Bihar Board class10 sanskrit chapter04-संस्कृतसाहित्ये लेखिक | revision notes| Exercise solved

Team Successcurve
0
बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 4: संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः - सम्पूर्ण नोट्स और हल

बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत: अध्याय 4

संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः (संस्कृत साहित्य में लेखिकाएँ)

पुनरावृत्ति नोट्स (Revision Notes)

1. परिचय:

यह पाठ संस्कृत साहित्य में महिलाओं के योगदान को दर्शाता है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक अनेक विदुषी महिलाओं ने संस्कृत भाषा में काव्य, शास्त्र और अन्य ग्रंथों की रचना कर इसे समृद्ध किया है। समाज रूपी गाड़ी पुरुषों और नारियों दोनों से चलती है, और साहित्य में भी दोनों का समान महत्व है।

2. मुख्य बिन्दु:

  • वैदिक काल:
    • वैदिक युग में न केवल ऋषि, अपितु ऋषिकाएँ भी मन्त्रों की द्रष्टा थीं।
    • ऋग्वेद में चौबीस (२४) और अथर्ववेद में पाँच (५) ऋषिकाओं का उल्लेख है, जैसे- यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागाम्भृणी आदि।
    • वृहदारण्यकोपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी दार्शनिक रुचि वाली और आत्मतत्व की ज्ञाता थीं।
    • जनक की सभा में शास्त्रार्थ करने वाली गार्गी वाचक्नवी का उल्लेख मिलता है।
  • लौकिक संस्कृत साहित्य:
    • इस काल में भी अनेक कवयित्रियों ने उत्कृष्ट रचनाएँ कीं।
    • विजयाङ्का (लगभग 8वीं शताब्दी) को 'सर्वशुक्ला सरस्वती' कहा गया है। दण्डी ने उन्हें यह उपाधि दी। उनकी रचनाएँ स्फुट पद्यों में मिलती हैं। ऐसा माना जाता है कि वे श्याम वर्ण की थीं, परन्तु उनकी रचनाएँ अद्भुत थीं।
    • शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्बा आदि दक्षिण भारतीय लेखिकाएँ भी प्रसिद्ध हैं।
  • विजयनगर राज्य (14वीं शताब्दी):
    • कम्पनराय की रानी गंगादेवी ने अपने पति की मदुरै विजय पर आधारित महाकाव्य "मथुरावविजयम्" की रचना की।
    • अच्युतराय (16वीं शताब्दी) की रानी तिरुमलाम्बा ने "वरदाम्बिकापरिणय" नामक प्रौढ़ चम्पूकाव्य की रचना की, जिसमें संस्कृत गद्य की सुन्दरता दर्शनीय है।
  • आधुनिक काल (1890-1953 ई.):
    • पण्डिता क्षमाराव इस काल की प्रमुख लेखिका थीं। उन्होंने अपने पिता शंकरपाण्डुरङ्ग पण्डित के जीवन पर आधारित "शंकरचरितम्" की रचना की।
    • गाँधी दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद्यात्रा, ग्रामज्योतिः आदि अनेक ग्रंथों की रचना की।
    • वर्तमान काल में भी पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि लेखिकाएँ संस्कृत साहित्य को समृद्ध कर रही हैं।

3. पाठ का सारांश:

इस पाठ से यह स्पष्ट होता है कि संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। वैदिक युग से लेकर आज तक स्त्रियाँ अपनी रचनाओं से संस्कृत वाङ्मय को समृद्ध करती आ रही हैं। उनका योगदान पुरुषों से किसी भी प्रकार कम नहीं है।


महत्वपूर्ण शब्दार्थ (Word Meanings)

संस्कृत शब्द (Sanskrit Word) हिन्दी अर्थ (Hindi Meaning) अंग्रेजी अर्थ (English Meaning)
विपुलम् (vipulam)बहुत अधिक, विशालvast, abundant
प्रचूरम् (prachuram)पर्याप्त, अधिकplenty, abundant
श्रूयते (shrūyate)सुना जाता हैis heard
लभ्यन्ते (labhyante)प्राप्त होते हैं, मिलते हैंare found, are obtained
निर्दिश्यन्ते (nirdishyante)बताए जाते हैं, उल्लेखित हैंare indicated, mentioned
अतीव (atīva)बहुत अधिकvery much, exceedingly
प्रौढम् (prauḍham)परिपक्व, उत्कृष्टmature, excellent
चम्पूकाव्यम् (champūkāvyam)गद्य-पद्य मिश्रित काव्यa literary work in mixed prose and verse
इतिवृत्तम् (itivṛttam)घटना, कहानीincident, story
आरभ्य (ārabhya)लेकर, प्रारम्भ करकेstarting from, beginning with
योगदानम् (yogadānam)योगदानcontribution
विदुषी (viduṣī)विद्वान् स्त्रीlearned woman
वाचक्नवी (vāchaknavī)कुशल वक्ता स्त्रीeloquent woman
लौकिकसंस्कृतसाहित्ये (laukikasaṃskṛtasāhitye)लौकिक संस्कृत साहित्य मेंin classical Sanskrit literature
प्रायेण (prāyeṇa)प्रायः, अधिकतरmostly, generally
स्फुटपद्यानि (sphuṭapadyāni)बिखरे हुए पद्य, मुक्तकscattered verses, individual stanzas
इतस्ततः (itastataḥ)इधर-उधरhere and there
विद्यते (vidyate)है, विद्यमान हैexists
व्यर्थम् (vyartham)बेकार, व्यर्थin vain, uselessly
नीलोत्पलदलश्यामाम् (nīlotpaladalaśyāmām)नीले कमल की पंखुड़ी के समान श्याम वर्ण वालीdark-complexioned like a blue lotus petal
अनुमीयते (anumīyate)अनुमान किया जाता हैis inferred
प्रभृतयः (prabhṛtayaḥ)आदि, वगैरहetc., and others
आधुनिककाले (ādhunikakāle)आधुनिक काल मेंin modern times
प्रभाविता (prabhāvitā)प्रभावितinfluenced
रचनाम् अकरोत् (rachanām akarot)रचना कीcomposed
सम्प्रति (samprati)इस समय, आजकलnowadays, currently
संलग्नः (saṃlagnaḥ)लगा हुआ, कार्यरतengaged, involved

अभ्यास (पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर)

मौखिकः (Oral Questions)

(क) विपुलं किम् अस्ति?

उत्तरम् - विपुलं संस्कृतसाहित्यम् अस्ति। (विशाल क्या है? - विशाल संस्कृत साहित्य है।)

(ख) विपुलं संस्कृतसाहित्यं कैः संवर्धितम्?

उत्तरम् - विपुलं संस्कृतसाहित्यं कविभिः शास्त्रकारैश्च संवर्धितम्। (विशाल संस्कृत साहित्य किनके द्वारा बढ़ाया गया? - विशाल संस्कृत साहित्य कवियों और शास्त्रकारों द्वारा बढ़ाया गया।)

(ग) काव्यरचने संरक्षणे च के दत्तावधानाः?

उत्तरम् - काव्यरचने संरक्षणे च पुरुषाः स्त्रियश्च दत्तावधानाः। (काव्य रचना और संरक्षण में कौन सावधान थे? - काव्य रचना और संरक्षण में पुरुष और स्त्रियाँ सावधान थे।)

(घ) कासु ऋषिकाः अपि सन्ति?

उत्तरम् - वैदिकयुगे मन्त्राणां दर्शका न केवला ऋषयः प्रत्युत ऋषिकाः अपि सन्ति। (किनमें ऋषिकाएँ भी हैं? - वैदिक युग में मन्त्रों के द्रष्टा केवल ऋषि ही नहीं, बल्कि ऋषिकाएँ भी हैं।)

(ङ) याज्ञवल्क्यस्य पत्नी का आसीत्?

उत्तरम् - याज्ञवल्क्यस्य पत्नी मैत्रेयी आसीत्। (याज्ञवल्क्य की पत्नी कौन थी? - याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी थी।)

(च) कस्याः सभायां शास्त्रार्थकुशला गार्गी वाचक्नवी तिष्ठति स्म?

उत्तरम् - जनकस्य सभायां शास्त्रार्थकुशला गार्गी वाचक्नवी तिष्ठति स्म। (किसकी सभा में शास्त्रार्थ में कुशल गार्गी वाचक्नवी रहती थी? - जनक की सभा में शास्त्रार्थ में कुशल गार्गी वाचक्नवी रहती थी।)

लिखितः (Written Questions)

I. एकपदेन उत्तरं लिखत। (एक शब्द में उत्तर लिखें।)

(क) कस्यां युगे मन्त्राणां दर्शका न केवलाः ऋषयः प्रत्युत ऋषिकाः अपि सन्ति?

उत्तरम् - वैदिकयुगे। (वैदिक युग में)

(ख) वागाम्भृणी कुत्र ऋषिका निर्दिश्यते?

उत्तरम् - अथर्ववेदे। (अथर्ववेद में)

(ग) याज्ञवल्क्यस्य पत्नी केन रूपेण वर्णिता?

उत्तरम् - दार्शनिकरुचिमतीरूपेण। (दार्शनिक रुचि वाली के रूप में)

(घ) विजयनगरराज्यस्य नरेशः संस्कृतभाषासंरक्षणाय कीदृशः प्रयासः आसीत् इति विदितमेव?

उत्तरम् - कृतप्रयासः। (प्रयास किया गया)

(ङ) आधुनिकसंस्कृतलेखिकासु का अतीव प्रसिद्धा?

उत्तरम् - पण्डिता क्षमाराव। (पण्डिता क्षमाराव)
II. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत। (पूर्ण वाक्य में उत्तर लिखें।)

(क) ऋग्वेदे कति ऋषिकाः मन्त्रदर्शनवत्यो निर्दिश्यन्ते? नामानि लिखत।

उत्तरम् - ऋग्वेदे चतुर्विंशतिः (२४) ऋषिकाः मन्त्रदर्शनवत्यो निर्दिश्यन्ते। तासु प्रमुखः यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागाम्भृणी इत्यादयः सन्ति।
(ऋग्वेद में चौबीस ऋषिकाएँ मन्त्रद्रष्टा के रूप में निर्दिष्ट हैं। उनमें प्रमुख यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागाम्भृणी आदि हैं।)

(ख) याज्ञवल्क्यः पत्नीं मैत्रेयीं किं शिक्षयति?

उत्तरम् - याज्ञवल्क्यः पत्नीं मैत्रेयीं आत्मतत्त्वं शिक्षयति।
(याज्ञवल्क्य अपनी पत्नी मैत्रेयी को आत्मतत्व की शिक्षा देते हैं।)

(ग) विजयाङ्कायाः वैशिष्ट्यं केन शब्देन दण्डी प्रादात्?

उत्तरम् - विजयाङ्कायाः वैशिष्ट्यं "सर्वशुक्ला सरस्वती" इति शब्देन दण्डी प्रादात्।
(विजयाङ्का की विशेषता को दण्डी ने "सर्वशुक्ला सरस्वती" इन शब्दों में प्रदान किया।)

(घ) 'मथुरावविजयम्' महाकाव्यस्य वर्ण्यविषयः कः?

उत्तरम् - 'मथुरावविजयम्' महाकाव्यस्य वर्ण्यविषयः कम्पणरायस्य मदुराविजयघटना अस्ति।
('मथुरावविजयम्' महाकाव्य का वर्ण्य विषय कम्पणराय की मदुरा विजय की घटना है।)

(ङ) तिरुमलाम्बा कस्य चम्पूकाव्यस्य रचनां कृतवती?

उत्तरम् - तिरुमलाम्बा 'वरदाम्बिकापरिणय' नामकस्य चम्पूकाव्यस्य रचनां कृतवती।
(तिरुमलाम्बा ने 'वरदाम्बिकापरिणय' नामक चम्पूकाव्य की रचना की।)

(च) पण्डिता क्षमाराव कस्य चरितकाव्यस्य रचनाम् अकरोत्?

उत्तरम् - पण्डिता क्षमाराव स्वपितुः शंकरपाण्डुरङ्गपण्डितस्य जीवनचरितं 'शंकरचरितम्' इति चरितकाव्यस्य रचनाम् अकरोत्।
(पण्डिता क्षमाराव ने अपने पिता शंकरपाण्डुरंग पण्डित के जीवनचरित 'शंकरचरितम्' नामक चरितकाव्य की रचना की।)
III. उदाहरणमनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत। (उदाहरण के अनुसार रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।)

(यह प्रश्न सामान्यतः विभक्ति रूपों या क्रियापदों पर आधारित होता है। पाठ्यपुस्तक में दिए गए उदाहरण के अनुसार इसे हल करना होता है। यहाँ कुछ संभावित उदाहरण दिए जा रहे हैं।)

(क) यथा - लतया - लताभ्याम् - लताभिः

  • विदुषा - विदुद्भ्याम् - विदुद्भिः
  • शास्त्रज्ञेन - शास्त्रज्ञाभ्याम् - शास्त्रज्ञैः
  • गार्ग्या - गार्गीभ्याम् - गार्गीभिः
  • लेखिकया - लेखिकाभ्याम् - लेखिकाभिः

(ख) यथा - लभते - लभेते - लभन्ते

  • वर्तते - वर्तेते - वर्तन्ते
  • ज्ञायते - ज्ञायेते - ज्ञायन्ते
  • क्रियते - क्रियेते - क्रियन्ते
  • श्रूयते - श्रूयेते - श्रूयन्ते
IV. उदाहरणमनुसृत्य पर्यायवाचिपदानि लिखत। (उदाहरण के अनुसार पर्यायवाची शब्द लिखें।)
  • यथा - विपुलम् - प्रभूतम्, अत्यधिकम्
  • श्रूयते - आकर्ण्यते, ज्ञायते
  • प्रसिद्धम् - विख्यातम्, विश्रुतम्
  • इदानीम् - अधुना, साम्प्रतम्
  • भार्या - पत्नी, जाया, दाराः
  • जनकः - पिता, तातः, गुरुः (जन्मदाता के अर्थ में)
  • विदितम् - ज्ञातम्, अवगतम्
V. अधोलिखितानां पदानां स्ववाक्येषु प्रयोगं कुरुत। (नीचे लिखे पदों का अपने वाक्यों में प्रयोग करें।)
  • सभायाम् - जनकस्य सभायां गार्गी शास्त्रार्थं करोति स्म। (जनक की सभा में गार्गी शास्त्रार्थ करती थी।)
  • प्रथमकल्पा - विजयाङ्का प्रथमकल्पा कवयित्री आसीत्। (विजयाङ्का श्रेष्ठ कवयित्री थी।)
  • लभ्यन्ते - पुस्तकालये अनेकानि पुस्तकानि लभ्यन्ते। (पुस्तकालय में अनेक पुस्तकें मिलती हैं।)
  • शास्त्रार्थकुशला - मैत्रेयी शास्त्रार्थकुशला आसीत्। (मैत्रेयी शास्त्रार्थ में कुशल थी।)
  • आरभ्य - अहं प्रातःकालात् आरभ्य पठामि। (मैं सुबह से पढ़ रहा हूँ।)
  • रचनाम् - पण्डिता क्षमाराव अनेकाः रचनाः अकरोत्। (पण्डिता क्षमाराव ने अनेक रचनाएँ कीं।)
VI. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत। (रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करें।)

(क) जनकस्य सभायां गार्गी वाचक्नवी तिष्ठति स्म।

प्रश्न: कस्य सभायां गार्गी वाचक्नवी तिष्ठति स्म?

(ख) याज्ञवल्क्यः मैत्रेयीम् आत्मतत्त्वं शिक्षयति।

प्रश्न: याज्ञवल्क्यः काम् आत्मतत्त्वं शिक्षयति?

(ग) आधुनिककाले संस्कृतलेखिकासु पण्डिता क्षमाराव नाम्नी विदुषी अतीव प्रसिद्धा।

प्रश्न: आधुनिककाले संस्कृतलेखिकासु का नाम्नी विदुषी अतीव प्रसिद्धा?

(घ) तस्याः रचनासु गद्यपद्ययोः चाटुता अवलोक्यते।

प्रश्न: तस्याः रचनासु कयोः चाटुता अवलोक्यते?

(ङ) सत्याग्रहगीता तस्याः प्रसिद्धं काव्यम् अस्ति।

प्रश्न: का तस्याः प्रसिद्धं काव्यम् अस्ति? / किम् तस्याः प्रसिद्धं काव्यम् अस्ति?
VII. स्तम्भद्वये दत्तानां पदानां समुचितं मेलनं कुरुत। (दो स्तम्भों में दिए गए पदों का उचित मिलान करें।)

(यह प्रश्न पाठ्यपुस्तक के आधार पर होगा, यहाँ एक संभावित उदाहरण है)

स्तम्भ 'अ' स्तम्भ 'ब'
1. याज्ञवल्क्यः(क) शंकरचरितम्
2. विजयाङ्का(ख) मथुरावविजयम्
3. गंगादेवी(ग) सर्वशुक्ला सरस्वती
4. पण्डिता क्षमाराव(घ) मैत्रेयी
5. तिरुमलाम्बा(ङ) वरदाम्बिकापरिणय
उत्तरम्:
  1. याज्ञवल्क्यः - (घ) मैत्रेयी
  2. विजयाङ्का - (ग) सर्वशुक्ला सरस्वती
  3. गंगादेवी - (ख) मथुरावविजयम्
  4. पण्डिता क्षमाराव - (क) शंकरचरितम्
  5. तिरुमलाम्बा - (ङ) वरदाम्बिकापरिणय

यह सामग्री आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होगी। शुभकामनाएँ!

बिहार बोर्ड संस्कृत कक्षा 10, संस्कृत कक्षा 10 अध्याय 4, संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः, संस्कृत साहित्य में लेखिकाएँ, कक्षा 10 संस्कृत नोट्स हिंदी में, बिहार बोर्ड संस्कृत पाठ 4, संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः प्रश्न उत्तर, पण्डिता क्षमाराव, गंगादेवी संस्कृत, मैत्रेयी और याज्ञवल्क्य, विजयाङ्का सर्वशुक्ला सरस्वती, वैदिक काल की ऋषिकाएँ, लौकिक संस्कृत लेखिकाएँ, बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत समाधान, BSEB Class 10 Sanskrit Chapter 4, Class 10 Sanskrit Chapter 4 Hindi notes, संस्कृत कक्षा 10 अभ्यास हल, संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः सारांश, बिहार बोर्ड संस्कृत परीक्षा तैयारी, कक्षा 10 संस्कृत महत्वपूर्ण प्रश्न अध्याय 4, तिरुमलाम्बा वरदाम्बिकापरिणय, गार्गी वाचक्नवी, संस्कृत लेखिकाओं का योगदान, आधुनिक संस्कृत लेखिकाएँ, बिहार बोर्ड संस्कृत ऑनलाइन क्लास

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!