अध्याय 3: मानव विकास
यह अध्याय 'मानव विकास' की अवधारणा पर केंद्रित है, यह समझाते हुए कि यह 'वृद्धि' से कैसे अलग है और इसके महत्वपूर्ण पहलुओं, मापन और दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालता है।
1. वृद्धि और विकास में अंतर
वृद्धि (Growth)
वृद्धि समय के साथ होने वाले परिवर्तन को दर्शाती है। यह मात्रात्मक (quantitative) होती है, जिसका अर्थ है कि इसे मापा जा सकता है। वृद्धि मूल्य-निरपेक्ष (value-neutral) होती है, जिसका मतलब है कि यह सकारात्मक (+) या नकारात्मक (-) दोनों हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी शहर की जनसंख्या एक लाख से बढ़कर दो लाख हो जाती है, तो हम कहेंगे कि शहर में जनसंख्या की वृद्धि हुई है। किसी शहर का आकार सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण घट भी सकता है, जो नकारात्मक वृद्धि का एक उदाहरण है।
विकास (Development)
विकास भी समय के साथ होने वाले परिवर्तन को दर्शाता है, लेकिन यह गुणात्मक (qualitative) होता है। विकास मूल्य-सापेक्ष (value-based) होता है। इसका अर्थ है कि विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक वर्तमान दशाओं में वृद्धि न हो। विकास तब होता है जब सकारात्मक वृद्धि होती है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सकारात्मक वृद्धि से हमेशा विकास नहीं होता। विकास केवल तभी होता है जब गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन होता है। उसी शहर के जनसंख्या वृद्धि वाले उदाहरण में, यदि जनसंख्या बढ़कर दो लाख हो जाती है लेकिन आवास, बुनियादी सेवाओं और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था पहले जैसी ही रहती है, तो यह वृद्धि विकास से नहीं जुड़ी है। विकास तब होगा जब जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ इन सुविधाओं और गुणवत्ता में भी सुधार हो।
मुख्य अंतर
वृद्धि मात्रा बताती है, जबकि विकास गुणवत्ता बताता है। वृद्धि सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है, जबकि विकास हमेशा गुणवत्ता में सकारात्मक बदलाव से जुड़ा होता है।
गतिविधि का उदाहरण (समझने हेतु)
- विकासहीन वृद्धि: एक फैक्ट्री का उत्पादन बढ़ रहा है (आर्थिक वृद्धि), लेकिन मजदूरों की काम करने की स्थिति खराब है, उन्हें पर्याप्त मजदूरी नहीं मिल रही और आसपास प्रदूषण बढ़ रहा है। यह वृद्धि तो है, पर इसमें मानव या पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार नहीं है, इसलिए यह विकासहीन वृद्धि है।
- विकासयुक्त वृद्धि: फैक्ट्री का उत्पादन बढ़ रहा है, साथ ही मजदूरों को बेहतर सुविधाएँ मिल रही हैं, उनकी मजदूरी बढ़ रही है और फैक्ट्री प्रदूषण कम करने के उपाय कर रही है। यह वृद्धि विकासयुक्त है क्योंकि यह मानव जीवन और पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार ला रही है।
2. मानव विकास की संकल्पना
अनेक दशकों तक, किसी देश के विकास का स्तर केवल उसकी आर्थिक वृद्धि (अर्थव्यवस्था के आकार) से मापा जाता था। लेकिन अक्सर यह आर्थिक वृद्धि अधिकांश लोगों के जीवन में कोई बदलाव नहीं लाती थी। मानव विकास की नई सोच 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में स्पष्ट हुई।
डॉ. महबूब उल हक और प्रोफेसर अमर्त्य सेन का योगदान
- डॉ. महबूब उल हक (पाकिस्तान): इन्होंने मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन किया।
"मानव विकास एक ऐसा विकास है जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन में सुधार लाता है।"
इस अवधारणा का केंद्र बिंदु मनुष्य है। डॉ. हक ने 1990 में मानव विकास सूचकांक (Human Development Index - HDI) निर्मित किया। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) 1990 से प्रतिवर्ष मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए उनकी संकल्पना का उपयोग कर रहा है। - प्रोफेसर अमर्त्य सेन (भारत): नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने विकास का मुख्य ध्येय स्वतंत्रता में वृद्धि (या परतंत्रता में कमी) के रूप में देखा। वे मानते हैं कि स्वतंत्रता में वृद्धि भी विकास लाने का सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम है।
सार्थक जीवन (Meaningful Life) क्या है?
एक सार्थक जीवन केवल लंबा जीवन नहीं होता। जीवन का कोई उद्देश्य होना भी आवश्यक है। इसका अर्थ है कि लोग स्वस्थ हों, अपने विवेक और बुद्धि का विकास कर सकें, समाज में प्रतिभागिता करें और अपने उद्देश्यों को पूरा करने में स्वतंत्र हों।
गतिविधि का उदाहरण: 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम
भारत सरकार का यह कार्यक्रम घटते बाल लिंगानुपात को संबोधित करता है। यह लड़कियों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करके उनके विकल्पों को बढ़ाता है, जिससे वे समाज में अधिक भागीदारी कर सकती हैं और एक सार्थक जीवन जी सकती हैं।
3. मानव विकास के प्रमुख पहलू/स्तंभ
मानव विकास की अवधारणा चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है। ये स्तंभ हैं:
- (क) समता (Equity): इसका अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय और जाति के भेदभाव के बिना समान होने चाहिए। उदाहरण: भारत में, महिलाएँ और सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के व्यक्ति बड़ी संख्या में स्कूल छोड़ देते हैं। यह दर्शाता है कि शिक्षा तक पहुँच न होना किस प्रकार इन वर्गों के विकल्पों को सीमित करता है।
- (ख) सतत पोषणीयता (Sustainability): इसका अर्थ है अवसरों की उपलब्धता में निरंतरता, ताकि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिलें। सभी पर्यावरणीय, वित्तीय और मानव संसाधनों का उपयोग भविष्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए। उदाहरण: यदि कोई समुदाय अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने के महत्व पर जोर नहीं देता, तो युवा होने पर इन महिलाओं के लिए अनेक अवसर समाप्त हो जाएँगे।
- (ग) उत्पादकता (Productivity): यहाँ उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता है। लोगों में क्षमताओं का निर्माण करके ऐसी उत्पादकता में निरंतर वृद्धि की जानी चाहिए। जन-समुदाय ही राष्ट्रों के वास्तविक धन होते हैं।
- (घ) सशक्तिकरण (Empowerment): इसका अर्थ है अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना। ऐसी शक्ति बढ़ती हुई स्वतंत्रता और क्षमता से आती है। लोगों को सशक्त करने के लिए सुशासन और लोक-उन्मुखी नीतियों की आवश्यकता होती है।
मानव विकास का केंद्र बिंदु
मानव विकास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू हैं: लंबा और स्वस्थ जीवन जीना, ज्ञान प्राप्त कर पाना और एक शिष्ट जीवन जीने के पर्याप्त साधनों का होना। अतः संसाधनों तक पहुँच, स्वास्थ्य और शिक्षा मानव विकास के केंद्र बिंदु हैं।
4. मानव विकास का मापन
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) मानव विकास को मापने के लिए मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण सूचकांकों का उपयोग करता है:
(क) मानव विकास सूचकांक (Human Development Index - HDI)
यह स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रदर्शन के आधार पर देशों का क्रम तैयार करता है। यह क्रम 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है। स्कोर 1 के जितना निकट होता है, मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है।
- स्वास्थ्य: जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy at Birth)।
- शिक्षा: प्रौढ़ साक्षरता दर (Adult Literacy Rate) और सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio)।
- संसाधनों तक पहुँच: क्रय शक्ति (Purchasing Power) (अमेरिकी डॉलर में)।
इन तीनों आयामों (स्वास्थ्य, शिक्षा, संसाधनों तक पहुँच) में से प्रत्येक को \( \frac{1}{3} \) भारिता (weightage) दी जाती है। मानव विकास सूचकांक इन सभी आयामों को दिए गए भारों का कुल योग होता है।
HDI की सीमा: HDI मानव विकास में उपलब्धियों का मापन करता है। हालाँकि, यह वितरण के संबंध में मौन है, इसलिए यह सर्वाधिक विश्वसनीय माप नहीं है।
(ख) मानव गरीबी सूचकांक (Human Poverty Index - HPI)
यह मानव विकास सूचकांक से संबंधित है और मानव विकास में कमी मापता है। यह एक बिना आय वाला माप है। यह निम्नलिखित को शामिल करता है:
- 40 वर्ष की आयु तक जीवित न रह पाने की संभाव्यता।
- प्रौढ़ निरक्षरता दर।
- स्वच्छ जल तक पहुँच न रखने वाले लोगों की संख्या।
- अल्पभार वाले छोटे बच्चों की संख्या।
भूटान का सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH)
भूटान विश्व का अकेला देश है जिसने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (Gross National Happiness - GNH) को देश की प्रगति का आधिकारिक माप घोषित किया है। इसका सीधा अर्थ है कि प्रसन्नता की कीमत पर भौतिक प्रगति नहीं की जा सकती। GNH हमें विकास के आध्यात्मिक, भौतिकता और गुणात्मक पहलुओं को सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है।
5. मानव विकास के दृष्टिकोण (Approaches)
- आय दृष्टिकोण (Income Approach): यह सबसे पुराना दृष्टिकोण है, जो मानव विकास को आय के स्तर से जोड़ता है।
- कल्याण दृष्टिकोण (Welfare Approach): यह मानव को लाभार्थी या विकासात्मक गतिविधियों का लक्ष्य मानता है। लोग इसमें निष्क्रिय प्राप्तकर्ता होते हैं।
- आधारभूत आवश्यकता दृष्टिकोण (Basic Needs Approach): इसे ILO ने प्रस्तावित किया। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जल, स्वच्छता और आवास जैसी 6 न्यूनतम आवश्यकताओं पर जोर दिया गया है।
- क्षमता दृष्टिकोण (Capability Approach): इसका संबंध प्रोफेसर अमर्त्य सेन से है। यह मानव क्षमताओं के निर्माण को मानव विकास की कुंजी मानता है।
6. अंतर्राष्ट्रीय तुलनाएँ
मानव विकास की अंतर्राष्ट्रीय तुलनाएँ कुछ अत्यंत रोचक परिणाम दर्शाती हैं। प्रायः, प्रदेश के आकार और प्रति व्यक्ति आय का मानव विकास से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता है। अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्थाएँ होते हुए भी श्रीलंका, त्रिनिडाड और टोबैगो का मानव विकास सूचकांक भारत से ऊँचा है।
HDI स्कोर के आधार पर देशों का वर्गीकरण (2023-24)
स्तर | HDI स्कोर | देशों की संख्या | विशेषताएँ |
---|---|---|---|
अति उच्च | 0.800 से ऊपर | 69 | सामाजिक क्षेत्र में बहुत अधिक निवेश, सुशासन। |
उच्च | 0.700 - 0.799 | 49 | शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर। |
मध्यम | 0.550 - 0.699 | 42 | यह वर्ग विशालतम है, लोक-उन्मुखी नीतियां अपना रहे हैं। |
निम्न | 0.550 से नीचे | 33 | राजनीतिक उपद्रव, गृहयुद्ध, अकाल, बीमारियां। |
भ्रामक कथन से बचें!
अक्सर लोग मानव विकास के निम्न स्तरों के लिए लोगों की संस्कृति (जैसे धर्म या समुदाय) को दोष देते हैं। यह कथन भ्रामक है। सही कारण सरकारी व्यय (सामाजिक क्षेत्र बनाम प्रतिरक्षा), राजनीतिक माहौल, स्वतंत्रता और संसाधन वितरण जैसे कारकों में निहित हैं।
7. अध्याय के अभ्यास प्रश्नोत्तर
(क) आकार में वृद्धि (ख) गुण में धनात्मक परिवर्तन (ग) आकार में स्थिरता (घ) गुण में साधारण परिवर्तन
व्याख्या: विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन है जो मूल्य सापेक्ष होता है। विकास तब होता है जब गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन होता है।
(क) प्रो. अमर्त्य सेन (ख) डॉ. महबूब-उल-हक (ग) एलेन सी. सेम्पुल (घ) रैटजेल
व्याख्या: स्रोत स्पष्ट रूप से बताता है कि मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन डॉ. महबूब-उल-हक द्वारा किया गया था।
- समता (Equity): इसका तात्पर्य है कि हर व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों तक समान पहुँच प्राप्त हो, बिना किसी लिंग, जाति, आय या प्रजाति के भेदभाव के। जब समाज के कुछ वर्गों को अवसरों से वंचित रखा जाता है, तो यह समता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
- सतत पोषणीयता (Sustainability): इसका अर्थ है कि अवसरों की उपलब्धता भविष्य में भी बनी रहे। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वर्तमान पीढ़ी संसाधनों का इस तरह उपयोग करे कि भावी पीढ़ियों के लिए भी अवसर कम न हों। इसमें पर्यावरणीय, वित्तीय और मानव पूंजी का विवेकपूर्ण उपयोग शामिल है।
8. अध्याय पर आधारित नए अभ्यास प्रश्न
- "सकारात्मक वृद्धि से हमेशा विकास नहीं होता।" उदाहरण सहित इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- मानव विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों का वर्णन कीजिए और बताइए कि प्रो. अमर्त्य सेन का दृष्टिकोण दूसरों से कैसे भिन्न है।
- मानव विकास के चार स्तंभों का आपस में क्या संबंध है? उदाहरण सहित समझाइए।
- मानव विकास सूचकांक (HDI) की गणना कैसे की जाती है और इसकी प्रमुख सीमा क्या है?
- मानव गरीबी सूचकांक (HPI) और मानव विकास सूचकांक (HDI) में क्या अंतर है?
- अंतर्राष्ट्रीय तुलनाएँ दिखाती हैं कि बड़े और अमीर देश हमेशा मानव विकास में आगे नहीं होते। इसके संभावित कारण क्या हैं?
- डॉ. महबूब उल हक द्वारा दी गई मानव विकास की परिभाषा को स्पष्ट कीजिए।
- भूटान द्वारा सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) को प्रगति का माप घोषित करने का क्या महत्व है?
9. अध्याय का संक्षिप्त सारांश (पुनरावृत्ति हेतु)
- वृद्धि (Growth) मात्रात्मक और मूल्य-निरपेक्ष है, जबकि विकास (Development) गुणात्मक और मूल्य-सापेक्ष सकारात्मक परिवर्तन है।
- मानव विकास की अवधारणा डॉ. महबूब उल हक ने दी। इसका उद्देश्य लोगों के विकल्पों में वृद्धि और सार्थक जीवन है।
- तीन मूलभूत क्षेत्र: स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच।
- चार स्तंभ: समता, सतत पोषणीयता, उत्पादकता और सशक्तिकरण।
- मापन: मानव विकास सूचकांक (HDI) और मानव गरीबी सूचकांक (HPI)।
- HDI स्वास्थ्य, शिक्षा और पहुँच मापता है (0 से 1)। HPI मानव विकास में कमी मापता है।
- चार दृष्टिकोण: आय, कल्याण, आधारभूत आवश्यकता और क्षमता।
- देश का मानव विकास स्तर सरकारी व्यय, राजनीतिक स्थिरता, और स्वतंत्रता पर निर्भर करता है, न कि केवल संस्कृति पर।
- भूटान का सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) प्रसन्नता को भौतिक प्रगति से ऊपर रखता है।
आशा है कि इन नोट्स से आपको 'मानव विकास' की अवधारणा को समझने में आसानी होगी। शुभकामनाएँ!
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