Bihar Board class12 द्वितीयक क्रियाएँ (विनिर्माण उद्योग): कक्षा 12 भूगोल अध्याय 5 के नोट्स | Secondary Activities |Revision notes

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द्वितीयक क्रियाएँ (विनिर्माण उद्योग): कक्षा 12 भूगोल अध्याय 5 के नोट्स | Secondary Activities

आत्म-अध्ययन नोट्स: द्वितीयक क्रियाएँ (विनिर्माण उद्योग)

अध्याय का परिचय

इस अध्याय में हम आर्थिक क्रियाओं के एक महत्वपूर्ण समूह - द्वितीयक क्रियाओं - के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम समझेंगे कि ये क्रियाएँ क्या होती हैं, ये हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं, और विशेष रूप से विनिर्माण उद्योगों का अध्ययन करेंगे। हम यह भी देखेंगे कि बड़े उद्योग कहाँ स्थापित किए जाते हैं और उन्हें किन चीज़ों की आवश्यकता होती है।

1. द्वितीयक क्रियाएँ क्या हैं?

हमारी आर्थिक क्रियाएँ कई प्रकार की होती हैं, जैसे प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक। इन सभी का उद्देश्य संसाधनों को प्राप्त करना और उनका उपयोग करना है, जो मनुष्य के जीवित रहने के लिए ज़रूरी हैं।

  • द्वितीयक क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।
  • ये क्रियाएँ प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर उसे अधिक मूल्यवान बना देती हैं।
  • उदाहरण के लिए, कपास का उपयोग सीमित है, लेकिन जब इसे धागे में बदला जाता है तो यह अधिक मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग कपड़े बनाने में किया जा सकता है।
  • खदानों से मिलने वाले लौह-अयस्क का हम सीधे उपयोग नहीं कर सकते, लेकिन अयस्क से इस्पात बनाने के बाद यह मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग कई तरह की मशीनें और औज़ार बनाने में होता है।
  • इस प्रकार, द्वितीयक क्रियाएँ मुख्य रूप से विनिर्माण, प्रसंस्करण (processing) और निर्माण (construction) उद्योगों से संबंधित हैं।

2. विनिर्माण (Manufacturing) क्या है?

विनिर्माण का सीधा मतलब है किसी भी वस्तु का उत्पादन। यह एक आवश्यक प्रक्रिया है जिसमें कच्चे माल को स्थानीय या दूर के बाज़ारों में बेचने के लिए उच्च मूल्य के तैयार माल में बदला जाता है।

इसमें हाथ से बनाए जाने वाले शिल्पकला के काम से लेकर लोहे और इस्पात को ढालना, प्लास्टिक के खिलौने बनाना, कंप्यूटर के बहुत छोटे पुर्ज़ों को जोड़ना और यहाँ तक कि अंतरिक्ष यान बनाना तक शामिल है।

विनिर्माण प्रक्रिया में कुछ सामान्य विशेषताएँ होती हैं:

  • शक्ति का उपयोग (आधुनिक शक्ति के साधन जैसे मशीनरी या पुराने साधनों का उपयोग)
  • एक ही प्रकार की वस्तुओं का विशाल उत्पादन
  • कारखानों में विशिष्ट श्रमिक जो मानक वस्तुएँ बनाते हैं

3. 'उद्योग' और 'विनिर्माण उद्योग'

सैद्धांतिक रूप से, उद्योग एक निर्माण इकाई है जिसकी अपनी भौगोलिक स्थिति होती है और प्रबंधन के तहत लेखा-बही और रिकॉर्ड रखे जाते हैं। उद्योग एक बहुत व्यापक शब्द है और इसे अक्सर विनिर्माण के पर्यायवाची के तौर पर देखा जाता है। जब कोई 'इस्पात उद्योग' या 'रसायन उद्योग' कहता है, तो आमतौर पर उसके मन में कारखाने और उनमें होने वाली प्रक्रियाएँ आती हैं। लेकिन कुछ अन्य क्रियाएँ भी हैं जो कारखानों में नहीं होतीं, जैसे पर्यटन उद्योग या मनोरंजन उद्योग। इसलिए, स्पष्टता के लिए 'विनिर्माण उद्योग' शब्द का प्रयोग किया जाता है।

4. आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ

वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • कौशल का विशिष्टीकरण / उत्पादन की विधियाँ: शिल्पकला के तरीके से कारखाने में कम सामान बनता है जो ऑर्डर पर बनाया जाता है, इसलिए इसकी लागत ज़्यादा होती है। जबकि अधिक उत्पादन बड़े पैमाने पर बनाए जाने वाले सामान से संबंधित है, जहाँ प्रत्येक कारीगर लगातार एक ही प्रकार का काम करता है।
  • यंत्रीकरण: इसका मतलब है मशीनों का उपयोग करके कोई काम पूरा करना।
  • स्वचालन (Automation): यह यंत्रीकरण की एक विकसित अवस्था है। इसमें विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान मानव सोच को शामिल किए बिना काम होता है।
  • प्रौद्योगिकीय नवाचार: अनुसंधान और विकास से प्राप्त होने वाली युक्तियों के द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियंत्रित करना, कचरे का निपटान करना और प्रदूषण के खिलाफ लड़ना इसका एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीयकरण: यह अत्यधिक विशिष्टीकरण और श्रम विभाजन के द्वारा कम प्रयास और कम लागत में अधिक माल का उत्पादन करता है।
  • अनियमित भौगोलिक वितरण: आधुनिक विनिर्माण मुख्य रूप से कुछ ही जगहों पर केंद्रित है। ये दुनिया के कुल स्थलीय भाग के 10% से भी कम क्षेत्र पर फैले हैं।

5. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक

उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए उद्योगों की स्थापना उस स्थान पर की जानी चाहिए जहाँ उत्पादन लागत कम आए।

मूल सिद्धांत:

$$ \text{लाभ} = \text{कुल राजस्व (विक्रय मूल्य)} - \text{कुल लागत (उत्पादन लागत)} $$

प्रमुख कारक:

  • बाज़ार तक अभिगम्यता: उद्योग की स्थापना में सबसे प्रमुख कारक उसके द्वारा उत्पादित माल के लिए उपलब्ध बाज़ार का होना है।
  • कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता: सस्ता और आसानी से परिवहन योग्य कच्चा माल आवश्यक है। भारी और वजन घटने वाले पदार्थों पर आधारित उद्योग (जैसे इस्पात, चीनी) स्रोत के पास स्थित होते हैं।
  • श्रम आपूर्ति तक अभिगम्यता: यंत्रीकरण के बावजूद, कई उद्योगों में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
  • शक्ति के साधनों तक अभिगम्यता: अधिक शक्ति की आवश्यकता वाले उद्योग (जैसे एल्युमीनियम) ऊर्जा स्रोतों के पास लगाए जाते हैं।
  • परिवहन एवं संचार की सुविधाओं तक अभिगम्यता: कच्चे माल को लाने और तैयार माल को बाज़ार तक पहुँचाने के लिए सक्षम परिवहन अनिवार्य है।
  • सरकारी नीति: संतुलित आर्थिक विकास के लिए सरकार विशिष्ट क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करती है।
  • समूहन अर्थव्यवस्था तक अभिगम्यता: प्रधान उद्योग की निकटता से अन्य अनेक उद्योगों को लाभ होता है, जिसे समूहन अर्थव्यवस्था कहते हैं।

6. स्वच्छंद उद्योग (Footloose Industries)

स्वच्छंद उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों में स्थित होते हैं। ये किसी विशिष्ट कच्चे माल पर निर्भर नहीं रहते हैं।

  • ये उद्योग संगठक पुर्जों पर निर्भर रहते हैं जो कहीं से भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • इसमें उत्पादन कम मात्रा में होता है, और श्रमिकों की भी कम आवश्यकता होती है।
  • आमतौर पर ये उद्योग प्रदूषण नहीं फैलाते
  • इनकी स्थापना में महत्वपूर्ण कारक सड़कों के जाल द्वारा अभिगम्यता होती है।

7. विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण

विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण उनके आकार, कच्चा माल, उत्पाद और स्वामित्व के आधार पर किया जाता है।

वर्गीकरण का आधार उद्योग का प्रकार मुख्य विशेषताएँ और उदाहरण
आकार कुटीर / घरेलू उद्योग सबसे छोटी इकाई, स्थानीय कच्चा माल, साधारण औजार, परिवार के सदस्य। उदा: बर्तन, चटाई, मूर्तियाँ।
छोटे पैमाने के उद्योग घर से बाहर कारखाना, अर्द्धकुशल श्रमिक, शक्ति चालित यंत्र। उदा: स्थानीय कपड़ा, खाद्य उत्पाद।
बड़े पैमाने के उद्योग विशाल बाज़ार, अधिक पूंजी, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी। उदा: मोटर गाड़ी निर्माण, लौह-इस्पात।
कच्चा माल कृषि आधारित खेतों से प्राप्त कच्चा माल। उदा: चीनी, सूती वस्त्र, चाय, खाद्य प्रसंस्करण।
खनिज आधारित खनिजों का उपयोग। उदा: लौह-इस्पात, सीमेंट, एल्युमीनियम।
रसायन आधारित प्राकृतिक रासायनिक खनिजों का उपयोग। उदा: पेट्रो-रसायन, प्लास्टिक, कृत्रिम रेशे।
वन आधारित वनों से प्राप्त उपज। उदा: कागज़, फर्नीचर, लाख उद्योग।
पशु आधारित पशुओं से प्राप्त उत्पाद। उदा: चमड़ा, ऊनी वस्त्र, हाथी दाँत।
उत्पाद आधारभूत उद्योग इनके उत्पाद अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होते हैं। उदा: लौह-इस्पात उद्योग।
उपभोक्ता वस्तु उद्योग इनके उत्पाद सीधे उपभोक्ता द्वारा उपयोग किए जाते हैं। उदा: ब्रेड, साबुन, टेलीविज़न।
स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र सरकार के अधीन।
निजी क्षेत्र व्यक्तिगत निवेशकों के अधीन।
संयुक्त क्षेत्र निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का संयुक्त प्रयास।

8. उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना (High Technology Industry)

यह विनिर्माण क्रियाओं में नवीनतम पीढ़ी है। इसमें उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन अनुसंधान एवं विकास (R&D) के प्रयोग द्वारा किया जाता है।

  • संपूर्ण श्रमिक शक्ति का अधिकतर भाग व्यावसायिक ('सफेद कॉलर') श्रमिकों का होता है।
  • इसमें यंत्रमानव (Robotics), कंप्यूटर आधारित डिज़ाइन (CAD) तथा निर्माण (CAM) का प्रयोग होता है।
  • ये अक्सर आधुनिक, साफ-सुथरे व्यवसाय पार्क (Business Park) में स्थित होते हैं।
  • ऐसे केंद्रित क्षेत्रों को प्रौद्योगिक ध्रुव (Technology Pole) कहा जाता है। उदा: सैन फ्रांसिस्को के पास सिलिकॉन घाटी।

9. अध्याय के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर

प्रश्न 1: नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

(i) निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(क) हुगली के सहारे जूट के कारखाने सस्ती जल यातायात की सुविधा के कारण स्थापित हुए।
(ख) चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग है।
(ग) खनिज तेल एवं जलविद्युत शक्ति के विकास ने उद्योगों की अवस्थिति कारक के रूप में कोयला शक्ति के महत्व को कम किया है।
(घ) पत्तन नगरों ने भारत में उद्योगों को आकर्षित किया है।
उत्तर: (ख) - यह असत्य है क्योंकि चीनी उद्योग जैसे उद्योग कच्चे माल के स्रोत पर निर्भर होते हैं।

(ii) निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
(क) पूंजीवाद
(ख) मिश्रित
(ग) समाजवाद
(घ) कोई भी नहीं
उत्तर: (क) - पूंजीवादी देशों में अधिकतर उद्योग निजी क्षेत्र में होते हैं।

(iii) निम्न में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है?
(क) कुटीर उद्योग
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग
(ग) आधारभूत उद्योग
(घ) स्वच्छंद उद्योग
उत्तर: (ग) - आधारभूत उद्योग के उत्पाद अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का काम करते हैं।

(iv) निम्न में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है?
(क) स्वचालित वाहन उद्योग --- लॉस एंजिल्स
(ख) पोत निर्माण उद्योग --- लुसाका
(ग) वायुयान निर्माण उद्योग --- फ्लोरेंस
उत्तर: (क)

प्रश्न 2: निम्नलिखित पर लगभग 30 शब्दों में टिप्पणी लिखिए:

(i) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग

उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण की नवीनतम पीढ़ी है। इसमें गहन अनुसंधान एवं विकास (R&D) से उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण होता है। यहाँ 'सफेद कॉलर' (पेशेवर) श्रमिकों की संख्या अधिक होती है। ये उद्योग अक्सर सुनियोजित 'व्यवसाय पार्कों' में स्थित होते हैं, जिन्हें 'प्रौद्योगिक ध्रुव' कहते हैं।

(ii) विनिर्माण

विनिर्माण का अर्थ है कच्चे माल का रूप बदलकर उसे अधिक मूल्यवान तैयार उत्पादों में बदलना। यह प्रक्रिया हाथ से या मशीनों द्वारा हो सकती है और इसमें शक्ति का उपयोग, बड़े पैमाने पर उत्पादन और विशिष्ट श्रमिक शामिल होते हैं।

(iii) स्वच्छंद उद्योग

स्वच्छंद उद्योग किसी विशिष्ट कच्चे माल पर निर्भर नहीं होते और इन्हें कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। ये संघटक पुर्जों पर आधारित होते हैं, कम प्रदूषण करते हैं और इनकी अवस्थिति में सड़क नेटवर्क द्वारा पहुँच महत्वपूर्ण होती है।

प्रश्न 3: निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए:

(i) प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में क्या अंतर है?

प्राथमिक गतिविधियाँ सीधे पर्यावरण से प्राकृतिक संसाधनों को प्राप्त करने से संबंधित हैं, जैसे कृषि, खनन, और मत्स्यन। ये कच्चे माल का उत्पादन करती हैं। इसके विपरीत, द्वितीयक गतिविधियाँ इन कच्चे मालों को प्रसंस्करण और विनिर्माण द्वारा अधिक मूल्यवान तैयार माल में बदलती हैं। उदाहरण के लिए, खेत से कपास उगाना एक प्राथमिक गतिविधि है, जबकि उस कपास से कपड़ा बनाना एक द्वितीयक गतिविधि है। संक्षेप में, प्राथमिक गतिविधियाँ 'प्राप्त' करती हैं और द्वितीयक गतिविधियाँ 'निर्माण' करती हैं, जिससे संसाधनों में मूल्य वृद्धि होती है।

(ii) विश्व के विकसित देशों के उद्योगों के संदर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।

विकसित देशों में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियाँ जटिल प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता और बड़े पैमाने पर उत्पादन हैं। इनमें यंत्रीकरण और स्वचालन (Automation) का स्तर बहुत ऊँचा है, जिससे मानव श्रम पर निर्भरता कम हुई है। एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति 'उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों' का उदय है, जो गहन अनुसंधान और विकास (R&D) पर केंद्रित हैं। इन उद्योगों में 'सफेद कॉलर' श्रमिकों की संख्या अधिक होती है और ये प्रौद्योगिक ध्रुवों (Technology Poles) में केंद्रित होते हैं। इसके अलावा, गुणवत्ता नियंत्रण, अपशिष्ट निपटान और प्रदूषण नियंत्रण पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वैश्विक बाज़ार और कुशल परिवहन नेटवर्क ने इन प्रवृत्तियों को और बढ़ावा दिया है।

(iii) अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिए।

उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि (बाहरी) क्षेत्रों में कई कारणों से विकसित हो रहे हैं। पहला, इन क्षेत्रों में शहर के केंद्र की तुलना में भूमि सस्ती और आसानी से उपलब्ध होती है, जिससे आधुनिक, विशाल और साफ-सुथरे कार्यालय व प्रयोगशालाएँ बनाना संभव होता है। दूसरा, ये क्षेत्र प्रमुख राजमार्गों और हवाई अड्डों से अच्छी तरह जुड़े होते हैं, जो परिवहन और संचार के लिए आवश्यक है। तीसरा, महानगरों के पास स्थित होने के कारण इन्हें विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों से कुशल पेशेवर ('सफेद कॉलर' श्रमिक) आसानी से मिल जाते हैं। अंत में, सरकारें अक्सर इन परिधि क्षेत्रों में नियोजित 'व्यवसाय पार्क' या 'प्रौद्योगिक ध्रुव' स्थापित करती हैं, जो इन उद्योगों के लिए आवश्यक आधुनिक बुनियादी ढाँचा और सहायक वातावरण प्रदान करते हैं।

(iv) अफ्रीका में अपरिमित प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहुत पिछड़ा महाद्वीप है। समीक्षा कीजिए।

यह कथन सत्य है कि अफ्रीका प्राकृतिक संसाधनों, जैसे खनिज और वन संपदा, में अत्यंत धनी है। इसके बावजूद, यह औद्योगिक रूप से पिछड़ा हुआ है। इसका मुख्य कारण केवल कच्चे माल की उपलब्धता का औद्योगिक विकास के लिए पर्याप्त न होना है। औद्योगिक विकास के लिए अन्य कई कारकों की आवश्यकता होती है, जिनमें अफ्रीका में कमी है। इनमें शामिल हैं - विशाल पूंजी का अभाव, उन्नत प्रौद्योगिकी की कमी, कुशल श्रमिकों की अपर्याप्तता, और विकसित परिवहन व संचार नेटवर्क का अभाव। इसके अतिरिक्त, कई क्षेत्रों में राजनीतिक अस्थिरता, कमजोर सरकारी नीतियाँ और कम क्रय शक्ति वाले छोटे घरेलू बाज़ार भी औद्योगिक विकास में बाधक रहे हैं। इन कारकों के बिना, केवल प्राकृतिक संसाधनों का होना उद्योगों की स्थापना और सफलता की गारंटी नहीं देता।

पुनरावृत्ति के लिए संक्षिप्त सारांश (Quick Revision Summary)

  • द्वितीयक क्रियाएँ: प्राकृतिक संसाधनों का रूप बदलकर मूल्य बढ़ाना (विनिर्माण, प्रसंस्करण)।
  • विनिर्माण: कच्चे माल से तैयार माल बनाना।
  • उद्योगों की अवस्थिति कारक: बाज़ार, कच्चा माल, श्रम, शक्ति, परिवहन, सरकार, समूहन।
  • स्वच्छंद उद्योग: कच्चे माल पर निर्भर नहीं, कहीं भी स्थापना संभव।
  • उद्योगों का वर्गीकरण: आकार (कुटीर, छोटे, बड़े), कच्चा माल (कृषि, खनिज आदि), उत्पाद (आधारभूत, उपभोक्ता), स्वामित्व (सार्वजनिक, निजी, संयुक्त)।
  • उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग: R & D आधारित, नवीनतम पीढ़ी, पेशेवर श्रमिक, प्रौद्योगिक ध्रुवों में स्थित।

आशा है कि ये नोट्स आपको अध्याय को समझने और परीक्षा की तैयारी करने में बहुत सहायक होंगे। शुभकामनाएँ!

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