📚 अध्याय ३: अलसकथा (आलसियों की कहानी) 📚
बिहार बोर्ड कक्षा 10 के संस्कृत विषय के अध्याय 3 "अलसकथा" के लिए पुनरावृत्ति नोट्स, शब्दार्थ और हल किए गए अभ्यास यहाँ प्रस्तुत हैं। यह सामग्री आपको परीक्षा की तैयारी में मदद करेगी।
पुनरावृत्ति नोट्स (Revision Notes)
1. परिचय:
- यह पाठ "अलसकथा" महाकवि विद्यापति द्वारा रचित "पुरुषपरीक्षा" नामक कथाग्रंथ से लिया गया है।
- पुरुषपरीक्षा ग्रंथ संस्कृत भाषा में कथा-रूप में विभिन्न मानवीय गुणों के महत्व का वर्णन करता है तथा दोषों के निराकरण के लिए शिक्षा देता है।
- विद्यापति मैथिली, अवहट्ट और संस्कृत - तीनों भाषाओं के प्रसिद्ध कवि थे।
- "अलसकथा" में आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है और यह एक व्यंग्यात्मक कथा है।
2. कथा का सारांश:
मिथिला में वीरेश्वर नाम का मंत्री: वह स्वभाव से दानशील और दयावान था। वह संकटग्रस्तों तथा अनाथों को प्रतिदिन इच्छानुसार भोजन और वस्त्र देता था। आलसियों को भी वह अन्न-वस्त्र देता था क्योंकि आलसियों का पहला सिद्धांत होता है - बिना परिश्रम किए जीवनयापन करना।
"दुर्गतेभ्यः सर्वेभ्योऽपि प्रTत्यहमन्नं दापयति स्म।" (वह सभी दुर्गति वालों को प्रतिदिन अन्न दिलवाता था।)
"पतिरेव गतिः स्त्रीणां बालानां जननी गतिः। नालसानां गतिः काचिल्लोके कारुणिकं विना॥" (स्त्रियों की गति पति से, बच्चों की गति माता से होती है, किन्तु आलसियों की गति संसार में दयावान व्यक्ति के बिना नहीं होती।)
आलसियों की बढ़ती संख्या: मंत्री द्वारा आलसियों को दान दिए जाने का लाभ उठाकर बहुत से धूर्त (बनावटी आलसी) भी भोजन आदि प्राप्त करने लगे। इससे दानशाला का खर्च बहुत बढ़ गया।
परीक्षा की योजना: आलसियों की बढ़ती संख्या और व्यय को देखकर राजकर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उन्होंने आलसशाला में आग लगा दी।
आग लगने पर प्रतिक्रिया:
- आग देखकर सभी धूर्त आलसी भाग गए।
- चार आलसी वहीं सोए रहे और आपस में बातें करते रहे।
चारों आलसियों का वार्तालाप:
नियोगी पुरुषों का हस्तक्षेप: चारों आलसियों की बातें सुनकर और आग को उनकी ओर बढ़ते देखकर, नियोगी पुरुषों (राजकर्मचारियों) ने वध के भय से चारों आलसियों को केश पकड़कर खींचते हुए घर से बाहर निकाला।
निष्कर्ष: नियोगी पुरुषों ने कहा कि स्त्रियों का रक्षक पति, बच्चों का रक्षक माँ होती है, परन्तु आलसियों का रक्षक दयावान व्यक्ति के सिवा संसार में कोई और नहीं होता। इसके बाद मंत्री ने उन चारों आलसियों को पहले से भी अधिक सहायता दी।
महत्वपूर्ण शब्दार्थ (Important Word Meanings)
संस्कृत शब्द (Sanskrit Word) | हिन्दी अर्थ (Hindi Meaning) |
---|---|
अलसकथा | आलसियों की कहानी |
विद्यापतिः | विद्यापति (कवि का नाम) |
पुरुषपरीक्षा | पुरुषपरीक्षा (ग्रंथ का नाम) |
आख्यायिका | कथा, कहानी |
मैथिलः | मिथिला का |
मंत्री | मंत्री |
वीरेश्वरः | वीरेश्वर (मंत्री का नाम) |
दानशीलः | दान देने वाला |
कारुणिकः | दयावान |
दुर्गतेभ्यः | संकटग्रस्तों के लिए, गरीबों के लिए |
अनाथेभ्यः | अनाथों के लिए |
प्रत्यहम् | प्रतिदिन |
इच्छभोजनम् | इच्छानुसार भोजन |
अलसेभ्योऽपि | आलसियों को भी |
अन्नवस्त्रे | अन्न और वस्त्र |
दापयति स्म | दिलवाता था |
निर्ग़तीनाम् | उपायहीनों का, गतिहीनों का |
अलसः | आलसी |
प्रथमः मतः | पहला विचार या सिद्धांत |
किञ्चिन्न क्षमन्ते कर्तुं जाठरेणापि वह्निना | पेट की आग (भूख) से भी कुछ करने में समर्थ नहीं होते। |
इष्टलाभम् | इच्छित लाभ |
तन्मध्ये | उनके बीच में |
परिमृष्टः | विचार किया गया |
बुद्ध्या | बुद्धि से |
करुणया | दया से |
केवलं | केवल |
अलसेभ्यः | आलसियों के लिए |
स्वामी वस्तूनि दापयति | मालिक वस्तुएँ दिलवाता है |
कपतालस्यं | बनावटी आलस्य |
दर्शयित्वा | दिखाकर |
भोजनं गृह्णन्ति | भोजन ग्रहण करते हैं |
अलसशालायाम् | आलसियों के घर में |
बहुद्रव्यव्ययं | बहुत धन का खर्च |
दृष्ट्वा | देखकर |
तन्नियोगिपुरुषैः | उन राजकर्मचारियों द्वारा |
परामृष्टम् | विचार किया गया |
यदक्षमबुद्ध्या | जो अक्षम बुद्धि से (दयावश) |
वह्निः | आग |
दापयित्वा | लगवाकर |
निरूपयामासुः | पता लगाया |
ततः | उसके बाद |
गृहलग्नम् | घर में लगी हुई |
प्रवृद्धमग्निम् | बढ़ती हुई आग को |
धूताः सर्वे पलायिताः | सभी धूर्त भाग गए |
पश्चादीषदलसा अपि पलायिताः | बाद में कुछ कम आलसी भी भाग गए |
चत्वारः पुरुषाः | चार पुरुष |
तत्रैव सुप्ताः | वहीं सोए रहे |
परस्परम् आलपन्ति | आपस में बात करते हैं |
एकेन वस्त्रवृत्तमुखेनोक्तम् | एक ने कपड़े से मुँह ढककर कहा |
अहो कथमयं कोलाहलः | अरे! यह कैसा शोर है? |
द्वितीयेनोक्तम् | दूसरे ने कहा |
तर्क्यते यदस्मिन् गृहे अग्निर्लग्नः अस्ति | लगता है कि इस घर में आग लग गई है |
तृतीयेनोक्तम् | तीसरे ने कहा |
कोऽपि तथा धार्मिको नास्ति | कोई भी वैसा धार्मिक नहीं है |
य इदानीं जलाद्रैर्वासोभिः कटैर्वाऽस्मान् प्रावृणोति | जो इस समय जल से भीगे वस्त्रों से या चटाई से हमें ढक दे |
चतुर्थेनोक्तम् | चौथे ने कहा |
अयि वाचाल! | अरे बकवादी! (बहुत बोलने वाले) |
कति वचनानि वक्तुं शक्नुथ? | कितने वचन बोल सकते हो? (कितना बोलते हो?) |
तूष्णीं कथं न तिष्ठथ? | चुप क्यों नहीं रहते? |
पतिरेव गतिः स्त्रीणाम् | स्त्रियों की गति पति ही है |
बालानां जननी गतिः | बच्चों की गति माँ है |
नालसानां गतिः काचिल्लोके कारुणिकं विना | आलसियों की गति संसार में दयावान के बिना कोई नहीं है |
पश्चात् | बाद में |
अलसेषु | आलसियों में |
ततोऽप्यधिकं वस्तु | उससे भी अधिक वस्तुएँ |
मंत्री दापयामास | मंत्री ने दिलवाईं |
अभ्यास के हल (Solved Exercise)
I. एकपदेन उत्तरं लिखत (एक पद में उत्तर लिखें):
1. प्रश्नः अलसकथायाः कथाकारः कः? (अलसकथा के कथाकार कौन हैं?)
उत्तरम्: विद्यापतिः
2. प्रश्नः वीरेश्वरः नाम मंत्री कुत्र आसीत्? (वीरेश्वर नाम का मंत्री कहाँ था?)
उत्तरम्: मिथिलायाम्
3. प्रश्नः केषाम् इष्टलाभं श्रुत्वा तुन्दपरिमृजाः तत्र वर्त्तुलिबभूवुः? (किनके इच्छित लाभ को सुनकर तोंद बढ़ाने वाले (पेटू) वहाँ इकट्ठे हो गए?)
उत्तरम्: अलसानाम् (आलसियों के)
4. प्रश्नः के कृत्रिमम् आलस्यं दर्शयित्वा भोजनं गृह्णन्ति स्म? (कौन बनावटी आलस्य दिखाकर भोजन ग्रहण करते थे?)
उत्तरम्: धूर्ताः
5. प्रश्नः तत्र कति पुरुषाः सुप्ताः आसन् यदा गृहे अग्निः लग्नः? (जब घर में आग लगी तब वहाँ कितने पुरुष सोये हुए थे?)
उत्तरम्: चत्वारः (चार)
II. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत (पूर्ण वाक्य में उत्तर लिखें):
1. प्रश्नः मिथिलायां कः मंत्री आसीत्? (मिथिला में कौन मंत्री था?)
उत्तरम्: मिथिलायां वीरेश्वरो नाम मंत्री आसीत्। (मिथिला में वीरेश्वर नाम का मंत्री था।)
2. प्रश्नः वीरेश्वरो नाम मंत्री केभ्यः स्वेच्छया भोजनं वस्त्रं च दापयति स्म? (वीरेश्वर नामक मंत्री किनको अपनी इच्छा से भोजन और वस्त्र दिलवाता था?)
उत्तरम्: वीरेश्वरो नाम मंत्री सर्वेभ्यो दुर्गतेभ्योऽनाथेभ्यश्च प्रत्यहम् इच्छया भोजनं वस्त्रं च दापयति स्म, अलसेभ्योऽपि अन्नवस्त्रे दापयति स्म। (वीरेश्वर नामक मंत्री सभी दुर्गति वालों और अनाथों को प्रतिदिन इच्छा से भोजन और वस्त्र दिलवाता था, आलसियों को भी अन्न-वस्त्र दिलवाता था।)
3. प्रश्नः किं दृष्ट्वा धूर्ताः पलायिताः? (क्या देखकर धूर्त भाग गए?)
उत्तरम्: गृहलग्नं प्रवृद्धमग्निं दृष्ट्वा धूर्ताः पलायिताः। (घर में लगी बढ़ती हुई आग को देखकर धूर्त भाग गए।)
4. प्रश्नः प्रथमेनालसेन किमुक्तम्? (पहले आलसी ने क्या कहा?)
उत्तरम्: प्रथमेनालसेन उक्तम् - "अहो! कथमयं कोलाहलः?" (पहले आलसी ने कहा - "अरे! यह कैसा शोर है?")
5. प्रश्नः चतुर्थेनालसेन किमुक्तम्? (चौथे आलसी ने क्या कहा?)
उत्तरम्: चतुर्थेनालसेन उक्तम् - "अयि वाचाल! कति वचनानि वक्तुं शक्नुथ? तूष्णीं कथं न तिष्ठथ?" (चौथे आलसी ने कहा - "अरे बकवादी! कितने वचन बोल सकते हो? चुप क्यों नहीं रहते?")
6. प्रश्नः नियोगिपुरुषाः चतुरः अलसान् कथं गृहात् बहिष्कृतवन्तः? (नियोगी पुरुषों ने चारों आलसियों को कैसे घर से बाहर निकाला?)
उत्तरम्: नियोगिपुरुषाः चतुरः अलसान् केशेष्वाकृष्य गृहात् बहिष्कृतवन्तः। (नियोगी पुरुषों ने चारों आलसियों को केशों (बालों) से पकड़कर खींचते हुए घर से बाहर निकाला।)
7. प्रश्नः अलसानां गतिः का? (आलसियों की गति (शरण) कौन है?)
उत्तरम्: लोके अलसानां गतिः कारुणिकं विना न काचित् अस्ति। (संसार में आलसियों की गति दयावान के बिना कोई नहीं है।)
III. उदाहरणम् अनुसृत्य पदनिर्माणं कुरुत (उदाहरण के अनुसार पद निर्माण करें):
(यह प्रश्न आमतौर पर व्याकरण से संबंधित होता है, जैसे प्रत्यय जोड़ना या विभक्ति परिवर्तन। पाठ्यपुस्तक के विशिष्ट उदाहरण के बिना, यहाँ एक सामान्य उदाहरण दिया जा रहा है।)
- यथा (जैसे): अलस + ष्यञ् = आलस्यम्
- करुणा + ष्यञ् = कारुण्यम्
- सरल + ष्यञ् = सारल्यम्
- कठिन + ष्यञ् = काठिन्यम्
- तरुण + ष्यञ् = तारुण्यम्
IV. पाठ के आधार पर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (Fill in the blanks based on the chapter):
(ये प्रश्न पाठ की पंक्तियों से होते हैं, यहाँ कुछ संभावित प्रश्न दिए गए हैं)
- पतिरेव गतिः स्त्रीणाम्। (उत्तर: पतिरेव गतिः स्त्रीणाम्।)
- बालानां जननी गतिः। (उत्तर: बालानां जननी गतिः।)
- नालसानां गतिः काचिल्लोके कारुणिकं विना। (उत्तर: नालसानां गतिः काचिल्लोके कारुणिकं विना।)
- तर्क्यते यदस्मिन् गृहे अग्निर्लग्नः लग्नः अस्ति। (उत्तर: तर्क्यते यदस्मिन् गृहे अग्निर्लग्नः अस्ति।)
- अयि वाचाल! कति वचनानि वक्तुं शक्नुथ? तूष्णीं कथं न तिष्ठथ? (उत्तर: अयि वाचाल! कति वचनानि वक्तुं शक्नुथ? तूष्णीं कथं न तिष्ठथ?)