बिहार बोर्ड कक्षा 10 – संस्कृत
अध्याय 14: शास्त्रकाराः (शास्त्रों के रचयिता)
प्रिय छात्रों, इस ब्लॉग पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत के अध्याय 14, "शास्त्रकाराः" का गहन अध्ययन करेंगे। यहाँ आपको सम्पूर्ण पुनरीक्षण नोट्स, महत्वपूर्ण शब्दार्थ, पाठ्यपुस्तक के हल किए गए अभ्यास और अतिरिक्त प्रश्नोत्तर मिलेंगे जो आपकी परीक्षा की तैयारी में अत्यंत सहायक होंगे।
पुनरीक्षण नोट्स (Revision Notes)
1. पाठ का परिचय:
यह पाठ "शास्त्रकाराः" एक संवाद शैली में है, जिसमें शिक्षक कक्षा में प्रवेश करते हैं और छात्र उनका अभिवादन करते हैं। शिक्षक छात्रों को भारतीय शास्त्रों और उनके रचयिताओं (शास्त्रकारों) से परिचित कराते हैं। इस पाठ का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा और विभिन्न शास्त्रों के महत्व से अवगत कराना है।
2. पाठ का सारांश:
- शिक्षक कक्षा में प्रवेश करते हैं और छात्र खड़े होकर उनका अभिवादन करते हैं।
- शिक्षक बताते हैं कि आज वे शास्त्रकारों के बारे में चर्चा करेंगे।
- शास्त्र ज्ञान का शासक (अनुशासन करने वाला) होता है और यह मनुष्य को कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराता है। आजकल अध्ययन का विषय 'शास्त्र' कहलाता है। पश्चिमी देशों में इसे 'अनुशासन' (Discipline) भी कहते हैं।
- शास्त्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – (1) नित्य (जैसे वेद) और (2) कृतक (किसी ऋषि या विद्वान द्वारा रचित)।
-
वेदांग:
वेद के अर्थ को समझने में सहायक शास्त्रों को वेदांग कहते हैं। ये छः हैं:
- शिक्षा: उच्चारण प्रक्रिया का ज्ञान कराती है। पाणिनीय शिक्षा प्रमुख ग्रंथ है।
- कल्प: कर्मकाण्डीय ग्रंथ, सूत्र रूप में रचित। इसके प्रमुख रचयिता हैं – बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वसिष्ठ आदि।
- व्याकरण: शब्द-ज्ञान कराता है। पाणिनि कृत "अष्टाध्यायी" प्रसिद्ध है।
- निरुक्त: वेद के अर्थ का बोध कराता है। यास्क द्वारा रचित "निरुक्तम्" प्रसिद्ध है।
- छन्द: पद्य रचना के नियम बताता है। पिंगल द्वारा रचित "छन्दःशास्त्रम्" प्रमुख है।
- ज्योतिष: काल का निर्धारण करता है। लगध द्वारा रचित "वेदांगज्योतिषम्" प्रसिद्ध है।
-
दर्शनशास्त्र:
भारत में छः दर्शनशास्त्र प्रसिद्ध हैं, जिनके प्रवर्तक और प्रमुख ग्रंथ हैं:
- सांख्य दर्शन: प्रवर्तक – कपिल।
- योग दर्शन: प्रवर्तक – पतञ्जलि।
- न्याय दर्शन: प्रवर्तक – गौतम।
- वैशेषिक दर्शन: प्रवर्तक – कणाद।
- मीमांसा दर्शन: प्रवर्तक – जैमिनि।
- वेदान्त दर्शन: प्रवर्तक – बादरायण (इनका "ब्रह्मसूत्र" प्रसिद्ध है)।
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अन्य प्रमुख शास्त्रकार और उनके ग्रंथ:
- आर्यभट: "आर्यभटीयम्" (गणित और ज्योतिष)।
- वराहमिहिर: "बृहत्संहिता" (विशाल ग्रंथ, ज्योतिष, खगोल आदि)।
- चरक: "चरकसंहिता" (आयुर्वेद)।
- सुश्रुत: "सुश्रुतसंहिता" (आयुर्वेद, विशेषकर शल्य चिकित्सा)।
- शिक्षक बताते हैं कि भारत में शास्त्रों की परंपरा बहुत समृद्ध है और अनेक शास्त्रकार हुए हैं।
3. पाठ का महत्व और संदेश:
- यह पाठ हमें भारतीय ज्ञान परंपरा की विशालता और गहराई से परिचित कराता है।
- विभिन्न शास्त्रों और उनके रचयिताओं के योगदान को रेखांकित करता है।
- यह हमें अपने प्राचीन ज्ञान और विद्वानों पर गर्व करने की प्रेरणा देता है।
शब्दार्थ (Word Meanings):
- शास्त्रकाराः (śāstrakārāḥ) – शास्त्रों के रचयिता
- प्रवर्तकाः (pravartakāḥ) – प्रवर्तक, शुरू करने वाले
- कक्षायाम् (kakṣāyām) – कक्षा में
- प्रविशति (praviśati) – प्रवेश करता है
- छात्राः (chātrāḥ) – छात्रगण
- सादरम् (sādaram) – आदरपूर्वक
- उत्थाय (utthāya) – उठकर
- अभिवादनम् (abhivādanam) – प्रणाम, नमस्कार
- कुर्वन्ति (kurvanti) – करते हैं
- उपविशन्तु (upaviśantu) – बैठ जाएं
- अद्य (adya) – आज
- युष्माकम् (yuṣmākam) – तुम्हारा
- परिचयः (paricayaḥ) – परिचय
- भविष्यति (bhaviṣyati) – होगा
- जिज्ञासा (jijñāsā) – जानने की इच्छा
- ज्ञानस्य (jñānasya) – ज्ञान का
- शासकम् (śāsakam) – शासन करने वाला, मार्गदर्शक
- कर्तव्याकर्तव्यविषये (kartavyākartavyaviṣaye) – करने योग्य और न करने योग्य के विषय में
- शिक्षयति (śikṣayati) – सिखाता है
- अध्ययनविषयः (adhyaynaviṣayaḥ) – अध्ययन का विषय
- कथ्यते (kathyate) – कहा जाता है
- वेदाङ्गानि (vedāṅgāni) – वेद के अंग (शास्त्र)
- षट् (ṣaṭ) – छः
- उच्चारणप्रक्रिया (uccāraṇaprakriyā) – उच्चारण की प्रक्रिया
- बोधयति (bodhayati) – ज्ञान कराती है
- पाणिनीयशिक्षा (pāṇinīyaśikṣā) – पाणिनि द्वारा रचित शिक्षाग्रंथ
- कर्मकाण्डग्रन्थः (karmakāṇḍagranthaḥ) – कर्मकाण्ड से संबंधित ग्रंथ
- सूत्रात्मकः (sūtrātmakaḥ) – सूत्र रूप में
- प्रणेतारः (praṇetāraḥ) – रचने वाले
- वेदार्थबोधकम् (vedārthabodakam) – वेद के अर्थ का ज्ञान कराने वाला
- प्रणीतम् (praṇītam) – रचा गया
- खगोलविज्ञानम् (khagolavijñānam) – खगोल विज्ञान
- गणितम् (gaṇitam) – गणित
- इत्यादि (ityādi) – आदि
- प्रभूताः (prabhūtāḥ) – बहुत से, अनेक
- अल्पमेव (alpameva) – थोड़ा ही
अभ्यास के हल (Solved Exercises)
(पाठ्यपुस्तक के आधार पर संभावित प्रश्न)
मौखिकः (Oral)
1. एकपदेन उत्तरं वदत (एक पद में उत्तर दें):
उत्तरम् – शिक्षकः
उत्तरम् – छात्राः
उत्तरम् – शास्त्रकाराणाम् / संस्कृशास्त्रैः
उत्तरम् – शास्त्रम्
उत्तरम् – षट्
उत्तरम् – उच्चारणप्रक्रियाम्
उत्तरम् – पाणिनेः
उत्तरम् – यास्कः
उत्तरम् – पिंगलः
उत्तरम् – लगधः
लिखितः (Written)
1. एकपदेन उत्तरं लिखत (एक पद में उत्तर लिखें):
उत्तरम् – मानवेभ्यः
उत्तरम् – षट्
उत्तरम् – अष्टाध्यायी
उत्तरम् – कपिलः
उत्तरम् – पतञ्जलिः
उत्तरम् – जैमिनिः
उत्तरम् – आर्यभटस्य
उत्तरम् – वराहमिहिरेण
उत्तरम् – पराशरेण (पाठ के अनुसार यदि कोई अन्य हो तो वह लिखें)
उत्तरम् – आयुर्वेदशास्त्रग्रन्थः
2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत (पूर्ण वाक्य में उत्तर लिखें):
उत्तरम् – ज्ञानस्य शासकं शास्त्रं भवति, यत् मानवेभ्यः कर्तव्याकर्तव्यविषये शिक्षां ददाति, तदेव शास्त्रम् इति गुरुणा प्रोक्तम्।
उत्तरम् – वेदाङ्गानि षट् सन्ति – शिक्षा, कल्पः, व्याकरणम्, निरुक्तम्, छन्दः, ज्योतिषम् च।
उत्तरम् – षड्दर्शनकाराः सन्ति – कपिलः (सांख्य), पतञ्जलिः (योग), गौतमः (न्याय), कणादः (वैशेषिक), जैमिनिः (मीमांसा), बादरायणः (वेदान्त) च।
उत्तरम् – ज्योतिषशास्त्रे लगधविरचितं वेदांगज्योतिषम्, आर्यभटस्य आर्यभटीयम्, वराहमिहिरस्य बृहत्संहिता च प्रमुखाः ग्रन्थाः सन्ति।
उत्तरम् – चरकसंहिता सुश्रुतसंहिता च आयुर्वेदस्य प्रमुखौ ग्रन्थौ स्त:।
3. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करें):
वाक्यम् | प्रश्ननिर्माणम् |
---|---|
(क) छात्राः सादरम् उत्थाय शिक्षकस्य अभिवादनं कुर्वन्ति। | के सादरम् उत्थाय शिक्षकस्य अभिवादनं कुर्वन्ति? |
(ख) शिक्षकः कक्षायां प्रविशति। | कः कक्षायां प्रविशति? |
(ग) शास्त्रम् ज्ञानस्य शासकम् अस्ति। | किम् ज्ञानस्य शासकम् अस्ति? |
(घ) वेदाङ्गानि षट् सन्ति। | वेदाङ्गानि कति सन्ति? |
(ङ) पाणिनेः व्याकरणं प्रसिद्धम्। | कस्य व्याकरणं प्रसिद्धम्? |
4. सन्धिं/सन्धिविच्छेदं कुरुत (सन्धि/सन्धिविच्छेद करें):
पदम् | सन्धि / सन्धिविच्छेदः |
---|---|
(क) अद्य + एव | अद्यैव |
(ख) उत्थाय + अभिवादनम् | उत्थायाभिवादनम् |
(ग) शास्त्रकाराः + च | शास्त्रकाराश्च |
(घ) कल्पोऽपि | कल्पः + अपि |
(ङ) ज्योतिषम् + च | ज्योतिषञ्च / ज्योतिषं च (विकल्प से) |
(नोट: ये प्रश्न और उत्तर पाठ के सामान्य ज्ञान पर आधारित हैं। आपकी पाठ्यपुस्तक में थोड़े भिन्न प्रश्न हो सकते हैं, लेकिन मूल विषय यही रहेगा।)
20 अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (20 Additional Questions with Solutions):
-
1. प्रश्न: "शास्त्रकाराः" पाठः कया शैल्या रचितः?
उत्तरम्: "शास्त्रकाराः" पाठः संवादशैल्या रचितः। -
2. प्रश्न: शास्त्रं किं करोति?
उत्तरम्: शास्त्रं मानवेभ्यः कर्तव्याकर्तव्ययोः बोधं कारयति तथा च ज्ञानस्य शासकं भवति। -
3. प्रश्न: पाश्चात्त्यदेशेषु शास्त्रं किम् उच्यते?
उत्तरम्: पाश्चात्त्यदेशेषु शास्त्रम् 'अनुशासनम्' (Discipline) इति उच्यते। -
4. प्रश्न: वेदाङ्गानि कस्य अर्थबोधने सहायकानि भवन्ति?
उत्तरम्: वेदाङ्गानि वेदस्य अर्थबोधने सहायकानि भवन्ति। -
5. प्रश्न: 'पाणिनीयशिक्षा' कस्य वेदाङ्गस्य ग्रन्थः अस्ति?
उत्तरम्: 'पाणिनीयशिक्षा' शिक्षा-वेदाङ्गस्य ग्रन्थः अस्ति। -
6. प्रश्न: कल्पग्रन्थाः कीदृशाः सन्ति?
उत्तरम्: कल्पग्रन्थाः कर्मकाण्डपराः सूत्रात्मकाः च सन्ति। -
7. प्रश्न: कल्पस्य केचन प्रमुखरचयितारः के सन्ति?
उत्तरम्: कल्पस्य बौधायनः, भारद्वाजः, गौतमः, वसिष्ठः इत्यादयः प्रमुखरचयितारः सन्ति। -
8. प्रश्न: 'अष्टाध्यायी' इति ग्रन्थस्य रचयिता कः?
उत्तरम्: 'अष्टाध्यायी' इति ग्रन्थस्य रचयिता पाणिनिः अस्ति। -
9. प्रश्न: निरुक्तस्य किं कार्यम्?
उत्तरम्: निरुक्तस्य कार्यं वेदार्थबोधनम् अस्ति। -
10. प्रश्न: छन्दःशास्त्रस्य प्रवर्तकः कः?
उत्तरम्: छन्दःशास्त्रस्य प्रवर्तकः आचार्यः पिङ्गलः अस्ति। -
11. प्रश्न: 'वेदांगज्योतिषम्' कस्य कृतिः?
उत्तरम्: 'वेदांगज्योतिषम्' लगधस्य कृतिः अस्ति। -
12. प्रश्न: भारते कति दर्शनशास्त्राणि सन्ति? तेषां नामानि लिखत।
उत्तरम्: भारते षट् दर्शनशास्त्राणि सन्ति। तानि सन्ति – सांख्यदर्शनम्, योगदर्शनम्, न्यायदर्शनम्, वैशेषिकदर्शनम्, मीमांसादर्शनम्, वेदान्तदर्शनम् च। -
13. प्रश्न: न्यायदर्शनस्य प्रवर्तकः कः?
उत्तरम्: न्यायदर्शनस्य प्रवर्तकः गौतमः अस्ति। -
14. प्रश्न: वैशेषिकदर्शनस्य प्रवर्तकः कः?
उत्तरम्: वैशेषिकदर्शनस्य प्रवर्तकः कणादः अस्ति। -
15. प्रश्न: वेदान्तदर्शनस्य प्रवर्तकः कः? तस्य प्रसिद्धः ग्रन्थः कः?
उत्तरम्: वेदान्तदर्शनस्य प्रवर्तकः बादरायणः अस्ति। तस्य प्रसिद्धः ग्रन्थः 'ब्रह्मसूत्रम्' अस्ति। -
16. प्रश्न: आर्यभटस्य प्रमुखः ग्रन्थः कः? सः केन सम्बद्धः?
उत्तरम्: आर्यभटस्य प्रमुखः ग्रन्थः 'आर्यभटीयम्' अस्ति। सः खगोलविज्ञानेन गणितेन च सम्बद्धः अस्ति। -
17. प्रश्न: वराहमिहिरेण कः विशालः ग्रन्थः रचितः?
उत्तरम्: वराहमिहिरेण 'बृहत्संहिता' इति विशालः ग्रन्थः रचितः। -
18. प्रश्न: चरकस्य सुश्रुतस्य च संहिताः केन शास्त्रेण सम्बद्धाः सन्ति?
उत्तरम्: चरकस्य सुश्रुतस्य च संहिताः आयुर्वेदशास्त्रेण सम्बद्धाः सन्ति। -
19. प्रश्न: भारतवर्षे केषां महती परम्परा श्रूयते?
उत्तरम्: भारतवर्षे शास्त्राणां शास्त्रकाराणां च महती परम्परा श्रूयते। -
20. प्रश्न: "शास्त्रकाराः" पाठात् का शिक्षा मिलति?
उत्तरम्: "शास्त्रकाराः" पाठात् शिक्षा मिलति यत् अस्माकं देशे ज्ञानस्य विज्ञानस्य च महती परम्परा अस्ति तथा च अस्माभिः स्वकीयप्राचीनशास्त्रेषु शास्त्रकारेषु च गर्वः कर्तव्यः।
अध्याय का सारांश एवं निष्कर्ष
"शास्त्रकाराः" पाठ भारतीय ज्ञान-परंपरा की समृद्धि और विविधता को उजागर करता है। यह हमें विभिन्न शास्त्रों जैसे वेदांग, दर्शनशास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिष आदि और उनके महान रचयिताओं से परिचित कराता है। इस पाठ के माध्यम से छात्रों में अपने प्राचीन ज्ञान और गौरवशाली अतीत के प्रति सम्मान और जिज्ञासा की भावना जागृत होती है। यह अध्याय न केवल परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति और बौद्धिक विरासत को समझने के लिए भी आवश्यक है।
हमें उम्मीद है कि यह सामग्री आपको अध्याय 14 "शास्त्रकाराः" की तैयारी में मदद करेगी। शुभकामनाएँ!
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