Bihar Board class10 Hindi Chapter6: बहादुर (Bahadur) कक्षा 10 हिंदी: सम्पूर्ण नोट्स, सारांश, प्रश्न उत्तर | अमरकांत

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बहादुर (Bahadur) कक्षा 10 हिंदी: सम्पूर्ण नोट्स, सारांश, प्रश्न उत्तर | अमरकांत

आत्म-अध्ययन नोट्स: 'बहादुर' (अमरकांत)

इस विस्तृत ब्लॉग पोस्ट में, हम अमरकांत द्वारा रचित कक्षा 12 हिंदी की मार्मिक कहानी 'बहादुर' का सम्पूर्ण विश्लेषण करेंगे। यह लेख छात्रों को 'बहादुर' कहानी का सारांश (Bahadur summary in Hindi), प्रमुख पात्रों जैसे बहादुर, निर्मला, और किशोर का चरित्र-चित्रण, और कहानी के मूल संदेश को समझने में मदद करेगा। हमने 'बहादुर' के सभी प्रश्न-उत्तर (Bahadur question answers), अतिरिक्त अभ्यास प्रश्नों और मालिक-नौकर संबंध तथा मध्यवर्गीय मानसिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की है, जो आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी है।

बहादुर कहानी का एक प्रतीकात्मक चित्र

1. लेखक परिचय: अमरकांत

अमरकांत हिंदी साहित्य के एक सशक्त कथाकार थे, जिनका जन्म जुलाई 1925 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगरा गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा गोरखपुर और इलाहाबाद में हुई। वे 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में भी शामिल हुए। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. किया और 1948 में आगरा के 'दैनिक पत्र दैनिक' के संपादकीय विभाग में नौकरी की शुरुआत की। बाद में उन्होंने 'प्रगतिशील लेखक संघ' में भी सक्रिय भूमिका निभाई और कहानी लेखन प्रारंभ किया। वे 'दैनिक', 'भारत', 'मनोरमा' जैसी कई पत्रिकाओं से जुड़े रहे। उन्हें भारतीय कहानी में उनके योगदान के लिए 'कहानी कलकत्तरी' पुरस्कार और बाद में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अमरकांत की कहानियाँ विशेषतः मध्यवर्ग के जीवन यथार्थ, निम्न मध्यवर्गीय चरित्रों और सामाजिक समस्याओं को उजागर करती हैं। उनकी भाषा सरल, मुहावरेदार और सटीक होती है, जो पाठकों को आकर्षित करती है। 'जिंदगी और जोंक', 'देश के लोग', 'मौत का नगर', 'मित्र-मिलन', 'कुहासा' उनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं, जबकि 'सूखा पत्ता', 'आकाशपक्षी', 'काले उजले दिन', 'सुखजीवी', 'बीच की दीवार' और 'ग्राम सेविका' उनके उपन्यास हैं। 'वानर सेना' नामक एक बाल उपन्यास भी उन्होंने लिखा है।

2. कहानी का सारांश: 'बहादुर'

'बहादुर' अमरकांत का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है, जो एक मध्यवर्गीय परिवार में काम करने वाले बहादुर नामक एक नेपाली किशोर की कहानी है। बहादुर, जिसका पूरा नाम दिलबहादुर था, लगभग बारह-तेरह वर्ष का एक गोरा-चिट्टा, चपटा मुँह और नखी आँखों वाला लड़का था। वह अपने घर से भागकर निर्मला के घर नौकरी करने आता है। निर्मला और उसके पति (लेखक) को एक नौकर की बहुत आवश्यकता थी, क्योंकि निर्मला दिनभर काम से थक जाती थी और उनके बच्चे भी काम में हाथ नहीं बटाते थे।

बहादुर शुरुआत में मेहनती और ईमानदार साबित होता है। वह घर के सभी काम करता है और सभी से सम्मानपूर्वक बात करता है। निर्मला उसे अपनी माँ की तरह मानती है। परिवार के बच्चे, खासकर निर्मला का बेटा किशोर, बहादुर पर धौंस जमाता है और उसे मारता-पीटता भी है। बहादुर चुपचाप सब सह लेता है और अपना काम करता रहता है।

धीरे-धीरे परिवार के सदस्यों का व्यवहार बहादुर के प्रति बदल जाता है। नौकर होने के कारण उससे हर छोटी बात पर फटकार लगाई जाती है और उस पर संदेह किया जाने लगता है। घर में रिश्तेदार आते हैं और बहादुर पर चोरी का आरोप लगा देते हैं, जिससे बहादुर बहुत दुखी होता है। निर्मला भी उस पर शक करती है। पैसे न लेने की बात पर भी बहादुर को मारा-पीटा जाता है।

इस घटना के बाद बहादुर उदास रहने लगता है और अपने काम में लापरवाह हो जाता है। घर में भी उसका मन नहीं लगता। अंततः, एक दिन बहादुर घर से चला जाता है और अपना सारा सामान छोड़ जाता है, सिवाय अपने कपड़ों के। उसके जाने के बाद परिवार को उसकी अहमियत समझ आती है। निर्मला को विशेष रूप से उस पर किए गए व्यवहार का पछतावा होता है। कहानी दर्शाती है कि कैसे लोग एक इंसान को नौकर मात्र समझते हैं और उसके मानवीय सम्मान की परवाह नहीं करते।

बहादुर और निर्मला के बीच का संवाद

3. प्रमुख पात्र और उनका चरित्र-चित्रण

बहादुर

कहानी का मुख्य पात्र। वह एक नेपाली किशोर है, जो अपना घर छोड़कर निर्मला के घर काम करने आता है। वह मेहनती, ईमानदार, विनम्र और सहनशील है। शुरू में वह परिवार के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है, लेकिन धीरे-धीरे उसके प्रति परिवार का व्यवहार बदल जाता है। उसे चोरी के झूठे आरोप और मारपीट का सामना करना पड़ता है, जिससे वह भीतर से टूट जाता है। अंततः, वह घर छोड़ देता है, यह दर्शाता है कि उसका आत्म-सम्मान आहत हुआ है।

निर्मला

लेखक की पत्नी और घर की स्वामिनी। शुरू में वह बहादुर से बहुत प्यार से पेश आती है। लेकिन धीरे-धीरे, नौकर के प्रति उसकी सोच और संवेदनहीनता बढ़ जाती है। वह किशोर द्वारा बहादुर को पीटने पर भी ज्यादा ध्यान नहीं देती और अंततः चोरी के आरोप पर बहादुर का पक्ष लेने के बजाय उस पर ही शक करती है। बहादुर के जाने के बाद उसे अपने व्यवहार का पछतावा होता है।

लेखक (अमरकांत)

कहानी के सूत्रधार। वे एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति हैं जो एक नौकर की आवश्यकता महसूस करते हैं। वे बहादुर के प्रति कुछ सहानुभूति रखते हैं, लेकिन अपनी पत्नी और बेटे के गलत व्यवहार को पूरी तरह से रोक नहीं पाते। वे कहानी में केवल साक्षी नहीं हैं, बल्कि घटनाओं को अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हैं।

किशोर

निर्मला और लेखक का बेटा। वह बिगड़ैल और उद्दंड स्वभाव का है। वह बहादुर को अपना हमउम्र मित्र मानने के बजाय अपना नौकर मानता है और उसे अक्सर गालियाँ देता और मारता है। उसका यह व्यवहार बहादुर के दुःख और अंततः उसके घर छोड़ने का प्रमुख कारण बनता है।

रिश्तेदार

घर में आए मेहमान, जो बहादुर पर पैसे चुराने का झूठा आरोप लगाते हैं। ये पात्र समाज के उस हिस्से को दर्शाते हैं जो बिना सोचे-समझे दूसरों पर आरोप लगाता है और छोटे लोगों के प्रति संवेदनहीन होता है।

4. प्रमुख विषय/संदेश

  • मालिक-नौकर संबंध: कहानी मालिक और नौकर के संबंधों की जटिलता को उजागर करती है। यह दिखाती है कि कैसे मालिक नौकर को केवल एक साधन समझते हैं और उसके मानवीय गरिमा का सम्मान नहीं करते।
  • मध्यवर्गीय मानसिकता: कहानी भारतीय मध्यवर्ग की मानसिकता को दर्शाती है, जहाँ लोग नौकरों को अपने से नीचा समझते हैं और उन पर अपनी कुंठाएँ निकालते हैं।
  • आत्म-सम्मान और शोषण: बहादुर का चरित्र आत्म-सम्मान और शोषण का प्रतीक है। वह शुरू में सहिष्णु होता है, लेकिन लगातार शोषण और झूठे आरोप उसे भीतर से तोड़ देते हैं, और वह अपना आत्म-सम्मान बचाने के लिए घर छोड़ देता है।
  • पछतावा और मानवीय मूल्य: बहादुर के जाने के बाद परिवार को उसकी अहमियत और अपनी गलती का एहसास होता है। यह कहानी मानवीय मूल्यों और दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने का संदेश देती है।
  • बाल मजदूरी और उसका प्रभाव: कहानी बाल मजदूरी के नकारात्मक प्रभावों को भी अप्रत्यक्ष रूप से दर्शाती है, जहाँ एक किशोर अपने परिवार से दूर कठिन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर होता है।

5. महत्वपूर्ण शब्दावली एवं वाक्यांश

पंच-बराबर: निर्णायक की तरह, दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने वाला।
अधेड: अधेड़ उम्र का।
नृशंस: निर्दयी, क्रूर।
फिड़की: नाचने वाली फिरकी।
पैट: पेड़ की सबसे ऊँची शाखा।
फ़रमाइश: इच्छा, निवेदन।
स्वयंभोग: सारा परिवार।
कायल: आकर्षित।
दायित्व: ज़िम्मेदारी।
खूँट: साड़ी के आँचल से बँधी गाँठ।
घात: छिप कर।
झोंका: हवा का झोंका।
चंपत होना: गायब हो जाना।
दिल फटना: अत्यंत दुखी होना।
धोकर खाना: कमा कर खाना।
नृशंसता: निर्दयता।

6. अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

1. लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो?

उत्तर: लेखक और उनकी पत्नी निर्मला को घर के काम-काज में बहुत परेशानी हो रही थी। निर्मला दिनभर काम करके थक जाती थी और उनके बच्चे भी काम में हाथ नहीं बटाते थे। ऐसे में, जब बहादुर उनके घर नौकर के रूप में आया, तो लेखक को लगा कि अब घर के सभी काम ठीक से हो जाएँगे और निर्मला की थकान दूर हो जाएगी। उन्हें लगा कि घर को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी अब बहादुर के आने से पूरी हो जाएगी, इसलिए उन्हें लगा कि उन पर एक भारी दायित्व आ गया है।

2. अपने शब्दों में पहली बार बहादुर का वर्णन कीजिए।

उत्तर: बहादुर लगभग बारह-तेरह वर्ष का एक नेपाली लड़का था। वह गोरा-चिट्टा, चपटा मुँह और नखी आँखों वाला था। उसने सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना पैंट पहना हुआ था और गले में स्काउटों की तरह एक रुमाल भी बँधा हुआ था। वह दुबला-पतला लेकिन फुर्तीला दिखाई देता था, जो अपने माता-पिता की मार खाकर घर से भागा था।

3. लेखक का नौकर के काम लेना एक कानूनन जुर्म है? क्या कानून कब बना और इसमें क्या-क्या प्रावधान रखे गए हैं? मालूम करें?

उत्तर: कहानी में लेखक ने स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा है कि बहादुर से काम लेना कानूनी जुर्म है। हालाँकि, बहादुर एक नाबालिग लड़का है (12-13 साल का), और भारत में बाल मजदूरी कानून, बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 और बाद में बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना प्रतिबंधित है। इन कानूनों का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा और सामान्य बचपन का अधिकार सुनिश्चित करना है। यह प्रावधान हैं कि बच्चों को खतरनाक व्यवसायों में काम नहीं कराया जा सकता और उन्हें शिक्षा का अधिकार है। कहानी की अवधि को देखते हुए, उस समय बाल श्रम के प्रति उतनी जागरूकता और सख्त कानून नहीं थे, लेकिन मानवीय आधार पर यह अनुचित था।

4. साहब साहब से बहादुर का असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा।

उत्तर: यहाँ "साहब साहब" से तात्पर्य लेखक के रिश्तेदारों से है। रिश्तेदारों ने बहादुर पर 11 रुपये चुराने का झूठा आरोप लगाया था। जब यह बात सामने आई, तो रिश्तेदारों ने इस पर विस्तार से चर्चा की, बहादुर से पूछा कि उसने पैसे कहाँ छिपाए हैं, और लेखक से पुलिस बुलाने की बात कही। वे बहादुर को दोषी साबित करने की कोशिश कर रहे थे, और इस घटना को उन्होंने काफी असाधारण बना दिया था।

5. बहादुर अपने घर से क्यों भागा था?

उत्तर: बहादुर की माँ उसे बहुत मारती थीं, क्योंकि वह बहुत उद्दंड स्वभाव का था। एक बार वह जंगल से गाय-भैंस चराने गया था, लेकिन वह गाय-भैंसों को नहीं लेकर आया और अपनी माँ की कमाई का एक रुपया भी खो दिया। जब उसकी माँ को यह बात पता चली, तो उन्होंने उसे बहुत मारा, जिससे दुखी होकर वह घर से भाग गया।

6. बहादुर के नाम के साथ 'दिल' शब्द क्यों जुड़ा है? विचार करें।

उत्तर: बहादुर का पूरा नाम 'दिलबहादुर' था। 'दिल' शब्द का अर्थ हृदय या मन होता है। बहादुर एक संवेदनशील, भावुक और स्वाभिमानी लड़का था। वह शुरू में परिवार के लिए दिल लगाकर काम करता था और सभी को प्रसन्न करने की कोशिश करता था। हालाँकि, जब उसे गलत समझा गया और उस पर झूठा आरोप लगाया गया, तो उसका दिल टूट गया। 'दिल' शब्द उसके मानवीय और संवेदनशील स्वभाव को दर्शाता है, जो उसे केवल एक नौकर से कहीं अधिक बनाता है।

7. व्याख्या करें:

(क) उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों।

उत्तर: यह वाक्य बहादुर की स्वाभाविक, निश्छल और मासूम हँसी का वर्णन करता है। यह उसकी आंतरिक सरलता और पवित्रता को दर्शाता है, जो उसे परिवार में सभी का प्रिय बना देती है। "फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों" उपमा उसकी हँसी की कोमलता और सुंदरता को उजागर करती है।


(ख) पर अब बहादुर का भूल-गलतियाँ अधिक होने लगीं।

उत्तर: यह वाक्य बहादुर पर झूठे आरोपों और लगातार मिलने वाले बुरे व्यवहार के बाद की स्थिति को दर्शाता है। जब बहादुर को चोरी का दोषी ठहराया गया और उस पर हाथ उठाया गया, तो वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा। उसका मन काम में नहीं लगता था और वह लापरवाह हो गया। यह दिखाता है कि मानसिक आघात व्यक्ति के प्रदर्शन को कैसे प्रभावित करता है।


(ग) अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता।

उत्तर: यह वाक्य निर्मला के पछतावे को व्यक्त करता है जब बहादुर घर छोड़कर चला जाता है। निर्मला को बहादुर की ईमानदारी पर पूरा भरोसा था और उसे इस बात का बहुत दुःख था कि उन्होंने उस पर झूठा आरोप लगाया। यदि बहादुर सच में कुछ चुराकर ले गया होता, तो परिवार को यह मानने में संतोष हो जाता कि उन्होंने उसे दंडित करके सही किया था, लेकिन वह तो कुछ भी लेकर नहीं गया था, जिससे उन्हें अपनी गलती का गहरा एहसास हुआ।


(घ) यदि मैं न मारता, तो शायद वह न जाता।

उत्तर: यह वाक्य किशोर के पछतावे को दर्शाता है जब बहादुर घर छोड़कर चला जाता है। किशोर ने बहादुर को लगातार मारा-पीटा था और उस पर अत्याचार किए थे। बहादुर के जाने के बाद किशोर को अपनी गलती का एहसास होता है कि उसके क्रूर व्यवहार ने बहादुर को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। यह वाक्य उसके अपराध बोध को दर्शाता है।

8. काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर बैठे बहादुर का लेखक किन शब्दों में चित्रण करता है?

उत्तर: काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर बैठे बहादुर का चित्रण लेखक इस प्रकार करता है: "वह चुपचाप सोता रहा। फिर हाथ-मुँह धोकर काम करने लगता। जल्दी वह प्रसन्न भी हो गया। रात में सोते समय वह अपनी टोपी पहनकर देर तक गाता रहा।" यह दर्शाता है कि बहादुर सरल स्वभाव का था और काम के बाद अपनी दुनिया में मगन हो जाता था, अपनी टोपी पहनकर गाना उसके लिए एक निजी खुशी का साधन था।

9. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर गहरा प्रभाव पड़ा।

  • निर्मला: उसे घर के कामों से बहुत राहत मिली और वह आराम करने लगी।
  • किशोर: उसे बहादुर पर अपना रोब जमाने का मौका मिला और वह उसे मारता-पीटता था।
  • लेखक: उन्हें घर के कामों से मुक्ति मिली और वे निर्मला को आराम करते देख संतुष्ट थे।
  • पूरा परिवार: बहादुर की मेहनत से घर के सभी काम सुचारु रूप से होने लगे, जिससे परिवार का जीवन आसान हो गया।

10. किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया?

उत्तर: बहादुर ने लेखक का घर निम्नलिखित कारणों से छोड़ दिया:

  • झूठे आरोप: उस पर रिश्तेदारों द्वारा 11 रुपये चुराने का झूठा आरोप लगाया गया था।
  • मारपीट: चोरी के आरोप के बाद उसे मारा गया और उस पर दबाव डाला गया।
  • अविश्वास: निर्मला सहित पूरे परिवार ने उस पर विश्वास करना छोड़ दिया था।
  • मानसिक पीड़ा: लगातार दुर्व्यवहार, गालियाँ और मारपीट के कारण वह मानसिक रूप से प्रताड़ित था।
  • आत्म-सम्मान को ठेस: झूठे आरोप और अविश्वास ने उसके आत्म-सम्मान को गहरा आघात पहुँचाया।

11. बहादुर पर चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप का क्या असर पड़ता है?

उत्तर: लेखक के घर आए एक रिश्तेदार ने अपने 11 रुपये खो जाने का बहाना बनाया। रिश्तेदार ने जानबूझकर बहादुर पर चोरी का आरोप लगाया क्योंकि वह घर का अकेला नौकर था। इस आरोप से बहादुर को गहरा आघात लगा। उस पर मार पड़ी, उसे बेइज्जत किया गया, और पूरे परिवार का विश्वास उससे उठ गया। इस घटना के बाद वह उदास रहने लगा, उसके काम में मन नहीं लगता था, और वह अंततः घर छोड़कर चला गया।

12. घर आए रिश्तेदारों ने कैसा प्रभाव रचा और उसका क्या परिणाम निकला?

उत्तर: घर आए रिश्तेदारों ने बहादुर के ऊपर 11 रुपये चोरी का झूठा आरोप लगाया। इस आरोप ने घर के शांत माहौल को भंग कर दिया। रिश्तेदार अपने खोए हुए पैसों को पाने पर अड़े थे, जिससे बहादुर को मारा गया। इस घटना का परिणाम यह हुआ कि बहादुर का आत्म-सम्मान बुरी तरह से आहत हुआ, वह उदास रहने लगा, और अंततः घर छोड़कर चला गया।

13. बहादुर के चले जाने से सेवक को क्या लाभ होता है?

उत्तर: यहाँ 'सेवक' से तात्पर्य परिवार से है। बहादुर के चले जाने से परिवार को कोई लाभ नहीं होता, बल्कि उन्हें उसकी अनुपस्थिति का गहरा अहसास होता है। उसके जाने के बाद निर्मला को फिर से सारे काम खुद करने पड़ते हैं। उन्हें उसकी ईमानदारी और उपयोगिता का एहसास होता है। वे पछतावा करते हैं कि उन्होंने एक सच्चे और मेहनती व्यक्ति को खो दिया।

14. बहादुर, किशोर, निर्मला और कथावाचक का चरित्र चित्रण करें।

उत्तर:

  • बहादुर: संवेदनशील, मेहनती, ईमानदार, स्वाभिमानी, और सहनशील किशोर।
  • किशोर: उद्दंड, अहंकारी और क्रूर बालक, जो अपने से कमजोर पर रौब जमाता है।
  • निर्मला: आरंभ में दयालु, लेकिन धीरे-धीरे नौकर के प्रति संवेदनहीन हो जाती है। अंत में उसे पछतावा होता है।
  • कथावाचक (लेखक): एक मध्यमवर्गीय पति, जो सामाजिक नियमों का पालन करते हैं, लेकिन अन्याय को रोक नहीं पाते।

15. निर्मला क्यों बहादुर को कुछ दिन पहले छोड़ दिया था?

उत्तर: यह प्रश्न संभवतः गलत है। निर्मला ने बहादुर को नहीं छोड़ा था, बल्कि बहादुर खुद घर छोड़कर चला गया था। निर्मला ने बहादुर पर चोरी का झूठा आरोप लगने के बाद उस पर विश्वास नहीं किया था और उसे मारा भी था, जिससे बहादुर का आत्म-सम्मान आहत हुआ और वह घर छोड़कर चला गया।

16. कहानी छोटी मुँह बड़ी बात कहती है। इस दृष्टि से 'बहादुर' कहानी पर विचार करें।

उत्तर: "छोटी मुँह बड़ी बात" का अर्थ है कि कहानी आकार में छोटी होते हुए भी गहरे संदेश देती है। 'बहादुर' कहानी एक साधारण घरेलू नौकर की कहानी प्रतीत होती है, लेकिन इसके माध्यम से लेखक ने मालिक-नौकर संबंधों की अमानवीयता, मध्यवर्गीय समाज का पाखंड, मानवीय संवेदना का अभाव और आत्म-सम्मान का महत्व जैसी कई गंभीर सामाजिक समस्याओं को उठाया है। यह कहानी एक छोटे से प्रसंग के माध्यम से भारतीय समाज की कई गहरी समस्याओं को उजागर करती है, इसलिए यह 'छोटी मुँह बड़ी बात' कहती है।

भाषा की बात (पृष्ठ 52-53)

1. निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करते हुए अर्थ स्पष्ट करें:

  • मारते-मारते मुँह टेढ़ा देना: (अर्थ: बहुत अधिक पिटाई करना) - "किशोर बहादुर को मारते-मारते मुँह टेढ़ा देता था।"
  • दिल दहलना: (अर्थ: अत्यधिक भयभीत होना) - "चोरी का इल्जाम सुनकर बहादुर का दिल दहल गया।"
  • हाथ बटाना: (अर्थ: सहायता करना) - "निर्मला को घर के काम में कोई हाथ बटाने वाला नहीं था।"
  • बातों की जलेबी छानना: (अर्थ: व्यर्थ की बातें करना) - "कभी-कभी नौकरों की बात सुनकर वे बातों की जलेबी छानने लगते थे।"
  • कहीं का न रहना: (अर्थ: बेकार हो जाना) - "बहादुर के जाने के बाद परिवार कहीं का न रहा, काम रुक गए।"
  • दो-चार सुनाना: (अर्थ: डाँटना-फटकारना) - "माँ ने बहादुर को उसकी गलती पर दो-चार सुनाई।"
  • खाली हाथ जाना: (अर्थ: बिना कुछ लिए जाना) - "बहादुर घर छोड़कर खाली हाथ चला गया।"
  • पेट में लंबी दाढ़ी: (अर्थ: बहुत अनुभवी या चालाक होना) - "निर्मला को लगता था कि नौकरों के पेट में लंबी दाढ़ी होती है।"
  • लंबी चद्दर मचना: (अर्थ: गहरी नींद सोना) - "वह रात में लंबी चद्दर मचना था।"

2. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग करते हुए लिंग-निर्देश करें:

  • रुमाल (पुल्लिग): उसके गले में एक रुमाल बँधा था।
  • औंधा (पुल्लिग): बहादुर ज़मीन पर औंधा लेट गया।
  • भरण-पोषण (पुल्लिग): वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता था।
  • इन्कलाब (पुल्लिग): वे स्वतंत्रता संग्राम में इन्कलाब का नारा लगाते थे।
  • इज़्ज़त (स्त्रीलिंग): बहादुर ने अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए घर छोड़ दिया।
  • फरमाइश (स्त्रीलिंग): किशोर ने बहादुर से काम की फरमाइश की।
  • छेदखानी (स्त्रीलिंग): बहादुर के साथ किसी ने छेदखानी नहीं की।
  • पुलाई (स्त्रीलिंग): उसने रोटी की पुलाई कर दी।
  • फिक्र (स्त्रीलिंग): निर्मला को बहादुर की फिक्र होने लगी।
  • चादर (स्त्रीलिंग): बहादुर ने अपनी चादर ओढ़ ली।

3. निम्नलिखित वाक्यों की बनावट बदलें:

  • (क) सहसा मैं काफी गंभीर हो गया था...बनावट: एक भारी दायित्व का एहसास होने पर मैं अचानक गंभीर हो गया।
  • (ख) माँ खाकर पैसा भागी-भागी...बनावट: पैसा लेकर माँ तुरंत खेत में काम कर रही अपनी माँ के पास भागी।
  • (ग) मैं उससे खातिरजमा कराना चाहता था...बनावट: मैं उसे आश्वस्त करना चाहता था, पर जानबूझकर गंभीर होकर दूसरी ओर देखता रहा।
  • (घ) निर्मला कभी-कभी उससे पूछती थी...बनावट: निर्मला अक्सर बहादुर से उसकी माँ की याद के बारे में पूछती थी।

7. अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (20 नये प्रश्न)

1. अमरकांत की कहानी 'बहादुर' किस विधा की रचना है और इसकी मुख्य विशेषता क्या है?

उत्तर: अमरकांत की कहानी 'बहादुर' एक उपन्यास है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि यह एक नेपाली किशोर नौकर की कहानी के माध्यम से भारतीय मध्यवर्ग के मालिक-नौकर संबंधों, सामाजिक पाखंड और मानवीय संवेदना के अभाव को उजागर करती है। यह यथार्थवादी शैली में लिखी गई है।

2. निर्मला ने नौकर रखने का फैसला क्यों किया था?

उत्तर: निर्मला दिनभर घर के कामों से थक जाती थी और उसके बच्चे भी घर के कामों में हाथ नहीं बटाते थे, जिससे उसे एक नौकर की सख्त ज़रूरत महसूस हुई। नौकर रखने के बाद निर्मला को घर के कामों से बहुत राहत मिली।

3. बहादुर के स्वभाव की शुरुआती विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर: बहादुर शुरुआत में बहुत मेहनती, ईमानदार और विनम्र था। वह घर के सभी काम जैसे झाड़ू-पौंछा, बर्तन मांजना, कपड़े धोना आदि ठीक से करता था। वह घर के सभी सदस्यों से सम्मानपूर्वक बात करता था और हमेशा मुस्कुराता रहता था।

4. किशोर का बहादुर के प्रति व्यवहार कैसा था?

उत्तर: किशोर का बहादुर के प्रति व्यवहार बहुत ही क्रूर और उद्दंड था। वह बहादुर को अक्सर गालियाँ देता, मारता-पीटता और उस पर अपना रोब जमाता था। यह उसके अहंकारी, बिगड़ैल और संवेदनहीन चरित्र को दर्शाता है।

5. 'बहादुर' कहानी में 'अमरकांत' नाम का उल्लेख कहाँ हुआ है?

उत्तर: 'अमरकांत' नाम का उल्लेख कहानी के परिचय में हुआ है, जहाँ उन्हें 'वानर सेना' नामक एक बाल उपन्यास का लेखक बताया गया है। कहानी के संदर्भ में, अमरकांत स्वयं कथावाचक के रूप में मौजूद हैं।

6. बहादुर को घर के सभी सदस्यों की क्या आदतें थीं?

उत्तर: बहादुर घर के सभी सदस्यों की जरूरतों और आदतों को जानता था। वह जानता था कि किशोर को क्या चाहिए, निर्मला कब सोती है, और लेखक के कपड़े कहाँ रखे होते हैं। वह हर काम को परिवार की आदतों के अनुसार करता था।

7. रिश्तेदारों द्वारा लगाए गए झूठे आरोप के बाद बहादुर के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?

उत्तर: झूठे आरोप और मारपीट के बाद बहादुर उदास रहने लगा। उसका मन काम में नहीं लगता था, वह लापरवाह हो गया और उससे अक्सर गलतियाँ होने लगीं। उसकी हँसी गायब हो गई और वह चुपचाप रहने लगा।

8. निर्मला के पछतावे के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर: बहादुर के चले जाने के बाद निर्मला को अपनी गलती का गहरा एहसास हुआ। उसे पछतावा था कि उसने एक ईमानदार नौकर को खो दिया। उसे यह भी एहसास हुआ कि उसने बहादुर पर झूठा आरोप लगाने वालों का विश्वास किया और उसे मारा। अब उसे सारे काम खुद करने पड़ रहे थे, जिससे उसे बहादुर की अहमियत समझ आई।

9. कहानी में किस प्रकार के 'वर्ग संघर्ष' की झलक मिलती है?

उत्तर: कहानी में मालिक (मध्यवर्ग) और नौकर (निम्नवर्ग) के बीच के वर्ग संघर्ष की झलक मिलती है। मालिक वर्ग अपनी सामाजिक स्थिति का दुरुपयोग करके नौकर पर अत्याचार करता है, उसे मानवीय सम्मान से वंचित रखता है। यह संघर्ष बहादुर के शोषण और अंततः उसके पलायन में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

10. बहादुर अपनी माँ की याद आने पर क्या करता था?

उत्तर: निर्मला जब बहादुर से उसकी माँ की याद आने के बारे में पूछती थी, तो वह नहीं बताता था कि उसे माँ की याद आती है। यह दर्शाता है कि उसे अपनी माँ के प्रति एक जटिल भावना थी। हालाँकि, वह अक्सर चुपचाप रहता था, जिससे पता चलता है कि उसे घर की याद आती थी।

11. पाठ में किन जगहों पर 'धमकाने' या 'धौंस जमाने' का जिक्र आया है?

उत्तर: पाठ में किशोर द्वारा बहादुर को 'धमकाने' और 'धौंस जमाने' का जिक्र कई बार आया है। किशोर उसे 'सुअर का बच्चा' कहकर बुलाता था और मारता-पीटता था। रिश्तेदारों ने भी चोरी के आरोप पर उसे धमकाया था।

12. 'बहादुर' कहानी में गाँव और शहर के जीवन की कौन-सी तुलना की गई है?

उत्तर: कहानी में अप्रत्यक्ष रूप से गाँव के जीवन की तुलना शहर से की गई है। बहादुर गाँव से भागकर शहर में आता है। गाँव में उसे मार पड़ती है, लेकिन शहर में आकर उसे नए तरह के शोषण और अविश्वास का सामना करना पड़ता है।

13. कहानी में 'रोटी' शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है?

उत्तर: कहानी में 'रोटी' शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से 'आजीविका' या 'जीवन-यापन' के संदर्भ में किया गया है। निर्मला भी कहती है कि 'रोटी' बनाने के लिए ही नौकर रखा जाता है। यह दर्शाता है कि 'रोटी' केवल भोजन नहीं, बल्कि जीवन की मूलभूत आवश्यकता का प्रतीक है।

14. लेखक ने बहादुर के चले जाने पर उसकी कौन-सी चीजें घर में पाईं?

उत्तर: बहादुर के जाने के बाद लेखक को उसकी कुछ चीजें घर में मिलीं - दो-तीन पुरानी किताबें, दो-तीन सफेद पत्थर, कुछ कागज और एक नायलन की रुई। यह दर्शाता है कि वह बहुत साधारण जीवन जीता था और कुछ भी चुराकर नहीं ले गया था।

15. 'बहादुर' कहानी में सामाजिक रूढ़ियों का चित्रण कैसे हुआ है?

उत्तर: कहानी में सामाजिक रूढ़ियों का चित्रण इस प्रकार हुआ है कि समाज में मालिक-नौकर के संबंधों को असमान माना जाता है। नौकर को इंसान न समझकर उसे केवल काम करने वाला समझा जाता है। बिना सबूत के किसी पर आरोप लगाना और शारीरिक दंड देना भी एक आम बात मानी जाती थी।

16. कहानी का शीर्षक 'बहादुर' कितना सार्थक है?

उत्तर: कहानी का शीर्षक 'बहादुर' पूरी तरह से सार्थक है। 'बहादुर' का अर्थ होता है साहसी। कहानी का मुख्य पात्र, जिसका नाम 'दिलबहादुर' है, वास्तव में अपने जीवन की मुश्किलों और शोषण का सामना साहस से करता है। अंततः अपना आत्म-सम्मान बचाने के लिए घर छोड़कर चला जाना उसकी बहादुरी को दर्शाता है।

17. "पर अब बहादुर का भूल-गलतियाँ अधिक होने लगीं।" - इस कथन को प्रमाण सहित स्पष्ट करें।

उत्तर: यह कथन बहादुर पर झूठे आरोपों और मारपीट के बाद के उसके मानसिक स्थिति को दर्शाता है। जब बहादुर पर 11 रुपये चोरी का आरोप लगा और उसे मारा गया, तो वह बहुत दुखी और आहत हुआ। इस घटना के बाद वह चुपचाप रहने लगा, उदास हो गया, और उसका मन काम में नहीं लगता था। परिणामस्वरूप, वह अपने काम में लापरवाही करने लगा और उससे अक्सर गलतियाँ होने लगीं।

18. निर्मला और किशोर के चरित्र में क्या समानता और क्या भिन्नताएँ थीं?

उत्तर: समानताएँ: दोनों बहादुर के प्रति क्रूर थे, मध्यवर्गीय मानसिकता से प्रभावित थे और दोनों को बाद में पछतावा हुआ। भिन्नताएँ: किशोर की क्रूरता शारीरिक थी (मारना), जबकि निर्मला की क्रूरता मानसिक थी (ताने देना, अविश्वास)। किशोर उद्दंड था, निर्मला व्यवहारिक लेकिन संवेदनहीन थी।

19. बहादुर के जाने के बाद घर की स्थिति कैसी हो गई?

उत्तर: बहादुर के जाने के बाद घर में पहले जैसी रौनक और व्यवस्था नहीं रही। निर्मला को फिर से घर के सारे काम खुद करने पड़े और उसे बहादुर की कमी खलने लगी। उसे अपनी गलती का गहरा एहसास हुआ और वह पछताने लगी।

20. अमरकांत ने 'बहादुर' कहानी के माध्यम से समाज को क्या संदेश दिया है?

उत्तर: अमरकांत ने संदेश दिया है कि हमें अपने नौकरों को भी इंसान समझना चाहिए और उनके मानवीय सम्मान का आदर करना चाहिए। यह कहानी मध्यवर्गीय समाज के पाखंड, अविश्वास और शोषण की प्रवृत्ति को उजागर करती है और हमें दूसरों के प्रति संवेदनशील होने का संदेश देती है।

परीक्षा से पूर्व त्वरित पुनरावृत्ति (Quick Summary)

'बहादुर' अमरकांत द्वारा लिखित एक मार्मिक कहानी है, जो एक नेपाली किशोर नौकर बहादुर के जीवन और एक मध्यमवर्गीय परिवार के साथ उसके संबंधों पर केंद्रित है। बहादुर घर के सभी काम ईमानदारी और लगन से करता है। हालाँकि, परिवार, विशेषकर बेटा किशोर, बहादुर पर अत्याचार करता है। जब रिश्तेदारों के आने पर बहादुर पर चोरी का झूठा आरोप लगता है, तो उसका आत्म-सम्मान आहत होता है। वह उदास रहने लगता है और अंततः घर छोड़कर चला जाता है। उसके जाने के बाद परिवार को अपनी गलती और उसकी अहमियत का एहसास होता है। कहानी मालिक-नौकर संबंधों की संवेदनहीनता, मध्यवर्गीय मानसिकता और मानवीय मूल्यों के क्षरण को उजागर करती है।

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