीली ज्वाला देते हैं।
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन सामान्यतः काले धुएँ वाली पीली कज्जली ज्वाला देते हैं (अपूर्ण दहन के कारण)।
सीमित वायु आपूर्ति में संतृप्त हाइड्रोकार्बन भी कज्जली ज्वाला दे सकते हैं।
केवल गैसीय पदार्थों के जलने पर ज्वाला उत्पन्न होती है।
कोयला और पेट्रोलियम जीवाश्मी ईंधन (Fossil fuels) हैं। इनके दहन से सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसे प्रदूषक भी उत्पन्न होते हैं।
4.3.2 ऑक्सीकरण (Oxidation)
दहन पूर्ण ऑक्सीकरण है। कुछ पदार्थों (ऑक्सीकारक) की उपस्थिति में कार्बन यौगिकों का नियंत्रित ऑक्सीकरण भी किया जा सकता है।
उदाहरण: एथनॉल का एथेनॉइक अम्ल में ऑक्सीकरण:
ऑक्सीकारक (Oxidising agents): वे पदार्थ जो दूसरों को ऑक्सीजन देते हैं या दूसरों का ऑक्सीकरण करते हैं (जैसे क्षारीय $\text{KMnO}_4$, अम्लीकृत $\text{K}_2\text{Cr}_2\text{O}_7$)।
4.3.3 संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction)
निकैल ($\text{Ni}$) या पैलेडियम ($\text{Pd}$) जैसे उत्प्रेरकों (Catalysts) की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हाइड्रोजन जोड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन देते हैं।
इस अभिक्रिया का उपयोग वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation) से वनस्पति घी बनाने में होता है।
जंतु वसा में संतृप्त वसा अम्ल होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। भोजन पकाने के लिए असंतृप्त वसा अम्लों वाले तेलों का उपयोग करना चाहिए।
4.3.4 प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Substitution Reaction)
संतृप्त हाइड्रोकार्बन अपेक्षाकृत अनभिक्रियाशील होते हैं। हालाँकि, सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन हाइड्रोजन परमाणुओं को एक-एक करके प्रतिस्थापित करती है।
यह अभिक्रिया आगे भी जारी रह सकती है ($\text{CH}_2\text{Cl}_2, \text{CHCl}_3, \text{CCl}_4$ तक)।
अभ्यास प्रश्न (पुस्तक के प्रश्न)
1. एथनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहते हैं?
क्योंकि इस अभिक्रिया में एथनॉल ऑक्सीजन ग्रहण करता है (या हाइड्रोजन खोता है) और एथेनॉइक अम्ल बनाता है। ऑक्सीकारक (जैसे $\text{KMnO}_4$) ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।
2. ऑक्सीजन तथा एथाइन के मिश्रण का दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। क्या आप बता सकते हैं कि एथाइन तथा वायु के मिश्रण का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?
शुद्ध ऑक्सीजन के साथ एथाइन का दहन उच्च ताप उत्पन्न करता है जो वेल्डिंग के लिए आवश्यक है। वायु में ऑक्सीजन की मात्रा कम (लगभग 21%) होती है और नाइट्रोजन भी होती है, जिससे अपूर्ण दहन होता है और ज्वाला का ताप कम रहता है।
4.4 कुछ महत्वपूर्ण कार्बन यौगिक – एथनॉल तथा एथेनॉइक अम्ल
4.4.1 एथनॉल ($\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH}$)
- कक्ष ताप पर द्रव, अच्छा विलायक (टिंक्चर आयोडीन, कफ सीरप में)।
- सभी अल्कोहलिक पेयों का मुख्य अवयव।
- जल में घुलनशील।
- थोड़ी मात्रा लेने पर नशा; अधिक मात्रा या शुद्ध एथनॉल घातक।
- दीर्घकालिक सेवन से स्वास्थ्य समस्याएं।
एथनॉल की अभिक्रियाएं:
- सोडियम के साथ अभिक्रिया:
$$ 2\text{Na(s) + 2CH}_3\text{CH}_2\text{OH(l)} \rightarrow 2\text{CH}_3\text{CH}_2\text{O}^-\text{Na}^+\text{(s) (सोडियम एथॉक्साइड) + H}_2\text{(g)} $$
- निर्जलीकरण (Dehydration) से एथीन बनना:
$$ \text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH} \xrightarrow[443\text{K}]{\text{गर्म सांद्र } \text{H}_2\text{SO}_4} \text{CH}_2\text{═CH}_2\text{(g) + H}_2\text{O(l)} $$
सांद्र $\text{H}_2\text{SO}_4$ निर्जलीकारक का कार्य करता है।
मेथैनॉल ($\text{CH}_3\text{OH}$): अत्यंत विषैला। यकृत में मेथैनैल (फॉर्मेल्डिहाइड) में ऑक्सीकृत होकर अंधापन या मृत्यु का कारण बन सकता है।
विकृत अल्कोहल (Denatured alcohol): औद्योगिक एथनॉल में मेथैनॉल जैसा विषैला पदार्थ मिलाकर पीने के अयोग्य बनाया जाता है।
ईंधन के रूप में अल्कोहल (एथनॉल) का उपयोग किया जाता है, विशेषकर गन्ने के रस से किण्वन द्वारा।
4.4.2 एथेनॉइक अम्ल ($\text{CH}_3\text{COOH}$)
- सामान्य नाम: एसिटिक अम्ल।
- कार्बोक्सिलिक अम्लों की श्रेणी का।
- गलनांक: 290K। शीत ऋतु में जमने के कारण ग्लेशियल एसिटिक अम्ल कहलाता है।
- क्वथनांक: 391K।
- एसिटिक अम्ल का 5-8% जलीय विलयन सिरका (Vinegar) कहलाता है (अचार में परिरक्षक)।
- दुर्बल अम्ल (खनिज अम्लों की तुलना में)।
एथेनॉइक अम्ल की अभिक्रियाएं:
- एसटरीकरण अभिक्रिया (Esterification):
$$ \text{CH}_3\text{COOH(l) + CH}_3\text{CH}_2\text{OH(l)} \xrightarrow{\text{अम्ल उत्प्रेरक}} \text{CH}_3\text{COOCH}_2\text{CH}_3\text{(l) (एस्टर) + H}_2\text{O(l)} $$
एस्टर की गंध मृदु (फलों जैसी) होती है; इत्र और स्वादकारक बनाने में उपयोग।
साबुनीकरण (Saponification): क्षारक (जैसे $\text{NaOH}$) की उपस्थिति में एस्टर जल-अपघटित होकर पुनः अल्कोहल और कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण (साबुन) बनाते हैं।
$$ \text{CH}_3\text{COOCH}_2\text{CH}_3\text{(l) + NaOH(aq)} \rightarrow \text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH(aq) + CH}_3\text{COONa(aq)} $$ - क्षारक के साथ अभिक्रिया:
$$ \text{CH}_3\text{COOH(aq) + NaOH(aq)} \rightarrow \text{CH}_3\text{COONa(aq) (सोडियम एथेनोएट) + H}_2\text{O(l)} $$
- कार्बोनेट एवं हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया:
$$ 2\text{CH}_3\text{COOH(aq) + Na}_2\text{CO}_3\text{(s)} \rightarrow 2\text{CH}_3\text{COONa(aq) + H}_2\text{O(l) + CO}_2\text{(g)} $$$$ \text{CH}_3\text{COOH(aq) + NaHCO}_3\text{(s)} \rightarrow \text{CH}_3\text{COONa(aq) + H}_2\text{O(l) + CO}_2\text{(g)} $$
उत्पन्न $\text{CO}_2$ गैस चूने के पानी को दूधिया कर देती है।
अभ्यास प्रश्न (पुस्तक के प्रश्न)
1. प्रयोग द्वारा आप अल्कोहल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल में कैसे अंतर कर सकते हैं?
- लिटमस परीक्षण: कार्बोक्सिलिक अम्ल नीले लिटमस को लाल करता है; अल्कोहल नहीं।
- सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट परीक्षण: कार्बोक्सिलिक अम्ल बुदबुदाहट के साथ $\text{CO}_2$ गैस देता है; अल्कोहल नहीं।
2. ऑक्सीकारक क्या हैं?
ऑक्सीकारक वे पदार्थ होते हैं जो दूसरे पदार्थों को ऑक्सीजन प्रदान करने या उनका ऑक्सीकरण करने की क्षमता रखते हैं (स्वयं अपचयित होते हैं)। उदा: क्षारीय $\text{KMnO}_4$, अम्लीकृत $\text{K}_2\text{Cr}_2\text{O}_7$।
4.5 साबुन और अपमार्जक (Soaps and Detergents)
अधिकांश मैल तैलीय होते हैं और तेल पानी में अघुलनशील होता है।
साबुन (Soap): लंबी शृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों ($\text{C}_{12}$ से $\text{C}_{18}$) के सोडियम ($\text{Na}^+$) या पोटैशियम ($\text{K}^+$) लवण होते हैं।
साबुन के अणु के दो भाग होते हैं:
- एक लंबा हाइड्रोकार्बन भाग (पूंछ), जो जलविरागी (Hydrophobic) (जल से प्रतिकर्षित) और तेलस्नेही होता है।
- एक छोटा आयनिक भाग (सिर, जैसे -$\text{COO}^-\text{Na}^+$), जो जलरागी (Hydrophilic) (जल से आकर्षित) होता है।
मिसेल (Micelle) का निर्माण और सफाई प्रक्रिया:
जब साबुन को पानी में घोला जाता है, तो साबुन के अणु जलविरागी पूंछों को केंद्र की ओर और जलरागी सिरों को बाहर की ओर करके गोलाकार संरचनाएं बनाते हैं, जिन्हें मिसेल कहते हैं। तैलीय मैल मिसेल के केंद्र में (जलविरागी पूंछों के बीच) फंस जाता है। मिसेल के बाहरी जलरागी सिरे पानी में घुलनशील रहते हैं, जिससे मैल पानी के साथ बह जाता है। मिसेल विलयन में कोलाइड के रूप में बने रहते हैं और आयन-आयन विकर्षण के कारण अवक्षेपित नहीं होते।
कठोर जल (Hard Water): इसमें कैल्शियम ($\text{Ca}^{2+}$) और मैग्नीशियम ($\text{Mg}^{2+}$) के लवण होते हैं। साबुन कठोर जल में इन आयनों से अभिक्रिया करके अघुलनशील स्कम (Scum) बनाता है, जिससे झाग कम बनता है और सफाई ठीक से नहीं होती।
अपमार्जक (Detergent): लंबी कार्बन शृंखला वाले सल्फोनिक अम्लों के सोडियम लवण या अमोनियम लवण (क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के साथ) होते हैं। ये कठोर जल में $\text{Ca}^{2+}$ और $\text{Mg}^{2+}$ आयनों के साथ अघुलनशील स्कम नहीं बनाते, इसलिए कठोर जल में भी प्रभावी रहते हैं। इनका उपयोग शैंपू और कपड़े धोने के उत्पादों में होता है।
अभ्यास प्रश्न (पुस्तक के प्रश्न)
1. क्या आप डिटर्जेंट का उपयोग कर बता सकते हैं कि कोई जल कठोर है अथवा नहीं?
नहीं, क्योंकि डिटर्जेंट कठोर और मृदु दोनों प्रकार के जल में समान रूप से झाग देते हैं (स्कम नहीं बनाते)। कठोरता जांचने के लिए साबुन का प्रयोग करना होगा।
2. लोग विभिन्न प्रकार से कपड़े धोते हैं...कपड़ा साफ करने के लिए उसे रगड़ने की क्यों आवश्यकता होती है?
रगड़ने या पीटने से यांत्रिक क्रिया होती है जो मैल के कणों को कपड़े के रेशों से ढीला करने में मदद करती है, ताकि मिसेल उन्हें आसानी से घेरकर पानी में निलंबित कर सकें और हटाया जा सके।
आपने क्या सीखा (संक्षिप्त सारांश)
- कार्बन एक सर्वतोमुखी तत्व है; सहसंयोजी आबंध बनाता है।
- कार्बन की चतुःसंयोजकता एवं शृंखलन के कारण असंख्य यौगिक बनते हैं।
- हाइड्रोकार्बन (एल्केन, एल्कीन, एल्काइन), समावयवता, प्रकार्यात्मक समूह, समजातीय श्रेणी।
- कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म: दहन, ऑक्सीकरण, संकलन, प्रतिस्थापन।
- एथनॉल और एथेनॉइक अम्ल: महत्वपूर्ण यौगिक, गुणधर्म और उपयोग।
- साबुन और अपमार्जक: मिसेल निर्माण द्वारा सफाई; कठोर जल में अपमार्जक अधिक प्रभावी।
अभ्यास (पुस्तक के प्रश्न)
1. एथेन का आणविक सूत्र - $\text{C}_2\text{H}_6$ है। इसमें— (b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं।
2. ब्यूटेनॉन चतुः-कार्बन यौगिक है, जिसका प्रकार्यात्मक समूह— (c) कीटोन
3. खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है तो इसका मतलब है कि— (b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।
4. $\text{CH}_3\text{Cl}$ में आबंध निर्माण का उपयोग कर सहसंयोजक आबंध की प्रकृति समझाइए।
कार्बन तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक क्लोरीन परमाणु के साथ इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी करके चार एकल सहसंयोजी आबंध बनाता है।
5. इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना बनाइए— (a) एथेनॉइक अम्ल (b) $\text{H}_2\text{S}$ (c) प्रोपेनोन (d) $\text{F}_2$
(संरचनाएं स्वयं बनाएं, साझा और गैर-साझा इलेक्ट्रॉन युग्मों को दर्शाते हुए।)
6. समजातीय श्रेणी क्या है? उदाहरण के साथ समझाइए।
(ऊपर 4.2.4 में विस्तृत उत्तर देखें।)
7. भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर एथनॉल एवं एथेनॉइक अम्ल में आप कैसे अंतर करेंगे?
(ऊपर 4.4.1 और 4.4.2 में विस्तृत उत्तर देखें - लिटमस, $\text{NaHCO}_3$ परीक्षण, गंध।)
8. जब साबुन को जल में डाला जाता है तो मिसेल का निर्माण क्यों होता है? क्या एथनॉल जैसे दूसरे विलायकों में भी मिसेल का निर्माण होगा।
मिसेल निर्माण जलरागी और जलविरागी सिरों के कारण होता है (ऊपर 4.5 देखें)। एथनॉल में मिसेल नहीं बनेंगे क्योंकि तैलीय मैल एथनॉल में घुलनशील होते हैं।
9. कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है?
क्योंकि इनके दहन से प्रचुर मात्रा में ऊष्मा एवं प्रकाश ऊर्जा मुक्त होती है, ये आसानी से उपलब्ध हैं और इनका दहन नियंत्रित किया जा सकता है।
10. कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग के निर्माण को समझाइए।
कठोर जल में $\text{Ca}^{2+}$ और $\text{Mg}^{2+}$ आयन साबुन से क्रिया कर अघुलनशील स्कम बनाते हैं, जिससे झाग कम बनता है।
11. यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जांच करें तो आपका प्रेक्षण क्या होगा?
साबुन का जलीय विलयन क्षारीय होता है। यह लाल लिटमस को नीला कर देगा; नीले लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
12. हाइड्रोजनीकरण क्या है? इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है?
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन का योग। औद्योगिक अनुप्रयोग: वनस्पति तेलों से वनस्पति घी बनाना।
13. दिए गए हाइड्रोकार्बन— $\text{C}_2\text{H}_6, \text{C}_3\text{H}_8, \text{C}_3\text{H}_6, \text{C}_2\text{H}_2$, एवं $\text{CH}_4$ में किसमें संकलन अभिक्रिया होती है?
संकलन अभिक्रिया असंतृप्त यौगिकों $\text{C}_3\text{H}_6$ (प्रोपीन) और $\text{C}_2\text{H}_2$ (एथाइन) में होगी।
14. संतृप्त एवं असंतृप्त कार्बन के बीच रासायनिक अंतर समझने के लिए एक परीक्षण बताइए।
ब्रोमीन जल परीक्षण: असंतृप्त यौगिक ब्रोमीन जल को रंगहीन कर देते हैं; संतृप्त यौगिक नहीं।
15. साबुन की सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
(ऊपर 4.5 में विस्तृत उत्तर देखें।)
नए अभ्यास प्रश्न (अध्याय की अवधारणाओं पर आधारित)
- कार्बन परमाणु चतुःसंयोजक क्यों होता है? सहसंयोजी आबंध निर्माण में यह कैसे भाग लेता है?
- कार्बन में पाया जाने वाला शृंखलन गुण क्या है? इस गुण के कारण बनने वाले दो प्रकार के कार्बनिक यौगिकों (शृंखला के आधार पर) का नाम बताइए।
- सहसंयोजी आबंध और आयनिक आबंध में मुख्य अंतर क्या हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
- संतृप्त और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में संरचनात्मक अंतर क्या है? प्रोपेन, प्रोपीन और प्रोपाइन के संरचना सूत्र लिखिए।
- प्रकार्यात्मक समूह को परिभाषित करें। अल्कोहल (-OH) और कार्बोक्सिलिक अम्ल (-COOH) प्रकार्यात्मक समूहों वाले एक-एक यौगिक का नाम और संरचना सूत्र लिखिए।
- पेंटेन ($\text{C}_5\text{H}_{12}$) और हेक्सेन ($\text{C}_6\text{H}_{14}$) एल्केन समजातीय श्रेणी के सदस्य हैं। इनके बीच आणविक सूत्र और आणविक द्रव्यमान में क्या अंतर है?
- निम्नलिखित यौगिकों का IUPAC नामकरण कीजिए: (क) $\text{CH}_3\text{CH}_2\text{CH}_2\text{OH}$ (ख) $\text{CH}_3\text{COCH}_3$ (ग) $\text{HCOOH}$ (घ) $\text{CH}_3\text{CHBrCH}_3$ (ङ) $\text{CH}_3\text{C≡CH}$
- ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रिया में क्या अंतर है? एक उदाहरण दीजिए जहाँ कार्बनिक यौगिक का ऑक्सीकरण हो रहा हो।
- संतृप्त और असंतृप्त वसा अम्लों का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- एथनॉल के दैनिक जीवन में कोई तीन महत्वपूर्ण उपयोग लिखिए।
- सिरका का रासायनिक नाम और सूत्र क्या है? इसका प्रमुख उपयोग क्या है?
- साबुनीकरण अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए। यह किस प्रकार के यौगिकों को बनाने में प्रयुक्त होती है?
- मिसेल की संरचना का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए। अपमार्जक कठोर जल में साबुन की अपेक्षा बेहतर क्यों काम करते हैं?
हमें पूर्ण विश्वास है कि ये विस्तृत नोट्स "कार्बन एवं उसके यौगिक" अध्याय को समझने में आपकी भरपूर सहायता करेंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएँ!
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