नमस्ते! ये आत्म-अध्ययन नोट्स कक्षा 10 विज्ञान के अध्याय "नियंत्रण एवं समन्वय" को सरलता से समझने और बोर्ड परीक्षा की तैयारी में आपकी मदद करने के लिए बनाए गए हैं।
अध्याय: नियंत्रण एवं समन्वय
परिचय
यह अध्याय हमें बताता है कि सजीवों में विभिन्न क्रियाओं पर नियंत्रण कैसे होता है और शरीर के अलग-अलग अंग एक साथ मिलकर तालमेल (समन्वय) के साथ कैसे काम करते हैं। हम जंतुओं और पादपों दोनों में इस 'नियंत्रण एवं समन्वय' की प्रक्रिया को समझेंगे।
1. सभी महत्वपूर्ण विषयों की सरल एवं स्पष्ट हिंदी में व्याख्या
सजीवों में गति
गति जीवन का एक महत्वपूर्ण संकेत है। कुछ गतियाँ वृद्धि का परिणाम होती हैं (जैसे बीज का अंकुरण), जबकि कुछ वृद्धि से संबंधित नहीं होतीं (जैसे दौड़ती बिल्ली, छुईमुई का छूने पर मुड़ना)।
पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया
जीव पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अनुक्रिया करते हैं। यह अनुक्रिया गति के रूप में हो सकती है, जो भोजन, सुरक्षा या अन्य आवश्यकताओं के लिए होती है।
नियंत्रित गति और समन्वय
पर्यावरण के प्रति गतियाँ नियंत्रित होती हैं। प्रत्येक परिवर्तन के लिए एक उपयुक्त गति होती है। इसके लिए सजीवों में नियंत्रण और समन्वय के लिए विशिष्ट तंत्र होते हैं।
जंतु तंत्रिका तंत्र
जंतुओं में नियंत्रण और समन्वय तंत्रिका ऊतक (तंत्रिका तंत्र) और पेशी ऊतक द्वारा किया जाता है।
ग्राही (Receptors)
पर्यावरण से सभी सूचनाओं का पता कुछ तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्टीकृत सिरों द्वारा लगाया जाता है, जिन्हें ग्राही कहते हैं। ये हमारी ज्ञानेंद्रियों (कान, नाक, जीभ, त्वचा, आँख) में स्थित होते हैं।
- स्वाद ग्राही (Gustatory Receptors): स्वाद का पता लगाते हैं।
- घ्राण ग्राही (Olfactory Receptors): गंध का पता लगाते हैं।
- प्रकाश ग्राही (Photoreceptors): प्रकाश का पता लगाते हैं (आँखों में)।
- ध्वनि ग्राही (Phonoreceptors): ध्वनि का पता लगाते हैं (कान में)।
- ऊष्मा/स्पर्श ग्राही (Thermoreceptors/Tangoreceptors): तापमान/स्पर्श का पता लगाते हैं (त्वचा में)।
तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन - Neuron)
तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरॉन के एक संगठित जाल से बना होता है। यह सूचनाओं को विद्युत आवेग (Electrical Impulse) के रूप में शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक पहुँचाता है।
न्यूरॉन की संरचना और आवेग संचरण:
- सूचना न्यूरॉन के द्रुमाकृतिक सिरे (Dendrite) द्वारा उपार्जित की जाती है।
- यह एक रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग उत्पन्न करती है।
- आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय (Cell body) तक जाता है।
- फिर तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन - Axon) में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँचता है।
- एक्सॉन के अंत में, विद्युत आवेग कुछ रसायनों (न्यूरोट्रांसमीटर) का विमोचन कराता है।
- ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (Synapse) (सिनेप्टिक दरार) को पार करते हैं।
- और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं।
इसी तरह सिनेप्स आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं, जैसे पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाता है।
प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action)
पर्यावरण में किसी घटना (उद्दीपन) की अनुक्रिया के फलस्वरूप अचानक हुई क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। ये क्रियाएँ अनैच्छिक, तीव्र और स्वतः होती हैं। उदाहरण: गर्म वस्तु को छूने पर हाथ हटाना, छींकना, खाँसना।
प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc)
वह पथ जिससे होकर तंत्रिका आवेग प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान गुजरता है, प्रतिवर्ती चाप कहलाता है। यह बहुत शीघ्रता से कार्य करता है।
प्रतिवर्ती चाप का मार्ग:
ग्राही (त्वचा में) $\rightarrow$ संवेदी न्यूरॉन $\rightarrow$ मेरुरज्जु (Relay Neuron/Interneuron) $\rightarrow$ प्रेरक न्यूरॉन $\rightarrow$ कारक अंग (पेशी)
प्रतिवर्ती चाप का संबंधन मेरुरज्जु में बनता है, हालाँकि सूचना मस्तिष्क तक भी पहुँचती है। यह जटिल न्यूरॉन जाल की अनुपस्थिति में भी दक्ष कार्यप्रणाली प्रदान करता है।
मानव मस्तिष्क (Human Brain)
मेरुरज्जु तंत्रिकाओं की बनी होती है जो सोचने के लिए सूचनाएँ प्रदान करती हैं। सोचने की प्रक्रिया मस्तिष्क में होती है।
- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System - CNS): मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु मिलकर बनाते हैं।
- परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System - PNS): कपालीय तंत्रिकाएँ (मस्तिष्क से निकलने वाली) और मेरु तंत्रिकाएँ (मेरुरज्जु से निकलने वाली) मिलकर बनाती हैं। यह CNS को शरीर के अन्य भागों से जोड़ता है।
ऐच्छिक क्रियाएँ (Voluntary Actions): वे क्रियाएँ जो हम सोच-समझकर करते हैं (जैसे लिखना, बात करना)।
मस्तिष्क के मुख्य भाग:
- अग्रमस्तिष्क (Forebrain):
- मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग।
- विभिन्न ग्राहियों से संवेदी आवेग प्राप्त करने के लिए क्षेत्र (सुनना, सूंघना, देखना आदि)।
- साहचर्य के क्षेत्र (Association areas): जहाँ संवेदी सूचनाओं, अन्य सूचनाओं और पहले से संग्रहीत सूचनाओं का अर्थ लगाया जाता है।
- निर्णय लेने और प्रेरक क्षेत्रों तक सूचना पहुँचाने का कार्य, जो ऐच्छिक पेशियों की गति को नियंत्रित करते हैं।
- भूख से संबंधित केंद्र भी इसी में होता है।
- मध्यमस्तिष्क (Midbrain): यह कुछ अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है और अग्रमस्तिष्क तथा पश्चमस्तिष्क के बीच सेतु का कार्य करता है। यह दृष्टि और श्रवण प्रतिवर्ती क्रियाओं को भी नियंत्रित कर सकता है।
- पश्चमस्तिष्क (Hindbrain): इसके तीन भाग होते हैं:
- अनुमस्तिष्क (Cerebellum): ऐच्छिक क्रियाओं की परिशुद्धि (precision), शरीर की संस्थिति (posture) तथा संतुलन (balance) के लिए उत्तरदायी। (जैसे सीधी रेखा में चलना, साइकिल चलाना)।
- मेडुला (Medulla oblongata): अनैच्छिक क्रियाएँ जैसे रक्तचाप, लार आना, वमन (मिचली) को नियंत्रित करता है। यह श्वसन और हृदय गति को भी नियंत्रित करता है।
- पोंस (Pons): यह श्वसन के नियमन में भाग लेता है और मस्तिष्क के विभिन्न भागों के बीच संकेतों को रिले करता है।
अनैच्छिक क्रियाएँ (Involuntary Actions): वे क्रियाएँ जिन पर हमारे सोचने का नियंत्रण नहीं होता (जैसे हृदय स्पंदन, श्वसन, पाचन)।
मस्तिष्क और मेरुरज्जु की सुरक्षा:
- मस्तिष्क खोपड़ी (Cranium/Skull) नामक हड्डियों के बॉक्स में सुरक्षित रहता है।
- खोपड़ी के अंदर, मस्तिष्क प्रमस्तिष्कमेरु द्रव (Cerebrospinal fluid) से भरे गुब्बारे जैसी संरचना में होता है, जो प्रघात अवशोषक का कार्य करता है।
- मेरुरज्जु की रक्षा रीढ़ की हड्डी (Vertebral column/Backbone) करती है।
तंत्रिका ऊतक कार्य कैसे करता है (पेशी गति):
तंत्रिका ऊतक सूचना एकत्रित करता है, भेजता है, संसाधित करता है, निर्णय लेता है और पेशियों तक क्रिया के लिए संदेश पहुँचाता है। पेशी कोशिकाएँ अपनी आकृति बदलकर गति करती हैं। पेशी कोशिकाओं में विशेष प्रोटीन होती हैं जो तंत्रिका विद्युत आवेग की अनुक्रिया में अपनी आकृति और व्यवस्था बदल लेती हैं, जिससे पेशी संकुचित होती है।
पादपों में समन्वय
पादपों में तंत्रिका तंत्र या पेशियाँ नहीं होतीं। वे उद्दीपन के प्रति दो प्रकार की गतियाँ दर्शाते हैं:
- वृद्धि से मुक्त गति:
- उदाहरण: छुईमुई (Mimosa pudica) के पौधे की पत्तियाँ छूने पर मुड़ जाती हैं।
- इसमें पादप सूचना संचारित करने के लिए वैद्युत-रसायन साधन का उपयोग करते हैं।
- कोशिकाएँ जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदलती हैं (फूलकर या सिकुड़कर)।
- वृद्धि के कारण गति (अनुवर्तन - Tropism):
- यह दिशिक गति होती है जो उद्दीपन की दिशा में या उससे विपरीत होती है।
- प्रकाशानुवर्तन (Phototropism): प्रकाश के प्रति अनुक्रिया। प्ररोह (तना) प्रकाश की ओर (धनात्मक प्रकाशानुवर्तन), जड़ें प्रकाश से दूर (ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन)।
- गुरुत्वानुवर्तन (Gravitropism): गुरुत्वाकर्षण के प्रति अनुक्रिया। जड़ें नीचे की ओर (धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन), प्ररोह ऊपर की ओर (ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्तन)।
- रसायनानुवर्तन (Chemotropism): रसायनों के प्रति अनुक्रिया (जैसे पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि)।
- जलानुवर्तन (Hydrotropism): जल के प्रति अनुक्रिया (जड़ों का जल स्रोत की ओर वृद्धि)।
- स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism): स्पर्श के प्रति अनुक्रिया (जैसे प्रतान का सहारे से लिपटना)।
पादप हार्मोन (फाइटोहोर्मोन - Plant Hormones)
पादप वृद्धि, विकास तथा पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वय के लिए रासायनिक यौगिकों (हार्मोन) का उपयोग करते हैं। ये क्रिया क्षेत्र से दूर संश्लेषित होते हैं और विसरण द्वारा क्रिया क्षेत्र तक पहुँचते हैं।
हार्मोन का प्रकार | हार्मोन | मुख्य कार्य |
---|---|---|
वृद्धि समर्थक | ऑक्सिन (Auxin) | प्ररोह के अग्रभाग में संश्लेषण, कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि, प्रकाशानुवर्तन, प्रतान वृद्धि। |
जिबरेलिन (Gibberellin) | तने की वृद्धि में सहायक, बीज अंकुरण। | |
साइटोकाइनिन (Cytokinin) | कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है (फलों और बीजों में अधिक)। | |
वृद्धि संदमक | एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid - ABA) | वृद्धि का संदमन, पत्तियों का मुरझाना, रंध्रों का बंद होना। |
गैसीय हार्मोन | एथिलीन (Ethylene) | फलों को पकाने में सहायक। (यह पाठ में सीधे तौर पर नहीं है, पर महत्वपूर्ण है) |
जंतुओं में हार्मोन (रासायनिक समन्वय)
जंतुओं में भी सूचना संचरण के लिए हार्मोन का उपयोग होता है। ये अंतःस्रावी ग्रंथियों (Endocrine Glands) द्वारा स्रावित होते हैं और सीधे रुधिर में मिलकर शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचते हैं।
तनाव की स्थिति में हार्मोन (एड्रीनलिन):
खतरे या तनाव की स्थिति में, अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal gland) से एड्रीनलिन (Adrenaline) हार्मोन स्रावित होता है। यह शरीर को 'लड़ने या भागने' (fight or flight) के लिए तैयार करता है:
- हृदय की धड़कन तेज होती है (पेशियों को अधिक ऑक्सीजन)।
- पाचन तंत्र और त्वचा में रुधिर आपूर्ति कम होती है, रुधिर कंकाल पेशियों की ओर जाता है।
- श्वसन दर बढ़ जाती है।
अन्य महत्वपूर्ण जंतु हार्मोन:
हार्मोन | स्रावित ग्रंथि | कार्य |
---|---|---|
वृद्धि हार्मोन (Growth Hormone) | पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland) | शरीर की वृद्धि और विकास। कमी से बौनापन। |
थायरॉक्सिन (Thyroxine) | अवटु ग्रंथि (Thyroid Gland) | कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा के उपापचय का नियंत्रण। इसके संश्लेषण के लिए आयोडीन आवश्यक। आयोडीन की कमी से गॉयटर (Goitre) रोग। |
इंसुलिन (Insulin) | अग्नाशय (Pancreas) | रुधिर में शर्करा स्तर को नियंत्रित करता है। कमी से मधुमेह (Diabetes) रोग। |
टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) | वृषण (Testes) (नर में) | नर में यौवनारंभ से संबंधित परिवर्तन, शुक्राणु उत्पादन। |
एस्ट्रोजन (Estrogen) | अंडाशय (Ovary) (मादा में) | मादा में यौवनारंभ से संबंधित परिवर्तन, अंड कोशिका उत्पादन, मासिक चक्र का नियमन। (प्रोजेस्टेरोन भी महत्वपूर्ण है) |
मोचक हार्मोन (Releasing Hormones) | हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) | पीयूष ग्रंथि से हार्मोन के स्राव को प्रेरित या बाधित करते हैं। |
पुनर्भरण क्रियाविधि (Feedback Mechanism)
हार्मोन का स्रावण परिशुद्ध मात्रा में और सही समय पर होना चाहिए। इसका नियंत्रण पुनर्भरण क्रियाविधि से होता है।
उदाहरण: यदि रुधिर में शर्करा स्तर बढ़ जाता है, तो अग्नाशय इसे संसूचित कर अधिक इंसुलिन स्रावित करता है। जब शर्करा स्तर सामान्य हो जाता है, तो इंसुलिन का स्रावण कम हो जाता है। यह एक प्रकार का ऋणात्मक पुनर्भरण है।
2. प्रमुख परिभाषाएँ, संकल्पनाएँ और शब्दों की स्पष्ट व्याख्या
ऊपर दिए गए पाठ में प्रमुख परिभाषाएँ, संकल्पनाएँ और शब्द बोल्ड और विशेष रंग में पहले ही स्पष्ट किए जा चुके हैं। जैसे: नियंत्रण एवं समन्वय, ग्राही, न्यूरॉन, सिनेप्स, प्रतिवर्ती क्रिया, प्रतिवर्ती चाप, CNS, PNS, अग्रमस्तिष्क, मध्यमस्तिष्क, पश्चमस्तिष्क, अनुमस्तिष्क, मेडुला, ऐच्छिक क्रियाएँ, अनैच्छिक क्रियाएँ, अनुवर्तन, प्रकाशानुवर्तन, गुरुत्वानुवर्तन, पादप हार्मोन (ऑक्सिन, जिबरेलिन, साइटोकाइनिन, एब्सिसिक अम्ल), जंतु हार्मोन (एड्रीनलिन, इंसुलिन आदि), अंतःस्रावी ग्रंथि, मधुमेह, पुनर्भरण क्रियाविधि।
3. पुस्तक में दिए गए उदाहरणों को चरण-दर-चरण हल करके समझाइए
क्रियाकलाप 6.1: स्वाद और गंध का संबंध
- थोड़ी चीनी मुँह में रखें और स्वाद लें (मीठा)।
- नाक बंद करके फिर से चीनी खाएं। स्वाद कम स्पष्ट लगेगा।
- खाना खाते समय नाक बंद करके देखें, स्वाद कम आएगा।
व्याख्या: भोजन का स्वाद केवल जीभ से नहीं, बल्कि नाक से आने वाली गंध से भी बहुत प्रभावित होता है। नाक बंद होने पर घ्राण ग्राही ठीक से काम नहीं कर पाते, जिससे स्वाद अधूरा लगता है।
उदाहरण: गर्म वस्तु छूना (प्रतिवर्ती क्रिया)
- त्वचा में ऊष्मा/दर्द ग्राही उद्दीपन (गर्मी) का पता लगाते हैं।
- संवेदी न्यूरॉन सूचना मेरुरज्जु तक ले जाते हैं।
- मेरुरज्जु में, संवेदी न्यूरॉन प्रेरक न्यूरॉन से (या प्रतिसारण न्यूरॉन के माध्यम से) जुड़ता है।
- मेरुरज्जु तुरंत प्रेरक न्यूरॉन को आवेग भेजता है।
- प्रेरक आवेग हाथ की पेशियों (कारक अंग) तक पहुँचता है।
- पेशियाँ सिकुड़ती हैं और हाथ तुरंत गर्म वस्तु से हट जाता है।
महत्व: यह तीव्र, अनैच्छिक अनुक्रिया शरीर को क्षति से बचाती है।
क्रियाकलाप 6.2: प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन
- फ्लास्क में जल भरकर, गरदन पर तार की जाली रखकर, उस पर सेम का पौधा रखें (जड़ें जल में)।
- फ्लास्क को एक ओर से खुले गत्ते के बॉक्स में रखें, खुला सिरा खिड़की (प्रकाश स्रोत) की ओर।
- 2-3 दिन बाद देखें: प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़ेगा, जड़ें प्रकाश से दूर और नीचे की ओर बढ़ेंगी।
- फ्लास्क को घुमा दें (प्ररोह प्रकाश से दूर, जड़ प्रकाश की ओर)। कुछ दिन बाद पुनः देखें।
- प्ररोह का नया भाग फिर प्रकाश की ओर, जड़ का नया भाग नीचे की ओर मुड़ेगा।
निष्कर्ष: पादप प्रकाश और गुरुत्वाकर्षण के प्रति दिशिक वृद्धि दर्शाते हैं (प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन)।
4. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों (Exercise Questions) के विस्तृत उत्तर
1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है?
प्रतिवर्ती क्रिया: अनैच्छिक, तीव्र, उद्दीपन के प्रति स्वतः अनुक्रिया, मुख्यतः मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित (जैसे गर्म वस्तु से हाथ हटाना)।
टहलना: ऐच्छिक क्रिया, सोच-समझकर, मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित, अपनी इच्छा से शुरू या बंद की जा सकने वाली।
2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रंथन (सिनेप्स) में क्या होता है?
सिनेप्स में, एक न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे से विद्युत आवेग के पहुँचने पर रासायनिक पदार्थ (न्यूरोट्रांसमीटर) मुक्त होते हैं। ये रसायन सिनेप्टिक दरार को पार करके अगली न्यूरॉन की द्रुमिका पर विशेष ग्राहियों से जुड़ते हैं और वहाँ एक नया विद्युत आवेग उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार सूचना एक न्यूरॉन से दूसरे तक रासायनिक रूप में संचारित होती है।
3. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
पश्चमस्तिष्क में स्थित अनुमस्तिष्क (Cerebellum)।
4. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
अगरबत्ती से निकले गंध के अणु नाक में स्थित घ्राण ग्राहियों द्वारा संसूचित होते हैं। यह सूचना तंत्रिका आवेग के रूप में अग्रमस्तिष्क के विशेष सूंघने वाले क्षेत्र तक पहुँचती है, जहाँ इसका विश्लेषण होता है और हमें गंध का अनुभव होता है।
5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
प्रतिवर्ती क्रिया मुख्य रूप से मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है ताकि तीव्र अनुक्रिया हो सके। हालांकि, प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान उत्पन्न संवेदी सूचनाएँ मस्तिष्क तक भी पहुँचती हैं। मस्तिष्क इन सूचनाओं का विश्लेषण करता है, जिससे हमें उद्दीपन (जैसे दर्द) का अनुभव होता है और हम सचेत रूप से स्थिति को समझ पाते हैं। यह भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए सीखने में भी मदद करता है। लेकिन क्रिया (जैसे हाथ हटाना) मस्तिष्क के सचेत निर्णय से पहले हो जाती है।
6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
जब प्रकाश एक ओर से पादप पर पड़ता है, तो ऑक्सिन हार्मोन, जो प्ररोह के अग्रभाग में बनता है, छाया वाले भाग की ओर विसरित हो जाता है। छाया वाले भाग में ऑक्सिन की अधिक सांद्रता के कारण वहाँ की कोशिकाएँ अधिक तेजी से लंबी होती हैं। इससे प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़ जाता है।
7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?
मेरुरज्जु आघात में निम्नलिखित संकेतों में व्यवधान होगा:
- शरीर के विभिन्न भागों से मस्तिष्क तक जाने वाले संवेदी संकेत (जैसे स्पर्श, दर्द, तापमान)।
- मस्तिष्क से शरीर के विभिन्न भागों (विशेषकर पेशियों) तक आने वाले प्रेरक संकेत (ऐच्छिक गतियों के लिए)।
- प्रतिवर्ती क्रियाओं के संकेत, क्योंकि प्रतिवर्ती चाप का निर्माण मेरुरज्जु में होता है।
परिणामस्वरूप, संवेदनशीलता में कमी, पक्षाघात (paralysis) और प्रतिवर्ती क्रियाओं का अभाव हो सकता है।
8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हार्मोन (फाइटोहोर्मोन) द्वारा होता है। ये हार्मोन पादप के एक भाग में संश्लेषित होकर विसरण द्वारा दूसरे भागों तक पहुँचते हैं और वृद्धि, विकास तथा पर्यावरणीय उद्दीपनों के प्रति अनुक्रियाओं (जैसे प्रकाशानुवर्तन, गुरुत्वानुवर्तन) का नियंत्रण और समन्वय करते हैं। उदाहरण: ऑक्सिन, जिबरेलिन, साइटोकाइनिन, एब्सिसिक अम्ल।
9. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?
जीवों में नियंत्रण एवं समन्वय तंत्र की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है:
- पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों (उद्दीपनों) के प्रति उचित अनुक्रिया करने के लिए।
- शरीर के विभिन्न अंगों और अंग तंत्रों के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए ताकि वे एक इकाई के रूप में कार्य कर सकें।
- जैविक प्रक्रियाओं (जैसे पाचन, श्वसन, वृद्धि) का नियमन करने के लिए।
- जीव की उत्तरजीविता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए।
- आंतरिक समस्थापन (homeostasis) बनाए रखने के लिए।
10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
सभी प्रतिवर्ती क्रियाएँ अनैच्छिक होती हैं, लेकिन सभी अनैच्छिक क्रियाएँ प्रतिवर्ती नहीं होतीं।
- अनैच्छिक क्रियाएँ: वे क्रियाएँ जो हमारी इच्छा के बिना स्वतः होती हैं (जैसे हृदय स्पंदन, पाचन, श्वसन)। ये सामान्य शारीरिक कार्यों का हिस्सा हैं और मस्तिष्क के विशेष भागों (मध्यमस्तिष्क, पश्चमस्तिष्क) द्वारा नियंत्रित होती हैं।
- प्रतिवर्ती क्रियाएँ: ये भी अनैच्छिक हैं, परन्तु ये किसी विशिष्ट बाहरी उद्दीपन के प्रति अत्यंत तीव्र, तात्कालिक और प्रायः सुरक्षात्मक अनुक्रियाएँ होती हैं। ये मुख्यतः मेरुरज्जु द्वारा प्रतिवर्ती चाप के माध्यम से नियंत्रित होती हैं।
11. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हार्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast) कीजिए।
विशेषता | तंत्रिका क्रियाविधि | हार्मोन क्रियाविधि |
---|---|---|
संचरण का माध्यम | विद्युत आवेग (न्यूरॉन द्वारा) | रसायन (हार्मोन, रुधिर द्वारा) |
संचरण की गति | बहुत तीव्र | धीमी |
प्रभाव का क्षेत्र | विशिष्ट (केवल लक्ष्य कोशिकाओं तक जो न्यूरॉन से जुड़ी हैं) | व्यापक (रुधिर द्वारा पूरे शरीर में, लक्ष्य अंगों पर कार्य) |
अनुक्रिया की अवधि | अल्पकालिक | प्रायः दीर्घकालिक |
कार्य | तीव्र अनुक्रियाएँ, ऐच्छिक व कुछ अनैच्छिक क्रियाएँ | धीमी प्रक्रियाएँ जैसे वृद्धि, विकास, उपापचय, तनाव अनुक्रिया |
समानता: दोनों ही शरीर में नियंत्रण और समन्वय स्थापित करते हैं और जीव को पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया करने में मदद करते हैं।
12. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?
- छुई-मुई पादप में गति:
- वृद्धि से संबंधित नहीं।
- तंत्रिका या पेशी ऊतक शामिल नहीं।
- सूचना का वैद्युत-रासायनिक संचरण।
- कोशिकाओं में जल की मात्रा में परिवर्तन (स्फीति दाब में परिवर्तन) से गति।
- प्रायः स्पर्श जैसे उद्दीपन के प्रति।
- हमारी टाँग में गति:
- ऐच्छिक या अनैच्छिक हो सकती है।
- तंत्रिका तंत्र और पेशी ऊतक शामिल।
- सूचना का तंत्रिका आवेगों द्वारा तीव्र संचरण।
- पेशी कोशिकाओं में विशेष प्रोटीन के संकुचन से गति।
- मस्तिष्क या मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित।
5. अध्याय की अवधारणाओं पर आधारित नए अभ्यास प्रश्न
- जंतुओं में ज्ञानेंद्रियों में स्थित विभिन्न प्रकार के ग्राहियों का क्या महत्व है? किन्हीं तीन प्रकार के ग्राहियों के नाम और उनके द्वारा संसूचित किए जाने वाले उद्दीपन लिखिए।
- "सिनेप्स तंत्रिका आवेग के एकदिशीय प्रवाह को सुनिश्चित करता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- यदि किसी व्यक्ति का अनुमस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाए, तो उसकी किन क्रियाओं पर प्रभाव पड़ेगा?
- थायरॉक्सिन हार्मोन के संश्लेषण के लिए आयोडीन क्यों आवश्यक है? आयोडीन युक्त नमक के सेवन की सलाह क्यों दी जाती है?
- एक धावक दौड़ पूरी करने के बाद तेजी से सांस क्यों लेता है? इस स्थिति में कौन सा हार्मोन प्रमुख भूमिका निभाता है और कैसे?
- पादप हार्मोन ऑक्सिन और साइटोकाइनिन के कार्यों में एक मुख्य अंतर बताइए।
- "पुनर्भरण क्रियाविधि हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है।" रुधिर शर्करा के नियमन के उदाहरण से इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- क्या पादपों में भी प्रतिवर्ती क्रियाएँ होती हैं? छुई-मुई के पौधे की गति के संदर्भ में चर्चा करें।
- तंत्रिका तंत्र की तुलना में हार्मोन तंत्र द्वारा समन्वय धीमा क्यों होता है? इसके बावजूद यह क्यों महत्वपूर्ण है?
- मेडुला द्वारा नियंत्रित होने वाली किन्हीं दो अनैच्छिक क्रियाओं के नाम लिखिए।
6. अध्याय का संक्षिप्त सारांश (पुनरावृत्ति के लिए)
- सजीव उद्दीपनों के प्रति गति द्वारा अनुक्रिया करते हैं, जो नियंत्रित और समन्वित होती है।
- जंतुओं में:
- तंत्रिका तंत्र: न्यूरॉन (द्रुमिका, कोशिकाकाय, एक्सॉन, सिनेप्स) विद्युत आवेगों द्वारा तीव्र सूचना संचरण। ग्राही सूचना ग्रहण करते हैं।
- प्रतिवर्ती क्रिया: मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित तीव्र, अनैच्छिक अनुक्रिया (प्रतिवर्ती चाप)।
- मस्तिष्क: CNS का भाग। अग्रमस्तिष्क (सोचना, ऐच्छिक क्रिया), मध्यमस्तिष्क, पश्चमस्तिष्क (अनुमस्तिष्क - संतुलन, मेडुला - अनैच्छिक क्रिया)।
- हार्मोन तंत्र: अंतःस्रावी ग्रंथियाँ हार्मोन रुधिर में स्रावित करती हैं। धीमी, व्यापक, दीर्घकालिक क्रिया (वृद्धि, उपापचय, तनाव)। उदा: एड्रीनलिन, इंसुलिन, थायरॉक्सिन, वृद्धि हार्मोन, लैंगिक हार्मोन। पुनर्भरण क्रियाविधि द्वारा नियंत्रण।
- पादपों में:
- तंत्रिका तंत्र नहीं।
- गतियाँ: वृद्धि-मुक्त (छुईमुई - जल की मात्रा में परिवर्तन से) और वृद्धि-आधारित (अनुवर्तन)।
- अनुवर्तन: प्रकाशानुवर्तन, गुरुत्वानुवर्तन आदि।
- पादप हार्मोन: ऑक्सिन (कोशिका दीर्घन, प्रकाशानुवर्तन), जिबरेलिन (तने की वृद्धि), साइटोकाइनिन (कोशिका विभाजन), एब्सिसिक अम्ल (वृद्धि संदमन)।
- नियंत्रण एवं समन्वय जीव की उत्तरजीविता और दक्षता के लिए आवश्यक है।
हमें विश्वास है कि ये नोट्स आपकी पढ़ाई में सहायक होंगे। शुभकामनाएँ!
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