Class 12 Geography Chapter 4 Notes: प्राथमिक क्रियाएँ (Primary Activities) - Full Chapter Explanation

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Class 12 Geography Chapter 4 Notes: प्राथमिक क्रियाएँ (Primary Activities) - Full Chapter Explanation

अध्याय 4: प्राथमिक क्रियाएँ (Primary Activities)

परिचय (Introduction)

मानव जो कार्य करके आय प्राप्त करता है, उसे आर्थिक क्रिया (Economic Activity) कहते हैं। इन आर्थिक क्रियाओं को मुख्य रूप से चार वर्गों में बाँटा जाता है: प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक क्रियाएँ।

प्राथमिक क्रियाएँ (Primary Activities):

  • ये वे क्रियाएँ हैं जो प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर होती हैं।
  • इनमें पृथ्वी के संसाधनों, जैसे - भूमि, जल, वनस्पति, भवन निर्माण सामग्री और खनिजों का उपयोग किया जाता है।
  • प्राथमिक क्रियाओं में आखेट (Hunting), भोजन संग्रह (Food Gathering), पशुचारण (Pastoralism), मछली पकड़ना (Fishing), वनों से लकड़ी काटना (Lumbering), कृषि (Agriculture) और खनन (Mining) शामिल हैं।

प्राथमिक क्रियाएँ करने वाले लोग: 'लाल कॉलर श्रमिक' (Red Collar Workers)

जो लोग प्राथमिक कार्यकलाप करते हैं, उनका कार्य क्षेत्र अक्सर घर से बाहर होता है। इसलिए, इन्हें 'लाल कॉलर श्रमिक' (Red Collar Workers) कहा जाता है।

1. आखेट (Hunting) एवं भोजन संग्रह (Food Gathering)

ये प्राचीनतम ज्ञात आर्थिक क्रियाएँ हैं। मानव सभ्यता के शुरुआती युग में, आदिमकालीन मानव अपने जीवन निर्वाह के लिए अपने आस-पास के पर्यावरण पर निर्भर रहता था। उसका जीवन निर्वाह दो मुख्य तरीकों से होता था:

  1. पशुओं का आखेट करके, और
  2. आस-पास के जंगलों से खाने योग्य जंगली पौधे और कंद-मूल आदि एकत्रित करके।

इस कार्य के लिए बहुत कम पूँजी और निम्न स्तरीय तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसमें भोजन अधिशेष (food surplus) नहीं रहता है और प्रति व्यक्ति उत्पादकता कम होती है।

भोजन संग्रह के क्षेत्र (Areas of Food Gathering)

भोजन संग्रह विश्व के दो मुख्य भागों में किया जाता है:

  • उच्च अक्षांश के क्षेत्र (High Latitude Areas): इसमें उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया और दक्षिणी चिली आते हैं।
  • निम्न अक्षांश के क्षेत्र (Low Latitude Areas): इसमें अमेज़न बेसिन, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी पूर्वी एशिया का आंतरिक प्रदेश आता है।

आधुनिक समय में भोजन संग्रह (Food Gathering in Modern Times)

आधुनिक समय में भोजन संग्रह का कुछ भागों में व्यापारीकरण भी हो गया है। ये लोग कीमती पौधों की पत्तियों, छाल और औषधीय पौधों को संशोधित कर बाजार में बेचते हैं। उदाहरण के लिए:

  • छाल: कुनैन, चमड़ा तैयार करना और कार्क के लिए।
  • पत्तियाँ: पेय पदार्थ, दवाइयाँ और कांतिवर्धक वस्तुएँ बनाने के लिए।
  • रेशे: कपड़ा बनाने के लिए।
  • पेड़ के तने का दूध: रबड़, बलाटा, गोंद व राल बनाने के लिए।

क्या आप जानते हैं? (Did You Know?)

च्युइंग गम चूसने के बाद बचे भाग को चिकल (Chicle) कहते हैं। यह जेपोटा वृक्ष (Zapota Tree) के दूध से बनता है।

2. पशुचारण (Pastoralism)

जब आखेट पर निर्भर रहने वाले समूह ने महसूस किया कि केवल आखेट से जीवन का भरण-पोषण नहीं किया जा सकता, तब मानव ने पशुपालन व्यवसाय के विषय में सोचा। भौगोलिक कारकों एवं तकनीकी विकास के आधार पर पशुपालन व्यवसाय निर्वाह (Subsistence) अथवा व्यापारिक (Commercial) स्तर पर किया जाता है।

(क) चलवासी पशुचारण (Nomadic Herding)

यह एक प्राचीन जीवन-निर्वाह व्यवसाय है। इसमें पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार एवं यातायात के लिए पशुओं पर ही निर्भर रहता है। वे अपने पालतू पशुओं के साथ पानी एवं चरागाह की उपलब्धता के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होते रहते थे।

ऋतुप्रवास (Transhumance)

नए चरागाहों की खोज में ये पशुचारक समतल भागों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में लंबी दूरियाँ तय करते हैं। गर्मियों में मैदानी भाग से पर्वतीय चरागाह की ओर, और शीत ऋतु में पर्वतीय भाग से मैदानी चरागाहों की ओर प्रवास करते हैं। उनकी इस गतिविधि को ऋतुप्रवास (Transhumance) कहा जाता है।

भारत में हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में गुज्जर, बकरवाल, गद्दी एवं भूटिया लोगों के समूह ऐसा करते हैं।

चलवासी पशुचारण का घटना (Decline of Nomadic Herding)

चलवासी पशुचारकों की संख्या अब घट रही है। इसके दो मुख्य कारण हैं: (क) राजनीतिक सीमाओं का अधिरोपण और (ख) कई देशों द्वारा नई बस्तियों की योजना बनाना

(ख) वाणिज्य पशुधन पालन (Commercial Livestock Rearing)

यह चलवासी पशुचारण की अपेक्षा अधिक व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान (Capital Intensive) है। यह पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित है और फार्म स्थायी (Permanent) होते हैं।

विशेषताएँ (Characteristics)

  • यह एक विशिष्ट गतिविधि (Specialized Activity) है, जिसमें केवल एक ही प्रकार के पशु पाले जाते हैं
  • प्रमुख पशुओं में भेड़, बकरी, गाय-बैल एवं घोड़े हैं।
  • इनसे प्राप्त मांस, खालें एवं ऊन को वैज्ञानिक ढंग से संसाधित कर विश्व के बाजारों में निर्यात किया जाता है।
  • मुख्य ध्यान पशुओं के प्रजनन (Breeding), जननिक सुधार (Genetic Improvement) और बीमारियों पर नियंत्रण पर दिया जाता है।
  • प्रमुख क्षेत्र: न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, उरुग्वे एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।

3. कृषि (Agriculture)

विश्व में पाई जाने वाली विभिन्न भौतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दशाएँ कृषि कार्य को प्रभावित करती हैं, और इसी प्रभाव के कारण विभिन्न कृषि प्रणालियाँ (Agricultural Systems) देखी जाती हैं।

(क) निर्वाह कृषि (Subsistence Agriculture)

(i) आदिकालीन निर्वाह कृषि / स्थानांतरणशील कृषि (Shifting Cultivation)

यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आदिम जाति के लोगों द्वारा की जाती है। इन क्षेत्रों की वनस्पति को जला दिया जाता है, और राख उर्वरक का कार्य करती है। इसलिए इसे कर्तन एवं दहन कृषि (Slash-and-Burn Agriculture) भी कहते हैं। कुछ समय बाद जब मिट्टी का उपजाऊपन समाप्त हो जाता है, तो कृषक नए क्षेत्र में चले जाते हैं।

स्थानांतरणशील कृषि के स्थानीय नाम

  • झूमिंग (Jhuming): भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में
  • मिल्पा (Milpa): मध्य अमेरिका एवं मैक्सिको में
  • लादांग (Ladang): मलेशिया व इंडोनेशिया में

(ii) गहन निर्वाह कृषि (Intensive Subsistence Agriculture)

यह कृषि मानसून एशिया के घने बसे देशों में की जाती है। इसके दो प्रकार हैं:

  • चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि: इसमें चावल प्रमुख फसल है। खेतों का आकार छोटा होता है, और मानव श्रम का अधिक महत्व है। प्रति इकाई उत्पादन अधिक होता है, परंतु प्रति कृषक उत्पादन कम होता है।
  • चावल रहित गहन निर्वाह कृषि: जहाँ धान उगाना संभव नहीं, वहाँ गेहूँ, सोयाबीन, जौ, ज्वार-बाजरा उगाया जाता है। इसमें सिंचाई की जाती है।

(ख) रोपण कृषि (Plantation Agriculture)

इसकी शुरुआत यूरोपीय उपनिवेश समूहों द्वारा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में की गई। यह एक वृहत् स्तरीय लाभोन्मुख उत्पादन प्रणाली है।

प्रमुख विशेषताएँ (Main Characteristics)

  • कृषि क्षेत्र का आकार बहुत विस्तृत (Extensive) होता है।
  • अधिक पूँजी निवेश (High Capital Investment), उच्च प्रबंध एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग होता है।
  • यह एक एक फसली कृषि (Monoculture) है (जैसे चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना)।
  • सस्ते श्रमिक और विकसित यातायात की आवश्यकता होती है।

फेज़ेंडा (Fazenda)

ब्राजील में अभी भी कुछ कॉफी के बागान यूरोपीयवासियों के नियंत्रण में हैं, जिन्हें फेज़ेंडा (Fazenda) कहा जाता है।

(ग) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि (Extensive Commercial Grain Agriculture)

यह मध्य अक्षांशों के आंतरिक अर्ध शुष्क प्रदेशों में की जाती है। इसकी मुख्य फसल गेहूँ है।

विशेषताएँ (Characteristics)

  • खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है।
  • खेत जोतने से फसल काटने तक सभी कार्य यंत्रों (Machines) द्वारा संपन्न किए जाते हैं।
  • प्रति एकड़ उत्पादन कम होता है परंतु प्रति व्यक्ति उत्पादन अधिक होता है।

क्षेत्र (Areas)

यूरेशिया के स्टेपीज (Steppes), उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज़ (Prairies), अर्जेंटीना के पम्पास (Pampas), दक्षिणी अफ्रीका के वेल्ड्स (Velds), ऑस्ट्रेलिया के डाउन्स (Downs) एवं न्यूजीलैंड के कैंटरबरी (Canterbury) के मैदान।

(घ) मिश्रित कृषि (Mixed Farming)

यह विश्व के अत्यधिक विकसित भागों में की जाती है। इसमें फसल उत्पादन एवं पशुपालन दोनों को समान महत्व दिया जाता है। चारे की फसलें इसका मुख्य घटक हैं। शस्यवर्त्तन (Crop Rotation) से मृदा की उर्वरता बनी रहती है।

(ङ) डेयरी कृषि (Dairy Farming)

यह दुधारू पशुओं के पालन-पोषण का सर्वाधिक उन्नत एवं दक्ष प्रकार है। इसमें पूँजी की अधिक आवश्यकता होती है और यह गहन श्रम वाली क्रिया है। यह प्रायः नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों के समीप की जाती है क्योंकि वहाँ उत्पादों का अच्छा बाजार होता है।

(च) भूमध्यसागरीय कृषि (Mediterranean Agriculture)

यह एक अति विशिष्ट प्रकार की कृषि है। यह क्षेत्र खट्टे फलों (Citrus Fruits) की आपूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। अंगूर की कृषि (Grape Cultivation) इस क्षेत्र की विशेषता है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली मदिरा (Wine), मुनक्का और किशमिश बनाई जाती है।

(छ) बाजार के लिए सब्जी खेती एवं उद्यान कृषि (Market Gardening and Horticulture)

इसमें अधिक मुद्रा मिलने वाली फसलें जैसे सब्जियाँ, फल एवं पुष्प उगाए जाते हैं, जिनकी माँग नगरीय क्षेत्रों में होती है। इसे "ट्रक कृषि" (Truck Farming) भी कहा जाता है क्योंकि ट्रक द्वारा एक रात में तय की जाने वाली दूरी के आधार पर फार्म और बाजार जुड़े होते हैं।

(ज) कारखाना कृषि (Factory Farming)

इसमें पशुधन (गाय-बैल, कुक्कुट) को बाड़े पर कारखानों में तैयार भोजन पर पाला जाता है। इसमें बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है।

कृषि संगठन के आधार पर कृषि के प्रकार

(क) सहकारी कृषि (Cooperative Farming)

जब कृषकों का एक समूह अधिक लाभ कमाने के लिए स्वेच्छा से एक सहकारी संस्था बनाकर कृषि कार्य करता है, उसे सहकारी कृषि कहते हैं। इसमें व्यक्तिगत फार्म बने रहते हैं। यह आंदोलन डेनमार्क में सर्वाधिक सफल रहा।

(ख) सामूहिक कृषि (Collective Farming)

इसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व संपूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम पर आधारित होता है। यह पूर्व सोवियत संघ में प्रारंभ हुई थी, जहाँ इसे कोलखोज (Kolkhoz) कहा जाता था।

4. खनन (Mining)

इसका वास्तविक विकास औद्योगिक क्रांति के पश्चात हुआ। खनन कार्य की लाभप्रदता दो कारकों पर निर्भर करती है: (i) भौतिक कारक (खनिज निक्षेपों का आकार, श्रेणी) और (ii) आर्थिक कारक (माँग, तकनीक, पूँजी, यातायात)।

खनन की विधियाँ (Mining Methods)

  1. धरातलीय खनन (Surface Mining / Open-Cast Mining): यह खनिजों के खनन का सबसे सस्ता तरीका है क्योंकि खनिज सतह के निकट होते हैं।
  2. भूमिगत खनन (Underground Mining / Shaft Mining): जब अयस्क गहराई में होता है, तब लंबवत् कूपक (shafts) बनाकर खनन किया जाता है। यह तरीका अधिक जोखिम भरा होता है।

अध्याय के अभ्यास प्रश्न (Exercise Questions)

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

  1. निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
    • (क) कॉफी
    • (ख) गन्ना
    • (ग) गेहूँ
    • (घ) रबड़
  2. निम्न देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?
    • (क) रूस
    • (ख) डेनमार्क
    • (ग) भारत
    • (घ) नीदरलैंड
  3. फूलों की कृषि कहलाती है-
    • (क) ट्रक फार्मिंग
    • (ख) कारखाना कृषि
    • (ग) मिश्रित कृषि
    • (घ) पुष्पोत्पादन (Floriculture)
  4. निम्न में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया?
    • (क) कोलखोज़
    • (ख) अंगूरोत्पादन
    • (ग) मिश्रित कृषि
    • (घ) रोपण कृषि
  5. निम्न प्रदेशों में से किसमें विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की जाती है?
    • (क) अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
    • (ख) अर्जेंटीना के पंपास क्षेत्र
    • (ग) यूरोपीय स्टेपीज़ क्षेत्र
    • (घ) अमेज़न बेसिन
  6. निम्न में से किस प्रकार की कृषि में खट्टे रसदार फलों की कृषि की जाती है?
    • (क) बाज़ारीय सब्जी कृषि
    • (ख) भूमध्यसागरीय कृषि
    • (ग) रोपण कृषि
    • (घ) सहकारी कृषि
  7. निम्न कृषि के प्रकारों में से कौन-सा प्रकार करतन-दहन कृषि का प्रकार है?
    • (क) विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
    • (ख) आदिकालीन निर्वाह कृषि
    • (ग) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
    • (घ) मिश्रित कृषि
  8. निम्न में से कौन-सी एकल कृषि (Monoculture) नहीं है?
    • (क) डेयरी कृषि
    • (ख) मिश्रित कृषि
    • (ग) रोपण कृषि
    • (घ) वाणिज्य अनाज कृषि

2. निम्न प्रश्नों का 30 शब्दों में उत्तर दीजिए:

(i) स्थानांतरण कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए।

स्थानांतरण कृषि में बार-बार वनस्पति जलाकर खेत तैयार करने से भूमि की उर्वरता कम हो जाती है, जिससे झूम का चक्र छोटा होता जाता है। साथ ही, राजनीतिक सीमाओं के निर्धारण और नई बस्तियों की योजनाएं इस परम्परागत कृषि पद्धति के लिए उपलब्ध क्षेत्र को कम कर रही हैं। इन कारणों से स्थानांतरण कृषि का भविष्य अच्छा नहीं दिख रहा है।

(ii) बाज़ारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है?

बाज़ारीय सब्जी कृषि में उगाई जाने वाली सब्जियाँ, फल और फूल शीघ्र खराब होने वाले उत्पाद होते हैं। नगरीय क्षेत्र इन उत्पादों के लिए बड़ा और उच्च आय वाला बाजार उपलब्ध कराते हैं। इसलिए, ताजे उत्पादों को जल्दी से बाजार तक पहुँचाने के लिए अच्छी परिवहन सुविधा वाले नगरीय क्षेत्रों के समीप ही यह कृषि की जाती है।

(iii) विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों के विकास के बाद ही क्यों संभव हो सका है?

दूध और डेयरी उत्पाद शीघ्र खराब हो जाते हैं। विस्तृत पैमाने पर उत्पादन के लिए बड़े बाजारों तक पहुँच आवश्यक है। यातायात के विकसित साधनों और प्रशीतकों (रेफ्रिजरेटरों) व पाश्चुरीकरण जैसी तकनीकों ने दूध और उत्पादों को अधिक समय तक ताजा रखना और उन्हें दूर के बाजारों तक पहुँचाना संभव बनाया है, जिससे डेयरी कृषि का बड़े पैमाने पर विकास हुआ है।

3. निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए:

(i) चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अंतर कीजिए।

चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन दोनों ही पशुपालन के प्रकार हैं, लेकिन इनमें महत्वपूर्ण अंतर हैं:

विशेषता चलवासी पशुचारण वाणिज्य पशुधन पालन
उद्देश्य जीवन निर्वाह लाभ कमाना (व्यापार)
प्रकृति प्राचीन, परंपरागत आधुनिक, व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान
गतिशीलता पशुचारक पानी और चरागाह की खोज में स्थानांतरित होते हैं। स्थायी फार्म या रेंच होते हैं।
पशुओं के प्रकार एक या अधिक प्रकार के पशु पाले जाते हैं। विशिष्ट गतिविधि, आमतौर पर एक ही प्रकार के पशु पाले जाते हैं।
उत्पाद का उपयोग पशुचारक की अपनी आवश्यकताओं (भोजन, वस्त्र आदि) के लिए। मांस, खालें, ऊन आदि को वैज्ञानिक ढंग से संसाधित कर निर्यात किया जाता है।
तकनीक/प्रबंध निम्न स्तरीय तकनीक, कम पूँजी। उच्च प्रबंध, तकनीकी आधार, वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग।

मुख्य रूप से चलवासी पशुचारण निर्वाह पर आधारित एक परम्परागत पद्धति है जबकि वाणिज्य पशुधन पालन बाजार के लिए किया जाने वाला एक पूँजी प्रधान और वैज्ञानिक व्यवसाय है।

(ii) रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बताइये एवं भिन्न-भिन्न देशों में उगायी जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बताइये।

रोपण कृषि एक विशेष प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है जिसे यूरोपीय उपनिवेश समूहों ने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विकसित किया था। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. वृहत् स्तरीय लाभोन्मुख प्रणाली: इसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है।
  2. विस्तृत कृषि क्षेत्र: बागानों का आकार बहुत बड़ा होता है।
  3. अधिक पूँजी निवेश: स्थापना और संचालन के लिए भारी पूँजी की आवश्यकता होती है।
  4. उच्च प्रबंध और तकनीकी आधार: कुशल प्रबंधकों, तकनीकी ज्ञान और वैज्ञानिक विधियों का उपयोग होता है।
  5. एक फसली कृषि (Monoculture): एक बागान में केवल एक ही फसल उगाई जाती है।
  6. सस्ते श्रमिक: कार्य करने के लिए सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता आवश्यक है।
  7. विकसित यातायात व्यवस्था: उत्पादों को बाजारों तक पहुँचाने के लिए कुशल परिवहन प्रणाली महत्वपूर्ण है।

भिन्न-भिन्न देशों में उगायी जाने वाली प्रमुख रोपण फसलें:

  • चाय (Tea): भारत, श्रीलंका
  • कॉफी (Coffee): पश्चिमी अफ्रीका, ब्राजील
  • रबड़ (Rubber): मलेशिया
  • गन्ना (Sugarcane): पश्चिमी द्वीप समूह, फिलीपींस
  • केले (Bananas): पश्चिमी द्वीप समूह

पुनरावृत्ति के लिए संक्षिप्त सारांश (Brief Summary for Revision)

इस अध्याय में हमने प्राथमिक क्रियाओं के बारे में जाना, जो सीधे पर्यावरण पर निर्भर करती हैं। ये कार्य करने वाले लोग 'लाल कॉलर श्रमिक' कहलाते हैं।

  1. आखेट एवं भोजन संग्रह: सबसे पुरानी क्रियाएँ, कम पूँजी और तकनीक, कठोर जलवायु में होती हैं।
  2. पशुचारण:
    • चलवासी पशुचारण: प्राचीन निर्वाह व्यवसाय, पानी/चरागाह की खोज में घूमना (ऋतुप्रवास)।
    • वाणिज्य पशुधन पालन: व्यवस्थित, पूँजी प्रधान, स्थायी फार्म पर वैज्ञानिक प्रबंधन से निर्यात के लिए उत्पादन।
  3. कृषि:
    • निर्वाह कृषि: स्थानीय उपभोग हेतु (आदिकालीन/कर्तन-दहन और गहन कृषि)।
    • रोपण कृषि: यूरोपीय उपनिवेशकों द्वारा शुरू, बड़े पैमाने पर, एकल फसल, पूँजी प्रधान (चाय, कॉफी)।
    • विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि: मध्य अक्षांशों में मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर अनाज (गेहूँ) की खेती।
    • मिश्रित कृषि: फसल उत्पादन + पशुपालन।
    • डेयरी कृषि: उन्नत दुधारू पशुपालन, नगरीय बाजारों के निकट।
    • भूमध्यसागरीय कृषि: खट्टे फलों और अंगूर की खेती में विशिष्ट।
    • बाजार के लिए सब्जी खेती (ट्रक कृषि): नगरीय बाजारों हेतु फल, फूल, सब्जी उगाना।
    • सहकारी/सामूहिक कृषि: संगठन के आधार पर प्रकार।
  4. खनन: औद्योगिक क्रांति के बाद महत्व बढ़ा। दो विधियाँ - धरातलीय (सस्ती) और भूमिगत (जोखिम भरी)

यह सारांश आपको परीक्षा से पहले अध्याय के मुख्य बिंदुओं को शीघ्रता से दोहराने में मदद करेगा।

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